गुरुवार, 22 सितंबर 2022

नींद कहाँ तू चली गई

नींद कहाँ तू चली गई है ?
हर पल बैचेनी बढ़ी हुई है।
बाट जोहते, आश लगाये,
छली गई, मैं पड़ी हुई हूँ।।
नींद कहाँ....... हूँ।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें