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I. बायोकेमिक चिकित्सा का मूल आधार:
बायोकेमिक पद्धति का विकास डॉ. विल्हेम हेनरिक शुसलर (Dr. Schuessler) द्वारा हुआ। यह मानती है कि शरीर में रोगों की उत्पत्ति केवल 12 मुख्य ऊतक-लवणों (Tissue Salts) की असंतुलित मात्रा के कारण होती है। इनका संतुलन पुनः स्थापित कर देने से शरीर स्वयं स्वस्थ हो जाता है।
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II. बायोकेमिक दवाओं के चरित्रगत एवं अकाट्य लक्षण (Keynotes & Characteristics):
1. Calcarea Fluorica (कैल्केरिया फ्लोर.):
चरित्र: कठोर, रेशेदार ऊतकों की कमजोरी; नसों का फूलना; गठानें।
अकाट्य लक्षण: फटी एड़ियाँ, पाइल्स की गांठें, लचीलापन की कमी।
2. Calcarea Phosphorica (कैल्केरिया फॉस.):
चरित्र: हड्डियों का विकास, दुर्बलता, शैशव कालीन कमजोरी।
अकाट्य लक्षण: देर से चलना, बढ़ती उम्र में थकान, बढ़ते बच्चों की हड्डियों में दर्द।
3. Calcarea Sulphurica (कैल्केरिया सल्फ.):
चरित्र: मवादयुक्त त्वचा रोग, पुराने फोड़े-फुंसी।
अकाट्य लक्षण: पीले मवाद वाले पुराने जख्म।
4. Ferrum Phosphoricum (फेरम फॉस.):
चरित्र: प्रारंभिक बुखार, सूजन, खून की कमी।
अकाट्य लक्षण: हल्का ज्वर, थकावट के साथ चेहरा गुलाबी।
5. Kali Muriaticum (काली म्यूर.):
चरित्र: श्वसन तंत्र संबंधी रोग, गाढ़ा श्लेष्म (कफ)।
अकाट्य लक्षण: सफेद या सघन कफ, टॉन्सिल।
6. Kali Phosphoricum (काली फॉस.):
चरित्र: मानसिक और तंत्रिका दुर्बलता।
अकाट्य लक्षण: चिंता, भ्रम, याददाश्त की कमी, मानसिक थकान।
7. Kali Sulphuricum (काली सल्फ.):
चरित्र: त्वचा की समस्याएं, छिलने वाला पीलापन, शाम को लक्षण बढ़ें।
अकाट्य लक्षण: पीला-चिकना श्लेष्म, त्वचा में खुजली।
8. Magnesia Phosphorica (मैग फॉस.):
चरित्र: मरोड़ वाला दर्द, स्नायु-संकुचन।
अकाट्य लक्षण: गर्मी से आराम पाने वाला तीव्र ऐंठन युक्त दर्द।
9. Natrum Muriaticum (नैट म्यूर.):
चरित्र: जल संतुलन, भावनात्मक वेदना।
अकाट्य लक्षण: मौन दुःख, होंठों का फटना, नमक की इच्छा।
10. Natrum Phosphoricum (नैट फॉस.):
चरित्र: अम्लता, गैस, मोटापा।
अकाट्य लक्षण: अम्लीय डकारें, खट्टी उल्टी, सफेद जीभ।
11. Natrum Sulphuricum (नैट सल्फ.):
चरित्र: यकृत संबंधी विकार, नमी से प्रभावित।
अकाट्य लक्षण: हरे दस्त, सिर भारी, आर्द्रता से परेशानी।
12. Silicea (सिलिशिया):
चरित्र: शरीर से विकृत तत्वों की निष्कासी, फोड़े-फुंसी।
अकाट्य लक्षण: पस/मवाद निकालने वाली शक्ति, कमजोरी के बावजूद जिद।
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III. आयु-वर्गानुसार मात्रा और उपयोग विधि:
आयु-वर्ग सामान्य मात्रा उपयोग विधि
बालक (0–12 वर्ष) 1–2 गोली (3x) दिन में 3 बार; दूध या पानी से।
किशोर/युवा (13–30 वर्ष) 3–4 गोली (6x) दिन में 3 बार; भोजन के बाद।
वयस्क (31–60 वर्ष) 4 गोली (6x) दिन में 3 बार; आवश्यकतानुसार 4 बार।
वृद्ध (60+ वर्ष) 3–4 गोली (6x) आवश्यकता अनुसार; नियमित अंतराल पर।
गर्भवती/स्तनपान कराने वाली स्त्री 2–3 गोली (6x) सुरक्षित; चिकित्सकीय परामर्श जरूरी।
टिप: बायोकेमिक दवाएं मीठी गोलियों (लैक्टोज बेस) में दी जाती हैं और इन्हें जीभ पर धीरे-धीरे घुलने देना चाहिए। भोजन से कम-से-कम 15 मिनट पूर्व या पश्चात लें।
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IV. विशेष निर्देश:
एक बार में 2 से अधिक दवाएं संयोजित न करें (जैसे: बी.सी. कॉम्बिनेशन 1 से 28 तक)।
तीव्र लक्षणों में हर 15–30 मिनट पर दी जा सकती हैं।
क्रॉनिक स्थितियों में दिन में 2–3 बार पर्याप्त है।
सेवन के बीच में पुदीना, कॉफी, कड़ा मसाला, सुगंधित तेल आदि से परहेज रखें।
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