किसी भी प्राणी के अपने वातावरण में जिन बाधाओं/अवरोध/रूकावट के उपस्थित होने की सम्भावना रहती है वे अधोलिखित हैं
"बाधा / रुकावट ४ प्रकार के होते हैं:-
१. शारीरिक बाधा,
२. साधनगत / यांत्रिक बाधा,
३. मनोवैज्ञानिक बाधा
४.परा-मनोवैज्ञानिक और / या अदृश्य बाधा।"
तथा प्राणी के
"लक्ष्य / उद्देश्य ४ प्रकार के होते हैं :-
१. मुख्य / प्रारम्भिक / प्रथम लक्ष्य,
२. गौण / द्वितीय / मुख्य लक्ष्य के बाधित होने पर उपस्थित लक्ष्य
३. विचलित लक्ष्य
४. समरुप / मुख्य लक्ष्य के जैसा / समान लक्ष्य"
डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
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Strong barrier theory: Dr. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.
There are 4 types of obstacles or barrier:-
1. Physical obstacle / barrier,
2. Instrumental / mechanical barrier / obstacle,
3. Psychological barrier / obstacle,
4. Para-psychological and / or invisible barrier / obstacle.
There are 4 types of goals / objectives:-
1. Main / initial / first goal,
2. Secondary / second / goal present when the main goal is obstructed,
3. Deviated /Distracted goal,
4. Similar / identical goal to the main goal.
Dr. Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.
प्रबल बाधा सिद्धांत मानव, मानवेतर प्राणी एवं वनस्पति सभी के लक्ष्य एवं उनके समक्ष उपस्थित होनेवाले बाधाओं का वर्णन किया है।समस्या की सामान्य परिभाषा:-
समान्यतः किसी भी प्राणी के समक्ष उपस्थित किसी उद्देश्य या आवश्यकता पूर्त्ति में किसी
शारीरिक (जैविक, जैव-रासायनिक, अनुवांशिक, शरीरांग क्रियात्मक, विकासात्मक एवं गठनात्मक; हृदय : आत्मा का स्थान, जीव संस्थापक, प्राण संचालक, आत्म साक्षात्कार कारक, शरीर पोषक, मनोदैहिक गतिविधि संचालक एवं नियन्त्रक, अध्यात्म अवबोधक, परिवहन तन्त्र;
उच्च मस्तिष्क : ज्ञानावबोधक, क्रिया निर्धारक, जीव निर्देशक, संवेगबोधक, समायोजनात्मक कार्य सम्पादक तन्त्र, समस्त तन्त्र संचालक एवं नियन्त्रक; निम्न मस्तिष्क : अपातकालीन सहायक, अपात स्थिति समायोजक, सद्यः निर्णय कारक, हृदय, मस्तिष्क, अंतरांग, ज्ञानेन्द्रिय, कर्मेन्द्रिय एवं मनोदैहिक गतिविधि सहायक; पाचन तंत्र : मनोदैहिक पोषक; फेफड़ा एवं श्वसन तंत्र : प्राणशक्ति संवर्धक, सहायक एवं नियन्त्रक, रक्त शक्ति दायक एवं पोषक, मनोबल कारक, मनोदैहिक गतिविधि सहायक, समस्त तन्त्र पोषक ; कोशिका : समस्त मनो-शरीरिक गतिविधि सम्पादन सहायक, समस्त क्रिया परिपालक; अदृश्य एवं सूक्ष्म परिपोषण एवं परिष्करण तन्त्र : समस्त मनोदैहिक या मनो-शरीरिक आवश्यकता पूरक तन्त्र; वृक्क : रस, रक्त एवं जल परिशोधन तन्त्र; ज्ञानेन्द्रियाँ : उद्दीपन बोधात्मक, साक्ष्य तन्त्र, कर्मेन्द्रियाँ : क्रिया सम्पादक, मनो-शरीरिक और / या मनोदैहिक क्रिया सहायक तन्त्र; यकृत : पाचन क्रिया सहायक, रक्त उत्पादक, पेन्क्रियाज : रक्त शर्करा नियन्त्रक एवं शक्ति नियंत्रण कारक; प्लीहा य फिल्ली : रक्त संग्राहक आदि शारीरिक या दैहिक स्थितियाँ ),
मनोवैज्ञानिक : मानसिक, तान्त्रिकीय, स्वभाव गत, अनुवांशिक, आत्मगत, संवेगात्मक, सामाजिक, सांस्कृतिक, मनो-शरीरिक, बोधात्मक या समायोजनात्मक मनोवैज्ञानिक स्थितियाँ),
साधनगत (मनो-शरीरिक हित या आवश्यकता पूर्णता हेतु मनोवांछित और / या अपेक्षित प्राकृतिक और / या कृत्रिम संसाधन संबंधी संसाधनगत स्थितियाँ)
और / या
अदृश्य (अदृश्य, सूक्ष्म, आध्यात्मिक एवं परा-मनोवैज्ञानिक प्रभाव जनित स्थितियाँ या अवस्था)
बाधा प्राणी के समक्ष उपस्थित किसी सामान्य, दैनिक, मनोवैज्ञानिक, मनोदैहिक, संसाधन गत या अदृश्य प्रभाव जनित, प्राकृतिक, स्वभाव गत, प्रयोगात्मक या कोई अन्य परिस्थिति होती है, जो उसके अपेक्षित या परिस्थिति प्रेरित मूल लक्ष्य से विचलित कर किसी गौण, विचलित या तत्सम लक्ष्य की ओर उन्मुख या प्रेरित करती है, जिसका निर्धारण प्राणी की इन्द्रियजन्य क्षमता, तान्त्रिकीय प्रक्रियाओं, अनुभूति, प्रत्यक्षण बोध, संवेगात्मक परिस्थितियों, अनुवांशिक प्रभाव, जैव-रसायनिक सन्तुलन, मनोदैहिक अवस्था, समायोजनात्मक एवं समाधानात्मक सोच पर निर्भर करता है।
डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
एम.ए. : मनोविज्ञान, विधि-छात्र, ज्योतिष-प्रेमी, रचनात्मक-चिन्तक, होमियोपैथिक, बायोकेमिक एवं समग्र चिकित्सा विद्।
( ए आई चैट जी पीटी प्रणाली द्वारा विज्ञान, मनोविज्ञान, अध्यात्म, योग, चिकित्सा, साहित्य, समाज सेवा, शिक्षा, अनुसंधान, मानव हित, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय हित आदि अनेक क्षेत्रों में मानद् उपाधि प्राप्त )
पिता : स्वर्गीय राजेन्द्र प्रसाद सिंह
ग्राम: -पचम्बा, जिला : बेगूसराय,
पिनकोड : 851218, राज्य : बिहार (भारत)।
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