शैलज घायल हो गया, चुभ गया दिल में तीर।
मुरझाया आनन कमल, बदल गया तकदीर।।
मौसम बदला, हवा चली, बुझ गया एक चिराग।
नीतिवान् गाते सदा, परिवर्त्तन राग विराग।।
बंद झोपड़ी में पड़ा, कब से राज कुमार।
आज उजागर हो गया, उसका सब व्यापार।।
जनता बैठी द्वार पर, करती आर्त्त पुकार।
नेता सेवक मदमस्त हैं, लगा राज दरबार।।
डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।
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