राजतंत्र में "यथा राजा तथा प्रजा" एवं प्रजातंत्र में "यथा प्रजा तथा राजा" का प्रभाव अधिक दिखाई देता है। यही कारण है कि मुगलों एवं ब्रिटिश शासकों तथा उनके चमचों या दलालों, लुटेरों एवं तथाकथित समाज सुधारकों से आज भी भारत पीड़ित है। ईसाई नव वर्ष पर व्यथित राष्ट्रकवि दिनकर कहते हैं: https://t.co/SjVJVz7hDn ये वर्ष हमें स्वीकार नहीं..
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