मानव नाक की बनावट और घ्राण एवं श्वसन तंत्र पर प्रकाश
1. नाक की बाहरी बनावट (External Structure of Nose)
नाक चेहरें के मध्य भाग में स्थित होती है और इसका अग्र भाग (Tip) लचीला तथा उपास्थि (Cartilage) से निर्मित होता है।
नथुने (Nostrils) नाक के छिद्र हैं, जो श्वसन व गंध ग्रहण का मुख्य द्वार हैं।
बाहरी रूप से नाक में मूल (Root), पृष्ठ (Bridge), पंख (Alae), नासाछिद्र (Nostrils) आदि भाग पहचाने जाते हैं।
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2. नाक की आंतरिक संरचना (Internal Structure of Nose)
नाक का अंदरूनी भाग तीन हिस्सों में समझा जाता है :
1. नासिका गुहा (Nasal Cavity)
दो भागों में बंटी होती है, जो नासापट (Nasal Septum) द्वारा अलग किए जाते हैं।
इसकी भीतरी दीवार पर श्लेष्मल झिल्ली (Mucous Membrane) और सूक्ष्म रोम (Cilia) पाए जाते हैं।
श्लेष्मा (Mucus) धूल, जीवाणु और अन्य कणों को रोककर श्वसन तंत्र की रक्षा करता है।
2. नाक की शंखिकाएँ (Nasal Conchae/Turbinates)
ऊपरी, मध्य और निचली शंखिका नामक तीन हड्डीदार संरचनाएँ होती हैं।
ये वायु के प्रवाह को नियंत्रित कर उसे गर्म और नम बनाती हैं।
3. संबद्ध गुहाएँ (Paranasal Sinuses)
फ्रंटल (Frontal), मैक्सिलरी (Maxillary), एथ्मॉइडल (Ethmoidal), स्फेनॉइडल (Sphenoidal) साइनस नाक से जुड़े होते हैं।
ये आवाज़ को गूँज (Resonance) देते हैं तथा सिर का भार हल्का करते हैं।
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3. नाक का घ्राण तंत्र (Olfactory System)
नाक के ऊपरी भाग में घ्राण उपकला (Olfactory Epithelium) होती है।
इसमें घ्राण रिसेप्टर कोशिकाएँ (Olfactory Receptor Cells) उपस्थित होती हैं, जो गंधकणों (Odor Molecules) से सक्रिय होती हैं।
इन रिसेप्टरों से उत्पन्न संदेश घ्राण तंत्रिका (Olfactory Nerve, Cranial Nerve I) के द्वारा मस्तिष्क के घ्राण बल्ब (Olfactory Bulb) तक पहुँचते हैं।
यहीं से गंध की अनुभूति मस्तिष्क के घ्राण क्षेत्र (Olfactory Cortex) में होती है।
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4. नाक का श्वसन तंत्र (Respiratory Function of Nose)
नाक श्वसन तंत्र का प्रवेश द्वार है।
इसकी मुख्य क्रियाएँ हैं :
1. वायु को छानना – नासिका के सूक्ष्म रोम (Cilia) व श्लेष्मा धूल व सूक्ष्मजीवों को रोकते हैं।
2. वायु को गरम व नम बनाना – श्लेष्मल झिल्ली एवं रक्त वाहिकाओं की प्रचुरता से।
3. अनुनाद (Resonance) में योगदान – ध्वनि को स्पष्ट व सुरीला बनाने में सहायक।
4. श्वसन का नियमन – नाक से श्वास लेने पर फेफड़ों को शुद्ध, अनुकूलित वायु प्राप्त होती है।
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5. नाक की प्रमुख भूमिकाएँ
घ्राण (Smell) → भोजन व गंध की पहचान, भावनात्मक स्मृतियों से जुड़ाव।
श्वसन (Respiration) → शुद्ध व नियंत्रित वायु का फेफड़ों तक पहुँचना।
सुरक्षा (Protection) → धूल, जीवाणु, प्रदूषण आदि से बचाव।
ध्वनि अनुनाद (Resonance) → बोलने और गाने की स्पष्टता में सहायक।
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👉 निष्कर्षतः, नाक केवल श्वसन का अंग नहीं है, बल्कि यह घ्राणेंद्रिय (Smell Organ) और ध्वनि अनुनाद का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। यह बाहरी वातावरण और आंतरिक शरीर के बीच सुरक्षा कवच तथा सेतु का कार्य करती है।
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