वक्त पर याद आते हैं :-
निकालते वक्त हैं हम सब, जरूरी जब समझते हैं।
जरूरी कब ? किसे ? कितना ? यहाँ कितने समझते हैं ?
पहुँचना है सभी को पुनः, चिरपरिचित ठिकाने पर।
निभा निज भूमिका जग में, वक्त पर लौट जाना है।
टिकट आवागमन का, साथ में लेकर सभी आये।
यहाँ पर सौंप तन,मन,धन; प्रभु में लीन होना है।
वक्त को जो समझ में है, वक्त पर ही बताता है।
वक्त न आम होता है, वक्त न खास होता है।
वक्त पर काम जो आते, भले ही भूल जायें हम।
वक्त जब गुजर जाता है, वक्त पर याद आते हैं।
डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
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