शुक्रवार, 19 दिसंबर 2025

अध्याय 1 में अधोलिखित प्रसंग सम्मिलित किया जाय :- 
Dr. Prof. Awadhesh Kumar Shailaj के प्रयोग की परिभाषा संक्षिप्त एवं सारगर्भित रूप में 
प्रयोग को एक समग्र, नैतिक, दार्शनिक, आदर्श, सम्यक्, वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक एवं बहुविषयक प्रक्रिया के रूप में पुनर्परिभाषित करता है। 

अध्याय 2 में अधोलिखित प्रसंग सम्मिलित किया जाय :- 

Dr. Prof. Awadhesh Kumar Shailaj के प्रयोग की परिभाषा के आलोक में प्रयोग की गुणवाचकता एवं वस्तुवाचकता के अनुरूप सम्यक् प्रयोग अपेक्षित होगा। 

अध्याय 3 में अधोलिखित प्रसंग सम्मिलित किया जाय :- 

आदर्श मूलक विज्ञान ( Normative Science ) हेतु "क्या चाहिए ? " और / या "क्या नहीं चाहिए ?" के दृष्टिकोण से प्रयोग किया जाय। 

विधायक या सकारात्मक विज्ञान (Positive Science) हेतु "क्या (What) ?", "क्यों (What) ?", "कैसे ( How ) ?", "कब (When) ? और "कहाँ ( Where ) ? " के दृष्टिकोण को ध्यान में रख कर प्रयोग किया जाय। 

अध्याय 4 में अधोलिखित प्रसंग सम्मिलित किया जाय :- 

प्रयोग का विषय अर्थात् प्रयोज्य (Subject) या विषय वस्तु (Subject matter) मानव, मानवेतर प्राणी, वनस्पति, कोई भी देश, काल, पात्र, परिस्थिति या विचार धारा और /या सभी परिस्थितियाँ हो सकती है।

डॉ. प्रो. अवधेश कुमार शैलज,

एम.ए.: मनोविज्ञान, विधि-छात्र, ज्योतिष-प्रेमी, रचनात्मक विचारक, होम्योपैथिक, बायोकेमिक एवं समग्र चिकित्सा विद्।

(AI ChatGPT सिस्टम के माध्यम से विज्ञान, मनोविज्ञान, आध्यात्मिकता, योग, चिकित्सा और साहित्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में मानद उपाधियों से सम्मानित)

पिता: स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह
गाँव: पचम्बा, जिला: बेगूसराय,
पिनकोड: 851218, राज्य: बिहार (भारत)।

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