गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

शैलज मूरख समझे नहीं

शैलज मूरख समझे नहीं, 
 परहित, निजहित बात। 
संगति दोष, भ्रम, मोह वश, 
निशिदिन पावे दु:ख,घात।।

शैलज मूरख समझे नहीं

शैलज मूरख समझे नहीं, 
निजहित अनहित बात। 
संगति दोष, भ्रम, मोह वश, 
निशिदिन पावे दु:ख,घात।।

शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2023

Basis of determination of Swadoya and Bhav Ascendant in astrology:-

Basis of determination of Swadoya and Bhav Ascendant in astrology:-
 According to Swadoya opinion, there is variation in the value or duration of all Meshadhi ascendants, but according to Bhava opinion, the values ​​of all ascendants are equal.  On earth there is a 24-hour day & night.  The Earth rotates on its axis once during this period, hence the constellation, star or zodiac sign located in front of any fixed point or place on the Earth comes into view again only after 24 hours, hence the value of all the 12 zodiac signs will be equal because  According to the Swadoya Lagna value, the Anshaadi value of all the 12 zodiac signs is considered to be 30 degrees or degrees only, whereas the Ghantaadi value of those 12 zodiac signs is said to be different from each other.  Thus, discrepancy is found in the Ghantaadi and Anshaadi values ​​of Swadoya Lagna, but the Anshaadi values ​​of each sign of Bhava Lagna are 30, so the Ghantaadi values ​​are of 2 hours, Maharishi Parashar ji has also approved this Bhava Lagna, as a result Bhava Lagna  Anomaly free, valid, reliable and acceptable in all respects.  Astrologer Kamlakar Bhatt has addressed those who do not believe in Bhava Lagna but believe in Swadoya Lagna as the blind people following the blind in Lagna Vivek.  Therefore, instead of Swadoya Lagna, Bhava Lagna should be used by all the learned astrologers for the welfare of the world in mathematics and astrology or other disciplines.

ज्योतिष में स्वोदय एवं भाव लग्न निर्धारण के आधार :-

ज्योतिष में स्वोदय एवं भाव लग्न निर्धारण के आधार :-
स्वोदय मतानुसार मेषादि सभी लग्नों के मान या अवधि में भिन्नता रहती है, लेकिन भाव मतानुसार सभी लग्नों के मान बराबर होते हैं। पृथ्वी पर २४ घंटे का सावन दिन या अहोरात्र होता है। पृथ्वी इस अवधि में एक बार अपने अक्ष पर घूम जाती है, अतः पृथ्वी के किसी भी निश्चित विन्दु या स्थान के सामने खगोल स्थित नक्षत्र, तारे या राशि पुनः २४ घंटे के बाद ही सामने आता है, इसलिए सभी १२ राशियों का मान बराबर होगा क्योंकि सभी १२ राशियों का अंशादि मान स्वोदय लग्न मान के अनुसार भी ३० अंशों या डिग्री का ही माना जाता है‌, जबकि उन १२ राशियों का घंटादि मान परस्पर भिन्न बताया गया है। इस प्रकार स्वोदय लग्न के घंटादि तथा अंशादि मान में विसंगति पायी जाती है, लेकिन भाव लग्नों के हर राशियों अंशादि मान ३० हैं, तो घंटादि मान २ घंटे के हैं, महर्षि पराशर जी ने भी इस भाव लग्न को मान्यता दी है, फलस्वरूप भाव लग्न विसंगति रहित, वैध, विश्वसनीय और हर तरह से स्वीकार्य है‌। भाव लग्न को नहीं मानकर स्वोदय लग्न को मानने वाले को ज्योतिर्विद कमलाकर भट्ट ने लग्न विवेक में अन्धों के पीछे चलने वाले अन्धों से सम्बोधित किया है। अतः स्वोदय लग्न के स्थान पर भाव लग्न का ही सभी विद्वान ज्योतिर्विदों द्वारा गणित एवं फलित ज्योतिष या अन्य विधाओं में विश्व कल्याणार्थ उपयोग में लाना चाहिए।