शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

शैलज दोहावली: भाग-१ (दोहा संख्या १ से ४८ तक)

" शैलज " घट-घट मीत है, प्रीति मीन जल माहि।
मूढ़ बड़ाई हित करै, असुर सुखद शुभ नाहि।। १।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय। 

"शैलज" जो नर स्वयं को 
मानत गुण की खान।
अवगुण छाया संग में,
निशि अमान्त अनजान।।२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०७/२०२०, १५/०७ अपराह्न

निज नयनन झाँकत नहीं, 
जड़मति जन अज्ञान।
नयन बन्द देखत मुकुर, 
कलि योगी शील निधान।।३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज विश्व अनन्त में प्रेम कृषक-सा बोय।
सींचत स्नेह व्यवहार से फल सर्वोत्तम होय।।४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०७/२०२०, १०/५९ पूर्वाह्न।

शैलज हर त्रिशूल है, सूचक कफ पित्त वात।
समरस जीवन धातु बिन, रोग शोक उत्पात।।५।।

शैलज सत रज तमोगुण, नाम रूप अनुसार।
सृजन नियन्त्रण नश्वरता निज प्रकृति विचार।।६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
०८/०८/२०२०, २०/४३ अपराह्न।

शैलज रिश्ता एक है, कारण-कार्य व्यवहार।
प्रकृति सह-अनुभूति की, है अनुपम आधार।।७।।

जनम-जनम देखे नहीं, करते उनकी बात।
एक जनम यह देख ले, बन जायेगी बात।।८।।

शैलज करता अहर्निश, जनम-जनम की बात।
प्राकृत, व्यक्ति, आदर्श का, फलित जगत् सौगात।।९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १०/०९ पूर्वाह्न।

शैलज जो नर नीच हैं, लघु उच्च जन कोई।
सद्यः उन्हें विसारि दे, कुलिष पंक सम सोई।।१०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
११/०८/२०२०, ०१/०६ पूर्वाह्न।

शैलज काम, क्रोध औ लोभ को जीतें हृदय विचार।
त्रिविध ताप उपजे नहीं, सद्कर्म करे सुविचार।।११।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, ०९/५३ पूर्वाह्न।

शैलज अवगुण से भरा,
तुम सद्गुण की खान।
जल में मिल वह कीच है, 
तू पंकज दिव्य महान्।।१२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ००/१३ पूर्वाह्न।

ऊँ श्रीकृष्ण योगेंद्र षोडशांंशावतारं,
राधे श्यामं भजाम्यहं प्रभु दशावतारं।
गोपी बल्लभ, गोविंद, नारायण, वासुदेवं,
नन्द नन्दन, देवकी सुत, यशोदा नन्दन।।१३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, १३/५५ अपराह्न।

काम, क्रोध औ लोभ हैं, शैलज नरक के द्वार।
जिनके वश ये तीन हैं, पाते सुख शान्ति अपार।।१४।।

काम, क्रोध औ लोभ ये सभी नरक के द्वार।
शैलज इनसे दूर हो, खोलें मोक्ष के द्वार।।१५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, ०९/१३ पूर्वाह्न।

हृदय हीन, विवेक बिन; 
नर पशु से भी नीच।
शैलज पाते दुसह दु:ख, 
सुजन मूर्ख के बीच।।१६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१८/०८/२०२०, १०/२१ पूर्वाह्न।

शैलज कायर मूढ़ जन, 
त्यागे घर परिवार।
पर-दु:ख निज समझे नहीं, 
पर चाहे उद्धार।।१७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
१८/०८/२०२०, १२/५८ अपराह्न।

मोक्ष, ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ 
सब आश्रम धर्म आधार।।
शैलज धर्म गृहस्थ बिन, 
सब आश्रम धर्म बेकार।।१८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

पति आयु सुख वर्धिनी, दु:ख हरिणी कलिकाल। 
पुण्यप्रदा हरितालिका; शुभदा, सुखदा, शुभकाल।।१९।।
सुभगा, सौम्या, निर्मला, हरती पीड़ा तत्काल।।
हिन्दू नारी पतिव्रता, सहधर्मिणी हृदय विशाल।२०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

पुण्यप्रदा हरितालिका; 
शुभदा, सुतदा, शुभकाल।
पति-आयुष्य, सुखवर्धिनी, 
आरोग्यप्रदा कलिकाल।।२१।।

सुभगा, सौम्या, निर्मला, 
दु:खमोचिनी तत्काल।।
हिन्दू नारी पतिव्रता, 
सहधर्मिणी हृदय विशाल।।२२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२१/०८/२०२०, १५/५० अपराह्न।

शैलज सूरज औ बादरा, 
चंदा कहे नित्य पुकार।
मानव सुजन कृतज्ञ सब, 
प्रकृति जीव संसार।।२३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२३/०८/२०२०, १६/५६ अपराह्न।

सत्यानुसंधान उद्घाटन, 
जग मिथ्या नित्य प्रयोग।
शैलज व्यवहार व्यतिक्रम, 
प्रकृति विरुद्ध संयोग।।२४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२३/०८/२०२०, १७/२२ अपराह्न।

सूरज, चन्द्र, नक्षत्र-गण,
दिशा, खगोल पुकार।
शैलज सुजन कृतज्ञता, 
प्रकृति जीव संसार।।२५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
२३/०८/२०२०, २२/५८ अपराह्न।

त्रिविध ताप हर प्रेम रस,
ज्यों शैलज को भात।
सत्य सनातन रामरस, 
लवण विश्व विख्यात।।२६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२४/०८/२०२०, ०७/०३ पूर्वाह्न।

शैलज शील, स्वभाव, गुण; 
नित्य जगत् व्यवहार।
विकसत पाय परिस्थिति; 
प्रकृति, वंश अनुसार।।२७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०८/२०२०, ०७/२० पूर्वाह्न।

शैलज निज व्यवहार से, 
दु:ख औरन को देत।
जानत जगत् असार है, 
अपजस केवल लेत।।२८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२७/०८/२०२०, 

अबला प्रबला चंचला, शैलज नहीं पावे पार।
यावत् जीवन पूजिये, कर निज कर्म विचार।।२९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२१/०८/२०२०, १५/५४ अपराह्न।

मनो-शारीरिक, धर्म हित,
करें शैलज व्यवहार।
देश, काल और पात्र के
सामञ्जस्य अनुसार।।३०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२०/०८/२०२०, १३/२१ अपराह्न।

स्वयं करने से सरल है, 
सहज सरल आदेश।
शैलज लिखना, बोलना, 
दर्शन, आदर्श, उपदेश।।३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
१८/०८/२०२०, १६/१३ अपराह्न।

हित अनहित समझे नहीं; 
दंभी, सरल, गँवार।
सनकीपन विज्ञान का, 
शैलज करता प्रतिकार।।३२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय ।
१४/०८/२०२०, १४/१३ अपराह्न।

हित अनहित को समझ कर, 
शैलज करिये काज।
पर दु:ख को निज मानकर, 
चलते सुजन समाज।।३३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१४/०८/२०२०, १२/१८ अपराह्न।

आवश्यक है जगत् में,
सामञ्जस्य सिद्धांत ।
उपयोगी, आदर्श है,  
मध्यम मार्ग महान्।।३४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१३/०८/२०२०, ५/५० पूर्वाह्न।

शैलज तन मन धन निज
बुद्धि सहाय विवेक।
स्वार्थ पूर्ण इस जगत् में 
प्रभु सहाय हैं एक।।३५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
१३/०८/२०२०, ४/२३ पूर्वाह्न।

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।"
अर्थात् 
जहाँ नारी की पूजा होती है,
वहाँ देवता रमण करते हैं।

शैलज नारी पूजिये, नारी सृष्टि आधार।
तुष्टा पालन कारिणी, रुष्टा क्षण संहार।।३६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
११/०८/२०२०, १७/२९ अपराह्न।

शैलज उनसे मत कहो, 
अपने दिल की बात। 
जग प्रपंच में लीन जो, 
कहाँ उन्हें अवकाश।।३७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ११/०७ पूर्वाह्न।

द्विगुणाहार, व्यवसाय चतु:, 
साहस षष्ठ प्रमाण।
काम अष्ट गुण भामिनी, 
शैलज कथन महान्।।३८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ०९/२३ पूर्वाह्न।

शैलज निज सुख के लिए, 
समुचित करिये काम।
परहित बाधित हो नहीं,  
हर संभव रखिये ध्यान।।३९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १८/१९ अपराह्न।

प्रभु षोडशांंशावतारं, श्रीकृष्ण करुणावतारं।
राधेश्याम दशावतारं, गोपी योगेंद्र शील सारं।।४०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १२/३२ अपराह्न।

शैलज हृदय विचार कर, नित करिये व्यवहार।
देश काल औ पात्र का, निशि दिन रखिये ख्याल।।४१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, ०९/०८पूर्वाह्न।

सन् तैंतालीस ईक्कीस अक्टूबर भुला नहीं मैं पाऊंगी।
मूल स्वतंत्रता दिवस वही है, जग को यह बतलाऊँगी।।४२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०८/०८/२०२०, २०/४३ अपराह्न।

सत्य सनातन रामरस, 
लवण विश्व विख्यात।
त्रिविध ताप हर प्रेम रस,
त्यों शैलज को भात।।४३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२८/०८/२०२०, ०८/४३ पूर्वाह्न।

शैलज रूप स्वरूप या 
जगत् कार्य व्यवहार।
निर्भर करता चयापचय 
या क्षति-पूर्ति आधार।।४४।।

ज्ञान-विज्ञान व्यापार कला,
जग दृश्यादृश्य व्यवहार। 
दैहिक, दैविक वा भौतिकी,
सुख-दु:ख मन मूलाधार।।४५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सूर रसखान रस,
मीरा कान्हाँ प्रीति।
जयगोविंद भजाम्यहं, 
राधेश्याम पुनीत।।४६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
्पचम्बा, बेगूसराय।
०१/०९/२०२०, पूर्वाह्न ६/३५.

काजल करिये ठौर से,
नयन पलक के द्वार।
शैलज राज श्री सुखद, 
शुभ पावन व्यवहार।।४७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

राधा वल्लभ श्याम घन,
कालिन्दी कूल विहार।
देवकी बसुदेव सुत
ब्रज कुल कण्ठाहार।।४८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।


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