रविवार, 23 दिसंबर 2018

दोहे की रचना का वैयाकरणिक विधान

जैसा कि हम पढ़ते आए हैं वर्ण दो प्रकार के होते हैं लघु और गुरु। ह्रस्व स्वरों को लघु वर्ण कहा जाता है जैसे - अ, इ, उ, अं व चन्द्र बिंदु इन्हें (l) चिन्ह द्वारा प्रदर्शित किया जाता है जिसे हम 1 भी लिख सकते हैं। इन्हीं लघु स्वरों को 1 मात्रा भी कहा जाता है। दीर्घ स्वरों को गुरु वर्ण कहा जाता है जैसे -  आ, ऊ, ई,ए,ऐ,औ इत्यादि इसका मात्रा भार 2 लिया जाता है जिसे (S) द्वारा चिन्हित करते हैं। ध्यान रहे हिंदी में शब्द की मात्रा गणना में वर्णों को अलग अलग गिना जाता है। इसे वर्णिक मात्रा गणना कहते हैं। जैसे- साधन - मात्राएं 4 इसे चिन्हित करते हैं SII से अर्थात गुरु, लघु, लघु किन्तु इसी को ग़ज़ल में मात्रा गणना के समय 22 लिखा जाता है, जिसे वाचिक मात्रा गणना कहते हैं। इसके अनुसार दो लघु वर्णों को 2 मान लिया जाता है। क्योंकि पढ़ते समय सा + धन (यहाँ धन को एक साथ पढ़ा जा रहा है इसलिए 2 लिखा जाता है) आगे चलकर हम इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। कुछ और शब्दों की मात्रा गणना करते हैं। साधु - SI, कंगन SII, प्यार SI (शब्द के शुरू में दीर्घ मात्रा के साथ आधा अक्षर आने पर उसका मात्रा भार दीर्घ ही रहता है।) राष्ट्रीय SSI आशा है, आपको यह आलेख दोहा लेखन की बुनियादी जानकारी से अवगत कराएगा। आइए, अभ्यास करते हैं दोहा लेखन का। कॉमेंट बॉक्स में अपने प्रश्न रखें। स्पैम, और अन्य पोस्ट डिलीट कर दी जाएगी। अनुरोध है, संवाद स्थापित करने का प्रयास करें। ताकि हम सब एक दूसरे से अधिक से अधिक सीख सकें। #दोहावली #writinggyaan #yqdidi Read YourQuote Didi's thoughts on the YourQuote app at https://www.yourquote.in/yourquote-didi-syr/quotes/priy-lekhko-nmste-aaie-aaj-dohe-likhte-hain-dohaa-ek-maatrik-ktesz

Individual differences.


अपने वातावरण में समायोजनात्मक व्यवहार के क्रम में किसी प्राणी या प्राणी समूह द्वारा अपने और अपने वातावरण से सम्बन्धित व्यक्ति, प्राणी, वस्तु या परिस्थिति के सन्दर्भ में विकसित लिखित या अलिखित आचार संहिता के निर्धारण और / या अनुशीलन से सामाजिक-सांस्कृतिक परम्परा और / या पूर्व मान्यता आधारित धर्म;आनुवंशिक गुणों के कारण लिंग, वर्ण / रंग एवं अन्य जन्म-जात मनोशारीरिक गुणों तथा जन्म के पश्चात् प्राणी की अनुभूति, व्यवहार और समायोजन प्रक्रिया के क्रम में वर्ग, क्षेत्र एवं भाषा सम्बन्धी भेद उत्पन्न होता है, जो वैयक्तिक भिन्नता का कारक और अपेक्षाकृत स्थायी प्रकृति का होता है।

In order to adjust to behavioral and behavioral behavior in its environment, a socio-cultural tradition with the determination and / or persuasion of a written or unwritten code of conduct developed in relation to a person or animal group related to the person, animal, object or circumstance related to himself and its environment. Belief based religion; due to genetic factors, gender, color / color and other birth-prone psychosomatic properties and birth In the sequence of the experience, behavior and adjustment of animals, there is a distinction between classes, region and language, which is the factor of individual variation and relatively stable nature.

शनिवार, 1 दिसंबर 2018

विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day)

विश्व एड्स दिवस

विश्व एड्स दिवस ( 01 दिसम्बर ) मानव हित में एक महत्त्वपूर्ण दिवस है । यह दिवस दो या दो से अधिक नर और / या नारियों के पारस्परिक लैंगिक सम्बन्धों से सम्बन्धित स्वस्थ मनोदैहिक विकास तथा भावी पीढ़ी हेतु आवश्यक वैयक्तिक, नैतिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं स्वास्थ्य मानकों से परिष्कृत आचारों को अंगीकार करने की यथासंभव प्रतिबद्धता को स्वीकार करने का विशिष्ठ अवसर है। अतः संसार के जन-जन को एड्स एवं अन्य बीमारियों से मुक्ति हेतु समस्त नर-नारियों के हित में यथासंभव तन,मन,धन से प्रयास करना चाहिए।

World AIDS Day is an important day in human interest. Accepting as much a commitment as possible to adopt sophisticated ethics by individual, ethical, religious, social, cultural and health standards, for the healthy psychosomatic development related to the mutual sexual relations of male or female or two or more women, and future generations. There is a special opportunity.

सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

Interpersonal understanding of relations........

Interpersonal understanding of relations ............

Of the creatures of the world, primarily acquainted with human-species prejudice or unrelated male-female interpersonal physical relationship or artificial resources, they have their blood relations created between them as sons or daughters. Happens and the birth of a family called a family becomes automatic and this relationship does not really end in any circumstance, as well.Son or Daughter provides the best diet in her breasts for the upbringing of her offspring and for her upbringing, but if the same mother does not drink her milk by putting it on her heart, then the punishment for torturing her children is often related to breast cancer ( Whose origin is due to cough / work, pitta / anger and deformity of vata / covetousness or inauspicious thoughts).

Thus, the relationship between human and / or non-human beings in the world is the root link of mutual love, whose defense is our original religion.

Prof. Awdesh Kumar Shellaj, Pachemba, Begusarai

सम्बन्धों की पारस्परिक समझ...........

सम्बन्धों की परस्परिक समझ............

संसार के प्राणियों में से मुख्य रूप से मानव प्रजाति के पूर्व परिचित या अपरिचित नर-नारी के पारस्परिक दैहिक सम्बन्ध से अथवा कृत्रिम संसाधनों से उन दोनों के रज-वीर्य से उनका आपस में बनाया गया रक्त सम्बन्ध उन्हें पुत्र या पुत्री सन्तान के रूप में प्राप्त होता है और परिवार नामक संस्था का जन्म स्वत: हो जाता है तथा यह रिश्ता वास्तव में किसी भी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता है साथ ही प्रकृति स्त्री के उस सन्तान को गर्भ रखने एवं प्रसवोपरांत उसके पालन पोषण हेतु उसके स्तनों में सर्वोत्तम आहार दुग्ध प्रदान करती है, परन्तु यदि वही माता अपने दिल से लगाकर उसे अपना दूध नहीं पिलाती है तो सन्तान को प्रताड़ित करने के दण्ड स्वरूप प्रायः स्तन कैंसर (जिसकी उत्पत्ति कफ/काम,पित्त/क्रोध तथा वात/लोभ की विकृति या अशुभ विचारों के कारण होती है) का कष्ट भोगने हेतु बाध्य भी करती है।

इस प्रकार संसार में मानव और/या मानवेतर प्राणियों का पारस्परिक प्रेम सम्बन्ध ही मूल सम्बन्ध है, जिसकी रक्षा हमारा मूल धर्म है।

प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

रविवार, 14 अक्तूबर 2018

Country, Constitution and Citizenship

Country, Constitution and Citizenship: -

Any person, to obtain the citizenship of a country, to obey the country's constitution, to act accordingly, to obey its orders, to be born as the children of the citizens of that country and / or citizens of the country outside of it In order to obtain the citizenship of any other country in future, following the rules of citizenship of that country, living in that country and in the light of the constitution of that country, Protect Titv and dignity of the country's legislature, required executive and the duty to comply with his obligations while in your possession limits authorized for the judiciary.

Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.

देश, संविधान और नागरिकता

देश, संविधान और नागरिकता :-

किसी भी व्यक्ति को किसी देश की नागरिकता की प्राप्ति हेतु उस देश के संविधान को मानने,उसके अनुसार आचरण करने, उसके आदेशों का पालन करने, उस देश के नागरिकों के संतान के रुप में जन्म लेने और / या उस से बाहर के देश के नागरिकों हेतु भविष्य में किसी अन्य देश की नागरिकता पाने हेतु उस देश की नागरिकता प्राप्ति के नियमों का पालन करते हुए उस देश में निवास करने तथा उस देश के संविधान के आलोक में उस के अस्तित्व एवं अस्मिता की रक्षा करते हुए उस देश के विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका हेतु अधिकृत होने पर अपनी अधिकार सीमाओं में रहते हुए अपने दायित्वों का पालन करने का कर्त्तव्य अपेक्षित है।

प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

Astrology ( ज्योतिष )

Astrology is an ideal positive science of experience, behavior & adjustment process of an organism in their own environment in relation with various visible or non-visible stars, planets, elements & para-psychological effects or their inter-actions or power of the universe.

Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba,
Begusarai.

ज्योतिष (Astrology) की परिभाषा :-

ज्योतिष विभिन्न दृश्यमान या गैर-दृश्यमान सितारों, ग्रहों, तत्वों और पैरा-मनोवैज्ञानिक प्रभावों या उनके अंतर-क्रियाओं या ब्रह्मांड की शक्ति के संबंध में अपने पर्यावरण में एक जीव की अनुभव, व्यवहार और समायोजन प्रक्रिया का एक आदर्श सकारात्मक विज्ञान है।

प्रो। अवधेश कुमार शैलाज, पचम्बा,
बेगूसराय।

अवधेश कुमार पर 3:16 बजे

मंगलवार, 9 अक्तूबर 2018

भूतपूर्व सांसद स्व० मथुरा प्रसाद मिश्र की जन्म शताब्दी 2018

भूतपूर्व सांसद, स्व० मथुरा प्रसाद मिश्र का जन्म 100 वर्ष पूर्व 1918 ई० सन् में भारत देश के बिहार राज्य के बेगूसराय जिलान्तर्गत पचम्बा ग्राम में हुआ। राजनीति से संन्यास लेने के पश्चात् उन्होंने वास्तव में संन्यास ले लिया और भगवान् रजनीश का शिष्यत्व प्राप्त कर स्वामी आनन्द मैत्रेय कहलाये।

मथुरा प्रसाद मिश्र न केवल राजनीतिज्ञ थे,वरन् एक उत्कृष्ट कोटि के साहित्यकार थे। हिन्दी साहित्य के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। पचम्बा के एक गरीब भूमिहार ब्राह्मण स्व० रामायण सिंह ने अपनी जमीन पचम्बा में मिडिल स्कूल की स्थापना हेतु बिहार के राज्यपाल को दान के रूप में प्रदान किया और मथुरा प्रसाद मिश्र, राम जी मिश्र,रामबहादुर मिश्र, सुखदेव सिंह, जयदेव मिश्र, महादेव मिश्र, नागेश्वर मिश्र,जयनारायण सिंह एवं पचम्बा के अन्य अनेक लोगों के सक्रिय सहयोग से पचम्बा स्कूल का निर्माण एवं विकास हुआ। उस समय पचम्बा का यह एक मात्र स्कूल पचम्बा और इसके आसपास के दूर-दूर तक के गाँवों में शैक्षणिक विकास के प्रकाश स्तम्भ रुप में विकसित हुआ।

पचम्बा का प्रेम चन्द्र पुस्तकालय जिससे मैं बाल्यकाल से ही जुड़ा रहा और जिससे मुझे अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन की प्रेरणा मिलती रही, वह प्रेम चन्द्र पुस्तकालय राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के भी आकर्षण का केन्द्र रहा और गाँधी जी पुस्तकालय देखने हेतु पचम्बा पधारे, उस पुस्तकालय को भी पुष्पित, पल्लवित एवं विकसित करने में पचम्बा के लोगों का उत्साह वर्धन करने में मथुरा प्रसाद मिश्र का हार्दिक योगदान रहा।

मुझे बचपन से ही चाचा स्व० मथुरा प्रसाद मिश्र जी का स्नेह मिलता रहा और मथुरा प्रसाद मिश्र, जयनारायण सिंह, सुखदेव सिंह, जयदेव मिश्र, महादेव मिश्र, नागेश्वर मिश्र, रमेश चन्द्र यादव जी इत्यादि गुरुजन मेरे सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक विकास की प्रेरणा के श्रोत रहे परिणाम स्वरुप मैं 1974 से 1984 तक पुस्तकालय विकास आन्दोलन से जुड़ा रहा तथा पुस्तकालय संघ में बेगूसराय जिला का सचिव रहा।  दिनांक 4 जून 1983 को नेलसन माण्डेला के पक्ष में मैंने नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले दस मनीषियों द्वारा स्थापित एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा शान्ति, न्याय एवं मानवता के पक्ष में जारी अपील पर हस्ताक्षर किया जिसे एमनेस्टी इंटरनेशनल के श्री लंका स्थित कार्यालय द्वारा विश्व के सभी राष्ट्र प्रधानों एवं संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को भेजा गया और 8 मार्च 1985 को एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारतीय शाखा के कार्यकारिणी सदस्य रवि नायर ने अपने पत्रांक 312/6 के माध्यम से मुझे एमनेस्टी इंटरनेशनल का सदस्य बनने के लिए भी पत्र भेजा।

मुझे बचपन से ही काव्य, साहित्य, पत्रकारिता, लेखन, सम्पादन, पत्रकारिता, लोकसेवा, सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों, राजनीति तथा अध्यात्म में अभिरुचि रही और चाचा मथुरा प्रसाद मिश्र एवं अन्य महान् लोगों से मुझे हमेशा प्रेरणा मिलती रही फलस्वरुप दिनांक 7 मार्च 1999 को मैंने रचनात्मक कार्य क्रमों हेतु स्वतन्त्र संस्था रचनात्मक सेवा केन्द्र, पचम्बा, बेगूसराय की स्थापना की तथा संस्था के माध्यम से " 21 वीं शताब्दी को रचनात्मक शताब्दी " , "पचम्बा" को एक " रचनात्मक ग्राम ", माननीय प्रधानमंत्री "नरेन्द्र दामोदर दास मोदी" जी को " हिन्द-उन्नायक " तथा भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री माननीय " अटल बिहारी वाजपेयी " जी को " रचनात्मक युग पुरुष " घोषित किया गया और पचम्बा में एक " रचनात्मक महिला विद्यालय " की नींव डाली गई । इसी प्रकार पचम्बा को विश्व ऊँकार परिवार से सम्बद्ध हुआ और यहाँ आदर्श मनोवैज्ञानिक संगठन एवं शोध संस्थान की भी स्थापना की गई।

इस तरह से माननीय भूतपूर्व सांसद मथुरा प्रसाद मिश्र ,राम जी मिश्र एवं जयनारायण सिंह मुझे जीवन के अनेक क्षेत्रों में विकास की प्रेरणा मिली ।

चाचा मथुरा प्रसाद मिश्र जी अत्यन्त सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के साथ उनका मैत्री पूर्ण सम्बन्ध था । एक प्रीति भोज में अन्य लोगों के साथ मथुरा प्रसाद मिश्र जी के साथ दिनकर जी का दुर्लभ चित्र उपलब्ध है।

चाचा मथुरा प्रसाद मिश्र को मैं जब पत्र लिखता था तो साथ में भगवान् रजनीश को भी पत्र लिखता था और वे दोनों मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति को भी अपने हृदय में स्थान देते थे।

स्मरणीय है कि 1918 में मथुरा प्रसाद मिश्र जी का जन्म हुआ था और वर्त्तमान वर्ष 2018 उनके जन्म वर्ष का 100 वाँ वर्ष है ।

इस शताब्दी वर्ष में मैं ( अवधेश कुमार शैलज ) उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हूँ तथा इन्टरनेट पर मथुरा प्र० मिश्र के सम्बन्ध में जारी वायोप्रोफाईल भी प्रस्तुत कर रहा हूँ।

Third Lok Sabha
Members Bioprofile

MISHRA, SHRI MATHURA PRASAD, M.A., Cong., (Bihar—Begusarai—1962):  S. of Shri Sona Prasad Singh; B. at Pachamba, 1918; ed. at B. N. College and Patna College, Patna; m. Shrimati Tulsi Devi, 1930; Journalist; Secretary Bihar Pradesh Kisan Sabha (1941-48) Suffered imprisonment for participating in freedom movement, 1942-45, Secretary, All India Forward Bloc. 1947-48; Editor, Azad Hind (Weekly) 1947-48; Secretary Kisan Sub-Committee of Bihar Pradesh Congress, 1943-50 Secretary, Navashakti Rastravani group of newspapers Patna; Member, Provisional Parliament 1950-52 and First Lok Sabha, 1952-57 and Second Lok Sabha 1957-62.

Social activities:  Helped in founding Middle English School in Pachamba.

Hobbies:  Photography and picture-collection.

Favourite pastime and recreation:  Gardening, cinema, music, drama, boating and swimming.

Special interests:  Spread of education; psychological aid to underdeveloped children; political and social psychology.

Permanent address:  Village Pachamba, P. O. Suhrid Nagar, Monghyr Distt., Bihar.

[Voting results at the Election:

Electorate:  4,04,740

Shri Mathura Prasad Mishra                          . .                   1,05,883

Shri Akhtar Hasmi                                          . .                      51,163

Shri Rudra Narain Jha                                    . .                      26,405

Shri Chandra Mauli Deva                               . .                       14,228

Shri Gulam Mustafa                                                    .  .                       10,333].

बुधवार, 26 सितंबर 2018

पक्षपात ( Favoritism /Participant ) की परिभाषा

पक्षपात् की परिभाषा:-


 पक्षपात् किसी वस्तु,व्यक्ति,स्थान या घटना के प्रति अपने मनोशारीरिक हितों के दृष्टि कोण से उनके पक्ष या विपक्ष में लिये गये उचित या अनुचित किसी भी निर्णय से प्रभावित सोच, अनुभूति या क्रिया कलाप की अभिव्यक्ति है।
 
 :- प्रो० अवधेश कुमार .
प्राचार्य सह विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान,
मधैपुरा जवाहर ज्योति महाविद्यालय,
ममारकपुर / ममारखपुर, बनवारीपुर,बेगूसराय ।
कालेज कोड : 84014.

