होमियो एवं बायोकेमिक चिकित्सा के अनुभव : डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
आयुर्वेद सम्मत आर्ष वचन है कि "शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्" अर्थात् धर्म की सिद्धि हेतु शरीर आदि साधन है। शरीर मन एवं आत्मा का आपसी सम्बन्ध प्राणी के जीवन में दृष्टि गोचर होता है, क्योंकि मन ही मनुष्यों के बन्धन एवं मोक्ष का कारक है (मन एव मनुष्याणां बन्धनं मोक्ष कारकं।।)। स्मरणीय है कि शरीर और मन के परस्पर सुसम्बन्ध से और दोनों की स्वस्थ्य अवस्था से उस प्राणी का कल्याण होता है तथा उनके सभी समस्याओं का भगवत् कृपा से सहज समाधान भी होता है। अतः संसार के सभी मानव हेतु इस तथ्य से अवगत होना एवं यथासंभव इन्हें आत्मसात करना परम कल्याणकारी है।
(क्रमशः)
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