आओ ! देश के कोने-कोने का दिल से हम ख्याल करें।
भारत माता के हर सपूत के बलिदानों को हम याद करें।।
जाड़ा, गर्मी, बर्षा, बसन्त सब का स्वागत सत्कार करें।
हर मौसम में बसन्त की नित अनुभूति हम स्वीकार करें।।
आओ! देश के कोने-कोने का दिल से हम ख्याल करें।
भारत माँ के हर सपूत के बलिदानों को हम याद करें।।
सत्तर वर्षों की बेड़ी से मुक्त हुई माँ, हर्षित संसार सुनो।
टूट गये सब चक्र व्यूह, भारत माँ कर रही पुकार सुनो।।
हवा हवाई है अब केवल, शुभ अवसर है, अंगीकार करो।
छोड़ो भूल, मूल को पकड़ो, सच सच है, स्वीकार करो।।
आओ! देश के कोने-कोने का दिल से हम ख्याल करें।,
भारत माँ के हर सपूत के बलिदानों को हम याद करें।।
इस मिट्टी की मूरत हैं हम, हरि ऊँ कृपा को याद करो।
मौसम है अनुकूल,अपनी विराट सीमा स्वीकार करो।।
पाक इरादा साफ नहीं,खुदगर्जी,सत्ता व्यापार कहो।
सौतेलापन, क्रूरता, मातृवत रहा कहाँ व्यवहार कहो ?
आओ! देश के कोने-कोने का दिल से हम ख्याल करें।
भारत माँ के हर सपूत के बलिदानों को हम याद करें।।
भारत माता बाट जोहती, शोकाकुल, चिन्तन में।
माँ की धड़कन है पुकारती गूंज रही जो नभ में।।
ओ मेरे सिर मौर! तुम्हारी रक्षा मेरा प्रण है।
पुत्र ! तुम्हारा हित सम्वर्धन लक्ष्य अहम् मेरा है।
धाराओं को काट अनेकों आज पास आयी हूँ।
शपथ तिरंगा,आतंकी बन्धन मुक्ति-पत्र लायी हूँ।।
आओ! देश के कोने-कोने का दिल से हम ख्याल करें।
भारत माँ के हर सपूत के बलिदानों को हम याद करें।।
डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
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