रविवार, 23 दिसंबर 2018

दोहे की रचना का वैयाकरणिक विधान

जैसा कि हम पढ़ते आए हैं वर्ण दो प्रकार के होते हैं लघु और गुरु। ह्रस्व स्वरों को लघु वर्ण कहा जाता है जैसे - अ, इ, उ, अं व चन्द्र बिंदु इन्हें (l) चिन्ह द्वारा प्रदर्शित किया जाता है जिसे हम 1 भी लिख सकते हैं। इन्हीं लघु स्वरों को 1 मात्रा भी कहा जाता है। दीर्घ स्वरों को गुरु वर्ण कहा जाता है जैसे -  आ, ऊ, ई,ए,ऐ,औ इत्यादि इसका मात्रा भार 2 लिया जाता है जिसे (S) द्वारा चिन्हित करते हैं। ध्यान रहे हिंदी में शब्द की मात्रा गणना में वर्णों को अलग अलग गिना जाता है। इसे वर्णिक मात्रा गणना कहते हैं। जैसे- साधन - मात्राएं 4 इसे चिन्हित करते हैं SII से अर्थात गुरु, लघु, लघु किन्तु इसी को ग़ज़ल में मात्रा गणना के समय 22 लिखा जाता है, जिसे वाचिक मात्रा गणना कहते हैं। इसके अनुसार दो लघु वर्णों को 2 मान लिया जाता है। क्योंकि पढ़ते समय सा + धन (यहाँ धन को एक साथ पढ़ा जा रहा है इसलिए 2 लिखा जाता है) आगे चलकर हम इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। कुछ और शब्दों की मात्रा गणना करते हैं। साधु - SI, कंगन SII, प्यार SI (शब्द के शुरू में दीर्घ मात्रा के साथ आधा अक्षर आने पर उसका मात्रा भार दीर्घ ही रहता है।) राष्ट्रीय SSI आशा है, आपको यह आलेख दोहा लेखन की बुनियादी जानकारी से अवगत कराएगा। आइए, अभ्यास करते हैं दोहा लेखन का। कॉमेंट बॉक्स में अपने प्रश्न रखें। स्पैम, और अन्य पोस्ट डिलीट कर दी जाएगी। अनुरोध है, संवाद स्थापित करने का प्रयास करें। ताकि हम सब एक दूसरे से अधिक से अधिक सीख सकें। #दोहावली #writinggyaan #yqdidi Read YourQuote Didi's thoughts on the YourQuote app at https://www.yourquote.in/yourquote-didi-syr/quotes/priy-lekhko-nmste-aaie-aaj-dohe-likhte-hain-dohaa-ek-maatrik-ktesz

Individual differences.


अपने वातावरण में समायोजनात्मक व्यवहार के क्रम में किसी प्राणी या प्राणी समूह द्वारा अपने और अपने वातावरण से सम्बन्धित व्यक्ति, प्राणी, वस्तु या परिस्थिति के सन्दर्भ में विकसित लिखित या अलिखित आचार संहिता के निर्धारण और / या अनुशीलन से सामाजिक-सांस्कृतिक परम्परा और / या पूर्व मान्यता आधारित धर्म;आनुवंशिक गुणों के कारण लिंग, वर्ण / रंग एवं अन्य जन्म-जात मनोशारीरिक गुणों तथा जन्म के पश्चात् प्राणी की अनुभूति, व्यवहार और समायोजन प्रक्रिया के क्रम में वर्ग, क्षेत्र एवं भाषा सम्बन्धी भेद उत्पन्न होता है, जो वैयक्तिक भिन्नता का कारक और अपेक्षाकृत स्थायी प्रकृति का होता है।

In order to adjust to behavioral and behavioral behavior in its environment, a socio-cultural tradition with the determination and / or persuasion of a written or unwritten code of conduct developed in relation to a person or animal group related to the person, animal, object or circumstance related to himself and its environment. Belief based religion; due to genetic factors, gender, color / color and other birth-prone psychosomatic properties and birth In the sequence of the experience, behavior and adjustment of animals, there is a distinction between classes, region and language, which is the factor of individual variation and relatively stable nature.

शनिवार, 1 दिसंबर 2018

विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day)

विश्व एड्स दिवस

विश्व एड्स दिवस ( 01 दिसम्बर ) मानव हित में एक महत्त्वपूर्ण दिवस है । यह दिवस दो या दो से अधिक नर और / या नारियों के पारस्परिक लैंगिक सम्बन्धों से सम्बन्धित स्वस्थ मनोदैहिक विकास तथा भावी पीढ़ी हेतु आवश्यक वैयक्तिक, नैतिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं स्वास्थ्य मानकों से परिष्कृत आचारों को अंगीकार करने की यथासंभव प्रतिबद्धता को स्वीकार करने का विशिष्ठ अवसर है। अतः संसार के जन-जन को एड्स एवं अन्य बीमारियों से मुक्ति हेतु समस्त नर-नारियों के हित में यथासंभव तन,मन,धन से प्रयास करना चाहिए।

World AIDS Day is an important day in human interest. Accepting as much a commitment as possible to adopt sophisticated ethics by individual, ethical, religious, social, cultural and health standards, for the healthy psychosomatic development related to the mutual sexual relations of male or female or two or more women, and future generations. There is a special opportunity.