शनिवार, 21 नवंबर 2020

भोली भाली प्रिया सौम्या

भोली-भाली प्रिया सौम्या , 
जीवन की हरियाली है।
राज-श्री, शुभदा, सुखदा; 
सौभाग्य बढ़ाने वाली है।।

नयनों की काजल हितकारी, 
राधा श्याम दुलारी है।  
नर मुनि सुरासुर पूज्या, 
रमणी कन्या सुखकारी है।।

हृदवासिनी धनदा गृहिणी, 
कामिनी जया कल्याणी है।
प्रेयसी प्रिया पावन दिव्या, 
अबला प्रबला महारानी है।।

दारा, तनुजा, भगिनी, देवी, 
बधू, कन्या रुप अनेकों नारी हैं।
विटप वल्लरी पुष्पलता प्रिया, 
हिय हार प्रियम्वदा प्यारी हैं।।

धारिणी पुंबीज सन्त्तति दाता, 
मातृत्व वात्सल्य प्रदायिनी है।।
दिव्यांगना शैलज हितकारी, 
सुर सरि गंगा सम पाविनी है। 

भोली-भाली प्रिया सौम्या, 
जीवन की हरियाली है।
राज श्री शुभदा सुखदा, 
सौभाग्य बढ़ाने वाली है।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

    
 
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रविवार, 15 नवंबर 2020

शैलज दोहावली : भाग-३ (दोहा संख्या ९७ से १४४ तक।)

शैलज भेंटें प्रेम जो, मत मन राखूँ गोय।
अनुपयोगी कूप जल, ज्यों विषाक्त ही होय।।९७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज हो गया सिरफिरा,
तन मन पड़ा बीमार।
सत्यासत्य उचितानुचित, 
बिन समझे करे वार।।९८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज डूबा स्वार्थ में,
करता अवसर उपयोग।
विद्या शील स्नेह रहित;
पथ-दर्शक कहते लोग।।९९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज कुछ एक वोट से, 
गया चुनाव में हार।
अपने हार पहन लिया, 
क्यों पूछे जन संसार ?।।१००।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज दुनिया से सीख कर, 
करता हर व्यवहार।
निज प्रकृति अनुरूप ही, 
फल पाता कर्म अनुसार।।१०१।।

शैलज दुनिया को देखकर, 
मत करिये हर व्यवहार।
पग रखिये पथ को देखकर, 
उत्तम अनुभूत विचार।।१०२।।

शैलज दुनिया में जो मिला, 
सब कुछ है उपहार।
प्राणी धर्म विवेक बिन, 
है मानव जीवन बेकार।।१०३।।

शैलज दुनिया के लिए, 
करता रचनात्मक काज।
आवागमन प्रकृति पुरुष, 
समझे मनुज समाज।।१०४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

रवि ज्वाला लपटों का रूप लिये,
संक्रमण जनित ज्वर ताप प्रिये।
सूखी खाँसी हो श्वास विकल,
शैलज कोरोना उपचार प्रिये।।१०५।।

हों लवण दोष या लौह जनित,
करें होमियो बायो उपचार प्रिये।
जी लाल शुष्क, गुड़ गर्मी प्रेमी,
शैलज मैग फॉस आधार प्रिये।।१०६।।

है मजबूरी प्रिये, तन की दूरी;
पर, मन से हो तुम पास प्रिये।
तुलसी हरती हैं त्रिविध ताप;
आयुष है शैलज साथ प्रिये।।१०७।।

ग्रह नव रवि या कोई भी हों,
सब होंगे सदा सहाय प्रिये।
रवि पुष्प मदार हृदय राखे,
शैलज सौभाग्य विचार प्रिये।।१०८।।

कफ काम, पित्त है क्रोध मूल,
है वात लोभ के पास प्रिये।
ये रोग नरक दुख कारक हैं,
शैलज त्रिगुण विचार प्रिये।।१०९।।

क्षिति, जल, पावक, गगन संग,
पवन प्राण निवास प्रिये।
शैलज सुमिरि प्रकृति प्रभु,
करता जग में है वास प्रिये।।११०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि, मनोवैज्ञानिक, ज्योतिषी, होमियोपैथ)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

कोरोना और चुनाव में,
शैलज नेता मेल।
आँख मिचौली खेल में,
जनता मूरख भेल।।१११।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 कोरोना और चुनाव में,
आँख मिचौली खेल।
नेता पक्ष विपक्ष में,
शैलज अद्भुत मेल।।११२।।

सूरज सविता दिनपति,
दिनकर दीनानाथ।
भानु भास्कर जगत पति,
रवि रव नाथ अनाथ।।११३।।

स्रष्टा पालक संहर्त्ता,
ब्रह्मा विष्णु महेश।
शैलज छठ माँ पूजिये,
शक्ति सहित दिनेश।।११४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज देश विदेश में,
जीव अजायबघर एक।
मानव प्रकृति में ही मिला,
स्वारथ बहस विवेक।।११५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय,बिहार, भारत।

शैलज सच को सच कहा,
रूठ गये सब लोग।
जब सच से पाला पड़ा,
कह रहे उसे संयोग।।११६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज मीत सराहिये, सुमति सुकाज सहाय।
सोच हिताहित आपसी, हिय मन जेहिं समाय।।११७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज नेता बन गया, सबकी चिन्ता छोड़।
चिन्ता में सिर तब फिरा, दिया सबों ने छोड़।।११८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज नारद रवि कृपा, निशिचर हुए उदास।
तारे संग सिमटी निशा, काम रति हुए दास।।११९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शशि रवि सहधर्मिणी, करत प्रकाश दिन रात।
शैलज राजाज्ञा शुभद, अवकाश अमावस रात।।१२०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा,बेगूसराय।

 सचिव शशि अध्यक्ष रवि, उडुगण शेष समाज।
शैलज रवि शशि के बिना, तिमिर अमावस राज।।१२१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा,बेगूसराय। 

 जलद श्याम घन मोर मन, चन्द्र चकोर स्नेह।
शैलज श्रम बिनु राज श्री, भक्ति बिना प्रभु नेह ? ।।१२२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

 जलद श्याम घन मोर मन, चन्द्र चकोर स्नेह।
शैलज श्रम जग राज श्री, भक्ति भाव प्रभु नेह।।१२३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

आतम ज्ञान से मन डरे,
सुमन विवेक प्रकाश।
शैलज रजनीचर डरे,
रजनीचर नभ वास।।१२४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज मनोकाँक्षा प्रकृति विमुख,
रहित विवेक विचार।
जल द्रव गति मति क्षुद्र नर,
उठत गिरत हर बार।।१२५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज स्वार्थी, वाक्पटु; 
भोगी, कुटिल, लवार।
धृत उपदेशक, हठी जन; 
कलिकाल महान्, गवांर।।१२६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज बचपन पचपन का,
बारह सात उनीस।
भूले बिसरे गले मिले,
इस जग में सब बीस।।१२७।।

अनठावन की प्रकृति का,
सत्य न प्रेम से मेल।
एक एक कर सबसे मिले
शैलज समाज का खेल।।१२८।।

शैलज सच सच कहे,
सदा झूठ को झूठ।
प्रेमी जन सम्वाद सुन,
जाये दुनिया रूठ।।१२९।।

शैलज जगत अवतरण,
 कृष्ण निशा आकाश।।
रजनीचर भानु बिना,
कबहुँ कि करत प्रकाश ?।।१३०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज जब तक साँस है,
सुख दुःख अहम् त्रिताप।
पिया मिलन को चल पड़े,
जग बन्धन छूटे सन्ताप।।१३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।


शैलज नर तन पायके, 
भूल गया कर्त्तार।
जग तिलस्म में भटक, 
भूला निज घर द्वार।।१३२।।

डॉ ० प्रो ० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगुसराय।

शैलज नर तन पायके, 
भूल गया कर्त्तार।
फँसा जगत तिलस्म में, 
भूला निज घर द्वार।।१३३।।

डॉ ० प्रो ० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगुसराय।

 
शैलज नर तन पायके, 
भूल गया कर्त्तार।
जग तिलस्म में भटक, 
भूला निज घर द्वार।।१३४।।

डॉ ० प्रो ० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगुसराय

 शैलज ईश्वर को भजे,
आत्मलीन मन लाय।
करे समर्पण स्वयं को, 
केवल एक उपाय।।१३५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा,बेगूसराय।

 शैलज लोक परलोक हित,
प्रभु से करे गुहार।
जीव नारि नर सुगति सत्,
शान्ति प्रेम सुविचार।।१३६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सही लिबास बिनु, 
कैसा चरम विकास ?
करम धरम छूटा शरम, 
नीच मनुज के पास।।१३७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज क्रूर कुटिल मति, 
मतलब के सब यार।
दया धर्म गुण रहित नर, 
सज्जन हेतु तुषार।।१३८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज क्रूर कुटिल मति, 
प्रकृति विरुद्ध उपचार।
दया धर्म गुण रहित नर, 
जग वन हेतु तुषार।।१३९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज मनुज समाज गति; 
ज्ञान, विवेक, व्यवहार।
देश-काल-पात्र निर्भर मति, 
सच्चिदानंद मूलाधार।।१४०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शूल गुलाब, कीचड़ कमल, 
वन उपवन सौंदर्य सुवास।
शैलज समदर्शी सुमन मन, 
प्रमुदित, न करत उदास।।१४१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज जगत असार की,
चिन्ता करम हिसाब।
तू क्या राखे मूढ़ मन ?
प्रभु के पास किताब।।१४२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 त्रिविध ताप त्रिदोष कर, 
शैलज नीच विचार।
वेग त्रयोदश रोक कर, 
तन मन करत बीमार।।१४३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार। 

 सुन्दर श्री पद ज्ञान गुण, 
व्यवहारिक नर-नारि।
रूप-कुरूप शैलज भजे,
लखि कुल शील विचार।।१४४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
 





शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

शैलज दोहावली : भाग-२ (दोहा संख्या ४९ से ९६ तक )

शैलज तन रक्षा करे, मन की सुधि नित लेत।
ज्योतिर्मय कर ज्ञान पथ,पाप भरम हरि लेत।।४९।।
अन्त:करण सुचि देव नर ,जीव चराचर कोई।
दृश्यादृश्य पुनीत प्रभु, गुरु प्रणम्य जग सोई।।५०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 
०४/०९/२०२०, ५/५१ अपराह्न।

सनातन हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा गुरु पूर्णिमा (आषाढ़ पूर्णिमा) के दिन गुरु व्यासजी की पूजा होती है, परन्तु भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं आदर्श शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस ५ सितम्बर के दिन प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है और हम सभी भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं आदर्श शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधाकृष्णन एवं अपने-अपने अन्य गुरु देवों को भी याद करते हैं, उनका सम्मान करते हैं तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग का अनुशरण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं, क्योंकि गुरु का अर्थ होता है अन्धकार से प्रकाश में लाने वाले।
ऊँ असतो मां सदगमय।। तमसो मां ज्योतिर्गमय।। मृत्योर्मा अमृतं गमय।। शुभमस्तु।।
शिक्षक दिवस हार्दिक शुभकामना एवं बधाई के साथ।    

शैलज सन्तति, वित्त, सुख,
भ्राता, कुल, पति हेतु।
सहत क्लेश सविवेक नित,
नारी सृष्टि सेतु।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
ममतामयी माँ एवं मातृ शक्ति के परम पुनीत जीमूतवाहन (जीवित पुत्रिका/जीउतिया) व्रत की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाओं के साथ।
जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।@dna @Republic_Bharat @RajatSharmaLive @POTUS @UN @rashtrapatibhvn @PMOIndia @uttam_8 @amnesty @RahulGandhi @ShahnawazBJP 

शैलज माँ को भूलकर, हो गया पत्नी दास।
खैर नहीं, कर्त्तव्य है, या निर्वासन, उपवास।।५१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज वे नर श्रेष्ठ हैं ?
जो हैं अनुभव हीन ।
माता, तनुजा, पत्नी प्रिया, 
नारी रूप हैं तीन।।५२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।

आदि अभियंता विश्वकर्मा नमस्तुभ्यं अंगिरसी-वास्तुदेव सुतं ब्रह्मा पौत्रं वास्तु शिल्प विशारदम्। 
भानु कन्या संक्रमण गोचर विश्वकर्मा जातं सुरासुर जड़ जीव पूज्यं जगत कल्याण सृष्टि कारकं।।५३।।

ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज काम के स्वार्थ में, 
धर्म मर्यादा छोड़ ।
अर्थ अनर्थ हित मोक्ष से, 
मुँह लिया है मोड़।।५४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 

शैलज उदधि अनन्त भव, 
इच्छा भँवर वहाब।
एक समर्पण आश्रय, 
सुमति सुकर्म बचाव।।५५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

बाल, वृद्ध, नर-नारी हित, 
शैलज हिय सम्मान।
जय, सुख, समृद्धि, राज, श्री, 
पावे शुभ वरदान।।५६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय। 

सगुण सराहत लोकहित,  
ज्ञान प्रत्यक्ष विज्ञान।
निर्गुण ब्रह्म परलोक चित, 
अपरा परा निदान।।५७।।

डॉ०  प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा।

शैलज अर्थ, आसक्ति में;
पड़ा नरक के द्वार।
मोक्ष, धर्म को छोड़कर; 
भटक रहा संसार।।५८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज भौतिक भूख से, 
उपजे दु:ख हर ओर।
आध्यात्मिक व्यवहार तजि, 
प्रभु से मांगे और।।५९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज घटना कोई भी, 
नहीं प्रारब्ध अकारण होत।
भोगत सुख-दुःख करम फल, 
अपजस विधि को देत।।६०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज कृष्ण के प्रेम में, 
डूब गया संसार।
काम बासना मुक्त हो, 
मिला मुक्ति प्रभु द्वार।।६१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 प्रेम वासना जीव जग, 
जड़ चेतन सृष्टि आधार।
प्रकृति पुरुष के मिलन से,
प्रकट हुआ संसार।।६२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

सुन्दर चरित, सुसमय घड़ी,
सुमन स्वस्थ विदेह।
रिश्ता स्नेहिल प्रेम मय,
च्यवनप्राश अवलेह।।६३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय। 

 पारस संग कंचन प्रिय, 
चुम्बक संग गति सोई।
पारस चुम्बक शैलज सुगति, 
लौह बड़ाई होई।।६४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 छाया छाया सब चले, 
छाया मोहित सोई।
छायापति छाया चले, 
शैलज पूजित होई।।६५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

नारी कृत अपमान का,
मत करिये प्रतिकार ।
शैलज कौरव कुल गति, 
हरे धर्म व्यवहार।।६६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 पावन दिल, सद्भाव, दृढ़ 
शैलज श्रद्धा-विश्वास।
अष्ट सिद्धि नव निधि प्रद, 
सुगम सुकर्म प्रयास।।६७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी), पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज शुभाकाँक्षा गति, 
उत्तम प्रकृति अधिकाय।
तप बल ताप नशाय त्रय, 
हिय अंकित प्रिय पाय।।६८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज 
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज भाग्य स्वयं लिखे,
अपने कर्म व्यवहार।
समय, भाग्य, विधि दोष दे,
उर संतोष बिचार।।६९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज 
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज नि:संकोच प्रिय, 
प्रमुदित पूर्वाग्रह-मुक्त।
जन हित प्रत्याशी हित, 
निज मत करिये व्यक्त।।७०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज सखा सुरेश की, 
कृपा दृष्टि औ संग।
ब्रजकुल कालिन्दी मधु, 
गीता पार्थ प्रसंग।।७१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

सत्ता, सुख, प्रतिशोध में, 
शैलज खेलत दाव।
जनता को गुमराह कर, 
नोन लगावे घाव।।७२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज राज श्री सुख प्रद,
सुहृद भाव विचार।
जोग जुगुति व्यवहार मृदु,
यश फैले संसार।।७३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सुन्दर सरल सखि!
भावुक प्रिय उदार।
कलि प्रभाव छल बल बिनु,
गुण समूह बेकार ? ।।७४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज पाप प्रभाव से, 
उपजे दु:ख संताप।
सम्यक् कर्म-व्यवहार से, 
बाढ़े पुण्य प्रताप।।७५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज असुर समाज है, 
नेता जन की भीड़।
जनता सुर को रौंदते, 
नित्य उजाड़े नीड़।।७६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।
  

शैलज सत्ता स्वार्थ हित, 
पर पीड़न रति लीन।
नेता असुर सुरत्व तजि, 
पंडित भये प्रवीण।।७७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

निज मुख दर्पण में देख कर, 
शैलज हुआ उदास। 
ग्लानि, क्रोध, अविवेक वश; 
दर्पण को दे नित त्रास।।७८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज राज न दरद का, 
जाने जग में कोई।
प्रेमी वैद्य जाने सहज, 
सुख समाज को होय।।७९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज जनता मूरख भेल, 
नेता खेले सत्ता खेल।
MA गदहा, BA बैल, 
सबसे अच्छा मैट्रिक फेल।।८०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज समय विचारि कर, 
रखिये अपनी बात।
प्रिय जन राज सलाह शुभ,
मेटे हर झंझावात।।८१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

का करि सकत विरोध कर, 
बाधा लघु मध्य महान् ?
भाग गुणनफल योग ऋण, 
शैलज अवशेष निदान।।८२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अन्तर् ज्योति प्रकाश बिन, जगत ज्ञान बेकार।
शैलज राज समाज सुख, प्रेम धर्म जग सार।।८३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

आवागमन के चक्र में, 
कटु-मधु जीव व्यवहार।
भक्ति, मुक्ति, श्री, राज, सुख;
शैलज प्रभु प्रेम आधार।।८४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज मूरख राज श्री; पद बल अहम् बौड़ाय।
आनन सुन्दर अलि छटा, समय पाय मुरझाय।।८५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज सत्ता राज श्री, पद बल मद अधिकाय।
आनन सुन्दर अलि छटा, समय पाय मुरझाय।।८६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।
 
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शैलज सुहृद सराहिये, 
सुमति सुकाज सहाय।
तम हर ज्योति पथ शुभ, 
सुगम सरल दर्शाय।।८७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज विदुर चाणक्य को; भूल रहे जो लोग।
समय भुलाया है उन्हें, सत्य अटल संयोग।।८८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज विदुर चाणक्य या अन्य विचारक लोग।
निज अनुभूति बता गये; कर्म, ज्ञान, रुचि, योग।।८९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज परहित साधन निरत,
नेक नीति नित साथ।
सुख-दुःख, कीर्ति, परिणाम तजि; 
लिखत भाग्य निज हाथ।।९०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

असुर अनीति, देव विधि;
जड़ नर जीव सुख चाह।
पशु से नीच विवेक बिन,
शैलज दुर्लभ शुभ राह।।९१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज राम जगत पति,
कृष्ण प्रेम हिय वास।
भेदत तम रज सतोगुण,
दीपावली प्रकाश।।९२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अन्तर् दीप जला रहा, शैलज हिय मन द्वार।
जगत बुझाये वातवत्, प्रिय प्रभु रखवार।।९३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज सम्यक् शुभकामना;
जीव जगत नर हेतु।
दीप ज्योति तम हर शुभद, 
प्रभु शरणागति सेतु।।९४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

गोपालं नमस्तुभ्यं ज्ञान सृष्टि हित कारकं।
जीवेश समत्व योगं गोवर्धनं सुखकारकं।।९५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अवसर धर्म विकास रुचि, 
अवसर काज समाज।
अवसर पर निर्भर सभी, 
शैलज नेतृत्व सुराज।।९६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज दोहावली: भाग-१ (दोहा संख्या १ से ४८ तक)

" शैलज " घट-घट मीत है, प्रीति मीन जल माहि।
मूढ़ बड़ाई हित करै, असुर सुखद शुभ नाहि।। १।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय। 

"शैलज" जो नर स्वयं को 
मानत गुण की खान।
अवगुण छाया संग में,
निशि अमान्त अनजान।।२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०७/२०२०, १५/०७ अपराह्न

निज नयनन झाँकत नहीं, 
जड़मति जन अज्ञान।
नयन बन्द देखत मुकुर, 
कलि योगी शील निधान।।३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज विश्व अनन्त में प्रेम कृषक-सा बोय।
सींचत स्नेह व्यवहार से फल सर्वोत्तम होय।।४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०७/२०२०, १०/५९ पूर्वाह्न।

शैलज हर त्रिशूल है, सूचक कफ पित्त वात।
समरस जीवन धातु बिन, रोग शोक उत्पात।।५।।

शैलज सत रज तमोगुण, नाम रूप अनुसार।
सृजन नियन्त्रण नश्वरता निज प्रकृति विचार।।६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
०८/०८/२०२०, २०/४३ अपराह्न।

शैलज रिश्ता एक है, कारण-कार्य व्यवहार।
प्रकृति सह-अनुभूति की, है अनुपम आधार।।७।।

जनम-जनम देखे नहीं, करते उनकी बात।
एक जनम यह देख ले, बन जायेगी बात।।८।।

शैलज करता अहर्निश, जनम-जनम की बात।
प्राकृत, व्यक्ति, आदर्श का, फलित जगत् सौगात।।९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १०/०९ पूर्वाह्न।

शैलज जो नर नीच हैं, लघु उच्च जन कोई।
सद्यः उन्हें विसारि दे, कुलिष पंक सम सोई।।१०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
११/०८/२०२०, ०१/०६ पूर्वाह्न।

शैलज काम, क्रोध औ लोभ को जीतें हृदय विचार।
त्रिविध ताप उपजे नहीं, सद्कर्म करे सुविचार।।११।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, ०९/५३ पूर्वाह्न।

शैलज अवगुण से भरा,
तुम सद्गुण की खान।
जल में मिल वह कीच है, 
तू पंकज दिव्य महान्।।१२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ००/१३ पूर्वाह्न।

ऊँ श्रीकृष्ण योगेंद्र षोडशांंशावतारं,
राधे श्यामं भजाम्यहं प्रभु दशावतारं।
गोपी बल्लभ, गोविंद, नारायण, वासुदेवं,
नन्द नन्दन, देवकी सुत, यशोदा नन्दन।।१३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, १३/५५ अपराह्न।

काम, क्रोध औ लोभ हैं, शैलज नरक के द्वार।
जिनके वश ये तीन हैं, पाते सुख शान्ति अपार।।१४।।

काम, क्रोध औ लोभ ये सभी नरक के द्वार।
शैलज इनसे दूर हो, खोलें मोक्ष के द्वार।।१५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, ०९/१३ पूर्वाह्न।

हृदय हीन, विवेक बिन; 
नर पशु से भी नीच।
शैलज पाते दुसह दु:ख, 
सुजन मूर्ख के बीच।।१६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१८/०८/२०२०, १०/२१ पूर्वाह्न।

शैलज कायर मूढ़ जन, 
त्यागे घर परिवार।
पर-दु:ख निज समझे नहीं, 
पर चाहे उद्धार।।१७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
१८/०८/२०२०, १२/५८ अपराह्न।

मोक्ष, ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ 
सब आश्रम धर्म आधार।।
शैलज धर्म गृहस्थ बिन, 
सब आश्रम धर्म बेकार।।१८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

पति आयु सुख वर्धिनी, दु:ख हरिणी कलिकाल। 
पुण्यप्रदा हरितालिका; शुभदा, सुखदा, शुभकाल।।१९।।
सुभगा, सौम्या, निर्मला, हरती पीड़ा तत्काल।।
हिन्दू नारी पतिव्रता, सहधर्मिणी हृदय विशाल।२०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

पुण्यप्रदा हरितालिका; 
शुभदा, सुतदा, शुभकाल।
पति-आयुष्य, सुखवर्धिनी, 
आरोग्यप्रदा कलिकाल।।२१।।

सुभगा, सौम्या, निर्मला, 
दु:खमोचिनी तत्काल।।
हिन्दू नारी पतिव्रता, 
सहधर्मिणी हृदय विशाल।।२२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२१/०८/२०२०, १५/५० अपराह्न।

शैलज सूरज औ बादरा, 
चंदा कहे नित्य पुकार।
मानव सुजन कृतज्ञ सब, 
प्रकृति जीव संसार।।२३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२३/०८/२०२०, १६/५६ अपराह्न।

सत्यानुसंधान उद्घाटन, 
जग मिथ्या नित्य प्रयोग।
शैलज व्यवहार व्यतिक्रम, 
प्रकृति विरुद्ध संयोग।।२४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२३/०८/२०२०, १७/२२ अपराह्न।

सूरज, चन्द्र, नक्षत्र-गण,
दिशा, खगोल पुकार।
शैलज सुजन कृतज्ञता, 
प्रकृति जीव संसार।।२५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
२३/०८/२०२०, २२/५८ अपराह्न।

त्रिविध ताप हर प्रेम रस,
ज्यों शैलज को भात।
सत्य सनातन रामरस, 
लवण विश्व विख्यात।।२६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२४/०८/२०२०, ०७/०३ पूर्वाह्न।

शैलज शील, स्वभाव, गुण; 
नित्य जगत् व्यवहार।
विकसत पाय परिस्थिति; 
प्रकृति, वंश अनुसार।।२७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०८/२०२०, ०७/२० पूर्वाह्न।

शैलज निज व्यवहार से, 
दु:ख औरन को देत।
जानत जगत् असार है, 
अपजस केवल लेत।।२८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२७/०८/२०२०, 

अबला प्रबला चंचला, शैलज नहीं पावे पार।
यावत् जीवन पूजिये, कर निज कर्म विचार।।२९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२१/०८/२०२०, १५/५४ अपराह्न।

मनो-शारीरिक, धर्म हित,
करें शैलज व्यवहार।
देश, काल और पात्र के
सामञ्जस्य अनुसार।।३०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२०/०८/२०२०, १३/२१ अपराह्न।

स्वयं करने से सरल है, 
सहज सरल आदेश।
शैलज लिखना, बोलना, 
दर्शन, आदर्श, उपदेश।।३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
१८/०८/२०२०, १६/१३ अपराह्न।

हित अनहित समझे नहीं; 
दंभी, सरल, गँवार।
सनकीपन विज्ञान का, 
शैलज करता प्रतिकार।।३२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय ।
१४/०८/२०२०, १४/१३ अपराह्न।

हित अनहित को समझ कर, 
शैलज करिये काज।
पर दु:ख को निज मानकर, 
चलते सुजन समाज।।३३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१४/०८/२०२०, १२/१८ अपराह्न।

आवश्यक है जगत् में,
सामञ्जस्य सिद्धांत ।
उपयोगी, आदर्श है,  
मध्यम मार्ग महान्।।३४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१३/०८/२०२०, ५/५० पूर्वाह्न।

शैलज तन मन धन निज
बुद्धि सहाय विवेक।
स्वार्थ पूर्ण इस जगत् में 
प्रभु सहाय हैं एक।।३५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
१३/०८/२०२०, ४/२३ पूर्वाह्न।

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।"
अर्थात् 
जहाँ नारी की पूजा होती है,
वहाँ देवता रमण करते हैं।

शैलज नारी पूजिये, नारी सृष्टि आधार।
तुष्टा पालन कारिणी, रुष्टा क्षण संहार।।३६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
११/०८/२०२०, १७/२९ अपराह्न।

शैलज उनसे मत कहो, 
अपने दिल की बात। 
जग प्रपंच में लीन जो, 
कहाँ उन्हें अवकाश।।३७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ११/०७ पूर्वाह्न।

द्विगुणाहार, व्यवसाय चतु:, 
साहस षष्ठ प्रमाण।
काम अष्ट गुण भामिनी, 
शैलज कथन महान्।।३८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ०९/२३ पूर्वाह्न।

शैलज निज सुख के लिए, 
समुचित करिये काम।
परहित बाधित हो नहीं,  
हर संभव रखिये ध्यान।।३९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १८/१९ अपराह्न।

प्रभु षोडशांंशावतारं, श्रीकृष्ण करुणावतारं।
राधेश्याम दशावतारं, गोपी योगेंद्र शील सारं।।४०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १२/३२ अपराह्न।

शैलज हृदय विचार कर, नित करिये व्यवहार।
देश काल औ पात्र का, निशि दिन रखिये ख्याल।।४१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, ०९/०८पूर्वाह्न।

सन् तैंतालीस ईक्कीस अक्टूबर भुला नहीं मैं पाऊंगी।
मूल स्वतंत्रता दिवस वही है, जग को यह बतलाऊँगी।।४२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०८/०८/२०२०, २०/४३ अपराह्न।

सत्य सनातन रामरस, 
लवण विश्व विख्यात।
त्रिविध ताप हर प्रेम रस,
त्यों शैलज को भात।।४३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२८/०८/२०२०, ०८/४३ पूर्वाह्न।

शैलज रूप स्वरूप या 
जगत् कार्य व्यवहार।
निर्भर करता चयापचय 
या क्षति-पूर्ति आधार।।४४।।

ज्ञान-विज्ञान व्यापार कला,
जग दृश्यादृश्य व्यवहार। 
दैहिक, दैविक वा भौतिकी,
सुख-दु:ख मन मूलाधार।।४५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सूर रसखान रस,
मीरा कान्हाँ प्रीति।
जयगोविंद भजाम्यहं, 
राधेश्याम पुनीत।।४६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
्पचम्बा, बेगूसराय।
०१/०९/२०२०, पूर्वाह्न ६/३५.

काजल करिये ठौर से,
नयन पलक के द्वार।
शैलज राज श्री सुखद, 
शुभ पावन व्यवहार।।४७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

राधा वल्लभ श्याम घन,
कालिन्दी कूल विहार।
देवकी बसुदेव सुत
ब्रज कुल कण्ठाहार।।४८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।


गुरुवार, 12 नवंबर 2020

धनतेरस एवं दीपावली मुहूर्त विचार

 चिन्ता हरण पञ्चाङ्ग के अनुसार आज दिनांक १२/११/२०२० गुरुवार की रात्रि ९/३१ बजे से त्रयोदशी कल दिनांक १३/११/२०२० के सायं ६ बजे तक है। अत: तिथि प्रवेशानुसार आज लेकिन "स्नान दानादौ उदया तिथि" के अनुसार कल धनतेरस है तथा कल ही चतुर्दशी भी है, क्योंकि सायंकाल में ही घर से बाहर यम के लिए दीप दान करना शुभद है। दिनांक १४/११/२०२० शनिवार को प्रदोषकाल में सायं ५/१० बजे से ७/४८ तक कुबेरादि का पूजन एवं महानिशीथ काल रात्रि ११/१४ बजे से रात्रि १२/०६ बजे तक महालक्ष्मी तथा महाकली पूजा साथ ही रात्रि शेष में दरिद्रता निस्सरण का शुभ मुहूर्त है।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज (ज्योतिष-प्रेमी),
कवि जी,
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।
 
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सोमवार, 9 नवंबर 2020

भटकता है छन्द बन्धन मुक्त होकर....

भावनाओं को लिपिबद्ध करने को समुत्सुक,
साहित्य शैली व्याकरण तज शब्द सिन्धु,
मूल प्रकृति को भूलकर निज देश भाषा,
वेशभूषा त्याग कर किस मोह में पड़
चेतना निज संस्कृति संस्कार तजकर,
भटकता है छन्द बन्धन मुक्त हो अज्ञात पथ पर
ज्ञान गुण से हीन "शैलज" सहज लाचार होकर।
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रविवार, 1 नवंबर 2020

चुनाव नहीं खेल है



दनुज मानव सोच से जड़ जीव सुर नर त्रस्त हैं।
कलि प्रभाव ग्रसित मोहित सभी निज में व्यस्त हैं।।
हर जगह हर ओर कुंठा अज्ञान विधर्म विकास है।
तिलस्म फैला हर जगह, हर जगह मकड़जाल है।
खोजता हूँ आदमी, लालटेन बिना तेल है।
दीखता है पथ नहीं, चुनाव नहीं खेल है।।
नियम क्यू का है बना, लेकिन रेलम रेल है।
कहने को है विकास, पर विनाश खेल है।।
उतरते रंगत महल के, झोपड़ी उजाड़ है।
दिन में तारे दीखते, हथौड़े की पड़ी मार है।।
गेहूँ की फसल पक गई, हसुआ में नहीं धार हैं।
कीचड़ में कमल दिख रहा, जनता पहरेदार है ?
तीर दिल में चुभ रहा, दवा सब बेकार हैं।
शैलज हाथ मल रहा, भविष्य अन्धकार है।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।
    
 
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