किसी भी चिकित्सा पद्धति में रोगी केन्द्रित चिकित्सा ही निर्दोष आरोग्य प्रदान करती है, क्योंकि रोगी केन्द्रित चिकित्सा पद्धति के द्वारा चिकित्सक रोगी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व का "सम्यक् मुक्त साहचर्य विधि" से अध्ययन करता है और उसके वातावरण में उपस्थित होते आ रहे ज्ञाताज्ञात् उद्दीपनों / परिस्थितियों के प्रति उस प्राणी की अनुभूति, व्यवहार एवं समायोजन प्रक्रिया का निष्पक्ष एवं पूर्वाग्रह रहित सम्यक् अवलोकन, मूल्यांकन और मार्गदर्शन करता है तथा निर्दोष आरोग्य हेतु यथसंभव आवश्यक योगदान करता है।
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