सोमवार, 30 जुलाई 2018
प्रेम ( Love ) की परिभाषा:-
" प्रेम किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, विचार या घटना के प्रति दैहिक /बासनात्मक/रति-प्रेरित या सार्वभौमिक स्तर पर प्रबल आकर्षण कारक,अपनापन एवं सहानुभूति युक्त, अंतरंग और / या सुरक्षाभावी मनोशारीरिक अवस्था वाला सकारात्मक संवेग है। "
Definition of Love: -
"Love is a positive moment with respect to a person, object, place, thought or event that is a charismatic / seductive / ritual or dominant attraction factor at the universal level, with a sense of belonging and sympathetic, intimate and / or protective psychic state.
Prof. Awadhesh kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.
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1. मूल परिभाषा (संक्षेप)
हिंदी में:
प्रेम किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, विचार या घटना के प्रति ऐसा सकारात्मक संवेग है जो आकर्षण, अपनापन और सहानुभूति से युक्त होता है। यह संवेग अंतरंग (intimate) और/या सुरक्षाभावी (protective) मनोशारीरिक अवस्था के रूप में प्रकट होता है।
अंग्रेज़ी में:
Love is a positive emotional state toward a person, object, place, thought, or event characterized by attraction, belongingness, and sympathy, manifesting as an intimate and/or protective psychophysiological condition.
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2. प्रमुख घटक और विश्लेषण
घटक विवरण मनोवैज्ञानिक अर्थ
सकारात्मक संवेग प्रेम को सकारात्मक अनुभव के रूप में देखा गया है सकारात्मक भावनाओं और मानसिक संतुलन का संकेत
आकर्षण कारक आकर्षण को दैहिक, रति-प्रेरित या सार्वभौमिक स्तर पर वर्गीकृत किया गया शारीरिक और मानसिक आकर्षण दोनों को स्वीकार करता है
अपनापन एवं सहानुभूति प्रेम में न केवल आत्म-संतुष्टि बल्कि दूसरों की भलाई की भावना भी शामिल है सहानुभूति (Empathy) और सामाजिक जुड़ाव का महत्व
अंतरंग या सुरक्षाभावी अवस्था प्रेम अंतरंग अनुभव या सुरक्षा-प्रदायक भावना में व्यक्त हो सकता है Attachment theory और सुरक्षा की भावना के साथ मेल खाता है
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3. तुलनात्मक अध्ययन (अन्य विद्वानों के मतों के साथ)
विद्वान/स्रोत परिभाषा / दृष्टिकोण तुलना
Sigmund Freud प्रेम मुख्यतः यौन ऊर्जा (Libido) का रूप है Shailaj ने इसे केवल यौन या रति-प्रेरित नहीं माना; यौन तत्व केवल एक घटक है
Robert Sternberg Triangular Theory: Intimacy + Passion + Commitment Shailaj की परिभाषा में अंतरंगता (Intimacy) और आकर्षण (Passion) तो है, पर प्रतिबद्धता का स्पष्ट उल्लेख नहीं
Erich Fromm प्रेम एक कला है, जिसमें देखभाल, जिम्मेदारी, सम्मान और ज्ञान शामिल हैं Shailaj ने अपनापन और सहानुभूति को इसी दृष्टिकोण के अनुरूप शामिल किया
Helen Fisher प्रेम दिमाग़ में न्यूरोकेमिकल प्रतिक्रियाओं (Dopamine, Oxytocin) से प्रेरित होता है Shailaj की परिभाषा में “मनोशारीरिक अवस्था” इसे अप्रत्यक्ष रूप से संकेतित करती है
निष्कर्ष:
Prof. Shailaj की परिभाषा बहुआयामी, समकालीन और मनोशारीरिक दृष्टिकोण से स्पष्ट है। यह यौन, भावनात्मक, सामाजिक और सार्वभौमिक स्तरों पर प्रेम के अनुभव को शामिल करती है, जो आधुनिक और पारंपरिक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोणों दोनों से मेल खाती है।
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प्रेम (Love) – तुलनात्मक अध्ययन चार्ट
क्रम विद्वान / स्रोत परिभाषा / दृष्टिकोण प्रमुख तत्व Shailaj के दृष्टिकोण से तुलना
1 Prof. Awadhesh Kumar Shailaj (2018) प्रेम किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, विचार या घटना के प्रति दैहिक /बासनात्मक/रति-प्रेरित या सार्वभौमिक स्तर पर प्रबल आकर्षण कारक, अपनापन एवं सहानुभूति युक्त, अंतरंग और / या सुरक्षाभावी मनोशारीरिक अवस्था वाला सकारात्मक संवेग है। आकर्षण, अपनापन, सहानुभूति, अंतरंगता, सुरक्षाभाव, सकारात्मक संवेग, बहुआयामी मूल चार्ट का आधार; सभी घटक इसे समाहित करते हैं
2 Sigmund Freud प्रेम मुख्यतः यौन ऊर्जा (Libido) का रूप है। यौन / लैंगिक प्रेरणा Shailaj ने यौन तत्व को एक घटक मानते हुए, इसे व्यापक और सकारात्मक अनुभव में परिवर्तित किया
3 Robert Sternberg (Triangular Theory) प्रेम तीन घटकों का संयोजन है: Intimacy (अंतरंगता), Passion (आकर्षण), Commitment (प्रतिबद्धता)। अंतरंगता, आकर्षण, प्रतिबद्धता Shailaj अंतरंगता और आकर्षण पर ध्यान देते हैं, प्रतिबद्धता को अप्रत्यक्ष रूप से अपनापन और सुरक्षाभाव में दर्शाया
4 Erich Fromm प्रेम एक कला है जिसमें देखभाल, जिम्मेदारी, सम्मान और ज्ञान शामिल हैं। देखभाल, जिम्मेदारी, सम्मान, ज्ञान Shailaj के अपनापन और सहानुभूति इसमें मेल खाते हैं; Fromm की तरह प्रेम को केवल भावनात्मक नहीं बल्कि नैतिक और सामाजिक दृष्टि से देखा
5 Helen Fisher प्रेम दिमाग़ में न्यूरोकेमिकल प्रतिक्रियाओं (Dopamine, Oxytocin) से प्रेरित होता है। न्यूरोकेमिकल, भावनात्मक Shailaj के “मनोशारीरिक अवस्था” का अर्थ इसी से मिलता-जुलता है; दैहिक और मानसिक दोनों स्तर पर अनुभव को महत्व दिया
6 Plato (The Symposium) प्रेम (Eros) आत्मा की सुंदरता और सत्य की खोज के लिए प्रेरणा है। आध्यात्मिक प्रेरणा, आत्मा, सौंदर्य Shailaj की सार्वभौमिक दृष्टि में यह शामिल; प्रेम केवल भौतिक नहीं बल्कि आदर्श और सार्वभौमिक स्तर पर हो सकता है
7 Aristotle सच्चा मित्रतापूर्ण प्रेम (Philia) साझेदारी, सद्भाव और भलाई पर आधारित है। अपनापन, साझा भलाई Shailaj के अपनापन और सहानुभूति की अवधारणा Aristotle के Philia के समान
8 John Bowlby (Attachment Theory) प्रेम जुड़ाव, सुरक्षा और भावनात्मक सम्बद्धता पर आधारित है। सुरक्षा, भावनात्मक जुड़ाव Shailaj ने अंतरंगता और सुरक्षाभाव में इसे स्पष्ट किया
9 Barbara Fredrickson (Positive Psychology) प्रेम सकारात्मक भावनाओं का अनुभव है, जो स्वास्थ्य, सामाजिक संबंध और मानसिक संतुलन में योगदान देता है। सकारात्मक संवेग, मानसिक स्वास्थ्य Shailaj के “सकारात्मक संवेग” और बहुआयामी अनुभव से मेल खाता
10 Dalai Lama / Buddhist Perspective प्रेम करुणा और मैत्रीभाव (Compassion & Loving-kindness) पर आधारित है। करुणा, सार्वभौमिक प्रेम Shailaj की सार्वभौमिक दृष्टि और सहानुभूति इसी से जुड़ती है
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मुख्य निष्कर्ष:
1. Prof. Shailaj की परिभाषा बहुआयामी है: दैहिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक सभी स्तरों को शामिल करती है।
2. यह आधुनिक मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों (Freud, Sternberg, Bowlby, Fredrickson) के साथ और दार्शनिक दृष्टिकोण (Plato, Aristotle, Buddhist) के साथ भी संगत है।
3. Shailaj का दृष्टिकोण सकारात्मक संवेग, अपनापन, अंतरंगता और सुरक्षाभाव पर विशेष जोर देता है, जो इसे विशिष्ट बनाता है।
4. यह परिभाषा न केवल व्यक्तिगत प्रेम, बल्कि सार्वभौमिक और आध्यात्मिक प्रेम को भी समाहित करती है।
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📑 प्रेम (Love): एक मनोवैज्ञानिक एवं दार्शनिक तुलनात्मक अध्ययन
Prof. Awadhesh Kumar Shailaj की परिभाषा के आलोक में
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1. प्रस्तावना
मानव जीवन में प्रेम एक ऐसा भाव है, जो न केवल व्यक्तिगत अस्तित्व को अर्थ प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जीवन का भी आधार बनता है। मनोविज्ञान में प्रेम को संवेगात्मक (emotional), दैहिक (physiological) और सामाजिक (social) दृष्टि से समझा जाता है, जबकि दर्शनशास्त्र इसे आत्मा की उन्नति और सार्वभौमिक सत्य से जोड़कर देखता है।
Prof. Awadhesh Kumar Shailaj (2018) द्वारा दी गई परिभाषा प्रेम को बहुआयामी स्तर पर स्पष्ट करती है, जिसमें दैहिक, मानसिक, सामाजिक और सार्वभौमिक सभी पहलुओं का समावेश है।
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2. Shailaj की परिभाषा
हिंदी में:
“प्रेम किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, विचार या घटना के प्रति दैहिक/बासनात्मक/रति-प्रेरित या सार्वभौमिक स्तर पर प्रबल आकर्षण कारक, अपनापन एवं सहानुभूति युक्त, अंतरंग और/या सुरक्षाभावी मनोशारीरिक अवस्था वाला सकारात्मक संवेग है।”
अंग्रेज़ी में:
“Love is a positive emotion with respect to a person, object, place, thought or event that is a charismatic / erotic / instinctive or universal attraction factor, with a sense of belonging and sympathy, intimate and/or protective psychophysiological state.”
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3. परिभाषा के प्रमुख घटक
1. सकारात्मक संवेग (Positive Emotion) – प्रेम का स्वरूप सदैव सकारात्मक और सृजनशील है।
2. आकर्षण कारक (Attraction Factor) – प्रेम शारीरिक, मानसिक या सार्वभौमिक स्तर पर आकर्षण से उत्पन्न होता है।
3. अपनापन एवं सहानुभूति (Belongingness & Sympathy) – प्रेम में स्वयं और दूसरे के कल्याण का भाव शामिल है।
4. अंतरंगता एवं सुरक्षाभाव (Intimacy & Protection) – प्रेम सुरक्षा और निकटता दोनों की अनुभूति कराता है।
5. मनोशारीरिक अवस्था (Psycho-physiological State) – यह केवल मानसिक नहीं, बल्कि शारीरिक परिवर्तन से भी जुड़ा अनुभव है।
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4. तुलनात्मक अध्ययन
(क) मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
1. Sigmund Freud – प्रेम को यौन ऊर्जा (Libido) का विस्तार मानते हैं।
तुलना: Shailaj ने यौन तत्व को स्वीकार किया, पर इसे सीमित न करके व्यापक संवेग के रूप में रखा।
2. Robert Sternberg (Triangular Theory) – प्रेम = Intimacy + Passion + Commitment।
तुलना: Shailaj के अनुसार प्रेम में अंतरंगता (Intimacy) और आकर्षण (Passion) तो है, प्रतिबद्धता (Commitment) को अपनापन व सुरक्षाभाव में समाहित किया गया है।
3. John Bowlby (Attachment Theory) – प्रेम सुरक्षा और जुड़ाव की भावना है।
तुलना: Shailaj ने सुरक्षाभावी पहलू को प्रमुख रूप से शामिल किया।
4. Helen Fisher – प्रेम न्यूरोकेमिकल प्रतिक्रियाओं (Dopamine, Oxytocin) पर आधारित है।
तुलना: Shailaj का “मनोशारीरिक अवस्था” इसी जैविक पक्ष की ओर संकेत करता है।
5. Barbara Fredrickson (Positive Psychology) – प्रेम सकारात्मक भावनाओं का विस्तार है, जो स्वास्थ्य और संबंधों को सुदृढ़ करता है।
तुलना: Shailaj का “सकारात्मक संवेग” इसी दृष्टिकोण के समानांतर है।
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(ख) दार्शनिक दृष्टिकोण
1. Plato (The Symposium) – प्रेम आत्मा को सौंदर्य और सत्य की ओर ले जाने वाली शक्ति है।
तुलना: Shailaj की परिभाषा में “सार्वभौमिक स्तर” इसी आध्यात्मिक आयाम को समाहित करता है।
2. Aristotle – प्रेम (Philia) साझेदारी और साझा भलाई पर आधारित है।
तुलना: Shailaj का अपनापन और सहानुभूति Aristotle की Philia के अनुरूप है।
3. Erich Fromm – प्रेम एक कला है, जिसमें देखभाल, जिम्मेदारी, सम्मान और ज्ञान शामिल हैं।
तुलना: Shailaj का अपनापन और सहानुभूति Fromm की अवधारणा से मेल खाता है।
4. Dalai Lama / Buddhist View – प्रेम करुणा और मैत्रीभाव पर आधारित है।
तुलना: Shailaj ने सहानुभूति और सार्वभौमिक स्तर पर प्रेम को करुणा के साथ जोड़ा।
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5. Shailaj की परिभाषा की विशिष्टताएँ
समग्रता (Holistic): शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और सार्वभौमिक सभी पहलुओं को समाहित करती है।
सकारात्मकता (Positivity): प्रेम को सदैव सृजनशील और रचनात्मक शक्ति के रूप में प्रस्तुत करती है।
सहानुभूति और सुरक्षा (Empathy & Protection): केवल आकर्षण ही नहीं, बल्कि दूसरों के कल्याण और सुरक्षा का भाव भी समाहित।
भारतीय संदर्भ का मेल: परिभाषा पश्चिमी सिद्धांतों के साथ-साथ भारतीय आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी मेल खाती है।
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6. निष्कर्ष
प्रेम की अवधारणा मनोविज्ञान और दर्शन दोनों में केंद्रीय रही है। Freud से लेकर Sternberg और Fromm से लेकर Dalai Lama तक सभी विद्वानों ने इसे अलग-अलग दृष्टिकोण से समझाया।
Prof. Awadhesh Kumar Shailaj की परिभाषा इन सभी दृष्टिकोणों को समन्वित करते हुए प्रेम को सकारात्मक, बहुआयामी, सहानुभूतिपूर्ण और सार्वभौमिक संवेग के रूप में स्थापित करती है। यह परिभाषा आधुनिक मनोवैज्ञानिक शोध और शाश्वत दार्शनिक दृष्टिकोण—दोनों से सामंजस्य रखती है।
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