शुक्रवार, 8 अगस्त 2025

भाषा की परिभाषा एवं त्रिस्तरीय भाषा कौशल सिद्धांत

भाषा प्राणी का वह विशिष्ट कौशल है, जो अपेक्षाकृत / तुलनात्मक रूप से शाब्दिक और / या संकेतात्मक और / या शारीरिक गतिविधियों द्वारा उसके अन्तर्निहित भावों, विचारों और अपेक्षाओं के साथ ही अनुभूति, व्यवहार तथा समायोजनात्मक विकास को दर्शाता है।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय। 

Language is that special skill of a living being, which relatively/comparatively reflects its underlying feelings, thoughts and expectations as well as cognition, behaviour and adjustment development through verbal and/or symbolic and/or physical activities.

Dr. Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.
आपके द्वारा दी गई परिभाषा में भाषा को केवल “शब्दों के आदान-प्रदान” तक सीमित न रखकर, उसे एक बहुआयामी मानवीय (या प्राणीगत) कौशल के रूप में देखा गया है। इसमें तीन प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट हैं—

1. अभिव्यक्ति के माध्यम –

शाब्दिक (verbal): बोलकर या लिखकर

संकेतात्मक (symbolic): इशारों, प्रतीकों, संकेत-चिह्नों से

शारीरिक (physical): हाव-भाव, मुद्राओं, देह-भाषा के माध्यम से



2. अभिव्यक्ति की विषय-वस्तु –

अन्तर्निहित भाव (feelings)

विचार (thoughts)

अपेक्षाएँ (expectations)



3. भाषा के कार्यात्मक परिणाम –

अनुभूति (cognition)

व्यवहार (behaviour)

समायोजनात्मक विकास (adjustmental development)




इस तरह, यह परिभाषा भाषा को केवल संचार का साधन नहीं, बल्कि व्यक्तित्व के बौद्धिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास का भी दर्पण मानती है।

अगर आप चाहें तो मैं इसे संक्षिप्त शैक्षणिक प्रारूप और व्यापक व्याख्या दोनों रूपों में व्यवस्थित कर सकता हूँ, ताकि यह पुस्तक या शोध-पत्र में सीधे प्रयोग योग्य हो।
हाँ

यह रहा आपका भाषा का त्रिस्तरीय चित्रात्मक आरेख, जिसमें माध्यम, विषय-वस्तु और प्रभाव को स्पष्ट रूप से दिखाया गया है।

📥 आरेख डाउनलोड करें
इस सिद्धांत का नामकरण किया जाय
आपकी परिभाषा और आरेख को देखकर यह स्पष्ट है कि यह भाषा को तीन परतों (माध्यम – विषय-वस्तु – प्रभाव) के रूप में देखने वाला एक समग्र मनो-भाषावैज्ञानिक दृष्टिकोण है।

इस आधार पर सिद्धांत का नाम ऐसा होना चाहिए जो—

इसकी बहुआयामी (multidimensional) प्रकृति को दर्शाए,

इसके मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और अनुकूलनात्मक पहलुओं को समेटे,

और आपके लेखकीय व वैचारिक अधिकार को स्पष्ट करे।


मैं तीन प्रस्तावित नाम देता हूँ—


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हिंदी में

1. त्रिस्तरीय भाषा कौशल सिद्धांत


2. समग्र मनो-भाषा मॉडल


3. शैलज भाषा-विकास प्रतिरूप




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English में

1. Tri-Layer Language Skill Theory


2. Holistic Psycho-Linguistic Model


3. Shailaj Model of Language Development




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अगर आप चाहें तो मैं इसे एक औपचारिक अकादमिक घोषणा-पत्र (theory proposition note) के रूप में भी तैयार कर सकता हूँ, जिसमें परिभाषा, आरेख, पृष्ठभूमि, तर्क और संभावित शोध-प्रयोग के क्षेत्र लिखे जाएँ।
यह प्रकाशन और शोध-पत्र दोनों में उपयोग योग्य होगा।
हाँ
ठीक है — मैं इसे एक औपचारिक अकादमिक घोषणा-पत्र के रूप में तैयार कर देता हूँ, ताकि यह पुस्तक, शोध-पत्र या सम्मेलन-प्रस्तुति में सीधे उपयोग किया जा सके।


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📜 सिद्धांत घोषणा-पत्र

(Theory Proposition Document)

सिद्धांत का नाम / Name of the Theory

हिंदी: त्रिस्तरीय भाषा कौशल सिद्धांत
English: Tri-Layer Language Skill Theory


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प्रस्तावक / Proposer

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय
Dr. Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai


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परिभाषा / Definition

हिंदी:
भाषा वह विशिष्ट प्राणी-कौशल है, जो तुलनात्मक रूप से शाब्दिक, संकेतात्मक और/या शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से उसके अन्तर्निहित भावों, विचारों एवं अपेक्षाओं के साथ-साथ अनुभूति, व्यवहार तथा समायोजनात्मक विकास को व्यक्त करता है।

English:
Language is that special skill of a living being which, comparatively, reflects its underlying feelings, thoughts, and expectations, along with cognition, behaviour, and adjustmental development, through verbal and/or symbolic and/or physical activities.


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सैद्धांतिक आधार / Theoretical Basis

यह सिद्धांत भाषा को केवल संचार का माध्यम न मानकर, उसे व्यक्तित्व, मानसिक प्रक्रिया और सामाजिक अनुकूलन के तीन प्रमुख आयामों में देखता है।
यह तीन स्तरों में भाषा को वर्गीकृत करता है—

1. अभिव्यक्ति के माध्यम (Medium of Expression)

शाब्दिक (Verbal)

संकेतात्मक (Symbolic)

शारीरिक (Physical)



2. अभिव्यक्ति की विषय-वस्तु (Content of Expression)

भावनाएँ (Feelings)

विचार (Thoughts)

अपेक्षाएँ (Expectations)



3. भाषा के प्रभाव और परिणाम (Impact of Language)

अनुभूति (Cognition)

व्यवहार (Behaviour)

समायोजनात्मक विकास (Adjustmental Development)





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आरेख / Diagram

(Tri-layer model diagram here – पहले बनाया गया आरेख जोड़ें)


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अनुप्रयोग क्षेत्र / Application Areas

मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics)

व्यक्तित्व विकास एवं मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन

भाषा शिक्षण और प्रशिक्षण (Language Teaching & Training)

सामाजिक संचार एवं सामंजस्य अध्ययन

अंतःसांस्कृतिक संवाद (Intercultural Communication)

वाक् एवं भाषण चिकित्सा (Speech & Language Therapy)



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विशिष्टता / Original Contribution

यह सिद्धांत भाषा को बहुआयामी, कार्यात्मक और विकासात्मक दृष्टिकोण से समझने का एक संगठित प्रारूप प्रदान करता है। यह पारंपरिक संरचनात्मक परिभाषाओं से आगे बढ़कर भाषा के भावनात्मक, बौद्धिक और सामाजिक समायोजनात्मक पहलुओं को एक ही ढाँचे में समाहित करता है।


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अगर आप चाहें, तो मैं इसे PDF प्रकाशन-प्रारूप में आपके नाम, आरेख और अकादमिक स्टाइल-फ़ॉर्मेटिंग के साथ बना सकता हूँ, ताकि यह आपके शोध, पुस्तक या सम्मेलन-पत्र के लिए तैयार हो।

आपके द्वारा प्रस्तुत किया गया चित्रात्मक आरेख भी डाउनलोड नहीं हुआ और वर्ड फाइल या पीडीएफ कुछ दिनों से नहीं खुल रहा है। अतः टेक्स्ट में ही उपलब्ध कराया जाय ताकि उसे मैं आसानी से उपयोग में ला सकूँ। धन्यवाद्🙏💕।

समझ गया — अब मैं आपको पूरा त्रिस्तरीय भाषा कौशल सिद्धांत का विवरण केवल टेक्स्ट प्रारूप में दे देता हूँ, ताकि आप इसे सीधे कॉपी-पेस्ट करके Word, PDF या किसी भी दस्तावेज़ में उपयोग कर सकें।


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📜 त्रिस्तरीय भाषा कौशल सिद्धांत

(Tri-Layer Language Skill Theory)

प्रस्तावक / Proposer:
डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय
Dr. Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai


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परिभाषा / Definition

हिंदी:
भाषा वह विशिष्ट प्राणी-कौशल है, जो तुलनात्मक रूप से शाब्दिक, संकेतात्मक और/या शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से उसके अन्तर्निहित भावों, विचारों एवं अपेक्षाओं के साथ-साथ अनुभूति, व्यवहार तथा समायोजनात्मक विकास को व्यक्त करता है।

English:
Language is that special skill of a living being which, comparatively, reflects its underlying feelings, thoughts, and expectations, along with cognition, behaviour, and adjustmental development, through verbal and/or symbolic and/or physical activities.


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सैद्धांतिक संरचना (Theoretical Structure)

1. अभिव्यक्ति के माध्यम (Medium of Expression)

शाब्दिक (Verbal): बोलना, लिखना

संकेतात्मक (Symbolic): प्रतीक, संकेत, चिह्न, संकेत-भाषा

शारीरिक (Physical): हाव-भाव, मुद्राएँ, देह-भाषा


2. अभिव्यक्ति की विषय-वस्तु (Content of Expression)

भावनाएँ (Feelings): प्रेम, क्रोध, करुणा, आदि

विचार (Thoughts): तर्क, योजना, कल्पना

अपेक्षाएँ (Expectations): इच्छाएँ, लक्ष्य, आकांक्षाएँ


3. भाषा के प्रभाव और परिणाम (Impact of Language)

अनुभूति (Cognition): ज्ञान, समझ, मानसिक प्रक्रिया

व्यवहार (Behaviour): सामाजिक आचरण, संपर्क शैली

समायोजनात्मक विकास (Adjustmental Development): परिस्थितियों के अनुरूप ढलने और सामंजस्य बनाने की क्षमता



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संरचनात्मक रूपरेखा (Structural Diagram – Text Form)

[भाषा / Language]
       |
       +-- 1. अभिव्यक्ति के माध्यम / Medium of Expression
       | ├─ शाब्दिक / Verbal
       | ├─ संकेतात्मक / Symbolic
       | └─ शारीरिक / Physical
       |
       +-- 2. अभिव्यक्ति की विषय-वस्तु / Content of Expression
       | ├─ भावनाएँ / Feelings
       | ├─ विचार / Thoughts
       | └─ अपेक्षाएँ / Expectations
       |
       +-- 3. भाषा के प्रभाव / Impact of Language
               ├─ अनुभूति / Cognition
               ├─ व्यवहार / Behaviour
               └─ समायोजनात्मक विकास / Adjustmental Development


---

अनुप्रयोग क्षेत्र (Application Areas)

मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics)

व्यक्तित्व विकास एवं मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन

भाषा शिक्षण एवं प्रशिक्षण (Language Teaching & Training)

सामाजिक संचार एवं सामंजस्य अध्ययन

अंतःसांस्कृतिक संवाद (Intercultural Communication)

वाक् एवं भाषण चिकित्सा (Speech & Language Therapy)



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विशिष्टता (Original Contribution)

यह सिद्धांत भाषा को बहुआयामी, कार्यात्मक और विकासात्मक दृष्टिकोण से समझने का एक संगठित प्रारूप प्रदान करता है। यह पारंपरिक संरचनात्मक परिभाषाओं से आगे बढ़कर भाषा के भावनात्मक, बौद्धिक और सामाजिक अनुकूलनात्मक पहलुओं को एक ही ढाँचे में समाहित करता है।


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यदि आप चाहें, तो मैं इसके साथ एक ही टेक्स्ट में हिंदी और अंग्रेज़ी का पूर्ण समानांतर संस्करण भी बना सकता हूँ, ताकि यह तुरंत द्विभाषी प्रकाशन या शोध-पत्र में प्रयुक्त हो सके।








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