Awadhesh kumar 'Shailaj' , Pachamba, Begusarai.
शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017
'घोड़ा-गाड़ी' :-
घोड़ा-गाड़ी एक सवारी,
घोड़ा-गाड़ी एक सवारी।
सोचो मत, आई रथ की बारी
घोड़ा-गाड़ी एक सवारी।
टक-टक, टिक-टिक,
टक-टक,टिक-टिक,
चली जा रही घोड़ा गाड़ी,
घोड़ा-गाड़ी एक सवारी।
कच्ची-पक्की ऊवड़-खावड़
गली-कूँची, मैदान-सड़क पर
डग-मग, डग-मग हिंडोले-से ,
पैसेन्जर को झुमा-झुमा कर,
चली जा रही घोड़ा-गाड़ी,
घोड़ा-गाड़ी एक सवारी।
टक-टक, टिक-टिक,
टक-टक, टिक-टिक,
चली आ रही घोड़ा-गाड़ी
घोड़ा-गाड़ी एक सवारी।
आ जा भैया, बाबा आ जा,
मैया और बहिनियाँ आ जा,
नानी,दादी,वीवी आ जा,
एक सवारी खाली आ जा,
चाचा और भतीजा आ जा,
बकरी वाली दीदी आ जा,
टोकरी वाली चाची हट जा,
मामू आगे में तू डट जा,
बौआ थोड़ा और ठहर जा,
दादा साहेब को जाने दें,
नेता जी को भी आने दे,
एक पसिंजर और है खाली
साले कर पीछे रखवाली
घोड़ा-गाड़ी चल मतवाली,
एक्सप्रेस की मोशन वाली
घोड़ा-गाड़ी चल मतवाली
घोड़ा-गाड़ी एक सवारी।
चना चबाते सईस जा रहा,
चाबुक खा-खा घोड़ा,
यहाँ ठहर , बहाँँ चल बाबू,
चलना है बस थोड़ा।
घोड़ा गाड़ी खींच रहा है,
आगे जो कुछ दीख रहा है।
घोड़ा गाड़ी खींच रहा है।
जनता पिसा रही वेचारी,
इसकी भी है हद लाचारी,
एक-दूसरे के कंधे पर -
लदी हुई है जनता सारी।
घोड़ा-गाड़ी एक सवारी।
यहीं दीखती दुनियाँ दारी,
ढींग मारते गप्पी भैया,
बहस कर रही चाची,
रजनीति करते नेताजी,
दादा करते -रंगदारी।
इसी बीच में अटका घोड़ा,
लगा सभी को झटका,
कोई गिरा, खड़ा हो भागा,
कोई तांगे से लटका।
भूखा-प्यासा, जर्जर घोड़ा,
थककर रूका वेचारा,
किन्तु, वेरहम ने उसका खाल उघाड़ा।
लोगों ने कितना समझाया,
सईस कहाँ से माने ?
मेरा घोड़ा, मर्जी मेरी,
चले मुझे- समझाने।
फेरा हाथ पीठ पर उसके,
बाबू मेरे प्यारे-भैया,
मेरे राज दुलारे,
चलो-चलो शाबास बहादुर,
मोटर को आज पछाड़ें।
सुनकर बोली चिकनी-चुपड़ी,
घोड़ा सरपट दौड़ा।
रूका नहीं वह कहीं मार्ग में,
लेकर गाड़ी घोड़ा।
चना चबाते सईस जा रहा,
चाबुक खा-खा घोड़ा।
घोर कष्ट में भी घोड़े ने,
कभी नहीं मुँह मोड़ा।
तांगेवाला दिया ईशारा,
रोका औ पुचकारा,
कर वसूलने लगा सईस,
सुविधा को किया किनारा।
जैसे-तैसे लादा सबको,
जन-जन को समझाया,
जिसने कष्ट किया जीवन में,
वही लक्ष्य को पाया।
देखो, घोड़ा खींच रहा है,
घोड़ा गाड़ी खींच रहा है,
आगे जो कुछ दीख रहा है,
घोड़ा गाड़ी खींच रहा है।
:- प्रो० अवधेश कुमार'शैलज',पचम्बा,बेगूसराय।
Awadhesh Kumar पर 9:03 am
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें