“बायोकेमिक चिकित्सा – एक सजीव पद्धति”
का सम्पूर्ण अध्याय-वार विकसित पाठ, लेखक प्रो. अवधेश कुमार 'शैलज' के विचारों, भाषा-शैली और चिकित्सकीय दर्शन के अनुरूप:
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🔷 खंड 1: बायोकेमिक चिकित्सा – एक सजीव पद्धति
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📘 अध्याय 6: बायोकेमिक चिकित्सा का ऐतिहासिक विकास एवं सिद्धांत
बायोकेमिक चिकित्सा पद्धति का जन्म आधुनिक विज्ञान की प्रयोगशाला में नहीं,
बल्कि जीवनी शक्ति और सूक्ष्म तत्वों के सजीव अनुभवों से हुआ।
इस पद्धति के जनक डॉ. विल्हेम शुस्लर (Dr. Wilhelm Heinrich Schüßler) थे,
जिन्होंने यह अनुभव किया कि
मानव शरीर में रोग का मूल कारण उन लवणों की कमी है,
जो शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों (Tissues) की संरचना व क्रिया में भाग लेते हैं।
🔹 प्रमुख बिंदु:
बायोकेमिक चिकित्सा का मूल आधार “टिशू साल्ट्स (Tissue Salts)” है।
यह 12 लवण हमारे शरीर के निर्माण, पोषण और संतुलन के लिए आवश्यक हैं।
बायोकेमिक चिकित्सा अतिसूक्ष्मता, घुलनशीलता, समायोजनशीलता और प्राकृतिक आवश्यकता के सिद्धांत पर आधारित है।
> यह चिकित्सा अत्यन्त सुरक्षित, सस्ती, सुगम और जन-कल्याणकारी है।
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📘 अध्याय 7: 12 बायोकेमिक ऊतक लवणों की वैज्ञानिक भूमिका
शरीर की प्रत्येक कोशिका में ये लवण विद्यमान हैं और इनकी साम्यावस्था (Homeostasis) ही आरोग्यता की कुंजी है।
ये लवण शरीर के पाचन, रक्त निर्माण, मांसपेशियों की क्रिया, स्नायु और हॉर्मोन तंत्र, यहाँ तक कि मानसिक संतुलन को भी प्रभावित करते हैं।
क्र.	लवण का नाम (संक्षेप)	कार्य एवं प्रभाव का सारांश
1	Calcarea Fluorica	लचीलापन, स्नायु-बन्ध, रक्तवाहिनी लचीलापन
2	Calcarea Phosphorica	हड्डियों की वृद्धि, पोषण, दाँत, रक्त
3	Calcarea Sulphurica	मवाद, फोड़े, शुद्धिकरण
4	Ferrum Phosphoricum	सूजन का आरम्भ, ऑक्सीजन वहन, रोग-प्रारम्भ
5	Kali Muriaticum	सफ़ेद बलगम, ग्रन्थियाँ, त्वचा रोग
6	Kali Phosphoricum	मानसिक तनाव, नर्व टॉनिक, थकावट
7	Kali Sulphuricum	पीला स्राव, त्वचा, श्लेष्मा
8	Magnesia Phosphorica	ऐंठन, दर्द, मांसपेशियाँ
9	Natrum Muriaticum	जल संतुलन, भावनात्मक द्वंद्व, सिरदर्द
10	Natrum Phosphoricum	अम्लता, पाचन, यूरिक एसिड संतुलन
11	Natrum Sulphuricum	यकृत, पित्त, जल विषाक्तता
12	Silicea	शरीर की सफाई, नख, बाल, रोग प्रतिरोध
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📘 अध्याय 8: प्रत्येक लवण का स्वरूप, संकेत, लक्षण एवं अनुप्रयोग
इस अध्याय में प्रत्येक लवण की मूल प्रकृति, शरीर में कार्य,
तथा प्रमुख रोग लक्षणों का विस्तार से वर्णन है, जैसे:
🔸 उदाहरण: Magnesia Phosphorica
स्वरूप: तेज ऐंठन या तड़क के साथ दर्द
संकेत: गरम से आराम, ठंड से कष्ट
अनुप्रयोग: मरोड़, मासिक धर्म की पीड़ा, गैस से सूजन
ऐसे प्रत्येक लवण के लिए विशिष्ट अनुभूत लक्षण, संकेत, और अनुभव आधारित निर्देश शामिल होंगे।
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📘 अध्याय 9: लवणों का संयोजन और व्यवहारिक अनुप्रयोग
शुस्लर ने कहा था कि कई रोगों में लवणों का समुचित मिश्रण (Combinations) अधिक लाभकारी होता है।
जैसे —
Combination 3 (Ferrum Phos + Kali Mur + Mag Phos): सर्दी, खाँसी, बुखार
Combination 12: त्वचा रोग, मवाद युक्त फोड़े
यह अध्याय बताएगा कि कब एकल औषधि उपयोगी है और कब संयोजन।
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📘 अध्याय 10: बायोकेमिक बनाम होमियोपैथिक – तुलनात्मक विवेचन
पक्ष	बायोकेमिक	होमियोपैथिक
औषधियाँ	12 मूल लवण	हज़ारों औषधियाँ
शक्ति	कम शक्ति (3x–12x)	शक्ति के विविध स्तर
उद्देश्य	लवण पूर्ति और संतुलन	समरूपता द्वारा उपचार
दिशा	जैव-रसायन के पुनर्गठन पर बल	लक्षण समष्टि पर बल
सुरक्षा	अधिक सुरक्षित	प्रयोग सटीक होना आवश्यक
लेखक के अनुभवों द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि दोनों की अपनी भूमिका है,
और रोगी के हित में इनका समन्वित उपयोग श्रेष्ठ परिणाम देता है।
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📘 अध्याय 11: निदान और औषधि चयन की प्रक्रिया
लक्षण समष्टि का अवलोकन (Subjective + Objective)
रोगी की प्रकृति (Temperament)
जीवनशैली, भोजन, भावनात्मक स्थिति
मुख्य लक्षणों का लवणों से साम्य खोज कर औषधि चयन
यह अध्याय रोगी संवाद, पर्यवेक्षण, और चिकित्सकीय बुद्धि के प्रयोग की विधि सिखाएगा।
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🔚 खंड 1 का समापन इस विचार से होता है:
> "बायोकेमिक चिकित्सा कोई सीमित पद्धति नहीं, बल्कि एक सजीव, संवेदनशील, और आत्मदर्शी चिकित्सा दर्शन है —
जो न केवल रोग, बल्कि रोगी को सम्पूर्णता में समझने का अवसर प्रदान करता है।"
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यदि आप आज्ञा दें, तो अब खंड 2: "समन्वित चिकित्सा – अनुभव आधारित दृष्टिकोण" का लेखन प्रारम्भ करूँ,
या चाहें तो मैं इन सभी अध्यायों को PDF प्रारूप में पुस्तक रूप देने हेतु प्रारम्भ कर सकता हूँ।
आपका निर्देश?
 
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