गुरुवार, 30 जुलाई 2020

शैलज दोहावली (अब तक के कुल १९२ दोहे) क्रमशः.......

" शैलज " घट-घट मीत है, प्रीति मीन जल माहि।
मूढ़ बड़ाई हित करै, असुर सुखद शुभ नाहि।। १।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय। 

"शैलज" जो नर स्वयं को 
मानत गुण की खान।
अवगुण छाया संग में,
निशि अमान्त अनजान।।२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०७/२०२०, १५/०७ अपराह्न

निज नयनन झाँकत नहीं, 
जड़मति जन अज्ञान।
नयन बन्द देखत मुकुर, 
कलि योगी शील निधान।।३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज विश्व अनन्त में, प्रेम कृषक-सा बोय।
सींचत स्नेह व्यवहार से, फल सर्वोत्तम होय।।४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०७/२०२०, १०/५९ पूर्वाह्न।

शैलज हर त्रिशूल है, सूचक कफ पित्त वात।
समरस जीवन धातु बिन, रोग शोक उत्पात्।।५।।

शैलज सत रज तमोगुण, नाम रूप अनुसार।
सृजन नियन्त्रण नश्वरता, निज प्रकृति विचार।।६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
०८/०८/२०२०, २०/४३ अपराह्न।

शैलज रिश्ता एक है, कारण-कार्य व्यवहार।
प्रकृति सह-अनुभूति की, है अनुपम आधार।।७।।

जनम-जनम देखे नहीं, करते उनकी बात।
एक जनम यह देख ले, बन जायेगी बात।।८।।

शैलज करता अहर्निश, जनम-जनम की बात।
प्राकृत, व्यक्ति, आदर्श का, फलित जगत् सौगात।।९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १०/०९ पूर्वाह्न।

शैलज जो नर नीच हैं, लघु उच्च जन कोई।
सद्यः उन्हें विसारि दे, कुलिष पंक सम सोई।।१०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
११/०८/२०२०, ०१/०६ पूर्वाह्न।

शैलज काम, क्रोध औ लोभ को, जीतें हृदय विचार।
त्रिविध ताप उपजे नहीं, सद्कर्म करें सुविचार।।११।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, ०९/५३ पूर्वाह्न।

शैलज अवगुण से भरा,
तुम सद्गुण की खान।
जल में मिल वह कीच है, 
तू पंकज दिव्य महान्।।१२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ००/१३ पूर्वाह्न।

ऊँ श्रीकृष्ण योगेंद्र षोडशांंशावतारं,
राधे श्यामं भजाम्यहं प्रभु दशावतारं।
गोपी बल्लभं, गोविंदं, नारायणं, वासुदेवं,
नन्द नन्दनं, देवकी सुतं, यशोदा नन्दनं।।१३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, १३/५५ अपराह्न।

काम, क्रोध औ लोभ हैं, शैलज नरक के द्वार।
जिनके वश ये तीन हैं, पाते सुख शान्ति अपार।।१४।।

काम, क्रोध औ लोभ ये सभी नरक के द्वार।
शैलज इनसे दूर हो, खोलें मोक्ष के द्वार।।१५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, ०९/१३ पूर्वाह्न।

हृदय हीन, विवेक बिन; 
नर पशु से भी नीच।
शैलज पाते दुसह दु:ख, 
सुजन मूर्ख के बीच।।१६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१८/०८/२०२०, १०/२१ पूर्वाह्न।

शैलज कायर मूढ़ जन, 
त्यागे घर परिवार।
पर-दु:ख निज समझे नहीं, 
पर चाहे उद्धार।।१७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
१८/०८/२०२०, १२/५८ अपराह्न।

मोक्ष, ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ 
सब आश्रम धर्म आधार।।
शैलज धर्म गृहस्थ बिन, 
सब आश्रम धर्म बेकार।।१८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

पति आयु सुख वर्धिनी, दु:ख हारिणी कलिकाल। 
पुण्यप्रदा हरितालिका; शुभदा, सुखदा, शुभकाल।।१९।।
सुभगा, सौम्या, निर्मला, हरती पीड़ा तत्काल।।
हिन्दू नारी पतिव्रता, सहधर्मिणी हृदय विशाल।२०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

पुण्यप्रदा हरितालिका; 
शुभदा, सुतदा, शुभकाल।
पति-आयुष्य, सुखवर्धिनी, 
आरोग्यप्रदा कलिकाल।।२१।।

सुभगा, सौम्या, निर्मला, 
दु:खमोचिनी तत्काल।।
हिन्दू नारी पतिव्रता, 
सहधर्मिणी हृदय विशाल।।२२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२१/०८/२०२०, १५/५० अपराह्न।

शैलज सूरज औ बादरा, 
चंदा कहे नित्य पुकार।
मानव सुजन कृतज्ञ सब, 
प्रकृति जीव संसार।।२३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२३/०८/२०२०, १६/५६ अपराह्न।

सत्यानुसंधान उद्घाटन, 
जग मिथ्या नित्य प्रयोग।
शैलज व्यवहार व्यतिक्रम, 
प्रकृति विरुद्ध संयोग।।२४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२३/०८/२०२०, १७/२२ अपराह्न।

सूरज, चन्द्र, नक्षत्र-गण,
दिशा, खगोल पुकार।
शैलज सुजन कृतज्ञता, 
प्रकृति जीव संसार।।२५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
२३/०८/२०२०, २२/५८ अपराह्न।

त्रिविध ताप हर प्रेम रस,
ज्यों शैलज को भात।
सत्य सनातन रामरस, 
लवण विश्व विख्यात।।२६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२४/०८/२०२०, ०७/०३ पूर्वाह्न।

शैलज शील, स्वभाव, गुण; 
नित्य जगत् व्यवहार।
विकसत पाय परिस्थिति; 
प्रकृति, वंश अनुसार।।२७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०८/२०२०, ०७/२० पूर्वाह्न।

शैलज निज व्यवहार से, 
दु:ख औरन को देत।
जानत जगत् असार है, 
अपजस केवल लेत।।२८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२७/०८/२०२०, 

अबला प्रबला चंचला, शैलज नहीं पावे पार।
यावत् जीवन पूजिये, कर निज कर्म विचार।।२९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२१/०८/२०२०, १५/५४ अपराह्न।

मनो-शारीरिक, धर्म हित,
करें शैलज व्यवहार।
देश, काल और पात्र के
सामञ्जस्य अनुसार।।३०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२०/०८/२०२०, १३/२१ अपराह्न।

स्वयं करने से सरल है, 
सहज सरल आदेश।
शैलज लिखना, बोलना, 
दर्शन, आदर्श, उपदेश।।३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
१८/०८/२०२०, १६/१३ अपराह्न।

हित अनहित समझे नहीं; 
दंभी, सरल, गँवार।
सनकीपन विज्ञान का, 
करता शैलज प्रतिकार।।३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय ।
१४/०८/२०२०, १४/१३ अपराह्न।

हित अनहित को समझ कर, 
शैलज करिये काज।
पर दु:ख को निज मानकर, 
चलते सुजन समाज।।३२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१४/०८/२०२०, १२/१८ अपराह्न।

आवश्यक है जगत् में,
सामञ्जस्य सिद्धांत ।
उपयोगी, आदर्श है,  
मध्यम मार्ग महान्।।३३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१३/०८/२०२०, ५/५० पूर्वाह्न।

शैलज तन मन धन निज
बुद्धि सहाय विवेक।
स्वार्थ पूर्ण इस जगत् में 
प्रभु सहाय हैं एक।।३४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
१३/०८/२०२०, ४/२३ पूर्वाह्न।

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।"
अर्थात् 
जहाँ नारी की पूजा होती है,
वहाँ देवता रमण करते हैं।

शैलज नारी पूजिये, नारी सृष्टि आधार।
तुष्टा पालन कारिणी, रुष्टा क्षण संहार।।३५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
११/०८/२०२०, १७/२९ अपराह्न।

शैलज उनसे मत कहो, 
अपने दिल की बात। 
जग प्रपंच में लीन जो, 
कहाँ उन्हें अवकाश।।३६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ११/०७ पूर्वाह्न।

द्विगुणाहार, व्यवसाय चतु:, 
साहस षष्ठ प्रमाण।
काम अष्ट गुण भामिनी, 
शैलज कथन महान्।।३७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ०९/२३ पूर्वाह्न।

शैलज निज सुख के लिए, 
समुचित करिये काम।
परहित बाधित हो नहीं,  
हर संभव रखिये ध्यान।।३८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १८/१९ अपराह्न।

प्रभु षोडशांंशावतारं, श्रीकृष्ण करुणावतारं।
राधेश्याम दशावतारं, गोपी योगेंद्र शील सारं।।३९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १२/३२ अपराह्न।

शैलज हृदय विचार कर, नित करिये व्यवहार।
देश काल औ पात्र का, निशि दिन रखिये ख्याल।।४०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, ०९/०८पूर्वाह्न।

सन् तैंतालीस ईक्कीस अक्टूबर भुला नहीं मैं पाऊंगी।
मूल स्वतंत्रता दिवस वही है, जग को यह बतलाऊँगी।।४१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०८/०८/२०२०, २०/४३ अपराह्न।

सत्य सनातन रामरस, 
लवण विश्व विख्यात।
त्रिविध ताप हर प्रेम रस,
त्यों शैलज को भात।।४२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२८/०८/२०२०, ०८/४३ पूर्वाह्न।

शैलज रूप स्वरूप या 
जगत् कार्य व्यवहार।
निर्भर करता चयापचय 
या क्षति-पूर्ति आधार।।४३।।

ज्ञान-विज्ञान व्यापार कला,
जग दृश्यादृश्य व्यवहार। 
दैहिक, दैविक वा भौतिकी,
सुख-दु:ख मन मूलाधार।।४४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सूर रसखान रस,
मीरा कान्हाँ प्रीति।
जयगोविंद भजाम्यहं, 
राधेश्याम पुनीत।।४५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत। 
०१/०९/२०२०, ५.

काजल करिये ठौर से,
नयन पलक के द्वार।
शैलज राज श्री सुखद, 
शुभ पावन व्यवहार।।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

राधा वल्लभ श्याम घन,
कालिन्दी कूल विहार।
देवकी बसुदेव सुत
ब्रज कुल कण्ठाहार।।४७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।   
०३/०९/२० , १३/०६ अपराह्न।

शैलज तन रक्षा करे, मन की सुधि नित लेत।
ज्योतिर्मय कर ज्ञान पथ,पाप भरम हरि लेत।।४९।।
अन्त:करण सुचि देव नर ,जीव चराचर कोई।
दृश्यादृश्य पुनीत प्रभु, गुरु प्रणम्य जग सोई।।५०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 
०४/०९/२०२०, ५/५१ अपराह्न।

सनातन हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा गुरु पूर्णिमा (आषाढ़ पूर्णिमा) के दिन गुरु व्यासजी की पूजा होती है, परन्तु भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं आदर्श शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस ५ सितम्बर के दिन प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है और हम सभी भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं आदर्श शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधाकृष्णन एवं अपने-अपने अन्य गुरु देवों को भी याद करते हैं, उनका सम्मान करते हैं तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग का अनुशरण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं, क्योंकि गुरु का अर्थ होता है अन्धकार से प्रकाश में लाने वाले।
ऊँ असतो मां सदगमय।। तमसो मां ज्योतिर्गमय।। मृत्योर्मा अमृतं गमय।। शुभमस्तु।।
शिक्षक दिवस हार्दिक शुभकामना एवं बधाई के साथ।    

शैलज सन्तति, वित्त, सुख,
भ्राता, कुल, पति हेतु।
सहत क्लेश सविवेक नित,
नारी सृष्टि सेतु।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
ममतामयी माँ एवं मातृ शक्ति के परम पुनीत जीमूतवाहन (जीवित पुत्रिका/जीउतिया) व्रत की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाओं के साथ।
जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।@dna @Republic_Bharat @RajatSharmaLive @POTUS @UN @rashtrapatibhvn @PMOIndia @uttam_8 @amnesty @RahulGandhi @ShahnawazBJP 

शैलज माँ को भूलकर, हो गया पत्नी दास।
खैर नहीं, कर्त्तव्य है, या निर्वासन, उपवास।।५१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज वे नर श्रेष्ठ हैं ?
जो हैं अनुभव हीन ।
माता, तनुजा, पत्नी प्रिया, 
नारी रूप हैं तीन।।५२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।

आदि अभियंता विश्वकर्मा नमस्तुभ्यं अंगिरसी-वास्तुदेव सुतं ब्रह्मा पौत्रं वास्तु शिल्प विशारदम्। 
भानु कन्या संक्रमण गोचर विश्वकर्मा जातं सुरासुर जड़ जीव पूज्यं जगत कल्याण सृष्टि कारकं।।५३।।

ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज काम के स्वार्थ में, 
धर्म मर्यादा छोड़ ।
अर्थ अनर्थ हित मोक्ष से, 
मुँह लिया है मोड़।।५४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 

शैलज उदधि अनन्त भव, 
इच्छा भँवर वहाब।
एक समर्पण आश्रय, 
सुमति सुकर्म बचाव।।५५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

बाल, वृद्ध, नर-नारी हित, 
शैलज हिय सम्मान।
जय, सुख, समृद्धि, राज, श्री, 
पावे शुभ वरदान।।५६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय। 

सगुण सराहत लोकहित,  
ज्ञान प्रत्यक्ष विज्ञान।
निर्गुण ब्रह्म परलोक चित, 
अपरा परा निदान।।५७।।

डॉ०  प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा।

शैलज अर्थ, आसक्ति में;
पड़ा नरक के द्वार।
मोक्ष, धर्म को छोड़कर; 
भटक रहा संसार।।५८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज भौतिक भूख से, 
उपजे दु:ख हर ओर।
आध्यात्मिक व्यवहार तजि, 
प्रभु से मांगे और।।५९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज घटना कोई भी, 
नहीं प्रारब्ध अकारण होत।
भोगत सुख-दुःख करम फल, 
अपजस विधि को देत।।६०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज कृष्ण के प्रेम में, 
डूब गया संसार।
काम बासना मुक्त हो, 
मिला मुक्ति प्रभु द्वार।।६१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 प्रेम वासना जीव जग, 
जड़ चेतन सृष्टि आधार।
प्रकृति पुरुष के मिलन से,
प्रकट हुआ संसार।।६२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

सुन्दर चरित, सुसमय घड़ी,
सुमन स्वस्थ विदेह।
रिश्ता स्नेहिल प्रेम मय,
च्यवनप्राश अवलेह।।६३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय। 

 पारस संग कंचन प्रिय, 
चुम्बक संग गति सोई।
पारस चुम्बक शैलज सुगति, 
लौह बड़ाई होई।।६४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 छाया छाया सब चले, 
छाया मोहित सोई।
छायापति छाया चले, 
शैलज पूजित होई।।६५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

नारी कृत अपमान का,
मत करिये प्रतिकार ।
शैलज कौरव कुल गति, 
हरे धर्म व्यवहार।।६६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 पावन दिल, सद्भाव, दृढ़ 
शैलज श्रद्धा-विश्वास।
अष्ट सिद्धि नव निधि प्रद, 
सुगम सुकर्म प्रयास।।६७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी), पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज शुभाकाँक्षा गति, 
उत्तम प्रकृति अधिकाय।
तप बल ताप नशाय त्रय, 
हिय अंकित प्रिय पाय।।६८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज 
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज भाग्य स्वयं लिखे,
अपने कर्म व्यवहार।
समय, भाग्य, विधि दोष दे,
उर संतोष बिचार।।६९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज 
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज नि:संकोच प्रिय, 
प्रमुदित पूर्वाग्रह-मुक्त।
जन हित प्रत्याशी हित, 
निज मत करिये व्यक्त।।७०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज सखा सुरेश की, 
कृपा दृष्टि औ संग।
ब्रजकुल कालिन्दी मधु, 
गीता पार्थ प्रसंग।।७१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

सत्ता, सुख, प्रतिशोध में, 
शैलज खेलत दाव।
जनता को गुमराह कर, 
नोन लगावे घाव।।७२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज राज श्री सुख प्रद,
सुहृद भाव विचार।
जोग जुगुति व्यवहार मृदु,
यश फैले संसार।।७३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सुन्दर सरल सखि!
भावुक प्रिय उदार।
कलि प्रभाव छल बल बिनु,
गुण समूह बेकार ? ।।७४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज पाप प्रभाव से, 
उपजे दु:ख संताप।
सम्यक् कर्म-व्यवहार से, 
बाढ़े पुण्य प्रताप।।७५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज असुर समाज है, 
नेता जन की भीड़।
जनता सुर को रौंदते, 
नित्य उजाड़े नीड़।।७६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।
  

शैलज सत्ता स्वार्थ हित, 
पर पीड़न रति लीन।
नेता असुर सुरत्व तजि, 
पंडित भये प्रवीण।।७७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

निज मुख दर्पण में देख कर, 
शैलज हुआ उदास। 
ग्लानि, क्रोध, अविवेक वश; 
दर्पण को दे नित त्रास।।७८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज राज न दरद का, 
जाने जग में कोई।
प्रेमी वैद्य जाने सहज, 
सुख समाज को होय।।७९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज जनता मूरख भेल, 
नेता खेले सत्ता खेल।
MA गदहा, BA बैल, 
सबसे अच्छा मैट्रिक फेल।।८०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज समय विचारि कर, 
रखिये अपनी बात।
प्रिय जन राज सलाह शुभ,
मेटे हर झंझावात।।८१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

का करि सकत विरोध कर, 
बाधा लघु मध्य महान् ?
भाग गुणनफल योग ऋण, 
शैलज अवशेष निदान।।८२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अन्तर् ज्योति प्रकाश बिन, जगत ज्ञान बेकार।
शैलज राज समाज सुख, प्रेम धर्म जग सार।।८३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

आवागमन के चक्र में, 
कटु-मधु जीव व्यवहार।
भक्ति, मुक्ति, श्री, राज, सुख;
शैलज प्रभु प्रेम आधार।।८४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज मूरख राज श्री; पद बल अहम् बौड़ाय।
आनन सुन्दर अलि छटा, समय पाय मुरझाय।।८५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज सत्ता राज श्री, पद बल मद अधिकाय।
आनन सुन्दर अलि छटा, समय पाय मुरझाय।।८६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।
 
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शैलज सुहृद सराहिये, 
सुमति सुकाज सहाय।
तम हर ज्योति पथ शुभ, 
सुगम सरल दर्शाय।।८७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज विदुर चाणक्य को; भूल रहे जो लोग।
समय भुलाया है उन्हें, सत्य अटल संयोग।।८८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज विदुर चाणक्य या अन्य विचारक लोग।
निज अनुभूति बता गये; कर्म, ज्ञान, रुचि, योग।।८९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।


शैलज परहित साधन निरत,
नेक नीति नित साथ।
सुख-दुःख, कीर्ति, परिणाम तजि; 
लिखत भाग्य निज हाथ।।९०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

 असुर अनीति, देव विधि;
जड़ नर जीव सुख चाह।
पशु से नीच विवेक बिन,
शैलज दुर्लभ शुभ राह।।९१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज राम जगत पति,
कृष्ण प्रेम हिय वास।
भेदत तम रज सतोगुण,
दीपावली प्रकाश।।९२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अन्तर् दीप जला रहा, शैलज हिय मन द्वार।
जगत बुझाये वातवत्, प्रिय प्रभु रखवार।।९३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज सम्यक् शुभकामना;
जीव जगत नर हेतु।
दीप ज्योति तम हर शुभद, 
प्रभु शरणागति सेतु।।९४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

गोपालं नमस्तुभ्यं ज्ञान सृष्टि हित कारकं।
जीवेश समत्व योगं गोवर्धनं सुखकारकं।।९५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अवसर धर्म विकास रुचि, 
अवसर काज समाज।
अवसर पर निर्भर सभी, 
शैलज नेतृत्व सुराज।।९६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज भेंटें प्रेम जो, मत मन राखूँ गोय।
अनुपयोगी कूप जल, ज्यों विषाक्त ही होय।।९७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज हो गया सिरफिरा,
तन मन पड़ा बीमार।
सत्यासत्य उचितानुचित, 
बिन समझे करे वार।।९८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज डूबा स्वार्थ में,
करता अवसर उपयोग।
विद्या शील स्नेह रहित;
पथ-दर्शक कहते लोग।।९९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज कुछ एक वोट से, 
गया चुनाव में हार।
अपने हार पहन लिया, 
क्यों पूछे जन संसार ?।।१००।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज दुनिया से सीख कर, 
करता हर व्यवहार।
निज प्रकृति अनुरूप ही, 
फल पाता कर्म अनुसार।।१०१।।

शैलज दुनिया को देखकर, 
मत करिये हर व्यवहार।
पग रखिये पथ को देखकर, 
उत्तम अनुभूत विचार।।१०२।।

शैलज दुनिया में जो मिला, 
सब कुछ है उपहार।
प्राणी धर्म विवेक बिन, 
है मानव जीवन बेकार।।१०३।।

शैलज दुनिया के लिए, 
करता रचनात्मक काज।
आवागमन प्रकृति पुरुष, 
समझे मनुज समाज।।१०४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज भेंटें प्रेम जो, मत मन राखूँ गोय।
अनुपयोगी कूप जल, ज्यों विषाक्त ही होय।।९७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज हो गया सिरफिरा,
तन मन पड़ा बीमार।
सत्यासत्य उचितानुचित, 
बिन समझे करे वार।।९८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज डूबा स्वार्थ में,
करता अवसर उपयोग।
विद्या शील स्नेह रहित;
पथ-दर्शक कहते लोग।।९९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज कुछ एक वोट से, 
गया चुनाव में हार।
अपने हार पहन लिया, 
क्यों पूछे जन संसार ?।।१००।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज दुनिया से सीख कर, 
करता हर व्यवहार।
निज प्रकृति अनुरूप ही, 
फल पाता कर्म अनुसार।।१०१।।

शैलज दुनिया को देखकर, 
मत करिये हर व्यवहार।
पग रखिये पथ को देखकर, 
उत्तम अनुभूत विचार।।१०२।।

शैलज दुनिया में जो मिला, 
सब कुछ है उपहार।
प्राणी धर्म विवेक बिन, 
है मानव जीवन बेकार।।१०३।।

शैलज दुनिया के लिए, 
करता रचनात्मक काज।
आवागमन प्रकृति पुरुष, 
समझे मनुज समाज।।१०४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

रवि ज्वाला लपटों का रूप लिये,
संक्रमण जनित ज्वर ताप प्रिये।
सूखी खाँसी हो श्वास विकल,
शैलज कोरोना उपचार प्रिये।।१०५।।

हों लवण दोष या लौह जनित,
करें होमियो बायो उपचार प्रिये।
जी लाल शुष्क, गुड़ गर्मी प्रेमी,
शैलज मैग फॉस आधार प्रिये।।१०६।।

है मजबूरी प्रिये, तन की दूरी;
पर, मन से हो तुम पास प्रिये।
तुलसी हरती हैं त्रिविध ताप;
आयुष है शैलज साथ प्रिये।।१०७।।

ग्रह नव रवि या कोई भी हों,
सब होंगे सदा सहाय प्रिये।
रवि पुष्प मदार हृदय राखे,
शैलज सौभाग्य विचार प्रिये।।१०८।।

कफ काम, पित्त है क्रोध मूल,
है वात लोभ के पास प्रिये।
ये रोग नरक दुख कारक हैं,
शैलज त्रिगुण विचार प्रिये।।१०९।।

क्षिति, जल, पावक, गगन संग,
पवन प्राण निवास प्रिये।
शैलज सुमिरि प्रकृति प्रभु,
करता जग में है वास प्रिये।।११०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि, मनोवैज्ञानिक, ज्योतिषी, होमियोपैथ)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

कोरोना और चुनाव में,
शैलज नेता मेल।
आँख मिचौली खेल में,
जनता मूरख भेल।।१११।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 कोरोना और चुनाव में,
आँख मिचौली खेल।
नेता पक्ष विपक्ष में,
शैलज अद्भुत मेल।।११२।।

सूरज सविता दिनपति,
दिनकर दीनानाथ।
भानु भास्कर जगत पति,
रवि रव नाथ अनाथ।।११३।।

स्रष्टा पालक संहर्त्ता,
ब्रह्मा विष्णु महेश।
शैलज छठ माँ पूजिये,
शक्ति सहित दिनेश।।११४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज देश विदेश में,
जीव अजायबघर एक।
मानव प्रकृति में ही मिला,
स्वारथ बहस विवेक।।११५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय,बिहार, भारत।

शैलज सच को सच कहा,
रूठ गये सब लोग।
जब सच से पाला पड़ा,
कह रहे उसे संयोग।।११६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज मीत सराहिये, सुमति सुकाज सहाय।
सोच हिताहित आपसी, हिय मन जेहिं समाय।।११७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज नेता बन गया, सबकी चिन्ता छोड़।
चिन्ता में सिर तब फिरा, दिया सबों ने छोड़।।११८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज नारद रवि कृपा, निशिचर हुए उदास।
तारे संग सिमटी निशा, काम रति हुए दास।।११९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शशि रवि सहधर्मिणी, करत प्रकाश दिन रात।
शैलज राजाज्ञा शुभद, अवकाश अमावस रात।।१२०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा,बेगूसराय।

 सचिव शशि अध्यक्ष रवि, उडुगण शेष समाज।
शैलज रवि शशि के बिना, तिमिर अमावस राज।।१२१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा,बेगूसराय। 

 जलद श्याम घन मोर मन, चन्द्र चकोर स्नेह।
शैलज श्रम बिनु राज श्री, भक्ति बिना प्रभु नेह ? ।।१२२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

 जलद श्याम घन मोर मन, चन्द्र चकोर स्नेह।
शैलज श्रम जग राज श्री, भक्ति भाव प्रभु नेह।।१२३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

आतम ज्ञान से मन डरे,
सुमन विवेक प्रकाश।
शैलज रजनीचर डरे,
रजनीचर नभ वास।।१२४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज मनोकाँक्षा प्रकृति विमुख,
रहित विवेक विचार।
जल द्रव गति मति क्षुद्र नर,
उठत गिरत हर बार।।१२५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज स्वार्थी, वाक्पटु; 
भोगी, कुटिल, लवार।
धृत उपदेशक, हठी जन; 
कलिकाल महान्, गवांर।।१२६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज बचपन पचपन का,
बारह सात उनीस।
भूले बिसरे गले मिले,
इस जग में सब बीस।।१२७।।

अनठावन की प्रकृति का,
सत्य न प्रेम से मेल।
एक एक कर सबसे मिले
शैलज समाज का खेल।।१२८।।

शैलज सच सच कहे,
सदा झूठ को झूठ।
प्रेमी जन सम्वाद सुन,
जाये दुनिया रूठ।।१२९।।

शैलज जगत अवतरण,
 कृष्ण निशा आकाश।।
रजनीचर भानु बिना,
कबहुँ कि करत प्रकाश ?।।१३०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज जब तक साँस है,
सुख दुःख अहम् त्रिताप।
पिया मिलन को चल पड़े,
जग बन्धन छूटे सन्ताप।।१३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।


शैलज नर तन पायके, 
भूल गया कर्त्तार।
जग तिलस्म में भटक, 
भूला निज घर द्वार।।१३२।।

डॉ ० प्रो ० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगुसराय।

[07/09, 10:32 PM] A k shailaj: 

नीच, अधर्मी, सिरफिरे, 
मूरख, धूर्त्त, लवार। 
स्वार्थी नारी-पुरुष से, 
शैलज रहिये होशियार। 

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।।१३३।। 

शैलज का दु:ख को सुने, 
सुने करे उपहास। 
लुटा स्वयं परहित करे, 
करे कौन विश्वास ? ।।१३४।।

डॉ ० प्रो ० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगुसराय

 शैलज ईश्वर को भजे,
आत्मलीन मन लाय।
करे समर्पण स्वयं को, 
केवल एक उपाय।।१३५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा,बेगूसराय।

 शैलज लोक परलोक हित,
प्रभु से करे गुहार।
जीव नारि नर सुगति सत्,
शान्ति प्रेम सुविचार।।१३६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सही लिबास बिनु, 
कैसा चरम विकास ?
करम धरम छूटा शरम, 
नीच मनुज के पास।।१३७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज स्वार्थी बन्धु सखा, 
मतलब के सब यार।
दया, धर्म, गुण रहित नर, 
सज्जन हेतु कुठार।।१३८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज क्रूर कुटिल मति, 
प्रकृति विरुद्ध उपचार।
मूर्ख, अधर्मी, दया रहित,
जग वन हेतु तुषार।।१३९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज मनुज समाज गति; 
ज्ञान, विवेक, व्यवहार।
देश-काल-पात्र निर्भर मति, 
सच्चिदानंद मूलाधार।।१४०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शूल गुलाब, कीचड़ कमल, 
वन उपवन सौंदर्य सुवास।
शैलज समदर्शी सुमन मन, 
प्रमुदित, न करत उदास।।१४१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज जगत असार की,
चिन्ता करम हिसाब।
तू क्या राखे मूढ़ मन ?
प्रभु के पास किताब।।१४२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 त्रिविध ताप, त्रिदोष कर, 
शैलज नीच विचार।
वेग त्रयोदश रोक कर, 
तन मन करत बीमार।।१४३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार। 
 
सुन्दर श्री पद ज्ञान गुण, 
व्यवहारिक नर-नारि।
रूप-कुरूप शैलज भजे,
लखि कुल शील विचार।।१४४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

तन सुन्दर, मन मैल संग, 
रूपसी अहम् विकार।
शैलज शील सुलक्षणा,
प्रियंवदा सुखदा संसार।।१४५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा,बेगूसराय।

शैलज मजदूर किसान हैं,
मौसम से अनजान।
भू सेवक भूखे मरे,
नारद नेता देते दिक्ज्ञान।।१४६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज सुमन समाज में,
अंकित करे विचार।
पुष्पाकाँछा शुभद सदा,
उत्तम मृदु व्यवहार।।१४७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

वेनीपुरी की जादू कलम,
चित्रण राज समाज।
शैलज हृदय निवास करे,
हिन्दी साहित्य श्री राज।।१४८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
 
 शैलज आत्म अनुशासन बिना,
सब उपलब्धि ज्ञान बेकार।
मुक्ति बोध, जग धरम करम,
अर्थ, आदर्श काम व्यवहार।।१४९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

सुमति सुकर्म आदर्श सुहाई।
शैलज रीति नीति अपनाई।।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई।
दया धर्म बिनु को जग भाई ?।।१५०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

परिणय, मंगल दिवस का, 
गीत सुमंगल गान।
गाली साली शुभद् सुखद, 
शैलज सुहृद सुजान।।१५१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सुध बुध खो दिया, 
राज श्री संग सुख पाय।
सुदिन सौभाग्य सुकर्म बिनु, 
जग में को जन पाय ?।।१५२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 राज श्री सुख वर्धिनी, 
अहम् रहित शुभ भाव।
शुभदा सौम्या जय प्रदा, 
शैलज सरल सुभाव।।१५३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज अपने गाँव में, 
कोई न पूछनहार ।
आये शहर विदेश से, 
धनी गुणी सरदार ।।१५४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय ।

मधुमय पूनम चाँदनी, 
नन्दन चन्दन वन माहिं।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् कृपा,
शैलज मोद बढ़ाहिं।।१५५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज भनत विश्वास हरि,
विश्वास करें विश्वास।
युग-युग पायें हरि कृपा,
युगल कुमार विश्वास।।१५६।।

पावन परिणय बन्धन में,
जो प्राणी बँध जाते हैं ।
संसार सुखों से भरकर,
मंगलमय हो जाते हैं ।।१५७।।

ऋषि-मुनि मोक्ष के सुख में,
अपने को खोते हैं ।
दम्पती परिणय में ही तो,
सम्पूर्ण मोक्ष पाते हैं।।१५८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 सकल चराचर व्याप्त प्रभु, 
समदर्शी जगत आधार।
विधि हरि हर शैलज भजे, 
निज मति कुमति विसारि।।१५९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

राज, श्री, सुखदा, शुभा; 
प्रियंवदा, प्रिया, अनमोल। 
कुलवर्धिनी, सहधर्मिणी; 
शैलज निज मति तोल।।१६०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 कंचन कामिनी चंचला, 
तजे आलसी उदास।
प्रेम करम हठ वश रहे, 
स्वामी शैलज दास।।१६१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 तन भव सागर में रहे, 
मन क्षीरोदधि पास।
शैलज तरणी सुकरम, 
हरि शरण में बास।।१६२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज प्रेमी जगत का, 
अभिव्यक्ति सहज वेवाक।
सुजन सुहृद संगत करे, 
शेष समाज मजाक।।१६३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

सृष्टि कामना हेतु नर, 
करत शुभाशुभ कर्म।
नारी आकाँक्षा रहित, 
शैलज समाज नहीं धर्म।।१६४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज किस धन के लिए, 
झगड़ रहे नित आप ?
रूप अहं गुण जायेगा, 
कर्म धर्म पुण्य संग पाप।।१६५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

नारी प्रकृति नारायणी, 
हरि नर पुरुष स्वरुप। 
अर्द्ध नारीश्वर शिव शक्तिदा, 
शैलज प्रेम प्रतिरूप।।१६६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज अवगुण से भरा,
गुण समाज के पास।
भोगी मन,आत्मा अमर,
निर्णायक रमानिवास।।१६७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज शुक पिक हंस अलि,
गोपद हरि हिय ध्यान।
सेवत गुरुजन जीव प्रकृति,
देश काल पहचान।।१७४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज पर दु:ख दु:खी जो,
सुर नर मुनि महान्।
दया रहित स्वार्थी मनुज,
अधर्मी दनुज समान।।१७५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

साक्षी आत्मा, वकील मन,
सच माया जग जीव संघर्ष।
शैलज न्यायाधीश हरि,
प्रकृति पुरुष विधि विमर्श।।१७६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

तर्जनी वात, पित्त मध्यमा, 
अनामिका कफ प्रकृति आधार।
शैलज नाड़ी ज्ञान शुभ , 
दक्षिण वाम नर नारी अनुसार।।१७७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

तीतर, लावा, बटेर गति, 
नाड़ी त्रिदोष गति चाल।
अहि गति मेढ़क हंस शुभद्, 
हंस मध्य कुचाल।।१७८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

हंस मन्द गति कफ प्रकृति,
काम कबूतर मोर।
मेढ़क कौवा अति तीव्र गति,
पित्त क्रोध घनघोर।।१७९।।

वात जोंक अहि कुटिल गति,
लोभ मोह सन्ताप।
शैलज नाड़ी गति जानिये,
आयु वैद्य प्रभु आप।।१८०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज कुमति शिकार जो,
बाल, वृद्ध युवा नर-नारि।
देश, काल औ विधि विमुख,
दु:ख पावत जीव अपार।।१८१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज तू क्या कर रहा,
आकर जग में नित काज ?
समय चूक पछतायेगा,
सत् धर्म कर्म का राज।।१८२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

दैनान्दिनी शुभदायिनी,
अनुपमा  सुखधाम।
शैलज राज श्री वर्धिनी,
अभिव्यक्ति गुण ग्राम।।१८३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

रवि सुत शनि गृह आगमन,
शुभ मुहूर्त, सुख मूल।
शैलज मकर त्रिदोष हर,
नव ग्रह जनित त्रिशूल।।१८४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शीश रेणु गोपद धरत,
कान्हा ब्रज गोधूलि प्रात।
शैलज रेणु गोपाल पद,
भव तारक हरि तात।।१८५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

नीर प्रवाह नीरज नयन,
श्याम प्रेम पिय मोर।
शैलज भींगत स्नेह रस,
राज, श्री, सुख चहुँ ओर।।१८६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज कन्या शक्तिदा, 
प्रकृति पुरुष हिय हार।
नैहर की जंगल अलि!
पिय गृह वंदनवार।।१८७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

केसरिया संस्कृति सनातन, 
कीर्ति, शौर्य, बल दायक।
सादा सादगी, सच्चाई, आदर्श, 
न्याय, बुद्धि, शुभ कारक।।
हरा भारत भूमि माता श्री, 
ज्ञान, विज्ञान, विकास का सूचक।
अनवरत प्रगति चक्र, 
तिरंगा भारत वर्ष का द्योतक।।१८८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

अनिल पतंग विचरे नभ,
भोग योग सुख साथ।
कटी पतंग सुमिरन करे,
शैलज हरि जग नाथ।।१८९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज अहं विकार गुण,
सद् गुण गुण हरि लेत।
हरि प्रभु आँकलन करत,
अपयश जग में लेत।।१९०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

निज हित शैलज कर रहा,
जग में नित हर काज।
आया जग में फिर जायेगा,
विधि धर्म कर्म सुख राज।।१९१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

भव सागर जग बन्धु प्रकृति,
प्रिय सखा शत्रु व्यवहार।
धर्म कर्म विधि संगति फलद्,
शैलज विश्वास विचार।।१९२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

प्रभु प्रसाद जग जीव गति, 
प्रकृति पुरुष चराचर बोध। 
शैलज विधि हरि हर हरत
नित, काल करम अवरोध ।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज विधि के लेख में, 
सदा करम की छूट। 
जो ऐसो नहीं होय तो, 
होवें उपाय सब झूठ।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

[07/09, 10:32 PM] A k shailaj: 

नीच, अधर्मी, सिरफिरे, 
मूरख, धूर्त्त, लवार। 
स्वार्थी नारी-पुरुष से, 
शैलज रहिये होशियार। 

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
[09/09, 9:10 AM] A k shailaj: [09/09, 6:44 AM] A k shailaj: 

शैलज का दु:ख को सुने, 
सुने करे उपहास। 
लुटा स्वयं परहित करे, 
करे कौन विश्वास?
[09/09, 8:24 AM] A k shailaj: 

करे प्रतीक्षा लोग सब, 
कौन बनेगी बात ? 
भोगे शैलज कर्म फल, 
सुख, श्री वा उत्पात।।
[13/09, 11:08 AM] A k shailaj:

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

दूजे दु:ख जग को सुने, 
कहाँ समय परवाह ? 
सुख दु:ख दरिया में बहे, 
नदी नाव गति चाह।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज विधि, हरि, शिव कृपा, 
वेद-पुराण-विज्ञान। 
भारत ! ओजस सुयश तव, 
सत्य सनातन ज्ञान। 

सोमनाथ, माधवन, शिवन, 
चन्द्रयान चरण त्रय ठाम। 
ईसरो "जवाहर, तिरंगा पुनि, 
शिव-शक्ति" शैलज ये धाम।।

शैलज विधि के लेख में, 
सदा करम की छूट। 
जो ऐसो नहीं होय तो, 
होवें उपाय सब झूठ।।

शैलज मूरख समझे नहीं, 
निजहित अनहित बात। 
संगति दोष, भ्रम, मोह वश, 
निशिदिन पावे दु:ख,घात।।
 










 



मंगलवार, 28 जुलाई 2020

श्वास यन्त्र (Respiratory System)

Respiratory organs :-
Mag Phos :- छाती में संकुचन का अनुभव। पेट में कष्टदायक वायु से दमा। स्नायविक दमा। आक्षेप पैदा करने वाली या स्नायविक खाँसी। स्वर का एकाएक कर्कश हो जाना।

Natrum Sulph :- खाँसते समय ब्रायोनिया की तरह छाती पकड़ता है और छाती में खालीपन का अनुभव। प्रातःकाल और मुख्यतः तर ऋतु में खाँसी या दमा या अन्य श्वास कष्ट। तरल दमा। दमा का रात में वेग से। बच्चों का दमा। रस्सी जैसा बलगम। छाती के बायें ओर अधिक दबाव। छाती के उपसर्गों के साथ कष्ट तथा दबाव से आराम।  

Silicia :- उत्तेजक खाँसी। ढ़ीला दानेदार बलगम या श्लेष्मा। पसीने की तरह रात्रि कालीन खाँसी। रात्रि कालीन खाँसी में शीतल पेय से वृद्धि। रात्रि कालीन खाँसी में वक्षास्थि के ऊपर गढ़े।खाँसी में वक्षास्थि के ऊपर सुरसुरी। छाती की गहराई में दर्द।

Kali Mure :- तेज आवाज वाली, भौकने की तरह, काली खांसी।दूध सा सफेद या भूरा सफेद, चिमड़े प्रकृति की तथा आवाज वाली श्लेष्मा या बलगम वाली खाँसी। वायु नलियों से सर्दियों का नि:श्राव।

Kali Sulph :- शाम को बढ़ने वाली रात्रि कालीन दम अटकाने वाली गला अवरोधक खाँसी।दमा गर्मी से या गरम ऋतु में बढ़ता है।नीचे की ओर जाने वाला चमकीला लसलसा बलगम।बोलने से थकावट पैदा होता है।

Calcaria Flour :- कण्ठ में सुरसुरी के साथ ढ़ोकनेवाली खाँसी। पीला कड़ा या ढ़ीला लच्छेदार बलगम युक्त दमा। गले की नली बन्द मालूम होती है।

Ferrum Phos :- फेफडों में रक्त संचय या कष्ट, टैटुओं में प्रदाह या छाती के उपसर्गों के साथ जलन। बगल में कोंचने का सा दर्द। सांस की रुकावट । स्वर यन्त्र का दर्द। बोलने या गाने पर रूखापन। बलगम रक्त रंजित। चोट लगने से रक्त श्राव। दर्द युक्त या सूखी खांसी। 

Natrum Mure :- निश्चित समय पर आने वाली, फैलने वाली खाँसी। श्वास कष्ट एवं सिर दर्द दर्द पैदा करने वाली रात्रिकालीन खाँसी।स्वच्छ, पानी जैसा, पारदर्शक बलगम और/या दमा के साथ आक्षेपिक खाँसी।

Calcaria Phos :- रात्रिकालीन खाँसी, सफेद बलगम तथा बार-बार खखारने की इच्छा या स्थिति। छाती में फैलाव से कष्ट। खाँसी के उपसर्गों में छूने से दर्द या पैर ठण्डा। लेटने से आराम।

Natrum Phos :- खाँसी के उपसर्गों में या छाती में दबाव से दर्द।छाती की पसली या पंजरे की पेशियों में दर्द। छाती में सांस लेते समय और मुख्यतः गहरी सांस लेने के समय छाती में गहरे संकुचन से कष्ट।मलाई सा हल्का पीला बलगम।

Calcaria Sulph :- छाती के उपसर्गों के साथ आर-पार दर्द।दमा के साथ क्षय ज्वर।

Kali Phos :- दर्द युक्त प्रदाहित टेटुआ। घास पात के सड़ने से उत्पन्न बुखार के साथ दमा। दमा जरा सा भी खाने से बढ़ता है। बदबूदार या नमकीन बलगम। सीढ़ी पर चढ़ने पर जल्दी-जल्दी श्वास लेना। पक्षाघात के साथ स्वरलोप।

 


गुरुवार, 23 जुलाई 2020

वक्त के रंग


जो न आये साथ जगत में, उन्हीं के द्वारा आया हूँ।
मिला जगत् में सब कुछ, पर न खुश हो पाया हूँ।।
सीमित जरूरतें जीवन की, पर मन को समझाये कौन ?
"अतिबाद" है मूल मुसीबत , अनुभव ने यही बताया है।।

यहाँ सब कुछ पराया है, यहाँ कुछ भी नहीं अपना।
छोड़ते साथ एक दिन सब, जगत् व्यवहार है सपना।।
पराया कौन है जग में ? किसे अपना कहा जाये ?
सवालों से घिरा कब से, समझ में कुछ न आया है।।

मिले थे राह में एक दिन, हुई थी चार जब आँखें।
नजर से बात होती थी, नजर की थी गजब आँखें।।
सभी जग में हमारे हैं, जगत् व्यवहार होते हैं।
नजरिया जो जगत हो, अपने दिल से होते हैं।।

सँजोए थे बहुत सपने, हृदय के हार थे अपने।
मगर कुछ काम न आये, वक्त के रंग थे अपने।।
हुआ लाचार आ जग में, सभी लाचार हैं जग में।
समझ में आ नहीं पाया, धरम औ करम क्या जग में ?

खुलासा हो गया उस दिन, स्वार्थ का वेग जब आया।
समझ में आ गया उस दिन, जब कुछ साथ न दे पाया।।
आहार, निद्रा, भय औ मैथुन प्राणी धर्म विदित है।
"शैलज" मानव को विवेक कर्माभिशाप का वर है।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

बुधवार, 22 जुलाई 2020

सुभाषितं

  सुभाषितं

धर्म,अर्थ, काम, मोक्ष चार फल
प्रभु ने तुझे दिये।
प्रकृति-पुरुष पीयूष कृपा का
सम्यक् उपभोग करो।।
छोड़ो अहं, हीन भाव को,
सबको निज-सा समझो।
कल, बल, छल से है भरा जगत्,
फिर भी निज कर्म करो।।
आर्ष ज्ञान, विज्ञान, खोज का
सदुपयोग, सम्मान करो।
कर सकते हो यदि कुछ जग में,
निज तन-मन को स्वस्थ करो।।
काम, क्रोध औ लोभ पंक में
पंकज-सा नित्य खिलो।
दुनिया के प्यासे प्याले में 
"शैलज" अपना प्रेम भरो।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।   
 

शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

शरीर के अंग

मन:स्थिति (Mental symptoms/condition)
आँख (Eye) 
कान ( Ear)
मुँह (Mouth)
गर्भावस्था एवं प्रसव (Pregnancy & Labour)
ज्वर (Fever)
मूत्र सम्बन्धी रोग ( Disease of urine)
पुरुष जनेन्द्रिय (Male Sex Organe)
पाकाशय या आमाशय (Stomach) के विकार
स्नायविक लक्षण (Neuralagic Symptoms)
रक्त संचालन यन्त्र (Circulatory System)
निद्रा एवं स्वप्न (Sleeping & Dream)
जिह्वा एवं स्वाद (Tongue & Taste)
ह्वास-वृद्धि (Amelioration- Aggravation)
सिर, मष्तिष्क एवं खोपड़ी (Head, Brain & Skull)

नाक (Nose): - ने म्यूर। 
गले एवं चेहरे (Throat & Face): - ने म्यूर। 
दाँतों एवं मसूड़ों ( Teeth & Gums): - ने म्यूर। 
श्वसन यन्त्र (Respiratory System): - ने म्यूर। 
उदर या तलपेट तथा मल (Abdomen & Stool): - ने म्यूर। 
त्वचा (Skin): - ने म्यूर। 
तन्तु (Tissues): - ने म्यूर। 
स्त्री जनेन्द्रिय (Female Sex Organ) : - ने म्यूर। 

आँख (Eye)

Eyes :-
Ferrum Phos :- आँखों के भीतर मुख्यतः नेत्र गोलकों में और उन्हें घुमाने पर अत्यधिक दर्द बिना श्राव के। आँखों में और मुख्यतः नेत्र गोलकों में प्रदाह युक्त जलन। कनीनिका रोग की प्रथमावस्था। चक्षु कोण में तेज दर्द मुख्यतः गति से। आँखें सूखी एवं लाल। आँखों में तेज दर्द या प्रदाह बिना श्राव के। आँखों में बालू की अनुभूति।

Calcaria Sulph :- श्वेत पटल पर छाले।आँखों में अर्द्ध दृष्टि। आँखों में चोट के बाद के उपसर्ग। आँखों में खपाची जैसा दर्द।आँखों से पीला गाढ़ा श्राव। मोतियाबिंद के भीतरी भाग में धुमैला पीब। कनीनिका का धुमैलापन।

Calcaria Flour :- चक्षु कोण गोलकों में निरन्तर दर्द।आँखों में प्रकाशानुभूति मैग्नीशिया फॉस्फोरिका की तरह। आँखों का धुंधलापन कैली फॉस्फोरिकम् की तरह।

Kali Phos :- आँखों के सामने हवा में तैरते हुए पानी के बुलबुले जैसे काली काली वृत्ताकार आकृतियाँ। आँख के गोलकों में प्रदाह रहित जलन। आँखों की दृष्टि शक्ति या पहचानने की शक्ति कमजोर। डिफ्थीरिया के बाद आँखों से तिरछा देखने और नेत्र गोलकों का तिरछापन। आँखों में एकटक, उत्तेजित, घूरती हुई या उग्र दृष्टि ।आँखों में ऐंठन या काँटा होने की अनुभूति। गलझिल्ली प्रदाह के बाद दृष्टिहीनता। 
Mag Phos :- आँखों की पुतलियाँ संकुचित एवं पलकें सिकुड़ी हुई। आँखों के सामने रंग दिखाई पड़ना। रंगों की अस्वाभाविक अनुभूति। आँखों में खुजली। प्रकाश सहन नहीं होना।आँखों में ऐंठन वाला ऐंचाताना।कनीनिका पर काला दाग। पलकों का स्नायुशूल या गिरना दाहिनी तरफ अधिक।गर्मी से आराम।

Kali Mure :- आँखों के पलकों पर चौड़े घाव एवं पीब। आँखों में से सफेद कफ का निकलना। कनीनिका पर चिपटे गंडमाला का घाव तथा निचले भाग में धुंध जाला।कनीनिका में छिछला घाव।श्राव सफेद। चक्षु कोण ताल में रोहा।

Natrum Phos ;- आँखें रक्त रंजित।आँख आना एवं मलाई सा श्राव निकलना।आँखों के पलकों के किनारे में जलन।.आँखों में गण्डमाला जनित प्रदाह। धुंधली दृष्टि।आँखों में सफेद श्लेष्मा और मुख्यतः मलाई सा सुनहरा या गाढ़ा पीला श्राव।

Calcaria Phos :- आंशिक या पूर्ण अन्धत्व। आँख आना एवं गाढ़ा पीला श्राव।आँखों एवं चक्षु कोण में सूखापन। चक्षुकोण में प्रदाह। आँखों का व्यवहार गैस की रोशनी में कष्टदायक।

Natrum Mure :- अश्रु कोष की नली में सिकुड़न एवं रुकावट। आँखों की पलकों में दाने और / या फफोलेदार उद्भेद। आँखों की कनीनिका पर सफेद दाग, दानों वाली जलन, फफोले या घाव। आँखों के सामने जाला या पर्दा। जलाने वाले आँसू के साथ स्नायुशूल और/या छोटे छोटे छाले। नाइट्रेट ऑफ सिल्वर के बाद आँसू। पढ़ते समय में मानो अक्षर सट जाते हैं या मिलकर दौड़ते हैं। आँखों से मुख्यतः श्वेत पटल से सफेद कफ का श्राव।आँसू के साथ या समय-समय पर पलकों का गिरना। आँखों में ग्लूकोमा रोग।

Kali sulph :- आँखों के अगले पटल का धुन्ध। अक्षि मुकुर  (lens) का धुन्धलापन। अस्पष्ट दृष्टि।नवजात शिशुओं का आँख आना। आँखों की पलकों पर पीली पपड़ियाँ।

Natrum sulph :- गाढ़ा हरा श्राव। श्वेत पटल का पुराना प्रदाह। श्वेत पटल पर दाने। श्वेत पटल पीला।आँखों के पलकों के किनारे में जलन।

Silicia :- अश्रु कोष या अश्रु श्रावी संस्थान के रोग। आँखों की पलकों में विलनियाँ और /या चारों तरफ फोड़े और/ या छोटी छोटी फुन्सियाँँ। आँखों के घेरे में सूजन। आँखों के गढ़ों में दबाव और जलन। आँखों के कोनो के रोग। पैरों का पसीना दबने से मोतियाबिंद और / या धुन्ध दृष्टि। चक्षु कोष पटल का अर्बुद। दाहिनी आँख की पलकों का स्नायु शूल। पलकों के चारों ओर गिल्टियाँ।






कान ( Ear)

👂 Ears:- 
Ferrum Phos :- रक्त हीन लोगों में कान का खुलना। कर्ण नली में प्रादाहिक शूल या दर्द। कान के भीतर गहरी लाली, खिंचाव, गर्मी, दपदपाहट, जलाने, कोचने, काटने और/या फैलने वाला तीव्र दर्द। कान के नुकीले अंश में सूजन एवं दर्द।ठंड से कर्ण प्रदाह। कान के प्रदाह से रक्त की प्रवणता और/या बहरापन। कान से पीब एवं श्लेष्मा का श्राव।

Mag Phos :- कर्ण नली में तीव्र स्नायविक शूल, भीतरी शिराओं की गड़बड़ी से बहरापन, स्नायुओं की गड़बड़ी से श्रवण शक्ति बहुत मन्द।

Silicia :- बाहरी कान में छिद्र। बाहरी कान के प्रदाह पीब एवं बहरापन। कान का खुलना तीव्र आवाज से। स्नान के बाद कान में प्रदाह। 

Kali Mure :- कान की झिल्ली और/या परदा सिकुड़ा हुआ। कान की झिल्ली में तरी और/या दाने। कान की दीवार सूखी और क्षीण। कान के गढ़े में घाव। कान के बगल की ग्रन्थियों में वृद्धि और/या सूजन। कान में फड़कने या चटखने की आवाज।कान में तेज दर्द के साथ जीभ सफेद। कान में भरापन की अनुभूति। किसी वस्तु को निगलने या छींकने पर कान में कड़कड़ाहट की आवाज होना। कान के आस पास सूजन।मध्य कर्ण की पुरानी सर्दी की अवस्था एवं प्रदाह। मध्य कर्ण के श्राव के कारण गला और नाक बन्द। कान की नली बन्द।कान की ग्रन्थियाँ फूली हुई। कान के ढ़ोल से तर पपड़ियाँ छूटना। कान के भीतर दाने।

Natrum Phos :- एक कान लाल एवं गर्म। कान में खुजली। कान पतली परतों से ढ़का हुआ।बाहरी कान में दर्द।कानों में दर्द मुख्यतः शीर्णता के कारण।

Calcaria Flour :- कान के परदे या गह्वर में चूना जम जाना।कान के नुकीले अस्थि आवरण या अंश में दर्द होना। कान की झिल्ली में कड़ी वृद्धि।

Kali Phos :- सुनने में भ्रम। कान गन्दा। कान का श्राव चमकीला पीला और बदबूदार। कान के तन्तुओं का सूख जाना। कान में और मुख्यतः नली में छिछला घाव। कान के पर्दे की झिल्ली में घाव। कान में गुंजन एवं सोने पर आवाज। श्रवण शक्ति के अभाव में बहरापन। कान के रोग में शीर्णता।श्रवण शक्ति बहुत अधिक।

Kali Sulph :- कान के अन्दर अनेक जड़ों वाला फोड़ा जिससे कान बन्द। कान के बाहर अनेक जड़ों वाला फोड़ा। कान में काटने जैसा दर्द नीचे की तरफ। कान के भीतरी भाग में सूजन से बहरापन। बाहरी कान की सूजन से पीब। कान के नीचे काटने या खींचने जैसा दर्द। मांस वृद्धि से कान की नली बन्द। कान में पीले श्राव के साथ दर्द।

कैल्केरिया फास :- कर्ण पीड़ा वात रोग के साथ। कर्ण रोग गण्डमाला वाले बच्चों में। कान के चारों ओर की हड्डी में दर्द। कान के बाहरी भाग में ठंडक की अनुभूति। कान का बहरापन। कर्ण श्राव। 




गुरुवार, 16 जुलाई 2020

मुँह (Mouth)

Mouth :-
Ferrum Phos :- मसूढ़ों की गर्मी एवं प्रदाह।

Calcaria Phos :- मुख में बुरा स्वाद।

Kali Phos :- कर्कट रोग में पानी जैसा श्राव। मसूड़ा स्पंज की तरह। दाँत मसूड़ों से हट जाते हैं। मुख में श्लेष्मा, फुन्सियाँ एवं पपड़ियाँ।मुख क्षत में पानी जैसा स्वाद। मुख में भूरे रंग का घाव। मसूड़ों से रक्त श्राव। मुख का स्वाद नमकीन।

Mag Phos :- मुख के कोनों की फड़कन या आक्षेप। जबड़ा बैठना (Lock Jaw)। दाँती लगना। 

Natrum Phos :- ऊपरी तालु की सतह पीली। मुख के घाव या क्षत। जीभ की जड़ पीली।
 
Natrum Mure :- उपजिह्वा (Uvula) का मानो लटकी हुई ।उपजिह्वा का बढ़ जाना। उपजिह्वा का प्रदाह। मुख के किनारों और / या कोनों पर छाले और/ या घाव मुख्यतः तर घाव। ओठों का फट जाना और / या मुख्यतः निचले ओठ का बीच में फट जाना। मुख क्षत से पानी जैसा श्राव बहना। होठों पर सूजन। होठों पर जलन और/ या दर्द युक्त दरारें। लार टपकना। मुख क्षत के साथ अधिक मात्रा में और/ या लगातार लार बहना। मुख के किनारे में मोती जैसे छाले। जिह्वा या जीभ (Tongue) के नीचे गिल्टी। 

Kali Mure :- बच्चे या किसी भी व्यक्ति के मुख में सफेद घाव। छाती का दूध पिलाने वाली माताओं के मुख का घाव। मुख में जलन।

Calcaria Flour :- मुख या किसी भी अंग में कड़ी सूजन।जबड़े की हड्डियों पर समान्य या कड़ा सूजन।मुख के कोने में घाव और मुख्यतः ठंडापन।

Silicia :-  मुख के कोने में राख के रंग का घाव। मुख या तालू का छेद करनेवाला घाव।मुख क्षत में पानी जैसा पीब।लार बहने वाली तथा पीब वाली ग्रन्थि।

Kali Sulph :- त्वचा का कर्कट रोग। मसूड़ा सफेद। निचले ओठ का सूखापन या सूजन। मुख में गर्मी। मुखक्षत मेंं मुख में और मुख्यतः तालू में गर्मी। निचले होठ से त्वचा छूटना।

Natrum Sulph :- मुख क्षत नौसादर प्रयोग से। मुख क्षत छालेदार उद्भेद के साथ। मुख क्षत के साथ तालू छूने से दर्द। मुख में श्लेष्मा भरा हुआ। मसूड़ों में छाले।

Calcaria Sulph :- दातौन करते समय मसूड़ों से रक्त श्राव। होठों के भीतर जलन एवं दर्द।

गर्भावस्था एवं प्रसव (Pregnancy & Labour)

Ferrum Phos :- गर्भावस्था में प्रातःकालीन मिचली या अनपचे खाद्य पदार्थ की कै। प्रसवोपरांत कमजोरी Calcaria Flour से तुलनीय।

Calcaria Phos :- गर्भावस्था में कमजोरी तथा सभी अंगों में थकावट। प्रसवोपरांत माता के स्वास्थ्य की हानि या कमजोरी।प्रसवोपरांत छाती का दूध पिलाने से स्वास्थ्य की हानि।स्तनों में दूध नहीं आना नेट्रम म्यूर के समान। झूठी प्रसव वेदना।प्रसूता का दूध नमकीन एवं नीला कैल्कैरिया फ्लोर के समान।स्तनों का कड़ापन, जलन और/ कड़ी गिल्टियाँ।

Kali Mure :- गर्भावस्था में सफेद श्लेष्मा की कै। प्रसूतिका या सौरी का ज्वर Kali Phos के समान।

Kali Phos :- कमजोर प्रसव वेदना। सूतिकोन्माद। स्तन से दुर्गन्धित भूरा श्राव। गर्भ श्राव की चिन्ता Mag Phosके समान।

Mag Phos :- ऐंठन युक्त प्रसव वेदना। प्रसव वेदना हेतु अत्यधिक प्रयत्न करना पड़ रहा हो। प्रसवोपरांत वेदना Kali Phos के समान। सौरी या प्रसूतिका ज्वर में सूतिकाक्षेप। प्रसूता के पैरों में ऐंठन।

Natrum Phos :- गर्भावस्था में खट्टी वस्तु की कै।

Natrum Mure :- गर्भावस्था में झागदार पानी की तरह कै।प्रसूतावस्था में तथा स्तनपान या छाती का दूध पिलाते समय केश झरना।

Natrum Sulph :- गर्भावस्था में करुवा स्वाद वाला वमन। प्रसवोपरांत जाँघ की नसों का प्रदाह।

Calcaria Flour :- स्तन में कड़ी गिल्टियाँ या कैंसर या कर्कट रोग या कड़े पिंड  Silicia के समान।

Silicia :- गर्भावस्था में पैर के तलवों में दर्द । प्रसव वेदना के बाद पैर के तलवों में जलन, लेकिन प्रसूतावस्था में घटती है। स्तनों में कर्कट रोग, नासूर कड़े पिंड  Calcaria Flour के समान।

Calcaria Sulph:- स्तनों के प्रदाह में Silicia, Kali Mure, Ferrum Phos तथा Calcaria Flour के साथ तुलना करें।

Kali Sulph :-  







ज्वर (Fever)

ज्वर (Fever) :-
Ferrum Phos :- ज्वर अत्यधिक शीत या ठंडक के साथ प्रतिदिन दोपहर 1 बजे दिन में। किसी भी तरह का ज्वर।

Calcaria Phos :- पुराना पाकाशयिक पित्तज ज्वर। ज्वर या किसी भी रोग के बाद कमजोरी।

Kali Phos :- मष्तिष्क ज्वर। पाकाशयिक सांघातिक या स्नायविक या मष्तिष्क ज्वर। अत्यधिक दुर्बलता कारक या थकान पैदा करने वाले पसीने वाला या दुर्गन्धयुक्त ज्वर। ज्वर में बैगनी रंग की फुन्सियाँ। खाना खाते समय ज्वर।

Mag Phos :- आंत्रिक (Abdominal) ऐंठन के साथ ज्वर। पीठ के ऊपर से नीचे की ओर दौड़ती हुई ठंडक के साथ ज्वर या बुखार।

Natrum Phos :- खट्टे वमन के साथ ज्वर। ज्वर में पैर वर्फ के समान ठंडा। ज्वरावस्था में रात में पैरों में अत्यधिक जलन। 

Natrum Mure:- ज्वर आन्तरिक कम्पन के साथ।  ज्वर ठंढ़क के साथ सुबह से दोपहर तक। ज्वर में होठों पर छाले। 
सावधानी : - सिर दर्द एवं ज्वर की अवस्था में नेट्रम म्यूर का प्रयोग, उपयोग या सेवन न करें। 

Kali Sulph :- ठंडक के साथ ज्वर 7 बजे खाने के बाद। रक्त की विषाक्तता से पाकाशयिक ज्वर। पाकाशयिक ज्वर में जीभ पर लसलसापन तथा सायंकाल में वृद्धि।

Natrum Sulph :- लगातार मियादी वाला पाकाशयिक ज्वर। बिना प्यास के अत्यधिक ज्वर।

Silicia :- ज्वर में अत्यधिक ठंडी हवा सहन नहीं होती मुख्यतः सिर पर।

Kali Mure :- सर्दी वाला पाकाशयिक ज्वर Ferrum Phos के समान।

Calcaria Sulph :- 

Calcaria Flour :-


मूत्र सम्बन्धी रोग ( Disease of urine)

Natrum Mure :- मुँह में लार या पानी आने के साथ ही अत्यधिक मूत्र।पेशाब के बाद काटने का सा दर्द और जलन।शीताद से रक्त मूत्र।

Natrum Phos :- कृमि के कारण अनैच्छिक मूत्र श्राव। रुक- रुक कर मूत्र श्राव। बच्चों में अम्ल के साथ मूत्रावरोध।

Calcaria Phos :- बूढ़ों में अनैच्छिक मूत्र श्राव। पेशाब के बाद मूत्र नली में दर्द। मूत्रावरोध। मूत्र में सब्जियों जैसी तलछट। मूत्राशय या मूत्रनली की पथरी। मूत्र में फॉस्फेट या कैल्शियम फॉस्फेट। मूत्र में चूने की पथरी निकलना या।

Ferrum Phos :- नित्य बहुत अधिक मात्रा में अनैच्छिक मूत्र श्राव।पेशाब में प्रादाहिक लक्षण के साथ चूना तथा अण्डलाल।
मूत्र नली के गर्दन में उत्तेजना। गुर्दे में दर्द। रक्त मूत्र।

Kali Phos :- मूत्र मार्ग में खुजली। स्नायविक दुर्बलता से मूत्रावरोध। मूत्र नली या मूत्र मार्ग से रक्त श्राव। लिंग का आंशिक पक्षाघात।

Natrum Sulph :- पेशाब करते समय जलन। गुर्दे का पुराना प्रदाह। मूत्र में बालू सी तलछट। मूत्र में पीला सा हरा रंग। मूत्र में पीब तथा श्लेष्मा।

Kali Mure :- मूत्राशय में पुराना प्रदाह। गुर्दे के प्रदाह का प्रभाव।

Silica :- गुर्दे में पीब होना। मूत्र श्लेष्मा युक्त।

Mag Phos :- मूत्राशय का स्नायुशूल। मूत्र में दर्दनाक वेग और/ या ऐंठन के कारण थकावट। मूत्र नली का आक्षेप।

Calcaria Flour :- मूत्राल्पता। मूत्र सड़ी महँक वाला।

Calcaria Sulph :- मूत्र में लार। मूत्राशय में पकने वाली अवस्था।

Kali Sulph :- मूत्राशय की रक्त संचार हीन अवस्था kali Phos के समान।

बुधवार, 15 जुलाई 2020

पाकाशय या आमाशय (Stomach) के विकार

Natrum Phos :- अम्लता (Acidity)।आमाशय के प्रदाह के बाद कँवल रोग (Jaundice)।आमाशय की झिल्ली का हट जाना।आमाशय का घाव। आमाशय के विकार से हृदय में जलन।

Mag Phos :- भोजन में अम्लीय खाद्य सहन नहीं होना।भोजन के बाद आमाशय से खाद्य मुँह में आना।डकार से जलन।दाहिनी तरफ डकार से आराम नहीं मिलना। आमाशय में सूजन, ऐंठन या दबाव महसूस करना। मन्दाग्नि आक्षेप वाली और कै या वमन।चीनी या गुड़ की इच्छा।

Ferrum Phos :- अम्लीय या खट्टे खाद्य पदार्थों या दूध या मछली की अनिच्छा। एल मदिरा या शराब या स्फूर्ति दायक खाद्य पदार्थों की इच्छा। उदर छूने या पाकाशय/आमाशय में दबाव से दर्द या वेदना। पाकाशय या आमाशय में शू्ल या दपदपाहट का दर्द दबाव से बढ़ता है,लेकिन ठंडक से घटता है। मन्दाग्नि (भूख की कमी) के साथ तमतमाया हुआ चेहरा।
पाकाशय में वायु तथा चर्वी की डकार।अनपचे भोजन या उज्जवल लाल खून की कै।

Kali Sulph :- गरम पेय पदार्थों से डर या अनिच्छा। जलन की तरह प्यास या प्यास का अभाव। आमाशय या पाकाशय में पुरानी सर्दी, भरापन या मूर्च्छा का भाव। पाकाशय के भीतर दर्द या पुराना प्रदाह। बच्चों के पाकाशय या आमाशय में भरापन की अनुभूति। शू्ल का दर्द।

Silicia :- आमाशय या पाकाशय में कड़ापन मुख्यतः दक्षिणांश में। छाती का दूध पीने के बाद कै। बच्चे दूध पीकर कै कर देते हैं। कै सुबह में। मन्दाग्नि एवं गले में जलन। मिठाई की विशेष इच्छा। स्फूर्ति दायक चीजें सहन नहीं होता है।

Kali Phos :- मीठे खाद्य पदार्थों से अनिच्छा। खट्टे खाद्य पदार्थों से मन्दाग्नि। मन्दाग्नि में स्नायविक दर्द। उदर या कोख में प्रायः या बराबर दर्द। पाकाशय में शूल या दर्द भय या उत्तेजना से हो और खाना खाने से घटे। पाकाशय का खालीपन भी खाना खाने से घटे। गैस की या करुई डकार।

Calcaria Sulph :- लाल मदिरा पीने, फल एवं हरी सब्जी खाने की इच्छा। मन्दाग्नि के साथ चक्कर।

Calcaria Phos :- उदर या पाकाशय में खाना खाने के बाद वेदना या हल्का-हल्का मीठा-मीठा दर्द। सोंधी गन्ध वाले फ्राई किया हुआ खाद्य पदार्थ और मुख्यतः मांस की  विशेष इच्छा। खट्टे खाद्य पदार्थ, अचार एवं अण्डा खाने की विशेष इच्छा। खाने के बाद पेट में वायु भर जाना तथा पाकाशय में अधिक वायु से तनाव महसूस होना।आईसक्रीम खाने या ठंडा पानी पीने के बाद कै।बच्चे हमेशा पानी पीना चाहते हैं। बच्चों की कै। खाद्य पदार्थों का ठीक से पाचन नहीं होना।

Natrum Mure :- कँवल या कमला या जोण्डिस रोग के साथ निद्रालुता। कफ या बलगम या श्लेष्मा या अम्ल की कै।कै सूत या कॉफी के चूर्ण की तरह।धूम्रपान या नमकीन भोजन की इच्छा। कड़ुआ पदार्थ, मिर्च या नमक की विशेष इच्छा। पाकाशय में शू्ल या दर्द और लार या मुँह से पानी आना और मन्दाग्नि की स्थिति में भी।आमाशय या पाकाशय के बीच में लाल दाग।

Kali Mure :- काले, चिपचिपे या थक्केदार खून या गाढ़े सफेद बलगम की कै। पाकाशय से रक्त श्राव। पाकाशय या आमाशय में शू्ल कब्ज के साथ। पाकाशय के दाहिनी ओर के रोग या कष्ट।गरिष्ठ भोजन से अनपच या मन्दाग्नि। पित्त विकार में भूरी, लेकिन मन्दाग्नि में सफेद भूरी जबान या जिह्वा। गरम पेय के डकार।

Natrum Sulph :- स्वच्छ बलगम या पित्त या खारे जल की कै। पाकाशय में प्रसारण या भारीपन। पाकाशय से बलगम निकलना। केवल पित्त विकार या शू्ल के साथ।सायंकालीन जलती हुई प्यास (Burning Thrust)।

Calcaria Flour :- अनपच से या अनपचे खाद्य पदार्थ की कै  Ferrum Phos या Calcaria Phos के समान।

पुरुष जनेन्द्रिय (Male Sex Organe)

Calcaria Flour :- अंडकोश का कड़ापन। उपदंश का घाव।

Silicia :- अंडकोषों पर पसीना। उपदंश की सड़न या पेशियों में गाँठ। गुटिका उपदंश की तृतीयावस्था। मूत्राशय मुखशायी ग्रन्थि में जलन। मूत्रग्रन्थि में प्रदाह और पीब।उपदंश के कारण सूजाक में सड़न।लगातार कामविषयक चिन्ता।

Natrum Phos :- अंडकोष एवं शुक्र रज्जू में खिंचाव। स्वप्न रहित वीर्य श्राव। पानी सा पतला वीर्य। सूजाक के साथ खुजली। सूजाक में मलाई सा श्राव।

Natrum Mure :- अंडकोषों में दर्द। मूत्रग्रन्थि या मूत्रमार्ग में दबाव का दर्द तथा पेशाब के बाद काटने जैसा दर्द। मूत्रशायी ग्रन्थि एवं मूत्राशय से पीब सा श्राव। सूजाक के साथ जलन और/या पानी सा पतला स्वच्छ श्राव। वीर्य श्राव शीत के साथ। शुक्र रज्जू दर्द युक्त।

Kali Phos :- लिंगोद्रेक या लिंग शिथिलता। रतिक्रिया या सम्भोग के बाद थकावट और/या दृष्टि क्षीणता। उपदंश का घाव। सूजाक सड़ने वाले घाव के साथ।

Kali Mure :- उपदंश का मुलायम घाव एक्जिमा के साथ।आँतो में सूजाक का प्रभाव।सूजाक के साथ त्वचा के नीचे से श्राव। सूजन के साथ सूजाक।

Calcaria Sulph :- उपदंश में पकने वाली अवस्था।मूत्रग्रन्थि में प्रदाह एवं फोड़ा। सूजाक में पीब सा खून मिला हुआ श्राव।

Kali Sulph :- उपदंश में सायंकाल में वृद्धि। सूजाक में पीला श्राव।

Natrum Sulph :- खारिश दोष। जनेन्द्रिय की खुजली। उपदंश जनित मस्से। सूजाक दबा हुआ। मूत्रग्रन्थि बढ़ी हुई।

Calcaria Phos :- जनेन्द्रिय की कामोत्तेजक खुजली। हस्तमैथुन की आदत। रक्त हीनता के साथ सूजाक।

Ferrum Phos :- सूजाक में प्रादाहिक अवस्था। शुक्र रज्जु का अर्बुद।

Mag Phos :- गर्मी पसन्द प्रायः सभी प्रकार के कष्ट में।




रक्त संचालन यन्त्र (Circulatory System)

Calcaria Phos :- सांस भीतर खींचते समय हृदय में या उसके चारों तरफ दर्द। अण्डाकार रन्ध्र या छिद्र का नहीं भरना।

Calcaria Flour :- रक्त बहने वाली नाड़ी अर्थात् धमनी की वृद्धि या फैलना। रक्त बहा नाड़ी का अर्बुद। शिरा का घाव।

Ferrum Phos :- कौशिक तथा छोटी नाड़ियों का प्रसारण।नाड़ी भरी, गोल लेकिन रस्सी की तरह नहीं।लसिका वाहनियों का प्रदाह। शिरा प्रदाह और/या स्फीति।
हृदय का प्रदाह या हृदय के अन्तर्वेष्टी झिल्ली का प्रदाह।

Kali Phos :- डर एवं थकावट से मूर्च्छा। धड़कन मानसिक उत्तेजनाओं और/या सीढ़ी पर चढ़ने से। धड़कन से अनिद्रा।धड़कन वात ज्वर के बाहर। रक्त हीनता के साथ हृदय में कष्ट। रक्त की चाल मन्द। नाड़ी क्रम भ्रष्ट।

Kali Mure :- तन्तु मय उपादानों और धमनियों में रुकावट।धड़कन अत्यधिक।

Natrum Phos :- धड़कन के साथ भिन्न भिन्न स्थानों में नाड़ी की अनुभूति।हृदय के आधारित तल भाग में या जड़ में दर्द। हृदय के पास कम्पन की अनुभूति।

Mag Phos :- स्नायविक धड़कन एवं आक्षेप।

Kali Sulph :- कठिनता से जानने योग्य नाड़ी अर्थात् जब रोगी की नाड़ी का पता नहीं चल रहा हो।

Natrum Mure :- हाथ ठंडा। हाथ-पैर सुन्न। हृदय की अति वृद्धि। हृदय के आसपास संकोचन।

Silicia :- हृदय की पुरानी बीमारी।

Calcaria Sulph :-

Natrum Sulph :-

जिह्वा एवं स्वाद (Tongue & Taste)

Kali Phos :- जिह्वा के सूखेपन के साथ प्रदाह।जिह्वा के तालु से सट जाने की अनुभूति। जिह्वा का स्वाद नमकीन।लम्बी जिह्वा।किनारे में लाल जिह्वा।

Natrum Sulph :- हरी या कत्थई रंग की जिह्वा। जिह्वा की जड़ हरी या गन्दी।

Mag Phos :- सूखी या चमकीली लाल जिह्वा, मानोे जल गयी हो।

Natrum Mure :- झागदार या लार से भरी जिह्वा। जिह्वा पर छाले । जिह्वा दोष से बोलना देर से सीखे।

Calcaria Sulph :- मिट्टी के रंग की, पीलापन लिए हुए, जड़ों एवं किनारे में सफेद रंग वाली ,थुलथुली जिह्वा। जिह्वा का स्वाद साबुन जैसा या करूवा या तीक्ष्ण। पीब वाली जिह्वा।

Calcaria Flour :- फटी हुई जिह्वा।

Kali Mure :- भूरी कत्थई या सूजन युक्त जिह्वा।

Natrum Phos :- सुनहरी पीली मलाई की तरह जिह्वा विशेष रूप से जड़ में और तरी से युक्त जिह्वा। जिह्वा से बोलने में कठिनाई। जिह्वा का स्वाद तांबे जैसा।

Ferrum Phos :- गहरी लाल, थुलथुली या सूजन वाली, रोयेंदार तथा जड़ में प्रदाह युक्त जिह्वा ।

Calcaria Phos :- जिह्वा में फुन्सियाँ विशेष रूप से जिह्वा की जड़ में। जिह्वा में सुन्नता। जिह्वा भूरी सी तथा घबड़ा देने वाली स्वाद वाली।

Kali Sulph :- सफेद किनारों तथा पीसी हुई दाल के स्वाद वाली जिह्वा।

Silicia :- जिह्वा में घाव।

स्नायविक लक्षण (Neuralagic Symptoms)

Mag Phos :- शरीर में कंपन विशेष कर हाथों का काँपना। लेखकों का काँपना । अंगूठा या अंगुलियों का मुट्ठी में बँधना।कड़ेपन के साथ आक्षेपिक सिसकारी भरना। तुतलाना या तुतलाहट। दाँती लगना। हाथ-पैरों का ऐंठना या टेढ़ा होना।धनुष की तरहबिजली जैसा दर्द। पसलियों का स्नायुशूल। मृगी बुरी आदतों से।

Calcaria Phos :- शरीर के विभिन्न अंगों में कहीं भी चींटियों के चलने या कुछ रेंगने की अनुभूति (Creeping & Crawling sensation)। किसी भी बीमारी या बुखार के बाद कमजोरी। ऋतु परिवर्तन के बाद स्नायुशूल।

Kali Phos :- स्नायविक कमजोरी। शरीर में कंपन की अनुभूति या अनैच्छिक गति। चंचलता और हाथ-पैर हिलते रहना। डर विशेषकर चोरों से। बच्चों और विशेषकर बूढों के मूत्राशय का पक्षाघात फलस्वरूप पेशाब की याद नहीं रहना और किसी को पेशाब करते देख कर या पेशाब की याद आते ही या पेशाब का अनुभव होते ही बरदाश्त नहीं होने वाला तीव्र वेग से पेशाब लगना तथा कभी कभी कपड़े में ही पेशाब हो जाना। शीघ्र थक जाना। स्नायविक थकावट। एकाएक, रेंगने की अनुभूति के साथ और गति शक्ति की कमी के साथ पक्षाघात। स्पर्श शक्ति का नष्ट होना। अंगों के सूखने के साथ या दुर्बलता कारक पक्षाघात। आंशिक या मुख्य रूप से चेहरे का पक्षाघात। बच्चों का पक्षाघात। रात्रि कालीन भय मुख्यतः बच्चों का।मृगी एकाएक उत्तेजना या डर से।

Natrum Phos :- कृमि के कारण ऐंचाताना। चेहरे के पेशियों का फड़कना। पक्षाघात की तरह अनियंत्रित चाल।

Ferrum Phos :- रक्त संचय के कारण स्नायुशूल या प्रादाहिक स्नायुशूल। प्रादाहिक स्नायुशूल या उसके साथ पक्षाघात। रात्रिकालीन स्नायविकता।

Natrum Sulph :- कब्ज या मलावरोध के साथ नर्तन रोग (Choria)।

Calcaria Sulph :- मलद्वार का प्रादाहिक स्नायुशूल।

Natrum Mure :- सूनेपन की अनुभूति। मृगी जनित कमजोरी।

Silicia :- साधारण कारणों से भी आक्षेप। आक्षेप पेट से शुरू होना। नर्तन (Choria) कृमि के कारण। पक्षाघात क्षयरोग के कारण। शीतल वायु बर्दास्त नहीं। प्रादाहिक। हठी। मृगी का आक्रमण रात में Kali Phos के समान।

Kali Mure :-

Kali Sulph :-

Calcaria Flour :-

निद्रा एवं स्वप्न (Sleeping & Dream)

Natrum Mure :- अत्यधिक लेकिन अस्फूर्तिदायक निद्रा और सुबह जगने पर थकावट, लगातार सोने की इच्छा परन्तु उत्तेजना से अनिद्रा।

Kali Phos :- चिन्ता, व्यापारिक झंझटों, आवाज या नेट्रम म्यूर के समान उत्तेजना से अनिद्रा। सुबह में लगातार सोने की इच्छा। नींद में चौंकना या मांस पेशियों का फड़कना।
मृगी के कारण जम्हाई।

स्वप्न :- गिरने, उड़ने, डरने, आग, भूत, पहाड़, उँचाई या कामोत्तेजक स्वप्न देखना।

Silicia :- काम की उत्तेजनाओं से अनिद्रा।

Natrum Phos :- पढ़ते समय या बैठे बैठे सो जाना।खुजली से अनिद्रा। काम-विषयक (Sex oriented)  या साँप के सपने।

Mag Phos :- थकावट से अनिद्रा। अनिद्रा से आक्षेप वाली जम्हाई।

Ferrum Phos :- रक्त संचय से तथा कभी-कभी रात्रि में फेरमफॉस के उपयोग से अनिद्रा। दोपहर के बाद निद्रालुता।

Natrum Sulph :- वायु शू्ल के कारण अनिद्रा।

स्वप्न (Dreams) :- भारी स्वप्न।

Kali Mure :- जरा सी आवाज से नींद खुलना।


Calcaria Phos :- दिन में नींद परन्तु रात में अनिद्रा विशेष कर बूढों में। Kali Phos की तरह नींद में चलना और बच्चे का चिल्ला उठना या रोना। रात भर जागते रहना लेकिन सुबह में जगाना कठिन।

Calcaria Sulph :- डर जाने का स्वप्न Kali Phos की तरह।

Kali Sulph :- स्पष्ट स्वप्न।

Calcaria Flour :- नये दृश्य, स्थान आदि का स्वप्न। विपत्तियों के डर के साथ स्वप्न।

मंगलवार, 14 जुलाई 2020

ह्वास-वृद्धि (Amelioration- Aggravation )


Kali Phis :-

वृद्धि :- आराम करने, बैठ कर उठने, लगातार परिश्रम करने, अपराह्न 2 से 5 बजे के मध्य में या शाम में तथा संगीत से कोई भी कष्ट बढ़ता है।

ह्वास :- किसी काम में लगे रहने, भोजन करने, धीमी गति, मनोरंजन या संगति से कष्ट घटता है।

Calcaria Phos :-

वृद्धि :- ऋतु परिवर्तन, भींगने, दबाने या फल खाने से कष्ट बढ़ता है।

ह्वास :- लेटने से कष्ट घटता है।

Natrum Mure :-

वृद्धि :- समुद्र के किनारे, कीटों के काटने या डंक, क्विनाइन सेवन, सिल्वर नाइट्रेट, शीत ऋतु में, 9 बजे प्रातः से अपराह्न 3 बजे दिन तक, दोपहर बाद मुख्यतः ऋतु श्राव में नेट्रम फॉस के समान, प्रातःकाल में नेट्रम सल्फ के समान, धूप में कष्ट की वृद्धि होती है।

ह्वास :- किसी कड़ी चीज पर लेटने से।

Silica :-

वृद्धि :- पूर्णिमा के समय, रात्रि में मुख्यतः 2 बजे रात्रि के बाद, पैर का पसीना दबने या ठंड लगने या खुली हवा से कष्ट में वृद्धि।

ह्वास :- गरम कमरे में या गरमी से या सिर को गरम कपड़े बाँधने या सेंकने से मैग फॉस के समान कष्ट घटता है।

Kali Sulph :-

वृद्धि :- गरम कमरे में कष्ट बढ़ता है।

ह्वास :- शीतल या ठंडी खुली वायु में कष्ट घटता है।

Kali Mure :-

वृद्धि :- गरिष्ठ या चर्वीले भोजन या खाद्य पदार्थ या समोसा कचौड़ी आदि खाने से या स्नान करने से कष्ट बढ़ता है।

ह्वास :-

Ferrum Phos :-

वृद्धि :- छूने से, गति की स्थिति में Kali Mure एवं Calcaria Phos के समान वृद्धि होती है।

ह्वास :- शीत या ठंडक से Calcaria Flour से कष्ट घटता है।

Natrum Phos :-

वृद्धि :- तूफान के समय रोडोडेंड्रॉन के समान तथा दोपहर के बाद नेट्रम म्यूर के समान वृद्धि होती है।

ह्वास :-

Natrum Sulph :-

वृद्धि :- नमकीन खाद्य या भोजन की अधिकता से, पानी या जलोत्पन्न खाद्य पदार्थों उदाहरणार्थ मछली, सिंघाड़ा आदि या जल के निकट के या अधिक जलीय अंश वाले फल, साग, सब्जियों के अधिक सेवन से,बायीं तरफ लेटने से, धोने या पानी में काम करने से Calcaria Sulph के समान, सामयिक वृद्धि में नेट्रम म्यूर के समान तथा नम ऋतु में Calcaria Flour के समान कष्ट में वृद्धि होती है।

ह्वास :- सूखी आवहवा या वातावरण में कष्ट घटता है।

Calcaria Flour :-

वृद्धि :- नम ऋतु में नेट्रम सल्फ के समान वृद्धि होती है।

ह्वास :- पानी से सेंकने पर, मालिश करने तथा फेरमफॉस के समान शीत से कष्ट घटता है।

Mag Phos :-

वृद्धि :- वायु से Kali Phos के समान तथा ठंडक से Silicia एवं  Calcaria Phos के समान कष्ट बढ़ता है।

ह्वास :- सेंकने, दबाने,रगड़ने तथा दोहरा हो जाने से कष्ट घटता है।

Calcaria Sulph :-

वृद्धि :- कपड़ा धोने में Sepia तथा पानी में काम करने में Natrum Sulphur के समान कष्ट बढ़ता है।

ह्वास :-

मन:स्थिति (Mental symptoms/condition)

मंगलवार, 14 जुलाई 2020

Natrum Phos (नेट्रम फॉस)

मन:स्थिति :-

लालसा हीन या आकाँक्षा रहित। रात को जागने पर किसी की आहट सुनना।

Ferrum Phos ( फेरमफॉस)

मन:स्थिति :-

तिल को पहाड़ समझना। नींद के बाद आराम।पागलपन स्वभाव की परिवर्त्तनशीलता के साथ। हर चीज के सम्बन्ध में लापरवाही।


Kali Mure (कालीम्यूर)

मन:स्थिति :-

भूखों मरने की कल्पना।

Kali Phos (काली फॉस)

मन:स्थिति :-

एकाएक या गहरे सोच का दुष्परिणाम। विस्मृति या स्मृति हीनता। दिमागी कमजोरी।अधिक पढ़ने या सोचने या भविष्य की चिन्ता से कष्ट। अत्यन्त अधीर या संकोची या लज्जाशील।अन्तर्बल की कमी। स्नायविक उत्तेजना। लोगों से मिलने या बात करने की इच्छा नहीं होना। कार्य शक्ति की कमी। कमजोर मनोबल। कल्पनाशीलता। काल्पनिक वस्तुओं को पकड़ना हायोसियामस की तरह। गोद में सवार होकर कैमोमिला की तरह घूमने की इच्छा। घर जाने की उतावली कैप्सिकम, इग्नेशिया एवं कैल्कैरिया फॉस की तरह। चींखना, चिल्लाना, चें-चें में-मेंकरना। बच्चों में रात्रि भय। स्नायविक डर। डरने की आदत और उसका कुपरिणाम।भय पैदा करने वाले स्वप्न। उड़ने, गिरने एवं ऊँचाई या पहाड़ का सपना। तन्द्रालुता। निद्रा भ्रमण। नींद में बोलना।प्रलाप या बुदबुदाना। बीते दिनों की याद से कष्ट या प्रेम की निराशा से कष्ट नेट्रम म्यूर की तरह। अन्धकार मय भविष्य की चिन्ता। शंकालु (Mistrust/Suspicious)। उत्तेजना या आवेग से एकाएक मृगी। बुरे परिणाम का भय। भीड़ से कष्ट या भय।मानसिक शक्ति में कमी या मानसिक विश्रृंखलता। रोने की प्रवृत्ति पल्सेटिला की तरह। लिखने या बोलने में अक्षरों या शब्दों की अशुद्धता या उन्हें छोड़ना लायको की तरह। विगत दृश्यों को पुनरावलोकन की इच्छा और/या उनसे भयभीत होना। सूतिकोन्माद। परिवर्त्तनशील स्वभाव। जोर से हँसना। हर चीज या घटना का बुरा या अन्धकार पक्ष देखना या सोचना। भूत पिशाच का भय। पूजा करने में असन्तुष्टि। अनिद्रा। मष्तिष्क हिल जाना।पागलपन या सनकीपन या दिवालियापन।

Calcaria Phos (कैल्कैरिया फॉस)

मन:स्थिति :-

अपुष्ट मष्तिष्क। एकान्त में रहने की इच्छा कैप्सिकम या इग्नेशिया की तरह। चिढ़ने का दुष्प्रभाव। चित्त में आशा का खण्डन या संताप या हार्दिक कष्ट। नाराजगी या निराशा का बुरा परिणाम। मन्द बोधगम्यता या विचार शक्ति।मूर्खतापूर्ण व्यवहार। मन्द या कमजोर स्मरण शक्ति।


Mag-Phos (मैग फॉस)

मन:स्थिति :-

लोगों की अनुपस्थिति या किसी से बातचीत / वार्तालाप नहीं होने की स्थिति में भी अपने आप लगातार बुदबुदाना या बोलते रहना। परिवर्तनशील स्वभाव के साथ विलाप करना।
वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना। सूतिकोन्माद की स्थिति में रोटी हरा दिखाई देना।
हिचकी भरना ( जिनसेंग या नक्स वोमिका की तरह)। सम्वेदना सम्बन्धी भ्रम एवं विभ्रम।


Nat Mure (नेट्रम म्यूर)

मन:स्थिति :-

उदासी के साथ दिल (हृदय) की धड़कन। कठिन रोगों में बेहोशी। गुस्सा। खिलाड़ीपन। नाचने गाने की प्रवृत्ति। प्रलाप (Delirium) में विषय बदलते रहना। भोकारपारकर रोना (Bitterly Weeping)। विषयासक्ति का दु:ख इग्नेशिया के समान और उसका पुराना रूप। यौवनावस्था में शोकाकुलता या शोकाछन्नता। सहज में भड़क उठना। सान्त्वना देने पर कष्ट बढ़ना।

Natrum Sulph (नेट्रम सल्फ)

मन:स्थिति :-
आराम होने से निराश।आत्महत्या की प्रवृत्ति या प्रवणता।उन्मत्त या उद्दंडता। सिर में मुख्यतः पिछले भाग में चोट के नये या पुराने चोट के कारण सिर दर्द और/या मानसिक विश्रिंखलता। संगीत से कष्ट वृद्धि।

Calcaria Flour (कैल्कैरिया फ्लोर)

मन:स्थिति :-

सम्पत्ति नष्ट होने का भय। कंजूस

Kali Sulph (काली सल्फ)

मन:स्थिति :-

गिरने का भय।

Calcaria Sulph ( कैल्कैरिया सल्फ)

मन:स्थिति :-

एकाएक होश गायब होना (Sudden Faintness)।परिवर्तनशील स्वभाव।

Silicia (साइलीशिया)

मन:स्थिति :-

सूईयों एवं पिनों से खेलना परन्तु हृदय रोग में भय होना। जीवन से थका, निराशा एवं घृणा। सोचना कठिन।बेखबर। मन:संयोग नहीं कर सकना।




Natrum Phos (नेट्रम फॉस)

मन:स्थिति :-

लालसा हीन या आकाँक्षा रहित। रात को जागने पर किसी की आहट सुनना।

मन:स्थिति (Mental symptoms/condition)

आँख (Eye) ;- आँखें रक्त रंजित।आँख आना एवं मलाई सा श्राव निकलना।आँखों के पलकों के किनारे में जलन।.आँखों में गण्डमाला जनित प्रदाह। धुंधली दृष्टि।आँखों में सफेद श्लेष्मा और मुख्यतः मलाई सा सुनहरा या गाढ़ा पीला श्राव।


कान ( Ear) :- एक कान लाल एवं गर्म। कान में खुजली। कान पतली परतों से ढ़का हुआ।बाहरी कान में दर्द।कानों में दर्द मुख्यतः शीर्णता के कारण।

मुँह (Mouth) :- ऊपरी तालु की सतह पीली। मुख के घाव या क्षत। जीभ की जड़ पीली।

गर्भावस्था एवं प्रसव (Pregnancy & labour) :- गर्भावस्था में खट्टी वस्तु की कै।

ज्वर (Fever) :- खट्टे वमन के साथ ज्वर। ज्वर में पैर वर्फ के समान ठंडा। ज्वरावस्था में रात में पैरों में अत्यधिक जलन। 


मूत्र सम्बन्धी रोग ( Disease of urine) :- कृमि के कारण अनैच्छिक मूत्र श्राव। रुक- रुक कर मूत्र श्राव। बच्चों में अम्ल के साथ मूत्रावरोध।


पुरुष जनेन्द्रिय (Male Sex Organe) :- अंडकोष एवं शुक्र रज्जू में खिंचाव। स्वप्न रहित वीर्य श्राव। पानी सा पतला वीर्य। सूजाक के साथ खुजली। सूजाक में मलाई सा श्राव।

पाकाशय या आमाशय (Stomach) के विकार :- अम्लता (Acidity)।आमाशय के प्रदाह के बाद कँवल रोग (Jaundice)।आमाशय की झिल्ली का हट जाना।आमाशय का घाव। आमाशय के विकार से हृदय में जलन।

स्नायविक लक्षण (Neuralagic Symptoms)Natrum Phos :- कृमि के कारण ऐंचाताना। चेहरे के पेशियों का फड़कना। पक्षाघात की तरह अनियंत्रित चाल।

रक्त संचालन यन्त्र (Circulatory System) :- धड़कन के साथ भिन्न भिन्न स्थानों में नाड़ी की अनुभूति।हृदय के आधारित तल भाग में या जड़ में दर्द। हृदय के पास कम्पन की अनुभूति।

निद्रा एवं स्वप्न (Sleeping & Dream) :- पढ़ते समय या बैठे बैठे सो जाना।खुजली से अनिद्रा। काम-विषयक (Sex oriented)  या साँप के सपने।

जिह्वा एवं स्वाद (Tongue & Taste) :- सुनहरी पीली मलाई की तरह जिह्वा विशेष रूप से जड़ में और तरी से युक्त जिह्वा। जिह्वा से बोलने में कठिनाई। जिह्वा का स्वाद तांबे जैसा।

सिर, मष्तिष्क एवं खोपड़ी (Head, Brain & Skull) :- 

नाक (Nose) :- 

गले एवं चेहरे (Throat & Face) :- 

दाँतों एवं मसूड़ों (Teeth & Gums) :- 

श्वसन यन्त्र (Respiratory System) :- खाँसी के उपसर्गों में या छाती में दबाव से दर्द।छाती की पसली या पंजरे की पेशियों में दर्द। छाती में सांस लेते समय और मुख्यतः गहरी सांस लेने के समय छाती में गहरे संकुचन से कष्ट।मलाई सा हल्का पीला बलगम।

उदर या तलपेट तथा मल (Abdomen & Stool) :- 

त्वचा (Skin) :- 

तन्तु (Tissues) :- 

स्त्री जनेन्द्रिय (Female Sex Organ) :-

ह्वास-वृद्धि (Amelioration- Aggravation ) :-

वृद्धि :- तूफान के समय रोडोडेंड्रॉन के समान तथा दोपहर के बाद नेट्रम म्यूर के समान वृद्धि होती है।

ह्वास :-