रविवार, 27 अक्तूबर 2024

प्राक्कथन

होमियोपैथी के जन्म दाता जर्मनी के एलोपैथिक‌ चिकित्सक डॉ० सैमुएल हैनीमेन ने एलोपैथिक मेटेरिया मेडिका का जर्मन भाषा में अनुवाद के क्रम मे अपने शरीर पर चायना के प्रभाव से उत्पन्न वैसे मनो- शारीरिक लक्ष्णों को जो मलेरिया में पाये जाते हैं, उन् लक्षणों को चायना के तनुकृत, अल्प मात्रा और सूक्ष्म अंश के सेवन से दूर कर चिकित्सा विज्ञान के "बिषमस्य बिषमौषधम्" सिद्धांत के स्थान पर लाक्षणिक चिकित्सा पद्धति पर आधारित "समं समे समयति”_सिद्धांत का प्रतिपादन किया जिसे होमियोपैथी कहा गया और उन्हीं के शिष्य एवं सहयोगी डॉ० शुस्लर ने सजीव प्राणी के रक्त तथा हड्डियों के भस्म दोनों में 12 तत्वों को समान अनुपात में पाया जिस जीव रसायन (बायोकेमिक) के शरीर में सन्तुलन के अभाव में प्राणियों में होने वाले मनो शारीरिक विकृतियों के निदान हेतु उन्हीं जीव रसायन (बायोकेमिक औषधियाँ) के सम्यक् उपयोग के द्वारा महात्मा हैनीमेन के समान ही बायोकेमिक चिकित्सा विधि द्वारा निर्दोष आरोग्य का मार्ग प्रशस्त किया, जिनके पद चिन्हों पर डॉ० अरुण कुमार सिन्हा, बाघा, बेगूसराय के साथ एवं निर्देशन में रहकर तथा बेगूसराय, बिहार के डॉ० सुरेश प्रसाद चौधरी, डॉ० दिगम्बर लाल, डॉ० शिव शंकर हजारी, डॉ० राम चन्द्र प्रसाद, डॉ० योगेन्द्र सिन्हा, डॉ० मतलूब आलम, डॉ० अबू बकर, डॉ० एस एस साह, डॉ० विश्वास, डॉ० अशोक कुमार यादव, डॉ० अशोक चौधरी, डॉ० वाई पी सिन्हा, डॉ० महेन्द्र चौधरी, डॉ० आनन्द कुमार, डॉ० सुल्तान बिहारी आलम, डॉ० प्रेम पंकज तथा बेगूसराय से इतर अन्य क्षेत्रों के अनेक होमियोपैथिक चिकित्सकों के मार्ग दर्शन एवं सानिध्य से मुझे होमियोपैथिक एवं बायोकेमिक चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में पुष्पित, पल्लवित एवं विकसित होने का अवसर मिला फलस्वरूप 1989 से आज की तिथि तक होमियोपैथिक एवं बायोकेमिक तथा मनोवैज्ञानिक चिकित्सा विधि से रुग्ण नर-नारियों, पशु पक्षियों एवं पौधों को निर्दोष आरोग्य के पथ पर लाने के क्रम में अनेक विद्वानों के पुस्तकों और निबन्धों अध्ययन करने एवं चिकित्सा क्षेत्र के अनुभवों के आधार पर होमियोपैथिक एवं बायोकेमिक चिकित्सा से सम्बन्धित मूल लक्ष्णों पर आधारित होमियोपैथिक और बायोकेमिक मेटे रिया मेडिका, रेपेर्टरी एवं चिकित्सा सम्बन्धी अनेक पुस्तकों के लेखन तथा सम्पादन का अवसर प्राप्त हुआ है, जिसके लिए मैं उन समस्त महानुभावों तथा डॉ० ज्योति कुमारी, बेगूसराय का हृदय से आभारी हूँ।

डॉ० अवधेश कुमार शैलज

पचम्बा, बेगूसराय (बिहार))

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें