शनिवार, 10 फ़रवरी 2018

बायोकेमिक औषधि के मूल लक्षण:-

  Biochemic Remedies (केवल चिकित्सक एवं चिकित्सा विज्ञान के छात्रों हेतु ) :-
                - डॉ० प्रो० अवधेश कुमार' 'शैलज'
                     एम. ए.मनोविज्ञान, होमियोपैथ,
              पता:- पचम्बा, बेगूसराय (851218)
होमियोपैथी के जनक महान् एलोपैथिक चिकित्सक डॉ० सैमुअल हैनीमैन के शिष्य डॉ०शुस्लर ने महात्मा हैनीमैन द्वारा प्रमाणित दवाओं में से 12 ऐसी दवाओं को चुना जो प्राणी के रक्त एवं अस्थियों में समान रूप से एक निश्चित अनुपात में पाया जाता है, जिसे उन्होंने Twelve Tissues ( 12 नमक ) कहा । इन 12 नमकों में से यदि किसी भी कारण से किसी एक भी नमक की कमी या अधिकता हो जाती है तो शरीरस्थ अन्य लवणों और अन्य तत्वों में असन्तुलन पैदा हो जाता है, फलस्वरूप प्राणी अपने आप को अस्वस्थ महसूस करता है, अतः
उस लवण और / या आवश्यकतानुसार अन्य लवणों की क्षति पूर्ति करने से सभी लवणों में पुनः सन्तुलन पैदा हो जाता है जिससे प्राणी अपने आप को पुनः स्वस्थ अनुभव करने लगता है तथा वह रोग मुक्त हो जाता है । 
        बायोकेमिक पद्धति के इन 12 लवणों का उपयोग ठंडे या हल्के गर्म जल के साथ नहीं करके पीने लायक पूरे गर्म पानी (जल) के साथ ही किया जाता है ।
        बायोकेमिक पद्धति के इन लवणों की 3x, 6x, 12x, 30x तथा 200x में से विशिष्ट अवसरों को छोड़कर प्राय: सामान्य स्थिति में 6x शक्ति के उपयोग करने का मत अनेक विद्वानों द्वारा व्यक्त किया गया है, परन्तु किसी भी व्यक्ति को किसी भी औषधि का उपयोग या प्रयोग सुयोग्य चिकित्सक के देखरेख में या उनके परामर्श से ही करना चाहिए अन्यथा हानि या खतरे की पूरी सम्भावना रहती है । नीम हकीम से बचें।
उत्साह, खोज, प्रयोग, उपयोग, जिज्ञासा या कौतूहल के दृष्टिकोण से दवाओं का उपयोग अपने या किसी अन्य मानव या सजीव प्राणी के साथ भूलकर भी नहीं करें अन्यथा इसके लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे।

 ये 12 लवण अधोलिखित हैं :-

1. Calcaria Flourica 
कंजूस। दिवालयेपन या आर्थिक संकट का भय।भ्रामक विचार।हन्वास्थियों या जबडों की कठोर सूजन। जिह्वा फटी हुई या जीर्ण सूजन वाली। दन्तवल्काल्पता।मसूढ़ा कठोर या सूजा हुआ।तीखा मूत्र।योनि में खिंचाव की अनुभूति।जरायु भ्रंश या गर्भाशय का लटकना।स्तनों में गाँठें।ठोस या पिण्ड सा बलगम।धमनी का फैलना या विस्फार। हृत्विवर्धन या हृदय का फैलना।उँगलियों की संधियों का विवर्धन।ग्रन्थियों की कठोरता।कटि वेदना या कमर दर्द।गण्डिका।थकान की अनुभूति।पीठ में दर्द।सन्धियों की कड़कड़ाहट।दरारयुक्त त्वचा।फटे होंठ।विदर।गुल्म।व्रणग्रस्त या विवर्धित शिरा।
रगड़ने से आराम ।
हड्डी के बहुत नजदीक दर्द युक्त ट्युमर । अस्थि विवर्धन।
दाँत का हिलना। 
नीले रंग का कड़े किनारे वाला घाव या फटे दरार वाली त्वचा। 
गले में कुटकुटी के साथ खाँसी। 
बबासीर एवं अण्डकोष वृद्धि।गत्यारम्भ होने के साथ ही, ठंडा, नमी, भींगने, जलवायु परिवर्तन से वृद्धि।
पूरक औषधि:-रस टॉक्स।
सम्बन्धित औषधि:-ग्रेफाईटिस, हेक्ला लावा।
क्षेत्र:-लचीली पेशियाँ, नस,ग्रन्थयाँ, Periosteum, Left side.
Syphylitic, Tubercular (Psychotic)

2. Calcaria Phosphorica / Calcaria Phos.:- Psoric, Tubercular.
Creeping & crowling sensation
अस्वस्थ होने की चिंता।
किसी भी बीमारी के बाद अत्यधिक कमजोरी। दूध पचने में कठिनाई । 
दाँतों का सड़ना या खोंढ़र ।
दाँत दर्द में ठंडा और गर्म पानी दोनों से कष्ट ।
मौसम परिवर्तन से कष्ट । नमी, ठण्डक, भींगने, वर्फ पिघलने, पुरवैया हवा, दाँत निकलने के समय, मानसिक थकान, शरीर के पोषक या महत्वपूर्ण द्रव के क्षय होने से, फलों से कष्ट वृद्धि।
खट्टा एवं दही अधिक पसन्द।
लेटने से आराम। दबाव से कष्ट ।
आवाज के साथ पाखाना।
प्रात:कालीन प्रदर या लिकोरिया अण्डे के सफेदी जैसा लिकोरिया। 
नाक की नोक मोटी।
निराशा का दुष्प्रभाव।भविष्य के प्रति अधीर या चिन्ता। मन्द बोधगम्यता।
कपालशीर्ष में रेंगने की अनुभूति।ग्रीवा सन्धि ,माथे और पश्चकपाल में कसक।वृद्धावस्था में बाल का झड़ना।सिर में शीतानुभूति।कान से अन्नसार जैसा श्राव।नथुने दुखनशील।रक्ताल्प एवं मलिन चेहरा।भद्दा या वेमजा स्वाद।दन्तोद्गमकालीन व्याधियाँ।सगर्भकालीन दन्तोपसर्ग।
वक्ताओं के गले का रोग।आध्मान्।शूकर मांस या सूखे मांस की इच्छा।ठण्डा पानी पीने से वमन।शिशु का वमन।फलों से अतिसार।धँसा हुआ उदर।गुदानालव्रण।पित्ताश्म।वयोवृद्ध जनों में मलबद्धता।सुखण्डी।निरंकुश या असंयत मूत्रता।अत्यधिक मूत्र।मूत्राशय में पथरी।आमवाती दर्द के साथ आर्तवश्राव। समय से पूर्व या प्रत्येक दूसरे सप्ताह आर्तवश्राव।श्लैष्मिक प्रदरश्राव।स्तन बढ़े हुए।स्तनों में जलन।दम घोंट देने वाली खाँसी।श्वास लेते समय दर्द।अंगों की शीतलता।अंगों की कसक।आमवाती गठिया।चलना देर से सीखते हैं।प्रजंघिकास्थि में दर्द।धनुष्पद(टिटनेस)।नखमूलों में पीड़ा।हाथ सो जाते हैं।रेंगने की अनुभूति।वयोवृद्ध जनों में तन्द्रा भाव।निद्रावस्था में रोना और जागना कठिन।त्वचा चित्तीदार या झुर्रियां।शोथ।अन्नसार युक्त श्राव।क्षयकारी रोग या रोग के बाद कमजोरी।जलवायु परिवर्तन से कष्ट वृद्धि।रोग के बारे में सोचने से कष्ट वृद्धि।नीचे लेटने से आराम।मेन्स के पहले Sex की तीब्र इच्छा।

अनुशरण कर्त्ता औषधि:- फेरम फॉस।
सम्बन्धित औषधि:-Carb-an, China, Ruta-G, Natrum-Mure.
Region :- Nutrition, Glands, Nerves, Abdomen, Vertex, Chest.

3. Calcaria Sulphurica / Calcaria Sulph. :- Psoric, Syphylitic, Chronic syphilis.
तलवे मेंं खुजली एवं घाव। 
पीब या पस या श्राव के साथ रक्त मिला हुआ ।
यह बायोकेमिक केलेण्डुला है।
स्मृति या चेतना का ह्वास, अचानक।
गिरने का भय।परिवर्तनशील मनोवृत्ति।
कपालावरण पर पीली पपड़ी। नेत्र की क्षति के बाद की दवा। नेत्र कोण प्रदाहित। उग्रकक्ष में धुंधली मवाद। अर्द्ध दृष्टिता। नेत्र में कील जैसी पीड़ा। मध्यकर्ण के चारों ओर फुन्सियाँ।रक्त मिश्रित श्राव। नासारन्ध्रों के किनारे वेदनापूर्ण।
हरापन लिए श्वेत मवाद। थुलथुली जिह्वा तथा मुँह का स्वाद खट्टा।मसूढ़े के फोड़े से या आर्तवश्राव का भी चिरकालीन गतिशील श्राव।फलों एवं मद्यपान की इच्छा।मितली और चक्कर।उदर ठण्डा प्रतीत होता है।गुदा फोड़ों से घिरा हुआ।उत्पीड़क यकृत।आर्तवश्राव के साथ दुर्बलता एवं स्फुरण।पदतलों में जलन और खुजली।पैरों की जलन।प्रलेपक ज्वर।निर्मोक गिराती हुई त्वचा।गलका।
वृद्धि:- नमी, स्पर्श, ठण्डक/ शीतलता, कमरे की गर्मी से वृद्धि।
ह्वास:- स्नान करने, खुली हवा में, पीड़ित स्थान में ताप से, uncovering से कष्ट घटता है।
Region:- संयोजक तन्तु (Connectiv tissues),
Glands, Mucous membrains, Bones,Skin.
Related remedies:-Heper-sulphur.

4. Ferrum Phosphoricum/ Ferrum Phos. यह बायोकेमिक एकोनाइट है। 
इस दवा को ठंडे जल के साथ भूलकर भी न लें।
अनिद्रा में रात में सेवन से अनिद्रा बढ़ती है ।
सूखी खांसी।वैराग्य भावना। तपा हुआ,  लाल या तमतमाया हुआ चेहरा।लाल जिह्वा।कण्ठ शुष्क।दूध,मांस एवं खट्टे भोज्य पदार्थों से अरुचि।उद्दीपक पदार्थों की इच्छा।
खाँसी के साथ Red Bleeding.
सामने का सरदर्द ।सिर दर्द रक्त संलयी तथा सिर दर्द स्पर्श करने से।सिर के अन्दर नाखून चुभा देने जैसी अनुभूति। नकसीर फूटने पर हल्का।
किसी भी तरह के बुखार की यह बहुत अच्छी दवा है।
दायीं हथेली बायीं हथेली से प्राय:अधिक गर्म ।
सम्भोग की शुरुआत में ही योनि में दर्द ।
आँखों के चोंट एवं दर्द की अच्छी दवा है। नेत्र गोलक में दर्द।नेत्रों में रेतीले कणों की अनुभूति।
इसे ठण्ढ़ा वातावरण अधिक पसन्द है।
चक्कर में आगे/सामने की ओर गिरने की प्रवृत्ति ।
सिर की ओर तीव्र रक्त प्रवाह ।
नकसीर या नासिका से रक्तश्राव।सर्दी जुकाम।
निमोनिया।दबा हुआ मूत्र।चमकता हुआ लाल आर्तवश्राव।हर तीसरे सप्ताह आर्तवश्राव।सगर्भकालीन मितली और वमन।नाश्ता करने से पहले वमन।ठण्ड से अपचित भोजन के अतिसार।वक्ष में जलन।श्वास का अवरोध।स्वर यंत्र का कष्ट।हृदय का शोथ।मांस पेशी परक आमवाती ज्वर।कंधों में दर्द।रक्त संकुल तन्त्रिकातन्त्र।रक्त ज्वर।घाव पर एवं मोच।
जिह्वा का कैंसर।
टीवी।
ब्रेन हेमरेज।


5. Kalium Mureticum / Kali Mure. 
सफेद, भूरे रंग की गंदी जिह्वा। 
हर समय भूख। 
वसा युक्त  या पेस्टी भोजन से कष्ट वृद्धि ।स्नान या समुद्र स्नान से कष्ट वृद्धि ।
सायंकाल में जिह्वा में ठंडा पन की अनुभूति। 
कोलतार जैसा काला और थोड़ा मेन्स तथा दूध जैसा प्रदर या लिकोरिया। नील उत्तक।वाष्पदाहजनित फफोले। प्रतिश्याय। सूजन चारों ओर की ग्रन्थियों में।मसूढों में फोड़ा।व्रणग्रस्तता।भूरी श्वेत जिह्वा।कण्ठ दाह।झिल्ली परक नि:श्राव। होठों का कैंसर। वसाहार से अतिसार।वेदनाशील उदर।विलेपित जिह्वा के साथ मलबद्धता।प्रदाहित वृक्क या गुर्दा।अविराम अत्यधिक,थक्केदार एवं काला आर्तवश्राव।गाढ़ा दुधिया प्रदरश्राव।कुत्ते के भोंकने जैसी ऊँची ध्वनि वाली क्रुप खाँसी।तुषार दंश।पादशोथ या सूजन।
दर्द विहीन और दबाने या पकड़ने पर छिंटकने वाला छाती का ट्यूमर जो दर्द युक्त होकर बायें केहुनी को पार कर जीवन पर खतरा पैदा करने की स्थिति में हो उस अवस्था में काली म्यूर जीवन रक्षक होती है। 

6. Kalium Phosphoric / Kali Phos.
लम्बी या नुकीली जिह्वा।  
सोच या मानसिक कष्ट से कष्ट बढना। 
दायीं ओर का सिर दर्द जो बायीं ओर भी जाय ।
काला दाग। 
धड़कन होना।
भूखा रह नहीं पाना। 
भोजन करने से या लोगों के साथ रहने से कष्ट घटना। 
किन्हीं दो या दो से अधिक अंगुलियों के बीच या मध्य में खुजली या घाव होना।
सीढ़ियों पर चढ़ने से या पिछले कष्ट या घटनाओं को याद करने से कष्ट बढ़ना ।
मस्तिष्क का हिल जाना । 
मानसिक रोग या कष्ट होना। 
पैरों की पिण्डलियों में ऐंठन होना। स्वपनचारिता या नींद में चलना या बोलना । चावल के धोवन सा दस्त।
मीठा कम पसन्द।
बैठना अधिक पसन्द। 
भूलना ।
पहचानने में कष्ट।
बुखार के बादऑख का घूम जाना या ऐंचापन ।
स्कूल जाने के समय का कष्ट । 
परीक्षा या इन्टरव्यू केे समय कष्ट या वीमार हो जाना। 
पेशाब से खून आना। 
ऑपरेशन के बाद की परेशानी।
 ब्लड प्रेशर ( उच्च रक्तचाप में kali Phos 12x एवं निम्न रक्त चाप में काली फॉस 3x का प्राय: उपयोग किया जाता है ) .
उड़ने, गिरने, पहाड़, भूत,विचित्र, भयानक या आग का सपना। 
काला या दुर्गन्धित घाव। 
लिंग में तनाव का अभाव। 
पीला पका सा बलगम या लिकोरिया ।
पीली योनि। 
हथेली, तलवे और / या ऑखों में जलन। 
ऊपर की ओर देखने से चक्कर। 
गर्दन झुकाने से पैर तक दर्द।
चेहरे में जलन और / या की खुजली ।
मेन्स के बाद Sex की तीब्र इच्छा।

7. Kalium Sulphuricum / Kali Sulph.:- 
गर्मी से या मुख्यतया कमरे की गर्मी से कष्ट बढ़ जाना। 
सायंकाल से मध्य रात्रि तक कष्ट बढ़ना।
खुली ठंडी हवा में आराम ।चिपचिपी जिह्वा।गर्म पेय पदार्थों के प्रति अरुचि।अमाशय के अन्दर जलन।न बुझने वाली प्यास।पीला श्लैष्मिक अतिसार।मलबद्धता की प्रवृत्ति।चिपचिपा पीला प्रदरश्राव।चिपचिपा ढ़ीला अत्यधिक बलगम युक्त खड़खड़ाहट के साथ  सायंकालीन खाँसी । क्रुप मूलक कर्कशता वाला श्वास।सिरौंचे की विषण्णता । चलायमान दर्द।सायंकालीन पृष्ठ वेदनाए वृद्धि।सुस्पष्ट स्वप्नू।ठण्डा पसीना।शिशुओं की अल्परक्तता
गिरने का भय। चकत्तों में गंजापन या बाल झड़ना। पीला श्राव। खोपड़ी में पपड़ियाँ।अधरों का विशल्कन।

8. Magnashium Phosphoricum / Mag Phos. 
छूने से कष्ट, परन्तु दबाने से आराम।
आग, गर्मी, ताप, धूप या सेंकने से आराम। 
ठंढ़क से और/या दायीं ओर कष्ट में वृद्धि। Nervous Asthma. 
Convulsive /Paroxysmal cough.
Sudden shrill voice.
Nervous and spasmodic palpitation.
Acute boring back pain.
Darting in back.
Excruciating pain in joints.
Tender feet. 
Involuntary shaking hand. हाथ अपने आप हिलना, थरथरान या काँपना।
Paralysis agitants.
Alcoholism (नशा सेवन).
Clenched fingers / fists.अंगुलियों का अकड़ना
Convulsions with stiffness.
Convulsive sobbing.
Epilepsy from vicious habits.
Involuntary movements.अनैच्छिक गति।
Intercostal neuralgia. Spasmodic stammering.
Teeth clenched.
Tetanic spasms.
Thumbs drawn in. अंगूठे का लटकना
Insomnia / Sleeplessness from exhaustion.थकावट से अनिद्रा।
Spasmodic yawning.
Cilliness after dinner, at 7 p.m. 7 बजे शाम में भोजन के बाद ठण्डक महसूस होना।
Cramps in intermittent fever. सविराम ज्वर में काँपना।
External parts or labia swollen in women. स्त्रियों के योनि कपाटों के बाहरी भागों की सूजन।
Fibrous /stringy menses.
Puerperal convulsions.
Cramps in the legs. पावों का कम्पन।
Sensation of illusions. भ्रम की अनुभूति।
Sobbing.
Talks to herself constantly.  अपने आप से बात करना (विशेषकर स्त्रियों में)।
Brian troubles in children. बच्चों में मस्तिष्क की कठिनाई।
Excruciating pain in head.
Headache, nausena and chilliness. सिर दर्द, मितली/मिचली और शीतानुभूति।
Shooting / stinging pain in headache. सिर दर्द गोली लगने जैसा।
Tendency of spasmodic symptoms during headache.
Headache extending to spine.
Shifting, shooting or stinging pain in head.
Scalp feels rough.
Spasmodic symptoms in head.
Chromatopsia.
Contracted pupils.
Eyes sensitive to light.ेल
Nystagmus.
Spasmodic squiting.
छाती में सिकुड़ने की अनुभूति।
आँखों में खुजलाहट। 
नाई से दाढ़ी बनवाने के बाद खुजली ( रस-टॉक्स ३०) ।
Deafness from nerve troubles.स्नायु दोषों से बहरापन ।
Gushing discharge from nose.
Perverted sense of smell.घ्राण की विकृत संवेदना या अनुभूति ।
Smarting nose.
Cutting pains in face.चेहरे में काटने का दर्द।
Faceache / toothache after going to bed. दाँतो का दर्द या चेहरे का दर्द विछावन पर जाने के बाद बढ़े।
Jerking pain in face.
Lockjaw. जबड़े का अकड़ना।
Corners of mouth twitch.
Trismus.
Tongue bright red with rawness. स्वच्छ,सूखी एवं लाल जिह्वा।
Clean, red and dry tongue.
Cramps / convulsions during teething.
As if scalded tongue.
Toothache by cold things.  ठण्डी चीजों से दाँत दर्द ।
Changes place rapidly during toothache. दाँत दर्द में जल्दी-जल्दी स्थानपरिवर्त्तन।
Congestive / neuralgic toothache.
Toothache, shift pain.
Shooting toothache.
Spasmodic construction of throat.
Dropping from posterior nares.
Spasms of glottis.
Laryngismus stridulus.
Sensation of choking. दम घुटना।
Suffocating feeling in throat.
Must swallow.
Sore and stiff throat.
Sensitive to acids.
Regurgitation of food after eating. खाना खाने के बाद गड़गड़ाहट की आवाज होना।
Desires sugar. चीनी या मीठा पसन्द।
Flatulent/spasmodic dyspepsia.
Burning, tastless eructations. क
Flatulence with distension and constipation.
Pressure / cramps in stomach.
Abdomen hardness / colic / cramps.
Bleaching gives no relief in colic.
Children draw up legs in colic.
Colic pains radiate from umbilicus.
Remittent colic.
Diarrhoea with cramps and claves.
Dysentery with spasmodic retention of urine.
Enteralgia relieved by bending double.
Incarcerated fistula in ano.
Forcible expulsion of stool.
Spasms from gall-stones.
Cutting like lightning in haemorrhoid.
Spasmodic retained /Retention of urine.
Painful urging of urination.
Vesical neuralgia.
नाभि के चारों ओर घूमता हुआ दर्द। 
दायें करवट लेटने से कष्ट बढ़ता है ।
कष्टार्तव मेन्स या रज:श्राव होने पर घटना। द्विदृष्टि (एक का दो दिखाई पड़ना। 
अपनी सम्पत्ति से मोह अधिक होने से सदा अपने देखरेख में ही या पास में ही रखने की मानसिकता या इच्छा रहना।

9. Natrum Mureticum / Natrum Mure.
पानी भरा फोड़ा या श्राव ।
कमर से ऊपर दुबलपन परन्तु नीचे भारीपन ।
जाड़े में कमर से नीचें अत्यधिक ठंडापन ।
चावल / भात, नमक या मिर्च अधिक पसन्द । सूर्य की धूप मुख्यतः 9 बजे दिन से 3 बजे दिन तक वेवर्दास्त या नापसन्द ।सुबह 10 बजे से 11बजे के मध्य रोग लक्षण में विशेष वृद्धि ।
बुखार एवं सरदर्द के समय Nat-Mure का उपयोग नहीं किया जाता है।
भूखे रहना अधिक पसन्द । क्रोधी एवं चिड़चिड़ा स्वभाव । दूसरे या अनजान व्यक्ति का भी दुख स्वयं झेलना चाहता है।
सहानुभुति नापसन्द । 
जोड़ों पर दाद/ दिनाय ।
श्वेत कुष्ट ।
सिर के पिछले भाग में सिर दर्द प्रारम्भ होता है ।
सुबह से शाम तक कष्ट की वृद्धि ।
प्रेम में निराश होने या कष्ट की स्थिति में खिड़की से बाहर कूदने या मरने की इच्छा।
सायंकाल में ठंडक से आराम।
कुर्सी / दीवार से पीठ सटा कर बैठने से आराम।
कड़े चीजों या स्थानों या बिछावन पर पीठ के बल लेटने से आराम ।
उदास मनोभाव। उदासी के साथ हृदय की धड़कन। विनोदशीलता। नाचने तथा गाने की प्रवृत्ति। वयसन्धिकाल में विवादग्रस्त।
तीव्र ठहाके। 
कपालावरण पर उद्भेद,खुजली करते।
ग्रीवा पृष्ठ पर, केशों की सीमा पर।
अनजाने में आगे की ओर सिर का झुक जाना। 
सिर दर्द मासिक धर्म के पहले या बाद में । टहलते समय या टहलने के बाद सिरदर्द ।
मुख से अत्यधिक लार निकलना।
सिरदर्द के साथ खूब आँसू बहना।
प्रातःकाल से सिरदर्द। मन्दगति से सिरदर्द।
सिरदर्द के साथ माथा भारी।
अर्धकपाली (अधकपारी/Hemicrania).
मानो सिर खुल जायेगा। लू लगना। 
कब्ज से सिरदर्द।
पानी जैसी पतली श्लेष्मा के साथ सिरदर्द।
Ciliary neuralgia (स्नायुशूल).
नेत्रों से श्वेत श्लेष्मा का श्राव।
नेत्रों के चारों ओर पानी भरे फफोले।
आँखों के सामने कुहासा का अनुभव।
Glaucoma (काला मोतिया).
सिल्वर नाइट्रेट से अश्रुश्राव ।
कण्ठमालाग्रस्तों के Corina का अल्सर।
Cornea पर उजला दाग।पढ़ते समय अक्षरों का मिल जाना या अक्षर पर अक्षर दिखायी पड़ना।
चबाते समय कान में कड़कने की आवाज।
कान के भीतर जलन या खुजली या गरजने की आवाज होना।
नाक से पतला, स्वच्छ, पानी सा, नमकीन श्राव।
झुकने या खाँसने पर नाक से रक्तश्राव। 
परागज ज्वर। नाक पर फुन्सियाँ।
नाक के छिद्रों का पिछला हिस्सा शुष्क।
नाक के चारों ओर चेहरा सफेद।
एक पक्ष पर सुन्नता का अनुभव।
मूछों का पंक्ति छोड़ देना या अपंक्तिबद्ध होना।
दाढ़ी, मूँछ,गुप्तांगों ही नहीं वल्कि सर्वांग शरीर का बाल झड़ना।
सूजा हुआ होठ /ओठों में जलनकारी /पीड़ा पूर्ण दरार। भग/योनि शिथिल।
जिह्वा पर बुलबुले।स्वादहीनता या स्वाद का लोप। बोलना धीरे सीखना।जिह्वा के सिरे पर फफोले। व्रणयुक्त मसूढ़े। दाँत दर्द के साथ लार श्राव।लार ग्रन्थियों का प्रदाह।संवेदनशील मसूढ़े।चिरकालीन कण्ठदाह।सूखा कण्ठ।कण्ठ की अपवृद्धि।गलगंड रिसाव के साथ।काकलक शोथ।
रोटी से अरुचि, चावल,नमक,कड़वे पदार्थ या मिर्च पसन्द। मुख में पानी भर आना। अम्ल वमन।
निद्रालुता । धूम्रपान की इच्छा।
आँतों की अति निष्क्रियता।मलाभ में जलनकारी पीड़ा।आर्द्रता का अभाव।आँतों की कमजोरी।त्वचा/गुदा फटने जैसा कब्ज।अनैच्छिक अतिसार।बवासीर में स्पन्दन।
मलाभ में सूचीवेधी पीड़ा। भुरभुरा/शुष्क मल।
मूत्रत्याग के बाद जलन या काटने जैसी पीड़ा।
मृत कामेच्छा।पुर:स्थ द्रव्य का श्राव। अंडकोषों या वृषण रज्जु में खिंचाव या सूजन। पानी जैसा प्रमेह।
तप्त दाह क्षत। शिशन के बालों का लोप। शीतलता के साथ वीर्यश्राव।
गर्भाशय में जलन या काटने जैसी पीड़ा। मासिक के समय उदासी। योनि का बाल झड़ना।विलम्बित शिरोवेदना के साथ पानी जैसा अत्यधिक मासिक श्राव।
गर्भाशयच्युति में बैठने से आराम। मूत्र त्याग के बाद जलन।प्रसव या स्मवण के दौरान केशों का झड़ना।
खाँसी या भौकने के कारण मानो फाड़ देने वाली शिरोवेदना।उरोस्थि के पीछे चुनचुनी।
ठंढ़े हाथ। हृदय में संकुचन।
पंगु।ऊँगलियों में फफोलेदार व्रण। पिंडलियों में कमजोरी।कटि/कमर तथा बाह्यांगों की शीतलता। नितम्ब सन्धि शूल।बायें नितम्ब में सूचीवेधी पीड़ा। जानु मोड़ में विसर्प या कमजोरी। अंगों का सो जाना।सन्धियों के आसपास शीतपित्त/जुलपित्ती (Urticaria).
निद्रा के दौरान अनैच्छिक झटके। थकावट।
वतोन्मादी।निर्बलता के साथ हिचकी। व्याकुलता पूर्ण या अत्यधिक नींद या निरन्तर सोने की इच्छा ।सुबह जगने पर थकावट।निद्रालोप। 
शीतज्वर या होठों पर छाले। सुबह से दोपहर तक शीत।अविरामी ज्वर कुनैन सेवन के बाद।
चिरकालिक त्वचा रोग। भौहों का झड़ना। वृत्ताकार विसर्प।कीटदंश। तीव्र परिश्रम के पश्चात खुजली। सर्वांग शोथ। जलशोथ।
ठण्डे मौसम में या समुद्र के किनारे पर कष्ट।
छत की खिड़की से कूदकर मरने की इच्छा। 
Nat-Mure का कमर दर्द पेशाब के बाद बढ़ता है, लेकिन Lyc का कमर दर्द पेशाब के बाद घटता है ।

10. Natrum Phosphoricum / Natrum Phos. :- 
झागदार पेशाब, बलगम, पीब या पाखाना ।
कृमि। आकांक्षाहीन। पलकें आपस में चिपक जाती है। मन्द दृष्टि। रक्ताभ नेत्र। धब्बेदार नीला चेहरा। कोमल क्रीम जैसी जिह्वा। तीखा स्वाद ।
नपुंसकता ( स्त्रियों एवं पुरुषों में बन्ध्यापन )।
वायीं कनपट्टी में दर्द। सुप्तावस्था में दाँत कड़कड़ाने की आदत। पृष्ठनासारन्ध्रों का गिरना। अम्लता। अम्ल वमन। हरा अतिसार।गुदा की खुजली। कृमि विकार तथा उनके नेत्र वक्रता। उत्तेजना से ,पीला एवं तीखा आर्तवश्राव। जरायु की स्थानच्युति। अम्लज प्रदरश्राव। वक्ष में उत्ताप की अनुभूति। कलाईयों में कसक। जीर्ण गठिया। घुटनों में दर्द।दुर्बल टखने।दर्द का प्रसार हृदय की ओर। भुजायें थकी हुई। हाथ से अकड़न। लड़खड़ाती चाल। अन्तरापर्शुक तन्त्रिकाशूल।
खट्टा डकार। 
जीभ के किनारे में सायकिल के गियर का सा दाग।
मृतक और साँप का सपना। 
जोड़ों में सूजन में अन्य स्थानों से अधिक ताप या गर्मी ।
बायें ठेहुने का कचकना। पैर ठण्डे।
ठनका या बिजली कड़कने से कष्ट।
Nat-Phos में श्वास लेने में कष्ट होता है, लेकिन Ferrum-Phos में श्वास छोड़ने में विशेष कष्ट होता है।

11. Natrum Sulphuricum / Natrum Sulph.:- Psychotic.
जिह्वा का रंग हरा । 
मुँँह का स्वाद् तीता।
वाँयी करवट लेटने में कष्ट का बढ़ जाना। 
क्रोध के कारण जोण्डिस हो जाना। 
सिर के पिछले भाग में चोट का दर्द।
मछली और / या जलोत्पन्न वस्तुओं यथा सांग या सिंघाड़ा के सेवन से कष्ट की वृद्धि ।
मौसम परिवर्तन से आराम ।
वृद्धि:- नमीयुक्त मौसम, रात्रिकालीन हवा, बॉयी ओर लेटने से, दुर्घटना, सिर के चोट में, उठाने, स्पर्श, दबाव, देर सायंकाल में, तूफान, प्रकाश में।
ह्वास:- खुली हवा, स्थिति परिवर्तन से।
क्षेत्र:- पश्चकपाल (Occiput), Glands, Lower Liver (यकृत), Bile (पित्त),  Pancreas,आँत, बायीं छाती।
Related remedies:- Colocynth, Glonion, Med, Ael.
Complementary:-Ars, Thuja.

12. Silica :- 
बालू के समान गरम ( गरम ओढ़ना पसन्द ) , परन्तु भीतर ठंढ़ा पसन्द । 
पैरों का पसीना दबने से कष्ट ।
खुली हवा से कष्ट। गीली वस्तुओं के उपयोग करने से।विस्फोट दब जाने से वृद्धि। नभ ताप से आराम।सिर को भलीभांति लिपेटने से आराम।
घाव में वर्फ के समान ठण्ढ़क या शीतलता का अनुभव। 
पाखाना होते समय मल या पाखाना पुन: गुदा मार्ग में वापस अंदर चला जाना। 
2 बजे रात के बाद सिर से पसीना आना या मिर्गी आना।
पूर्णिमा के समय कष्ट की वृद्धि ।
कठिन सोच-विचार।
कपालशीर्ष में पर्विकायें या गाँठें।
प्रमस्तिष्कीय रक्ताघात ।
गुहेरियाँ। कानों में कड़कने की आवाज।
तीखा संक्षारक श्राव।
चेहरे पर गाँठें। हन्वास्थियों का परिगलन।
दन्त व्रण।
ग्रन्थियों से पूयश्राव।
अत्यधिक भूख। गर्म भोजन के प्रति अरुचि। स्तनपानोत्तर वमन।
विदरमय गुदा। श्लेष्मा युक्त मूत्र। तीखा एवं अत्यधिक प्रदरश्राव। चुचुक फटे हुए । सम्वेदनशील अंग। अत्यधिक एवं दुर्गन्धित बलगम।
जीर्ण हृदय रोग। अन्त: नवोत्पत्ति। कन्धों के मध्य दुखन।उत्पीड़क गुदास्थि। टखनों में दर्द।पैरों के माध्यम से दर्द। नाखून फटे हुए।पैरों में दर्द। भुजायें भारी। मेरुदण्ड अतिसंवेदनशील।जीर्ण तंत्रिकाशूल। पशुओं या रुग्णता के स्वप्न। परागज ज्वर।ताम्रवर्ण धब्बे। कठोर मांस तन्तु।



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