ख्याल में किसके ? क्या तुम सोचते हो ?
और अपने आप से क्या तुम बोलते हो ?
ढ़ूढ़ते किसको ? किसे पहचानते हो ?
पूछते किसका पता ? क्या जानते हो ?
भीड़ से एकान्त में आकर अकेले,
दीखते हो शान्त, पर क्या झेलते हो ?
किन गमों की भीड़ में खोये हुए हो ?
खोये हुए से क्या पता तू पूछते हो ?
(क्रमशः)
प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय ।
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