हम किसान छी राजनीति के, सूखा कहीं बाढ़ भो भेल।
की करूँ खेती, की करूँ मेल ? बाबा पप्पू कहाँ चलि गेल ?
खाद बीज सब महँगा भेल, बिजली पानी डीजल गेल।
नेता अफसर भेंट भो गेल, बाबा पप्पू कहाँ चलि गेल ?
राहु केतु के चक्कर भेल, की कहुँ नींद हमर उड़ि गेल।
मजदूरी कत महँगा भेल ? बाबा पप्पू कहाँ चलि गेल ?
बाढ़ल मजदूरी महँगाई भेल, मजदूर अवसरवादी भेल।
विधि विपरीत प्रकृति भेल, बाबा पप्पू कहाँ चलि गेल ?
नारद जलद मन मयूर न भावे, सुजन समाज मूक भो गेल।
सोच फिकर से देह गलि गेल, बाबा पप्पू कहाँ चलि गेल ?
श्रमिक किसान भिखारी भेल, जमाखोर व्यापारी भेल।
शैलज नेतागण खेले खेल, बाबा पप्पू कहाँ चलि गेल ?
डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
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