चन्द्रयान २ की यात्रा-कथा की बधाई
इसरो प्रमुख के.शिवम् ने लाइव न्यूज (9:25 p.m.) को बताया कि " हम विक्रम लैंडर से सम्पर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं, कुल मिला कर चन्द्र यान २ मिशन १०० % सफलता के बहुत करीब है। " इसके लिए ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी शक्तियों को तथा मुख्य रूप से इसरो के समस्त वैज्ञानिकों, वहाँ सभी कर्मचारियों, इसरो चीफ के. शिवम्, भारत-सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों, प्रधानमंत्री मोदी जी, विश्व पर शासन नहीं करने और आम लोगों को नहीं भटकाने वाले पत्रकारों एवं नेताओं को साथ ही इसरो के इस महत्त्वपूर्ण, ऐतिहासिक एवं साहसिक कार्यक्रम के सम्पादन संलग्न वैज्ञानिकों तथा कर्मचारियों का उत्साह वर्धन करनेवाले भारत एवं विश्व के जन-जन को हार्दिक बधाई।
बन्धुवर, इसरो का चन्द्र यान २ से सम्पर्क टूटने की जानकारी के बाद ज्योतिष में रुचि के कारण मैंने चन्द्रयान-२ रॉकेट दिनांक २२/०७/२०१९ के २/४३ बजे दिन में इसरो द्वारा चन्द्रमा के दक्षिणी भाग में अध्ययन के लिए श्रीहरिकोटा (अक्षांश १३.७३३१ डिग्री उत्तर, देशांतर ८०.२०४७ डिग्री पूर्व) से भेजा गया था इस आधार पर ज्योतिषीय अध्ययन किया जिसके अनुसार चन्द्र यान २ श्रावण कृष्ण षष्ठी सोमवार में बृश्चिक लग्न में लग्नस्थ गुरु (किं कुर्वन्ति ग्रहाः सर्वे यस्य केन्द्रे बृहस्पति:) जैसे शुभद् योग के समय में चन्द्र के लिए भेजा गया था और संयोग से यान भेजते समय युवा और प्रौढ़ वक्र काल के प्रभाव वाली स्थिति थी,जो किसी भी कार्य हेतु विलम्ब और कुछ कठिनाई का भी द्योतक था, परन्तु स्मरणीय है कि श्रावण माह में वक्र काल के समय में भी किये गये कार्यों में भी सफलता मिलने की सम्भावना बहुत अधिक रहती है।हलांकि वैज्ञानिक इसे नहीं मानते हैं, परन्तु ज्योतिष, योग और आध्यात्म भी बहुत महत्त्वपूर्ण विज्ञान है, और आधुनिक विज्ञान का आधार है। ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से विभिन्न तरह की शुभाशुभ सम्भावनाओं का बोध होता है और इस सृष्टि के रचयिता, पालन कर्त्ता एवं संहर्ता ईश्वर की कृपा से समस्याओं का समाधान होता है। शुभ सम्भावनाओं के बोध से हमारा आत्मबल एवं मनोबल बढ़ता है और हमें अपने आपको को सही मार्ग पर चलते हुए महसूस करते हैं तथा भविष्य में और भी मेहनत कर अपने को सफल बनाने का प्रयास करते हैं, इसी प्रकार अशुभ सम्भावनाओं का बोध होने पर हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किये जा रहे कार्यक्रमों की कमियों की सम्भावनाओं के शोधपूर्ण अध्ययन करने और उत्तम उपलब्धि के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने का अवसर मिल जाता है और/या सम्यक् शास्त्रीय उपचारों से समस्याओं के सम्यक् समाधान का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।
वास्तव में हमारा रचनात्मक एवं सकारात्मक प्रयास एवं दृष्टिकोण ही हमारी हर समस्याओं के समाधान का मूल मंत्र है।
बताया जाता है कि इसरो का सम्पर्क चन्द्रयान २ चन्द्रमा की सतह से मात्र २.१ किलोमीटर दूर रहने के पूर्व किसी कारण से सम्प्रति टूट गया है । ज्योतिर्गणित के अनुसार चन्द्रयान २ पर शनि के कारण धूल कणों और शुक्र के कारण आर्द्रता से यान का उर्जा क्षेत्र प्रभावित हुआ फलस्वरूप यान की मशीनरी प्रभावित हुई और यान से इसरो का सम्पर्क टूट गया, परन्तु उस समय जब इसरो के सभी वैज्ञानिक, इसरो चीफ के.शिवम् ,भारत और विश्व के सभी लोग,सभी पत्रकार एवं मीडिया कर्मी समुचित परिणाम नहीं पा सकने से निराश हो चुके थे, प्रधानमंत्री मंत्री महोदय ने उस समय खुद भी साहस जुटाया और इसरो के चीफ के.शिवम् सहित वैज्ञानिकों एवं आम लोगों को भी चन्द्र यान २ द्वारा चन्द्रमा से मात्र २.१ किलोमीटर दूर तक पहुँच जाने के लिए बधाई दी और अगली तैयारी अर्थात् चन्द्र यान ३ के लिए इसरो को पहल करने का संकेत दिया, परन्तु मैंने इस तथ्य को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किया था कि "वैज्ञानिकों द्वारा चन्द्रयान २ से सम्पर्क टूटने के कारणों की संभावनाओं पर यदि शोध पूर्ण अध्ययन जारी रहेगा तो चन्द्र यान २ सम्पर्क टूटने के रहस्यों का सूत्र अनुसंधानकर्ताओं को सम्पर्क टूटने के क्रमशः १ घंटा १२ मिनट के बाद तथा १, ३ एवं ७ दिन की अवधि में प्राप्त होने की सम्भावना है। इसरो द्वारा इस महत्वपूर्ण शोध कार्य में सम्यक् योगदान से एक वर्ष के अन्दर वैज्ञानिकों को अन्तरिक्ष के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान प्राप्त होगा।
वास्तव में विज्ञान के क्षेत्र में विशिष्ट, सतर्क एवं सही शोध- पूर्ण अध्ययन तथा संयमित प्रयोग के बाद भी यदि अपेक्षित परिणाम या उपलब्धि प्राप्त नहीं हो पाती है, तो भी हमें धैर्य पूर्वक पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, जो भविष्य में सफलता का मार्ग अवश्य प्रशस्त करता है।
शुभमस्तु।"
डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
(त्रिस्कन्ध ज्योतिष सम्मेलन, ऋषिकेश द्वारा "ज्योतिष-प्रेमी" की उपाधि से सम्मानित।)
भारत के चन्द्र यान- 2 के चन्द्रमा पर अवतरण (Landing) के सन्दर्भ में इसरो को अपेक्षित सफलता का नहीं मिलना मेरी दृष्टि में इसरो में संभवतः यान प्रौद्योगिकी सम्बन्धी किसी आत्मनिर्भरता और/आत्मोत्साह की कमी थी जिसे इसरो प्रमुख के सिवन ने संभवतः चन्द्र यान - 2 के सफल लैंडिंग में हुई बाधा के बाद में अनुभव किया और भारत सरकार एवं विश्व जन-जन को आश्वस्त करने का प्रयास किया कि चन्द्र यान - 2 के सन्दर्भ में भारत अपने स्तर से खोज करने या निर्णय लेने में सक्षम है।
चन्द्रयान 2 की यात्रा-कथा (क्रमशः) : प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
चन्द्रयान 2 के सन्दर्भ में दिनांक 07/09/2019 को मैंने मनोविज्ञान के छात्र होने के बावजूद ज्ञान-विज्ञान सम्बन्धी अपने अल्प ज्ञान के बाद भी ज्योतिष-प्रेमी होने के कारण अपने सामान्य ज्योतिषीय अध्ययन एवं अनुभवों के आधार पर इसरो से सम्पर्क टूटने के सम्बन्ध में शनि के प्रभाव से धूल कणों एवं शुक्र के प्रभाव से आर्द्रता के कारण चन्द्रयान 2 के उर्जा क्षेत्र का प्रभावित होना बताया था और चन्द्रयान 2 का इसरो से सम्पर्क टूटने के बाद इसरो को इस सन्दर्भ में 1घंटा 12 मिनट के बाद और इसी तरह 1 दिन, 3 दिनों तथा 7 दिनों के अन्तराल में चन्द्र यान 2 के सम्बन्ध में जानकारी मिलने की चर्चा की थी साथ ही दिनांक 09/09/2019 को मैंने ट्वीटर एवं अपने फेसबुक एकाउंट पर चन्द्रयान 2 के चन्द्रमा पर लैंडिंग (उतरने) के क्रम में उसके चन्द्रमा की सतह से टकराने के कारण चन्द्रयान 2 के चक्के (पहिये) एवं स्टैण्ड का चन्द्रमा की सतह में थोड़ा धँस जाने और चन्द्रयान 2 के ऊपरी हिस्से के भार के कारण स्टैण्ड के टेढ़ा होने या झुकने की संक्षिप्त चर्चा की थी। इस सन्दर्भ में अधोलिखित समाचार उल्लेखनीय है :-
"India News › Night On Moon, ISRO Will Try To Contact Vikram Lander Of Chandrayaan 2 Again On Next Lunar Day
चांद पर हो गई रात, लेकिन इस दिन विक्रम को फिर से ढूंढेगा इसरो
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर (Chandrayaan 2 Vikram Lander) को चांद की सतह पर उतरे 14 दिन बीत चुके हैं। अब चांद पर रात भी हो चुकी है। यानी विक्रम लैंडर अब अंधेरे में जा चुका है। इस दौरान चांद पर तापमान माइनस 180 सेल्सियस तक चला जाएगा। हमारे विक्रम लैंडर को भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इस ठंडे मौसम का सामना करना पड़।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO - Indian Space Reseach Organisation) के अनुसार, आंकड़ों के विश्लेषण में पता चला है कि विक्रम करीब 200 किमी की रफ्तार से चंद्रमा की सतह पर टकराया। ऑर्बिटर ने विक्रम की जो तस्वीरें भेजी हैं, उन्हें देख कर ऐसा लग रहा है कि विक्रम के दो पांव चांद की सतह में धंस गए हैं। ये भी हो सकता है कि वो पांव मुड़ गए हों। या फिर वो एक करवट गिरा पड़ा है। ऐसा तेज गति में टकराने के कारण हुआ है। माना जा रहा है कि ऑटोमेटिक लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी के कारण ऐसा है।
इधर इसरो अध्यक्ष के. सिवन (ISRO Chief K Sivan) ने कहा है कि हम इन 14 दिनों में विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं साध पाए और अब इसकी उम्मीद भी नहीं है। क्योंकि चांद पर रात के दौरान माइनस 180 डिग्री तापमान में विक्रम के उपकरणों का सही हालत में रहना संभव नहीं है। उसमें जितनी एनर्जी दी गई थी, उसकी समय सीमा भी समाप्त हो चुकी है। वहां उसे रीचार्ज करने की कोई व्यवस्था भी नहीं है।
इसरो के एक अधिकारी का कहना है कि चांद पर रात के दौरान बेहद कम तापमान में चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के उपकरण सक्रिय नहीं रहेंगे। हालांकि उसे सक्रिय रखा जा सकता था, अगर उसमें आइसोटोप हीटर लगा होता। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद अगले लूनर डे पर विक्रम से एक बार फिर संपर्क की कोशिश की जाएगी। यह लूनर डे 7 से 20 अक्टूबर तक रहेगा। इसरो विक्रम से 14 अक्तूबर को संपर्क करने की कोशिश करेगा।
इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया कि हम विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल नहीं हो पाए। लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर बिल्कुल सही और अच्छा काम कर रहा है। इस ऑर्बिटर में कुल आठ उपकरण लगे हैं। हर उपकरण का अपना अलग-अलग काम निर्धारित है। ये सभी उस काम को बिल्कुल उसी तरह कर रहे हैं जैसा प्लान किया गया था।"
इस सन्दर्भ में अध्ययन के क्रम में जानकारी होने पर आगे पुनः सुधी पाठक गण के समक्ष मैं अपने विचारों को प्रस्तुत करने का प्रयास करूँगा।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
(क्रमशः)
नोट :- ज्ञातव्य है कि उपर्युक्त भविष्यवाणी के सन्दर्भ में विभिन्न तिथियों में समय-समय पर अन्य लेखों के माध्यम से भी अपने विचारों को व्यक्त किया था, परन्तु मुझ सामान्य व्यक्ति का ज्योतिष सम्बन्धी अनुमान एवं फलकथन "नक्कारखाने में तूती की आवाज" बनकर रह गई, लेकिन जो सत्य है उसे अन्ततः हर किसी को स्वीकार् करना ही होगा।
चन्द्र यान-2 के चन्द्रमा पर लैंडिंग के सन्दर्भ में मैंने लैंडिंग के समय से ही उपर्युक्त जो भविष्यवाणियाँ की थी जिसके सत्य साबित होने के संकेत नासा के चन्द्र यान-2 से सम्बन्धित रिपोर्ट के आधार पर मिल रहे हैं।
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नासा की नई तस्वीरों से जगी भारत की उम्मीद, चंद्रयान मिशन को लेकर फिर बढ़ी दिलचस्पी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू Updated Sun, 02 Aug 2020 02:02 AM IST
चंद्रयान-2 मिशन पर रोवर (प्रज्ञान) को लेकर रवाना हुए विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास विफल रहने के 10 महीने बाद नासा की ताजा तस्वीरों ने इसरो की उम्मीद फिर से उम्मीद जगा दी है। पिछले साल नासा की तस्वीरों का इस्तेमाल कर विक्रम के मलबे की पहचान करने वाले चेन्नई के वैज्ञानिक शनमुग सुब्रमण्यन ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को ईमेल भेजकर दावा किया है कि मई में नासा द्वारा भेजी गई नई तस्वीरों से प्रज्ञान के कुछ मीटर आगे बढ़ने के संकेत मिले हैं।
इसरो प्रमुख के. सिवन ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि हालांकि हमें इस बारे में नासा से कोई जानकारी नहीं मिली है लेकिन जिस व्यक्ति ने विक्रम के मलबे की पहचान की थी, उसने इस बारे में हमें ईमेल किया है। हमारे विशेषज्ञ इस मामले को देख रहे हैं। अभी हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते।
शनमुगा ने बताया है कि 4 जनवरी की तस्वीर से लगता है कि प्रज्ञान अखंड बचा हुआ है और यह लैंडर से कुछ मीटर आगे भी बढ़ा है। हमें यह जानने की जरूरत है कि रोवर कैसे सक्रिय हुआ और उम्मीद करता हूं कि इसरो इसकी पुष्टि जल्दी करेगा।
Read my thoughts on YourQuote app at https://www.yourquote.in/awadhesh-kumar-ml9t/quotes/bhaart-ke-cndr-yaan-2-ke-cndrmaa-pr-avtrnn-landing-ke-sndrbh-bkz94q
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