बुधवार, 30 मई 2018

घटनाओं का प्राकृतिक रिकॉर्ड एवं न्यायिक प्रक्रिया.....।

सृष्टि के आदि से ही संसार में घटित हो रही गोचर या अगोचर; सूक्ष्म या स्थूल; व्यक्त या अव्यक्त समस्त घटनाओं का रिकॉर्ड प्रकृति रखती है, जो अन्ततोगत्वा सत्य एवं वास्तविकता का मार्ग प्रशस्त करती है और हमारे द्वारा काम, क्रोध या लोभ के वशीभूत होकर लिये गए पक्षपात् पूर्ण या पूर्वाग्रह युक्त निर्णय के परिणाम स्वरूप पाप या पुण्य का भागी बनाता है।
वास्तव में कोई भी व्यक्ति अपने हृदय में स्थित आत्मा की परमात्मा प्रेरित पवित्र आवाज को जब अनसुनी कर निर्णय लेता है तो वह पुण्य के स्थान पर पाप को प्रतिष्ठित करने की भूल करता है और न्याय नहीं कर पाता है तथा उसकी सजा में वह खुद को अपनी गलतियों के लिए व्यक्त या अव्यक्त रुप में कोसते रहता है और उसके पास प्रायश्चित के अलावा कुछ भी शेष नहीं रहता है।
अतः विवेकपूर्ण निर्णय एवं सम्यक् व्यवहार हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

सोमवार, 14 मई 2018

दाम्पत्य जीवन: समस्या एवं समाधान...।

विवाह : जिम्मेदारी या मजाक.....। ( सम्बन्धों की दिशा एवं दशा...) :- आधुनिक जीवन शैली के सन्दर्भ में यह संक्षिप्त नाटिका प्रस्तुत की जा रही है। हममें से किसी व्यक्ति के जीवन के भूत, वर्त्तमान या भविष्य की घटनाओं से यह कल्पना-प्रधान रचना कदाचित् मिलती जुलती महसूस हो रही हो तो इसके लिए रचनाकार क्षमा प्रार्थी हैं। कृपया, अन्यथा भाव न लेकर रचना के रचनात्मक एवं सकारात्मक पक्ष से लाभान्वित होने का प्रयास करेंगें। :- प्रो० अवधेश कुमार 'शैलज', पचम्बा, बेगूसराय । Follow my writings on https://www.yourquote.in/akumarpbb #yourquote