Definition of favoritism: -

Participant is an expression of thought, cognition or activity influenced by any decision of appropriate or inappropriate decision taken in their favor or opposition from the point of view of their psychic interests towards any object, person, place or event.

: - Prof. Awadhesh Kumar

Principal Head of Department of Psychology,

Madhyapura Jawahar Jyoti College,

Mankarpur / Marmakhpur, Banwaripur, Begusarai

College Code: 84014


राष्ट्र कवि! फिर जागो। (संशोधित संस्करण)

राष्ट्र कवि ! फिर जागो ।
("राष्ट्र कवि ! फिर जागो ।" का संशोधित संस्करण)

राष्ट्र कवि ! फिर जागो ।
जागो, कविवर जागो।
जन-जन में राष्ट्रीय चेतना,
कविवर पुनः जगाओ।।

भारत भारती विकल हो रही,
खुद की रक्षा में विफल हो रही,
कविवर ! बोलो क्यों देर हो रही ?
हिन्दी साहित्य अधीर हो रही,
जागो दिनकर ! जागो कविवर!
राष्ट्रीय चेतना को पुनः जगाओ।
राष्ट्र कवि! फिर जागो।
रूठो मत, कविवर ! आँखें खोलो।

राष्ट्र कवि! फिर जागो।
राष्ट्र कवि! फिर जागो।
जागो, कवि वर जागो।
जागो, कवि वर जागो।

राष्ट्र कवि! दिनकर !
कैसे मैं श्रद्धा सुमन चढ़ाऊँ ?
अश्रुपूरित आँखों से कैसे
आज तुझे हर्षाऊँ ?

भारतेंदु ने सच ही कहा
जो आज समझ में आई ।
भाषा संस्कृति है रुग्ण त्रस्त,
विपदा दुनिया में छाई ।।

भारतेन्दु को जब भारत की
आवाज समझ में आई ।
भारत हित में भारतेन्दु ने,
भारत से गुहार लगाई।।

"आवहुँ सब मिलि रोवहुँ भारत भाई ।
हा ! हा ! भारत दुर्दशा देखि न जाई।। "
"आवहुुँ सब मिलि रोवहुँ भारत भाई ।
हा ! हा ! भारत दुर्दशा देखि न जाई।। "

युग द्रष्टा भारतेंदु नहीं थे
केवल कविता प्रेमी ।
हिन्दी-हिन्दुस्थान भारत के
थे अन्तरतम से सेवी ।।

सत्ता है मदमस्त, स्वार्थ में
लीन विपक्षी गण हैं।
दोषी निर्दोषी दोनों मानो
एक भाव जैसे हैं।

राजनीति व्याध साहित्यिक
छल बल से भरे हुए हैं ।
स्वार्थी,अपराधी, आराजक
तत्वों से हम घिरे हुए हैं ।।

अवसरवादी, शरणागत हो,
माथे पर चढ़े हुए हैं ।
मानवता त्रसित हो रही,
आतंकित सारी धरती है ।।

धर्म-कर्म हो रहे तिरोहित,
दुष्ट भाव फैला है ।
देश द्रोहियों का भारत में
महाजाल फैला है ।।

विश्व गुरु भारत की कुटिया,
लूट रहे जग वाले ।
पोथी-पतरा सभी ले गए,
जो बचा जला वे डाले ।।

तप, कर्म, संकल्प, साधना,
ईश बल बचा हुआ है ।
गीता का उपदेश कृष्ण का,
अब भी गूँज रहा है ।।

अर्धनारीश्वर रुप हमारा,
इसे तोड़ते जो हैं ।
प्रकृति-पुरुष की दिव्य शक्ति
को नहीं जानते वे है ?

एक सनातन धर्म हमारा,
सब जीवों की सेवा है ।
दया धर्म का मूल हमारा,
क्षणभर मेरा तेरा है ।।

हम अगुण सगुण को भजते,
सबको अपना ही समझते हैं ।
वे दया धर्म से पतित हमें,
कायर काफिर तक कहते हैं ।।

हम शान्ति, न्याय, आदर्श, अहिंसा,
सत् पथ पर चलते हैं ।
वे ज्योति बुझा कर हमें कुमार्ग
पथ पर चलने को कहते हैं ।।

तोड़ रहे सांस्कृतिक एकता,
आपस में हमें लड़ाकर ।
पूर्वाग्रह ग्रसित प्रतिशोध की
ज्वाला को भड़का कर ।।

जाति-धर्म की राजनीति
हरदम करते रहते हैं ।
ऊँच-नीच का पाठ पढ़ा कर
ये हमको ठगते हैं ।।

भटक रहे जो खुद भ्रमित हो,
औरों को राह दिखाते हैं ।
नद निर्झर की धारा को वे
शिखरों की ओर बहाते हैं ।।

आर्ष ज्ञान से भटका कर
पाश्चात्य जगत ले जाते हैं ।
आधुनिक विज्ञान ज्ञान से,
वे हमको भरमाते हैं ।।

" सोने की चिड़ियाँ " का
अद्भुत रुप नहीं देखा है ।
वरदा भारत भारती माँ से
वेकार उलझ बैठा है ।।

रण चण्डी को बुला रहा है,
रोज निमन्त्रण देकर ।
भगवा धारी प्रकट हुई हैं,
आज तिरंगा लेकर ।।

राष्ट्रकवि! इनके वन्दन का,
समय पुनः आया है ।
जागें बन मुचुकुन्द कविवर,
राक्षसी प्रवृत्ति छाया हैं ।।

भस्म करें निज ज्ञान नेत्र से,
अन्तर के असुर दलों को ।
अमृत का उपहार सुरों को,
दें फिर मोहिनी बन के ।।

काल कूट तू ही पी सकते,
औरों में शौर्य कहाँ है ?
रहते शांत, असीम धैर्य की
शक्ति यहाँ कहाँ है ?

कविवर ! उठो,जगो हे दिनकर !
तम को दूर भगाओ ।
श्रम जीवी, बुद्धि जीवी को,
सत् पथ राह दिखाओ ।।

बाट जोहती खड़ी भारती
कब से हिन्द जन मन में ।
देर हो रही रणचंडी के,
पावन अभिनन्दन में ।।

" हिन्द उन्नायक " खोज रही हैं,
कब से भारत माता ।
वरण करो रचनात्मकता का,
अवसर न हरदम आता ।।

अपने और पराये अर्जुन,
इन्हें अभी पहचानो ।
अन्तस्थल के विराट को,
दिव्य-दृष्टि से जानो ।।

माता रही पुकार राष्ट्रकवि !
जागो और जगाओ ।
भूषण, गुप्त, सुभद्रा, प्रसाद को
फिर से आज जगाओ ।।

विखरे अपने अंगों को
आज पुनः अपनाओ ।
सत्तर वर्षों की निद्रा से,
वीरों को पुनः जगाओ ।।

भारत की सभ्यता-संस्कृतिक,
संकट में पड़ी हुई है ।
रक्त बीज,जय चन्द, शकुनि से
धरती भरी हुई है ।।

अर्जुन को ही नहीं युधिष्ठिर को
भी रण में लड़ना होगा ।
पाने को अधिकार विवेक से
कर्त्तव्य पूर्ण करना होगा ।।

रण में जो आड़े आयेंगें,
उनको हम सबक सिखायेंगे ।
हम विदुर और चाणक्य सूत्र से
सारे जग को हम जीतेगे ।।

"शैलज" मिथिला की सीमा पर
" दिनकर " की सिमरिया नगरी है ।
हिन्दी साहित्य भाषा शैली की
अवशेष अशेष यह गगरी है ।।

इस पुण्य भूमि को नमस्कार
जिसने तुम-सा सुत जन्म दिया ।
भारत माता की सेवा में निष्ठा से
जीवन भर अपना कर्म किया ।।

देव- दनुज हेतु जहाँ अमृत प्रकटे,
प्राकृत संस्कृत वेद वचन प्रभु से निकले ।
रुप मोहिनी,हरि,राम,विष्णु आये,
सुरसरि हित अवतरित हुए प्रभु रुक पाये ।।

कविवर जागो! हे राष्ट्र कवि !
दिनकर ! तू आँखें खोलो ।
गंगा जल से आँखें धोलो ।
पावन 'रेणु' का 'मैला आँचल' धोलो ।।

प्रगतिशील कहलाने वाले
सोच नहीं कुछ पाते ।
माँ की ममता समझ न पाते,
मुझको ही हैं समझाते।।

हे राष्ट्रकवि! दिनकर ! कवि वर !
जन गण मन बोल रहा है ।
जन्म दिवस पर आज तुम्हें ये
अन्तस् की पीड़ा बता रहे हैं ।।

राष्ट्र कवि! दिनकर !
कैसे मैं श्रद्धा सुमन चढ़ाऊँ ?
अश्रुपूरित नेत्रों से कैसे,
आज तुझे हर्षाऊँ ?

राष्ट्र धर्म हो नहीं कलंकित
ऐसा राष्ट्र बनाऊँ ।
एक राष्ट्र ही नहीं विश्व में
यह परचम लहराऊँ ।।

भारत माता की सेवा में
जीवन शेष बिताऊँ ।
जनता की सच्ची सेवा कर
जन सेवक कहलाऊँ ।।

मांग रहा बलिदान राष्ट्र जब
कभी नहीं घबराऊँ ।
ज्ञान- विज्ञान, कला ,अध्यात्म
का जग को पाठ पढ़ाऊँ ।।

अहंकार में भटके जन को
कैसे राह दिखाऊँ ?
पीड़ित मन से कैसे कविवर,
आज तुझे हर्षाऊँ ?

राष्ट्र कवि हृदय की पीड़ा,
कैसे तुम्हें बताऊँ ?
राष्ट्र कवि ! दिनकर !
कैसे मैं श्रद्धा सुमन चढाऊँ ?

प्रो० अवधेश कुमार " शैलज "‛
पचम्बा, बेगूसराय ।

सोमवार, 24 सितंबर 2018

सुप्रभातम्


श्री गणेशाय नमः।

व्यक्ताव्यक्तं जगदाधारं सृजन मोक्ष प्रदायकम्।
"अम्ब अक्क अल्ला ह्रंरच:" पाणिनि सूत्रानुशासनम्।।
ऊँ गौड (God) नमस्तुभ्यं सर्व कल्याणकारकम्।
समर्थं, सर्वव्यापी, सर्वज्ञं, पूर्णं, सर्वधर्म प्रवर्तकम् ।।

सुप्रभात की सुमंगल वेला में रश्मिरथी भगवान् भास्कर के अभिनन्दन तथा लौकिक-पारलौकिक कार्यक्रम की सिद्धि हेतु सादर आमंत्रण एवं हिन्दी साहित्य के छायावाद के अविस्मरणीय स्तम्भ महाकवि जयशंकर प्रसाद के शब्दों में आप सबों से जागरण समारोह में शामिल होने हेतु इस अकिंचन "शैलज" का विनीत आग्रह :-

"बीती विभावरी जाग री,
अम्बर पनघट में डुबो रही,
ताराघट उषा नागरी,
बीती विभावरी जाग री।

खगकुल कुल कुल सा बोल रहा,
किसलय का अंचल डोल रहा,
लो यह लतिका भी भर लाई,
मधु मुकुल नवल रस गागरी,
बीती विभावरी जाग री।"

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ :-

भवदीय:-
अवधेश कुमार "शैलज",पचम्बा, बेगूसराय।

शनिवार, 22 सितंबर 2018

वोट, प्रजातंत्र, नागरिक अधिकार एवं कर्त्तव्य :

Vote ( मत) :-

Vote is an opinion of a person towards given subject / situation / any two or more persons or groups through written,verbal or symbolic process. अर्थात्
मत किसी व्यक्ति / वस्तु / उद्देश्य या परिस्थिति अथवा किन्हीं दो या अधिक व्यक्तियों या समूहों के प्रति लिखित, वाचिक / शाब्दिक या सांकेतिक / प्रतीकात्मक राय / विचार /अभिप्राय है।(६/१/२०१७ को जारी)
Democracy is an ideal social adjustment process & relatively the best administrative approach for multi-dimensional  development of human being. अर्थात्
प्रजातंत्र मानव के बहु-आयामी विकास के निमित्त एक आदर्श सामाजिक समायोजनात्मक प्रक्रिया एवं तुलनात्मक / अपेक्षाकृत सर्वोत्तम प्रशासनिक व्यवस्था है।
(दिनांक 16/05/2014  की रात्रि में सोशल मीडिया पर प्रसारित)
किसी भी प्रजातान्त्रिक देश में वहाँ के नागरिकों का बहुमत प्राप्त व्यक्ति,उनका दल और उनके नेता द्वारा ही देश के जन,धन,ज्ञान-विज्ञान एवं सम्मान की सुरक्षा, विकास तथा प्रशासनिक कार्य होता है,जिसके लिए उसे वोट देने वाली या नहीं देने वाली जनता अपने नेता के रूप में स्वीकार कर चुकी होती है, वैसी सरकार या उसके नेता यदि पक्षपात एवं पूर्वाग्रह से प्रभावित कार्य करते हैं या निर्णय लेते हैं तो जनता द्वारा उनका वहिष्कार अनिवार्य है और इसके लिए प्रबुद्धजनों का नेतृत्व जरूरी है।

प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

Definition of homosexuality :

Homosexuality is sometimes the natural affinity or relationship of two women (lesbian) or any two men (gay) on the voice of the mutual consent or partners, or the voice of the soul to establish sexual relation for a permanent romantic partnership / matrimonial relationship.

समलैंगिकता कभी-कभी या स्थायी रोमांटिक साझेदारी / मेट्रीमोनियल रिश्ते के लिए यौन संबंध स्थापित करने के लिए आपसी सहमति या भागीदारों की आवाज़ या आत्मा की आवाज़ पर दो महिलाओं (लैसिबियन) या किसी भी दो पुरुष (समलैंगिक) का प्राकृतिक आकर्षण या संबंध है।

Homosexuality (समलैंगिकता) की परिभाषा :

समलैंगिकता सामयिक (कभी-कभी) या स्थायी रोमांटिक साझेदारी / वैवाहिक रिश्ते के लिए यौन संबंध स्थापित करने हेतु आपसी सहमति या भागीदारों की आवाज़ या आत्मा की आवाज़ पर दो महिलाओं (लैसिबियन) या किसी भी दो पुरुष (गे) का प्राकृतिक आकर्षण या संबंध है।

अथवा

समलैंगिकता मानव में एक प्राकृतिक संबंध या आकर्षण  किसी भी दो स्त्री (लेस्बियन) या किसी भी दो पुरुष (गे) में आपसी सहमति या सहमति के भागीदारों या आत्मा की आवाज स्थापित करने के लिए, यौन संबंधों के लिए सामयिक या स्थायी साझेदारी या metrimonial रिश्ता है ।

Friday, September 21, 2018

Definition of homosexuality:

Homosexuality is sometimes the natural affinity or relationship of two women (lesbian) or any two men (gay) on the voice of the mutual consent or partners, or the voice of the soul to establish sexual relation for a permanent romantic partnership / matrimonial relationship.

Or

Homosexuality A natural affinity or attraction in humans to establish the voice of partners or spirit of mutual consent or consent in any two female (lesbian) or any two male (gay), for a sexual or sexual relationship, or to a timely partnership or metrimonial relation is .

Definition of homosexuality:

Homosexuality, in human, is a natural attraction or relation of two women (lasbian) or any two male (gay) on the mutual consent or consent of the partners or the voice of the soul, to establish sexual relations for occasional or permanent romantic partnership or metrimonial relationship.

समलैंगिकता मानव में एक प्राकृतिक संबंध या आकर्षण के किसी भी दो स्त्री (लेस्बियन) या किसी भी दो पुरुष (गे) में आपसी सहमति या सहमति के भागीदारों या आत्मा की आवाज स्थापित करने हेतु यौन संबंधों के लिए सामयिक या स्थायी साझेदारी या metrimonial रिश्ता है ।

Causes of Homosexuality :

Homosexuality, which is different from the normal human brain and other biological causes, the specific effects of celestial bodies, the less aggressive of the father than the mother, with the opposite sex or the more in protection from the child, by its opposite sex Holding of reputable garments, female hormones in men and increase in male hormones in women, and two women or any two male on the mutual consent or consent of the people or the voice of the soul, it is a natural situation to establish sexual relations for a permanent or occasional romantic relationship.

समलैंगिकता, जो सामान्य मानव मस्तिष्क और अन्य जैविक कारणों से अलग है, खगोलीय पिंडों के विशिष्ट प्रभाव, मां के मुकाबले पिता के कम आक्रामक, विपरीत सेक्स के साथ या बच्चे से सुरक्षा में अधिक, इसके विपरीत सेक्स होल्डिंग द्वारा सम्मानित वस्त्रों, पुरुषों में मादा हार्मोन और महिलाओं में पुरुष हार्मोन में वृद्धि, और पारस्परिक सहमति या लोगों की सहमति या आत्मा की आवाज़ पर दो महिलाएं या दो पुरुष, यह एक प्राकृतिक स्थिति है जो यौन संबंध स्थापित करने के लिए है स्थायी या कभी-कभी रोमांटिक रिश्ते।

Prof. Awadhesh Kumar " Shailaj" (M.A.Psychology).

Pachamba, Begusarai.




 

शुक्रवार, 7 सितंबर 2018

The historic decision of the Supreme Court of India :-

The historic decision of the Supreme Court of India: -
  Homosexuality, which is different from the normal human brain and other biological causes, the specific effects of celestial bodies, the less aggressive of the father than the mother, with the opposite sex or the more in protection from the child, by its opposite sex Holding of reputable garments, female hormones in men and increase in male hormones in women, and two women or any two male on the mutual consent or consent of the people or the voice of the soul, it is a natural situation to establish sexual relations for a permanent or occasional romantic relationship. In this context, gay couple was given the right to establish gender relations among the gay couples by the Honorable Supreme Court of India, and rejecting the non-partisan part of the old Section 377 of the 158-year-old, arbitrary, arbitrary and out-of-the-box, rejecting homosexuals and LGBT expected A high-level humanitarian, psychological and historical decision was taken by providing rights and freedoms.

भारत के सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय:-―

भारत के सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय :-

समलैंगिकता (Homosexuality) जो मस्तिष्क की सामान्य मानव से भिन्न बनावट एवं अन्य जैविक कारणों, आकाशीय पिण्डों के विशिष्ट प्रभाव, माता की तुलना में पिता का कम आक्रामक होना, बचपन से ही विपरीत लिंगियों के साथ या संरक्षण में अधिक रहना, अपने विपरीत लिंग द्वारा धारणीय वस्त्रों को धारण करना, पुरुषों में स्त्री हार्मोन एवं स्त्रियों में पुरुष हार्मोन की वृद्धि होना, तथा दो स्त्रियों या किन्हीं दो पुरुषों की आपसी सहमति या रजामंदी या आत्मा की आवाज पर स्थायी या सामयिक प्रेममय सम्बन्ध हेतु लैंगिक सम्बन्धों को स्थापित करने की प्राकृतिक स्थिति है। इस सन्दर्भ में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक जोड़ों को आपस में लैंगिक सम्बन्ध स्थापित करने का अधिकार प्रदान किया गया और 158 वर्ष की पुरानी धारा 377 के अमानवतावदी हिस्से को अतार्किक,मनमाना एवं समझ से बाहर बताते हुए निरस्त कर समलैंगिकों तथा LGBT को अपेक्षित अधिकार एवं स्वतंत्रता प्रदान कर एक उच्च स्तरीय, मानवतावादी , मनोवैज्ञानिक एवं ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।

बुधवार, 5 सितंबर 2018

Teacher's day :

On the occasion of 'Teacher's Day' on September 5, the birthday of the former President and teacher Dr. Sarvapalli Radha Krishnan, India urged the people of the world to follow their 'creative thinking' and from every person you have asked parents and gurus Expecting the Honor.
भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधा कृष्णन् के जन्म दिवस 'शिक्षक दिवस' दिनांक ५ सितम्बर के अवसर पर उनके 'रचनात्मक सोच' के अनुशीलन हेतु विश्व के जन-जन से आग्रह और हर व्यक्ति से आपने माता-पिता एवं गुरु जनों के सम्मान की अपेक्षा।

Teacher's day

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Guru Govind Dao standing, Kako lago Paa. Believer guru, you, Govind Dio, tell me.
Any organism originates from the union of father's seed (Venus) and mother's field (Raj). Therefore, in the children, the qualities of both parents are found in the religion.
At the time of birth, the presence of a father is ever present, there is an absence, but the mother gives birth, so the mother is more with her, consequently the children learn much more from the mother. That is the reason that the mother is the first of her family life. The school has been called. Therefore, mother is called the first guru. After that, father or other family members or other gurus, from childhood to the last moment of life, give the devotee the temporal or transcendent education and called the guru, through which the life of a person is ignorant Darkness ends.
So parents and Guru Brahma, like Vishnu and Shiva, are great.
Shri Ganesh ji orbited the parents and consequently the first revered.

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काको लागूँ पाय।

बलिहारी गुरु आपनो, गोविन्द दियो बताय।।


किसी भी जीव की उत्पत्ति पिता के बीज (शुक्र) तथा माता के क्षेत्र (रज) के मिलन से होता है। अतः सन्तान में माता-पिता दोनों का गुण धर्म पाया जाता है।
जन्म के समय पिता की उपस्थिति कभी होती है, तो कभी अनुपस्थिति भी रहती है,लेकिन माँ तो जन्म देती है,अतः माँ का साथ अधिक रहता है, फलस्वरूप बच्चे माँ से बहुत अधिक सीखते हैं।यही कारण कि माँ को पारिवारिक जीवन की प्रथम पाठशाला कहा गया है। अतः माँ को ही प्रथम गुरु कहा गया है।उसके बाद पिता या परिवार के अन्य सदस्य या अन्य गुरु जन बचपन से जीवन के अन्तिम क्षण तक में प्राणी को लौकिक या पारलौकिक शिक्षा देते हैं और गुरु कहलाते हैं, जिससे प्राणी के जीवन में अज्ञान का अन्धकार समाप्त हो जाता है।
अतः माता-पिता और गुरु ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव के समान महान हैं।
श्री गणेश जी ने माता-पिता की परिक्रमा किया फलस्वरूप प्रथम पूज्य हुए।

रविवार, 19 अगस्त 2018

राष्ट्र गान

Kofi Annan का महाप्रयाण

According to Kofi Annan's twitter account, according to Kofi Annan foundation and Annan family, Kofi Annan's work was done on August 18. Nobel Prize awarded to world peace; The world has lost a creative personality, due to the sudden demise of Kofi Annan, who favored the creative objectives of Amnesty International, influenced by the views of Nelson Mandela and who played a key role in the United Nations, believing in the preservation of world peace and human values. God blesses his wife, children, relatives and elders with the strength to bear patience in their hour of grief and their soul.
अर्थात्
Kofi Annan के twitter account से ज्ञात् हुआ कि Kofi Annan foundation and Annan family के अनुसार Kofi Annan का.निधन 18 अगस्त को हो गया। विश्व शान्ति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित ; विश्व शान्ति एवं मानवीय मूल्यों की रक्षा में विश्वास करनेवाले, नेल्सन मंडेला के विचारों से प्रभावित तथा संयुक्त राष्ट्र संघ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले , एमनेस्टी इंटरनेशनल के रचनात्मक उद्देश्यों के पक्षधर Kofi Annan के आकस्मिक निधन से विश्व ने एक रचनात्मक व्यक्तित्व खो दिया। भगवान् उनके पत्नी, बच्चे, परिजनों एवं पुरजनों को इस दु:ख की घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति तथा उनकी आत्मा को शान्ति दें ।

प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

गुरुवार, 2 अगस्त 2018

शुभ हो तुम्हारा.....

यादों में तुम्हारे दिन रात बीतते हैं।
तू हो कहाँ? हर रोज खोजते हैं ।।
वह कौन सा समय है जो आप छूटते हैं।
कैसे बताऊँ जग को? जो आप रूठते हैं।।
जाता जहाँ जहाँ में, बस आप दीखते हैं।
हो रूप जो जहाँ भी,हर ओर दीखते हैं।।
बन-बाग, पर्वतों में; नद, झील, निर्झरों में।
शहर गाँव खेतों में,मिलते हो झाड़ियों में ।।
कड़ी धूप दिन की या रात चाँदनी हो।
मिलोगे तुम मुझको आखिर विवश हो।।
भटकता गमों में, यादों में ढ़ूँढ़ता हूँ।
बाहर में खोजता हूँ, अन्तस् में ढ़ूँढ़ता हूँ।।
जंगल में बन पशुओं का शोर हो रहा है।
देखो तो सिंह गर्जन घनघोर हो रहा है।।    
चिग्घाड़ते हैं हाथी,मद मस्त होकर बन में।
लिपटे भुजंग चन्दन बिष छोड़ सुधा बन में।।
ऋषि-मुनि अप्सरा के संग हैं कहीं मगन होकर।
लिपटी तरु लतायें सब लोक लाज तज कर।।
कुसुमाकर आखेट में हैं निज पुष्प वाण लेकर।
सखा बसन्त संग में हैं सर्वस्व निज का देकर।।
पशुपति कृपा से रति काम रीझते हैं।
होकर अनंग जग में चहुँ ओर दीखते हैं।
फिकर बस हमारी तुमको नहीं है।
मिलने की कोई वेकरारी नहीं है।।
स्नेह से प्रेम पादप को दिल में हूँ रोपा।
दिल एक था जिसे मैंने तुझको है सौंपा।
मेरे तुम्हीं एक, पर हजारों हैं तेरे।
लेकिन हमारे तो तू ही हो मेरे।।
किसे मैं जगत में कथा यह सुनाऊँ।
तुम्हें कैसे अपनी व्यथा यह सुनाऊँ।।
सुबह-शाम, दिन-रात शुभ हो तुम्हारा।
इसी सोच में हर क्षण बीतता हमारा।।

प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

सोमवार, 30 जुलाई 2018

प्रेम ( Love ) की परिभाषा:-

प्रेम ( Love ) की परिभाषा:-

" प्रेम किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, विचार या घटना के प्रति दैहिक /बासनात्मक/रति-प्रेरित या सार्वभौमिक स्तर पर प्रबल आकर्षण कारक,अपनापन एवं सहानुभूति युक्त, अंतरंग और / या सुरक्षाभावी मनोशारीरिक अवस्था वाला सकारात्मक संवेग है। "

Definition of Love: -

"Love is a positive moment with respect to a person, object, place, thought or event that is a charismatic / seductive / ritual or dominant attraction factor at the universal level, with a sense of belonging and sympathetic, intimate and / or protective psychic state.

Prof. Awadhesh kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.

आश्चर्य ( Wonder ) की परिभाषा:-

आश्चर्य ( Wonder ) की परिभाषा:-

"आश्चर्य किसी वस्तु,व्यक्ति या घटना के सम्बन्ध में अकल्पनीय या अप्रत्याशित परिणाम से एकाएक उत्पन्न सोच से प्रभावित मनो-शारीरिक अवस्था है।:"

"Wonder or Surprise is the psycho-physical condition influenced by the unexpected or unexpected consequence of an object, person or event, suddenly generated."

Prof. Awadhesh kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.

हर्ष ( Joy ) की परिभाषा:-

हर्ष ( Joy ) की परिभाषा:-

" हर्ष किसी वाँछित वस्तु या लक्ष्य की प्राप्ति की अपेक्षित सफलता से उत्पन्न उत्साहपूर्ण , सकारात्मक या भावनात्मक एवं आत्म-प्रदर्शनकारी मनो-शारीरिक दशा या संवेगात्मक अवस्था है। "

"Joy is an enthusiastic, positive or emotional and self-demonstrative psycho-physical condition or emotional state arising from the expected success of achieving any desired object or goal."

Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.

घृणा (Hate) की परिभाषा :-

घृणा (Hate) की परिभाषा :-

" घृणा किसी व्यक्ति, वस्तु, वातावरण या अपने प्रेम पात्रों के प्रति या स्वयं के प्रति क्रोध, भय या विरक्ति के स्वतंत्र या सम्मलित प्रभाव से उत्पन्न एक जटिल संवेगात्मक एवं व्यक्तित्व विघटनकारी मनो-शारीरिक अवस्था है। "

Definition of Hate: -

"Hate is a complex sensory and personality disorderly psycho-physical condition arising from the independent or convincing effects of anger, fear or embarrassment against any person, object, environment or love characters or self."

Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.

शोक (Grief) की परिभाषा :-

शोक (Grief) की परिभाषा :-

"किसी व्यक्ति, वस्तु या वातावरण के प्रति आत्मीय लगाव या अभिन्नता बोध की स्थिति में उनके आकस्मिक अभाव या उसकी अप्रत्याशित हानि और / या अपनी अपेक्षाओं के अनुरूप उपलब्धि नहीं मिलने की स्थिति में उत्पन्न कष्ट या मनोशारीरिक संवेग शोक है।"

Definition of Grief: -

"In the event of a personal attachment or an integral understanding of a person, object or environment, there is a grief or a sense of grief generated in the event of unexpected loss or and / or achievement according to their expectations."

Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.

क्रोध (Anger) की परिभाषा:-

क्रोध (Anger) की परिभाषा:-

" क्रोध अपने प्रति और / या किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान या घटना के प्रति अनुमान्य या अपेक्षित उपलब्धि प्राप्त नहीं होने की स्थिति में उस परिस्थिति के किसी भी घटक के प्रति जानबूझकर , स्वत: उत्पन्न और / या आत्म-प्रेरित आदर्श रहित, असामान्य या अतार्किक एवं आवेगपूर्ण मनो-शारीरिक व्यवहार है। "

Definition of Anger: -

"Anger is the absence of an uncompromising or expected achievement towards self and / or any object, person, place or event intentionally, self-generated and / or self-motivated, uncommon, to any component of that situation is unusual Or is irrational and impulsive psycho-physical behavior. "
प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

भय की परिभाषा (Definition of fear):-

भय की परिभाषा (Definition of fear):-

" भय किसी प्राणी के अन्दर उत्पन्न किसी मनोशारीरिक कष्ट की पूर्वानुभूति या सम्भावना पर आधारित असुरक्षा भावना प्रधान एवं पलायनवादी संवेगात्मक प्रभाव है। "

 "Fear is insecurity, emotional and escapist sentiment based on the past experience or predictability or probability of any psycho-sometic trouble arising inside a creature."

Prof. Awadhesh Kumar "Shailaj", Pachamba, Begusarai.