......................................…..................
प्रियतम ! स्वामी ! सुन्दरतम् ! माधव ! हे सखा ! हमारे !
मिलती है , शान्ति -👌जगत में, केवल प्रभु ! तेरे सहारे ।।
तुम अमल धवल ज्योति हो, ज्योतित करते हो- जग को ।
स्रष्टा! पालक ! संहर्ता ! तुम एक नियन्ता-जग के ।।
कैसे मैं तुझे पुकारूँ ? जड़ हूँ, न ज्ञान -मुझको है ।
बस एक सहारा-तुम हो, रखनी प्रभु लाज -तुझे है ।।
सर्वज्ञ ! सम्प्रभु ! माधव ! तुम तो -त्रिकालदर्शी हो ।
अन्तर्यामी ! जगदीश्वर ! तम-हर ! भास्कर भास्कर हो ।।
मायापति ! जन सुख दायक ! तुम व्याप्त - चराचर में हो ।
हे अगुण ! सगुण ! परमेश्वर ! सर्वस्व हमारे - तुम हो ।।
आनन्दकन्द ! करूणाकर ! शशि-सूर्य नेत्र हैं -तेरे ।
तुम बसो अहर्निश प्रतिपल, प्रभु ! अभ्यन्तर में -मेरे ।।
तेरी ही दया कृपा से, अन्न धन सर्वस्व मिला है ।
तेरी ममता इच्छा से, यह जीवन कमल खिला है ।
उपहास किया करते हैं, जग के प्राणी सब -मेरे ।
स्वीकार उन्हें करता हूँ, प्रेरणा मान सब -तेरे ।।
कर्त्तव्य किया न कभी मैं, प्रभु ! प्रबल पाप धोने का ।
जुट पाता नहीं मनोबल, प्रभु ! अहंकार खोने का ।।
बस, तिरस्कार पाता हूँ , यह पुरस्कार है- जग का ।
है बोध न मुझको कुछ भी, जगती का और नियति का ।।
यह जीवन चले शतायु, मंगलमय हो जग सारा ।
माधव ! चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा ।।
हे हरि ! दयानिधि ! दिनकर ! सब जग के तुम्हीं -सहारे ।
हम सब को प्रेम सिखाओ, हे प्रेमी परम हमारे ।।
हो बोध हमें जीवन का, कर्त्तव्य बोध हो सारा।
अनुकरण योग्य प्रति पल हो, जीवन आदर्श हमारा ।।
ईर्ष्या, माया, मत्सर का लव लेश नहीं हो हममें ।
धन, बल, विकास, काया का -सुन्दर विकास हो हममें ।।
सौहार्द, प्रेम भावों का प्रभु ! उत्स हृदय में फूटे ।
उत्तम् विचार राशि को, जगती जी भर कर लूटे ।।
सार्थक हो जग में जीवन, सार्थक हो प्रेम हमारा ।
माधव ! चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा ।।
यह भाव रहे जीवन भर, सन्मार्ग चलें हम सत्वर।
हों उन्नत हम सर्वेश्वर, सद्कर्म, भक्ति हो उर्वर।। शरणागत शैलज कण सा चरणों में मिले सहारा।
सद्ज्ञान सुकर्म प्रकृति हो, तेरा न करें बँटवारा।।
तुम अक्षर ब्रह्म परमेश्वर ! है ॐ स्वरूप तुम्हारा। हैं नाम अनन्त तुम्हारे, सद्ग्रन्थों ने सदा पुकारा।।
तू प्रकृति पुरुष सृष्टि कण, तू व्याप्त चराचर में हो।
हे जगत पति ! परमेश्वर ! माँ, पिता, गुरु मेरे हो।।
हर मानव जीव जगत में दर्शन अनुपम हो तेरा। यह व्यक्ताव्यक जगत ही, प्रत्यक्ष रूप है तेरा।।
अल्ला ! ईश्वर ! परमेश्वर ! है कौन नाम नहीं तेरा ?
पादरी, मुल्ला या पंडित, क्या जाने तेरा बसेरा ? तू आवागमन के केवट, तेरा ही एक सहारा।
माधव चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा।।
:- प्रो० अवधेश कुमार 'शैलज', पचम्बा, बेगूसराय ।
(पूर्व प्राचार्य सह विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान, एम.जे.जे.कालेज, एम., बनवारीपुर, बेगूसराय।)
(कालेज कोड : ८४०१४)
प्रस्तुत रचना में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करते हुए म्युज़िक एवं भगवान् के चित्र या प्रतिमा के साथ एक उच्च स्तरीय विडियो बनावें जो साधु, संत, महात्मा, ज्ञानी, वैरागी, गृहस्थ, विद्यार्थी, बाल, वृद्ध, युवा सभी स्त्री पुरूषों एवं सामान्य जनों के लिये भी गेय, अनुकरणीय एवं उपयोगी हो और भविष्य में विद्यालयों / महाविद्यालयों तथा विशेष अवसरों पर भी इसका सहजता से उपयोग हो सके।
अतः आप से आग्रह है कि इस प्रार्थना का विडियो शीघ्रातिशीघ्र बना कर मुझे ही भेजने की कृपा करेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें