ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।
आदि अभियंता विश्वकर्मा नमस्तुभ्यं अंगिरसी-वास्तुदेव सुतं ब्रह्मा पौत्रं वास्तु शिल्प विशारदम्।
भानु कन्या संक्रमण गोचर विश्वकर्मा जातं सुरासुर जड़ जीव पूज्यं जगत कल्याण सृष्टि कारकं।।५३।।
ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।
डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें