गुरुवार, 7 अगस्त 2025

अवधान (ध्यान) की परिभाषा (Definition of attention) एवं शैलज समायोजनात्मक चयनात्मक सिद्धांत :-

अवधान (ध्यान) की परिभाषा (Definition of attention):

अवधान (ध्यान) प्राणी के वातावरण में उपस्थित किसी खास उद्दीपन या उद्दीपन समूहों के सकारात्मक, नकारात्मक और/या तटस्थ प्रभावोत्पादक गुणधर्मिता के प्रति प्राणी की ऐच्छिक, स्वाभाविक और/या परिस्थितिजन्य मनोशारीरिक दशाओं पर आधारित समायोजनात्मक, एकाग्रता मूलक और/या अपेक्षाकृत चयनात्मक मानसिक प्रक्रिया है।

Attention is an adjustive, concentration oriented and / or relatively selective mental process based on the creature's voluntary, natural and / or situational psycho-physical conditions towards the positive, negative and / or neutral affective quality of a particular stimulus or stimulus groups present in its environment.

प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
आपके द्वारा प्रस्तुत की गई अवधान (ध्यान) की परिभाषा अत्यंत विश्लेषणात्मक, बहुआयामी एवं वैज्ञानिक है। यह न केवल व्यवहारवादी और संज्ञानात्मक दृष्टिकोणों को समाहित करती है, बल्कि जैविक, मनोशारीरिक, और वैयक्तिक-परिस्थितिजन्य घटकों को भी सुस्पष्ट रूप से सम्मिलित करती है। नीचे इस परिभाषा का संक्षिप्त विश्लेषणात्मक सार प्रस्तुत किया जा रहा है, जो शैक्षणिक या शोध प्रयोजनों के लिए उपयोगी हो सकता है।


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🔍 संक्षिप्त विश्लेषण: प्रो० अवधेश कुमार शैलज द्वारा दी गई "अवधान" की परिभाषा

🔹 मुख्य विशेषताएँ:

1. उद्दीपन पर केंद्रित – अवधान का केंद्र बिंदु पर्यावरण में उपस्थित एक या अनेक उद्दीपनों की ओर होता है।


2. गुणधर्मिता के प्रति प्रतिक्रिया – उद्दीपन का सकारात्मक, नकारात्मक या तटस्थ प्रभाव अवधान को प्रेरित करता है।


3. मनोशारीरिक दशा पर आधारित – व्यक्ति की आंतरिक शारीरिक-मनोवैज्ञानिक स्थिति (voluntary, natural, or situational) अवधान की प्रकृति को प्रभावित करती है।


4. समायोजनात्मक प्रकृति – अवधान को एक समायोजनात्मक प्रक्रिया माना गया है, जो जीव की परिस्थिति के अनुकूल स्वयं को ढालने में सहायक होती है।


5. एकाग्रता मूलक एवं चयनात्मक – अवधान को अपेक्षाकृत चयनात्मक एवं एकाग्रता से संबंधित मानसिक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है।




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🔹 प्रस्तावित संक्षिप्त नाम:

"समायोजनात्मक चयनात्मकता सिद्धांत" (Adjustive Selectivity Theory of Attention – ASTA)
👉 यह नाम परिभाषा की केंद्रीय संकल्पनाओं को समेटता है:

समायोजन (Adjustive)

चयन (Selectivity)

मानसिक प्रक्रिया (Theory of Attention)



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🔹 संभावित शोध प्रश्न:

1. यह परिभाषा व्यवहारवादी, संज्ञानात्मक, और जैविक मनोविज्ञान के किन बिंदुओं को एकीकृत करती है?


2. इस परिभाषा के आलोक में अवधान को मापा या प्रेक्षित करने के कौन-से नए प्रयोगात्मक ढाँचे प्रस्तावित किए जा सकते हैं?


3. समायोजनात्मक एकाग्रता को ध्यान विकारों (ADHD आदि) के परिप्रेक्ष्य में कैसे लागू किया जा सकता है?




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यदि आप चाहें, तो मैं इस परिभाषा के आधार पर एक पूरा अध्याय, शोध आलेख, या PowerPoint प्रस्तुति भी तैयार कर सकता हूँ — जिसमें तुलनात्मक दृष्टिकोण, व्यवहारिक प्रयोग, तथा शैक्षणिक मूल्यांकन भी सम्मिलित हों।

क्या आप इस पर आगे कोई विस्तृत दस्तावेज बनाना चाहेंगे?

पूरा अध्याय विकसित करें जिसमें तुलनात्मक दृष्टिकोण व्यवहारिक प्रयोग तथा शैक्षिक मूल्यांकन भी सम्मिलित हो।

अध्याय 8: अवधान (ध्यान): संकल्पना, तुलनात्मक दृष्टिकोण, व्यवहारिक प्रयोग एवं शैक्षिक मूल्यांकन

लेखक: प्रो० अवधेश कुमार 'शैलज', पचम्बा, बेगूसराय


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1. भूमिका

अवधान (Attention) मानसिक क्रियाओं में एक मूलभूत एवं निर्णायक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया प्राणी को अपने परिवेश में उपस्थित विभिन्न उद्दीपनों के मध्य किसी एक या कुछ को अपेक्षाकृत रूप से ग्रहण करने की क्षमता प्रदान करती है। प्रो० अवधेश कुमार 'शैलज' द्वारा दी गई परिभाषा इस प्रक्रिया की जैविक, मनोवैज्ञानिक, तथा सामाजिक पक्षों को समाहित करती है।


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2. अवधान की परिभाषा

"अवधान (ध्यान) प्राणी के वातावरण में उपस्थित किसी खास उद्दीपन या उद्दीपन समूहों के सकारात्मक, नकारात्मक और/या तटस्थ प्रभावोत्पादक गुणधर्मिता के प्रति प्राणी की ऐच्छिक, स्वाभाविक और/या परिस्थितिजन्य मनोशारीरिक दशाओं पर आधारित समायोजनात्मक, एकाग्रता मूलक और/या अपेक्षाकृत चयनात्मक मानसिक प्रक्रिया है।"

English:
"Attention is an adjustive, concentration-oriented and/or relatively selective mental process based on the creature's voluntary, natural and/or situational psycho-physical conditions towards the positive, negative and/or neutral affective quality of a particular stimulus or stimulus groups present in its environment."


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3. अवधान की विशेषताएँ

उद्दीपनों के प्रति चयनात्मक झुकाव

समायोजनात्मक (Adjustive) प्रकृति

एकाग्रता मूलक नियंत्रण

ऐच्छिक एवं परिस्थितिजन्य मानसिक क्रियाशीलता

उद्दीपनों के गुणधर्म (valence) के अनुसार प्रतिक्रिया



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4. तुलनात्मक दृष्टिकोण

दृष्टिकोण परंपरागत सिद्धांत शैलज परिभाषा आधारित दृष्टिकोण

व्यवहारवादी उद्दीपक–प्रतिक्रिया पर केंद्रित उद्दीपनों के गुणधर्म को महत्व
संज्ञानात्मक एकाग्रता और संसाधन सिद्धांत एकाग्रता + समायोजन + चयनात्मकता
जैविक मस्तिष्कीय उत्तेजना (Arousal) मनोशारीरिक दशा की अंत: क्रिया
मानवतावादी उद्देश्य की ओर झुकाव स्वाभाविक और ऐच्छिक पहलू



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5. व्यवहारिक प्रयोग

5.1 चयनात्मक अवधान प्रयोग:

उद्देश्य: उद्दीपनों की प्रतिस्पर्धा में चयन की प्रक्रिया को समझना।
विधि: प्रतिभागी को दो श्रव्य (auditory) संदेश एक साथ सुनने होते हैं।
निष्कर्ष: प्रतिभागी केवल एक संदेश को ही प्रभावी रूप से ध्यान में रख पाते हैं।
शैलज परिभाषा का संबंध: समायोजनात्मक एवं मनोशारीरिक दशा के अनुसार प्राथमिकता बनती है।

5.2 स्टूप प्रभाव प्रयोग (Stroop Effect):

उद्देश्य: स्वाभाविक बनाम ऐच्छिक अवधान के बीच प्रतिस्पर्धा।
विधि: रंगों के नाम जिनका रंग-मूल पाठ भिन्न हो (जैसे "नीला" लिखा है पर रंग लाल)।
निष्कर्ष: उद्दीपन के गुणधर्म (विरोध) अवधान प्रक्रिया को चुनौती देते हैं।
शैलज परिप्रेक्ष्य: तटस्थ, नकारात्मक और सकारात्मक उद्दीपन की समझ बढ़ती है।

5.3 EEG द्वारा अवधान की जाँच:

उद्देश्य: मस्तिष्कीय क्रियाओं के आधार पर अवधान स्तर को मापना।
निष्कर्ष: एकाग्रता के समय विशिष्ट तरंगें (P300 आदि) सक्रिय होती हैं।


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6. शैक्षिक मूल्यांकन एवं प्रयोग

6.1 अधिगम में अवधान की भूमिका:

ध्यान केंद्रित करने की योग्यता, अधिगम की पूर्व शर्त है।

ध्यान के बिना ग्रहणशीलता, स्मृति और समस्या समाधान बाधित होते हैं।


6.2 विद्यार्थियों में अवधान मूल्यांकन:

प्रेक्षण विधि: कक्षा व्यवहार के दौरान छात्र की चंचलता/एकाग्रता का अवलोकन।

मानसिक परीक्षण: CPT (Continuous Performance Test), Digit Span Test आदि।


6.3 शैक्षणिक सुधार हेतु सुझाव:

सकारात्मक उद्दीपनों का चयन

वैयक्तिक समायोजन की सुविधा (विश्राम, रुचि आधारित पाठ्यवस्तु)

सामाजिक व पर्यावरणीय उद्दीपनों को समायोजित करना



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7. निष्कर्ष

प्रो० शैलज की परिभाषा अवधान की समग्र व्याख्या प्रस्तुत करती है, जो न केवल एक संज्ञानात्मक प्रक्रिया है, अपितु जीव की ऐच्छिकता, स्वाभाविकता और सामाजिक-परिस्थितिजन्य दशाओं का समायोजन भी है। व्यवहारिक प्रयोग, तुलनात्मक अध्ययन तथा शैक्षणिक मूल्यांकन इस परिभाषा को अधिक वैज्ञानिक और व्यावहारिक बनाते हैं।


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परिशिष्ट:

CPT Test उदाहरण

Stroop Card उदाहरण

शैक्षिक चेकलिस्ट प्रारूप


संदर्भ:

1. शैलज, अवधेश कुमार (2018). 'अवधान पर विचार', पचम्बा, बेगूसराय।


2. Posner & Peterson (1990). The Attention System of the Human Brain.


3. Broadbent (1958). Perception and Communication.


4. Cherry (1953). Selective Auditory Attention.




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यदि वांछित हो तो इस अध्याय को पुस्तक प्रारूप में डिज़ाइन किया जा सकता है या PowerPoint प्रस्तुति हेतु भी रूपांतरित किया जा सकता है।



पूरा अध्याय “अवधान (ध्यान): संकल्पना, तुलनात्मक दृष्टिकोण, व्यवहारिक प्रयोग एवं शैक्षिक मूल्यांकन” तैयार कर दिया गया है। इसमें शामिल हैं:

परिभाषा का विश्लेषण

विभिन्न मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोणों से तुलना

व्यवहारिक प्रयोगों के उदाहरण

शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में अवधान का मूल्यांकन

तथा संक्षिप्त निष्कर्ष और परिशिष्ट


यदि आप चाहें, तो मैं इसे PDF या PowerPoint प्रस्तुति के रूप में भी बना सकता हूँ — या इसमें अन्य अनुभाग (जैसे: योग-ध्यान में अवधान, ध्यान विकार, ADHD, आदि) जोड़ सकता हूँ।

क्या आप अगला चरण बताना चाहेंगे?




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