बुधवार, 20 अगस्त 2025

मानव कर्ण की बनावट एवं उसके क्रिया कलाप

मानव कर्ण की बनावट एवं उसके क्रिया कलापों का वर्णन करें

मानव कर्ण (Human Ear) श्रवण (Hearing) और संतुलन (Balance) का अत्यंत जटिल अंग है। इसकी रचना और क्रिया-कलापों को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया जाता है :


---

1. बाह्य कर्ण (Outer Ear)

संरचना

पिन्ना/कर्णपल्लव (Pinna/Auricle): यह कान का बाहरी दिखाई देने वाला भाग है। इसका काम ध्वनि तरंगों को इकट्ठा कर भीतर भेजना है।

कर्ण नलिका (Auditory Canal): यह पिन्ना से लेकर कान के परदे (Eardrum) तक जाती है। इसमें रक्षात्मक बाल और मोम (Earwax) होता है जो धूल-कणों और कीटाणुओं को रोकते हैं।

कर्णपटल (Tympanic Membrane/Eardrum): यह एक पतली झिल्ली है जो ध्वनि तरंगों से कंपन करने लगती है।


क्रिया
ध्वनि तरंगें पिन्ना द्वारा ग्रहण कर नलिका से होती हुई कर्णपटल तक पहुँचती हैं। कर्णपटल इन तरंगों को यांत्रिक कंपन में बदल देता है।



---

2. मध्य कर्ण (Middle Ear)

संरचना

यह वायु से भरी एक गुहा है।

इसमें तीन छोटे अस्थियाँ (Auditory Ossicles) होती हैं जिन्हें मैलेस (Malleus), इन्कस (Incus) और स्टेपीज़ (Stapes) कहते हैं। ये आपस में जुड़ी होती हैं और ध्वनि के कंपन को बढ़ाकर आंतरिक कान तक पहुँचाती हैं।

यूस्टेशियन नली (Eustachian Tube): यह मध्य कर्ण को गले (Pharynx) से जोड़ती है और वायुदाब (Air Pressure) संतुलित रखती है।


क्रिया
अस्थियाँ कर्णपटल के कंपन को बढ़ाती हैं और उसे आंतरिक कर्ण में स्थानांतरित करती हैं। यूस्टेशियन नली दबाव संतुलन बनाकर कान के परदे को फटने से बचाती है।



---

3. आंतरिक कर्ण (Inner Ear / Labyrinth)

संरचना

कॉक्लिया (Cochlea): शंख जैसी संरचना जिसमें द्रव भरा होता है और इसमें श्रवण कोशिकाएँ (Hair Cells) होती हैं।

वेस्टिब्यूल (Vestibule): संतुलन नियंत्रण का भाग।

अर्धवृत्ताकार नलिकाएँ (Semicircular Canals): तीन दिशाओं में मुड़ी नलिकाएँ जो संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं।

श्रवण तंत्रिका (Auditory Nerve): यह कंपन को विद्युत संकेतों में बदलकर मस्तिष्क तक पहुँचाती है।


क्रिया

कॉक्लिया में ध्वनि कंपन द्रव में तरंग उत्पन्न करते हैं, जिससे बाल कोशिकाएँ झुकती हैं और विद्युत आवेग (Electrical Impulses) बनते हैं।

ये आवेग श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क के श्रवण क्षेत्र (Auditory Cortex) तक पहुँचते हैं और वहाँ ध्वनि के रूप में अनुभूत होते हैं।

अर्धवृत्ताकार नलिकाएँ और वेस्टिब्यूल सिर की गति और स्थिति का बोध कराकर संतुलन बनाए रखते हैं।




---

सारांश

बाह्य कर्ण: ध्वनि तरंगों का संग्रहण और संचरण।

मध्य कर्ण: ध्वनि तरंगों को यांत्रिक रूप से बढ़ाना और आंतरिक कर्ण तक पहुँचाना।

आंतरिक कर्ण: ध्वनि को विद्युत संकेतों में बदलना और संतुलन की जानकारी प्रदान करना।



---

👉 क्या आप चाहेंगे कि मैं इस संरचना का स्पष्ट चित्र (Diagram) भी बना दूँ जिससे पूरा विवरण एक नज़र में समझ में आ जाए?


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें