शनिवार, 8 अगस्त 2020

वक्त पर याद आते हैं ...

वक्त पर याद आते हैं...

निकालते वक्त हैं हम सब, जरूरी जब समझते हैं।
जरूरी कब ? किसे ? कितना ? यहाँ कितने समझते हैं ?

पहुँचना है सभी को पुनः, चिरपरिचित ठिकाने पर।
निभा कर रौल इस जग में, वक्त पर लौट जाना है।

टिकट आवागमन का, साथ में लेकर सभी आये।
यहाँ पर सौंप तन,मन,धन; प्रभु में लीन होना है।

वक्त को जो समझ में है, वक्त पर ही बताता है।
वक्त न आम होता है,  वक्त न खास होता है।

वक्त पर काम जो आते, भले ही भूल जायें हम।
वक्त जब गुजर जाता है, वक्त पर याद आते हैं।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

वैदेही अवध रामायणं (संशोधित) :- डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

# रामायणं # वैदेही अवध रामायणं (अद्यतन संशोधितं) :- डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय। (०४/०९/२०२२ ई० सन् )

नमामि भक्त वत्सलं, श्री रामं अवधेशं।

द्वादश कला युक्तं प्रभु श्री रामावतारं।।१।।
धर्मार्थकाममुक्तिदं प्रभु, विष्णु जगदीश्वरं।
भजाम्यहम् अवधेशं, जगत् पाप मोचनं। २।।
कृतयुगेरेकदा श्री हरि दर्शनेन सुविचारं।
सनकादिक मुनिवरा: गताः विष्णुलोकं।। ३।।
द्वारपालौ बोध हीनं, न कृतं अतिथि सम्मानं।
प्रभु माया विस्तारं, द्वारपालौ प्राप्त शापं।। ४।।
जय-विजय द्वारपालादि शापोद्धार सेतु।
स्वीकारं कृतं नारदस्य श्रापं कल्याण हेतु।। ५।।
सतोगुणं रजोगुणं तमोगुणस्य मूलम्।
अनन्तं प्रणव ऊँ सर्वज्ञं समर्थं।।६।।
निराकारं आकारं , रंजनं निरंजनं।
निर्गुणं गुणं, सचराचरस्य मूलम्।।७।।
कर्त्ता त्रिलोकी देवासुर जनकं।
अव्यक्तं सुव्यक्तं, अबोधं सुबोधं।।८।।
प्रकृति पुरुषात्मकं कार्य कारणस्य मूलम्।
अर्धनारीश्वरं स्वयंभू अज विष्णु स्वरूपं।।९।।
ज्योति: प्रकाशं, नित्यं, चैतन्यं स्वरूपं।
तिमिर नाशकं, जीवनामृतं स्वरूपं।।१०।।
ताड़नं जड़त्वं, अहं मोहान्धकारं।
गगन ध्रुव शिशुमार चक्र स्वरूपं।।११।।
प्रभा श्रोत दीपस्य, अवतरणं अशेषं।
भास्करस्य भास्करं, श्री रामं रं स्वरूपं।।१२।।
कौसिल्या, कैकेयी, सुमित्रा सुपुत्रं ।
अवधेश दशरथ रघुकुल प्रदीपं।।१३।।
प्रसीदति अहैतुकी सज्जनानां भक्त्या।
सर्वस्य कारणं यस्य माया दुरत्यया।।१४।।
वरं श्राप भक्तस्य उद्धार हेतु।
अवतरति जगत धर्म कल्याण सेतु।।१५।।
प्रभु राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न समस्तं।
प्राकट्यं वभूव संस्थापनार्थं सुधर्मं।।१६।।
सानुजं गुरु विश्वामित्रेण सुसंगं,
मिथिला सिमरिया धामं प्रवासं।।१७।।
शिव धनु दधीचि अस्थि विशालं,
जनकी हेतु भंगं अकुर्वत पिनाकंं।।१८।।
स्वयंवरं विवाहं जनकात्मजा सुवेदं।
सहोदरं सवेदं निज शक्ति स्वरूपं।।१९।।
माण्डवी, श्रुतकीर्ति, उर्मिला सहर्षं।
अनुशीलनं जनकस्य, वशिष्ठ आदेशं।।२०।।
सृजनहार, पालन, समाहार कर्त्ता।
रामौ परशु आदौ देशकालस्वरूपं।।२१।।
नारद, जय-विजय, देवादि, भानु प्रतापस्य उद्धारं।
मनु शतरूपा प्रिय प्रभु अवध भारत भुवि अवतारं।।२२।।
माता कुल कैकेयी सप्रजा दशरथ अवधेशं।
हर्षितं राज्याभिषेकं रमापति रामं जगदीशं।।२३।।
शारदा मायापति विचारं, मंथरा कैकयी कूट सम्वादं।
देवार्थे अवधेश रथचक्रस्य कीलांगुलि वरं संस्मरणं।।२४।।
लोक जननी जन्म भूमिश्च हितार्थं, सवल्कल वने गमनं।
वैदेही शेषश्च रामानुशरणं, वियोगेन रं जनकस्य निधनं।।२५।।
प्रणार्थ प्राणेश भजनं, प्रणार्थ प्राण तजनं।
प्रणार्थ प्राणेश रंजनं, प्रणार्थ राज तजनं।।२६।।
भरतस्य हेतु पादुका, राज पद तजनं।
सुर नर जगत् हित लीला सुरचितम् ।।२७।।
नन्दी निवासं करणं, व्रती भरतस्य राज सुख तजनं।
सिंहासीनं प्रभु श्री राम चरणस्य पदुकादेशं सुपालनं।।२८।।
रक्षार्थ वचनं कुल शीलं समेतं, गतं वन उदासं कुलाचारं कुलीनं।
रक्षार्थ धर्मं, सुकर्मं प्रबोधं, असुरोद्धार हेतु विचरन्ति नर रूपं।। २९।।
जनकस्यादेशं पालकं, भव पालकं सुरेशं। 
मर्यादा पुरुषोत्तमम् रघुकुल भूषणं श्री रामं।३०।।
पद् नख नि:सृता यस्य सुर सरि श्रेष्ठ गंगा।
केवटस्याश्रितं भव केवट, तटे त्रिपथगा।।३१।।
चरण स्पर्श आतुर कुलिष कंटकादि।
शुचि सौम्य उदभिद् खग पशु नरादि।।३२।।          
पथ अवलोकति शबरी, जड़ अहिल्या।
उद्धारं कृतं शबरी, निर्मला अहिल्या।।३३।।
दर्शनं अत्रि ऋषि वर, सती संग सीता।
प्रभु मुग्ध रामानुज वैदेही विनीता।।३४।।
भव मोक्ष याचक जड़ भील मुनि वर।
विचरन्ति सर्वे असुर भय मुक्त सत्वर ।।३५।।
बधं ताड़कादि असुरगणं समस्तं।
कुर्वीतं श्री रामं शास्त्रोचितं पुनीतं।। ३६।।
गिरि वन सरित सर तटे निवास करणं।
योगानुशरणं, नित्यानुष्ठानादि करणं।। ३७।।
कन्दमूलफलपयौषधि प्रसाद ग्रहणं।
जल-वायु सेवनं, आश्रम धर्म विवेचनं।। ३८।।
चित्रकूटादि सुदर्शनं, सर्व धाम सुसेवनं।
सुजन सम्मान करणं, मदान्ध मद मर्दनं।। ३९।।
सूर्पनखा सौंदर्य वर्धनं, लक्ष्मण रामाकर्षणम्।
नासासौन्दर्य छेदनं, खरदूषणादि उन्मूलनम्।।४०।।
साष्टांग, ध्यान मग्नं प्रणत् सुर नर मुनीन्द्रं ।
यजयते स्त्री रुपं ऋषि कुमारा: षोडशं सहस्त्रं।।४१।।
स्वीकारं कृतं वरं राम भक्तंं सस्नेहं। 
भवामि प्रिया केशवस्य कृष्णावतारं ।४२।।
पावकं ऊँ रं राम शक्ति सीता निवासं।
वधं हेतु गतं राम मृगा स्वर्णिम मारीचं।।४३।।
मिथिलेश नंदिनी सीता वैदेही अम्बा।
रावणस्य कुलोद्धार हेतु गता द्वीप लंका।।४४।।
ब्राह्मणवेश रावणस्य कृतं सम्मानं।
दानं हेतु कृतं लक्ष्मण रेखाग्नि पारं।।४५।।
सहितं पंचवटी पर्णकुटी उदासं।
सानुज प्रभु सर्व लोकाधिवासं।।४६।।
वैदेही हरणं चराचर खग वन पशूनां।
पृच्छति सानुज सरित सर पर्वताणां।।४७।।
महेश्वरस्य सुवन्दनं राजकुमारौ स्वरूपं।
चकितं उमा माया पति माया जगदीशं।।४८।।
वैदेही स्वरूपा जगन्माता स्वरूपं।
वन्दिता भवानी हरि हर रूपं अनेकं ।।४९।।
स्त्री गुण प्रधानं निज सन्तति वात्सल्य सेतु।
स्वीकारं कृतं भवानी, भवेशं वृषकेतु।।५०।।
उमा भवानी त्र्यम्बिके प्रजापति दुहिता।
पतिव्रता भवानी, जगन्माता स्वरुपा।।५१।।
व्यथिता भवानी देवादि स्थानं भवेश रहितं।
उमा आहूति करणं, शिव रौद्र शक्ति सहितं ।।५२।।
अष्टोत्तरशतं शक्ति पीठं संस्थापनं।
भवं भवानी कृपा लोकहित कारकं।।५३।।
वरणं हरं मैना सुता शैलजा सुख कारकं।
पाणिग्रहणाख्यानमिदं सर्व मंगल कारकं।।५४।।
वैदेही पूज्या भवानी वैदेही वरदायिनी।
माता सर्व लोकस्य त्रिविध ताप हारिणी।।५५।।
मिथिलेश नन्दिनी जानकी जगन्माता अम्बा।
त्रिविध ताप नाशिनी वैदेही सीता जगदम्बा।।५६।।
सीता हित विकल विधि त्रिभुवन पति लक्ष्मी रमणं।
बालि बध, सुग्रीव सहायं, किष्किंधा पावन करणं।।५७।।
सीता सुधिदं, सम्पाती मिलनं, जटायु संग्राम करणं।
सुग्रीव सहायं, नल नील सेतु, सागर पथ प्रदानं।।५८।।
असुर विभीषण रहित सर्वे सशंका।
त्रिजटा करोति वैैदेेही सेवा नि:शंका।।५९।।
शरणागत दीनार्त त्रिविध ताप हारं।
राजीव लोचनस्य रामेश्वरानुष्ठानं।।६०।।
जामबन्त अंगद वन्य बासिन: समस्तं।
समर्पित सशरीरं सुकाजं समीपं।।६१।।
लंकेश विभीषण अनुग्रह श्री रामंं।
सहायं कपीशं भू आकाशं पातालं।।६२।।
पातालं गता: पद स्पर्शात् पर्वताणि।
छाया ग्रह दम्भ हननं समुद्र मध्याणि।।६३।।
द्विगुण विस्तारं, मुख कर्णे निकासं।
अहिन अम्बा सुरसा परीक्षा कृत पारं।।६४।। 
लंका प्रवेश द्वारे लंकिनी निवासं।
राम दूतं बधे तेन मुष्टिका प्रहारं।। ६५।।
सूचकं लंकोद्धारं, लंकिनी उदघोषं।
असुर संहारं हेतुमिदं श्री रामावतारं।।६६।।
उल्लंघ्यं समुद्रं, लंका प्रवेशं।
हरि भक्त विभीषण सम्वादं।।६७।।
लंका सुदर्शनं, अशोक शोक हरणं।
मुद्रिका रं दर्शनं, वैदेही शोक हरणं।।६८।।
वने फल भक्षणं, निज प्रकृति रक्षणं।
राक्षस दल दलनं, रावणस्य मद मर्दनं।६९।।
राज धर्मानुसरणं, ब्रह्म पाश सम्मानं।
पुच्छ विस्तरणं, घृत, तैल वस्त्र हरणं।।७०।।
हरि माया करणं, कपि पुच्छ दहनं।
निज रक्षणं, स्वर्णपुरी लंका दहनं।।७१।।
अंगद पदारोपणं, असुर सामर्थ्य दोहनं।
विभीषण पद दलनं, मंदोदरी नीति हननं।।७२।।
कुम्भकर्ण मेघनादादि संहरणं।
अहिरावणादि विनाश करणं।।७३।।
देवादि ग्रह कष्ट हरणं, रावणोद्धार करणं।
विद्वत् सम्मान करणं, राज धर्मानुशरणं।।७४।।
अष्ट सिद्धि, नव निधि निधानं।
बुद्धि, बल, ब्रह्मचर्य, ज्ञान धामं।
जगत प्रत्यक्ष देवं, सकल सिद्धि दायकं।
चिरायु, राम भक्तं, हनुमान सुखदायकं।।७६।।
हनुमानं संस्मरे नित्यं आयु आरोग्य विवर्धनम्।
त्रिविध ताप हरणं, अध्यात्म ज्योति प्रदायकम्।।७७।।

शंकर पवन सुतं, अंजना केसरी नन्दनं। 
रावण मद मर्दनं, जानकी शोक भंजनं ।।७८।।
श्री राम भक्तं, चिरायु, भानु सुग्रासं।
हृदये वसति रामं लोकाभिरामं।।७९।।
एको अहं पूर्णं , वेद सौरं प्रमाणं।
रघुनाथस्य वचनं, भरतस्य ध्यानं।।८०।।
जलज वनपशु खग गोकुल नराणां।
सरयू प्रसन्ना, भूपति, दिव्यांगनानां।।८१।।
आलोकितं पथ, नगर, ग्राम, कुंज, वन सर्वं।
प्रज्वलितं सस्नेहं दीप, कुटी भवनंं समस्त्तं।।८२।।
गुरू चरण पादुका राज प्रजा प्रतीकं।
दर्शनोत्सुकं सर्वे  सीता राम पदाम्बुजं।।८३।।
नैयायिक समदर्शी प्रभु श्री चरणं।
भव भय हरणं, सुख समृद्धि करणं।।८४।।
आचारादर्श धर्म गुण शील धनं।
सूर्य वंशी सत्पथ रत निरतं ।।८५।।
जनहित दारा सुत सत्ता तजनं।
लीला कुर्वन्ति लक्ष्मी रमणं।।८६।।
शुचि सत्य सनातन पथ गमनं।
शिव राम कृपा दुर्लभ सुलभं।।८७।।
दीपावल्याख्यानं तमान्तस् हरणं।
दलनं राक्षसत्वं, रक्षक गुण भरणं।।८८।।
आदौ महाकाव्यं वाल्मीकि ऋषि रचितं।
क्रौंचस्य वियोगाहत कृतं राम चरितं।।८९।।
चरितं सुरचितं निज भाषानुरूपं।
निज भावानुरूपं रावणं राम काव्यं।।९०।।
संस्कृत सुगूढ़ं, अवधी सुलब्धं।
दनुज व्यूह त्रसितं कृते तदर्थेकं।।९१।।
सत्यं शिवं सुन्दरं श्री राम चरितं।
भरद्वाज कथनं, गोस्वामी रचितं।।९२।।
कथा सज्जनानां अवतार हेतु।
आगमनस्य रघुकुल साकेत धामं।।९३।।
वैष्णवी तपस्या, अवतार कल्कि,
गाथा सुदिव्यं जग कल्याण हेतु।।९४।।
एकासनवर्धनं गुण शीलंं प्रकृति दिव्यं,
हर्षितं दर्शितं अवध पुष्पक विमानं।।९५।।
रजकस्यारोपं वैदेही वने प्रवासं।
ऋषि सुता चरितं, वाल्मीकि शरणं।।९६।।
अश्वमेध यज्ञस्य हय विजय करणं।
सीता सुत लव कुश संग्राम करणं।।९७।।
श्री राम राज्यं समत्वं योग वर्धनं।
प्रजा सुपालनं त्रिविध ताप हरणं।।९८।।
सुता हेतु धरित्री हृदय विदीर्णं।
सीतया धरा अर्पणं निज शरीरं।।९९।।
सीता वसुधा, प्रभु सरयू शरणं।
शेषावतार सहर्ष सत् पथ गमनं।।१००।।
अवधेश गतं साकेत शुभम्।
सप्रजा साकेत अवध सहितं।।१०१।।
शुचि कथा उमाशंकर पावन।
कैलाश कपोत युगल सहितं।।१०२।।
खग काक भुषुण्डि शिव श्राप हरं।
गुरु कृपा श्री राम भव पाप हरं।।१०३।।
रामायण अवध अवधेश कृतं।
मन मोद धाम शुभदं सुखदं।।१०४।।
भारत बिहार जम्बूद्वीपं।
नयागाँव पचम्बा सुसंगम्।।१०५।।
ब्राह्मण भारद्वाज गोत्र कुलं।
जातक शैलजा राजेन्द्र सुतं।।१०६।।
आख्यान रचित शैलज अनुपम।
निज ज्ञान विवेक सहित अल्पम्।।१०७।।
सप्रेम रामायणमिदं पठनं।
आतप त्रयताप हरं सुखदं।।१०८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शुभ संवत् २०७६-२०७७ की दीपावली के शुभ अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम एवं मिथिलेश नन्दिनी जगत् जननी माँ सीता जी की प्रेरणा एवं कृपा से १०८ शलोकों वाला प्रस्तुत "वैदेही अवध रामायणं " की रचना १०४ श्लोकों वाले "अवध रामायणं" के रूप में हुई जो दिनांक ०५/०८/२०२० तदनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वितीया बुधवार को श्री राम जी के जन्म काल सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त अभिजित मुहूर्त्त के दिव्य एवं मांगलिक अवसर पर भगवत्कृपा से १०४ श्लोकों वाला "अवध रामायणं" १०८ श्लोकों वाला "वैदेही अवध रामायणं" के रूप में पूर्ण हुआ जिसका यह अद्यतन संशोधित रूप प्रस्तुत किया जा रहा है। देव भाषा संस्कृत, साहित्यानुराग, इष्ट भक्ति -भाव एवं कथा-बोध के अभाव में हुई भूल हेतु अन्यथा भाव न लेंगे और क्षमा करेंगे।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।


गुरुवार, 6 अगस्त 2020

गला एवं चेहरा (Throat & Face)

Calcaria Flour :- उपजिह्वा सामान्य से अधिक बढ़ने से गले से सुरसरी एवं खाँसी। उपजिह्वा की शिथिलता से खाँसी।जबड़े की हड्डियों की कड़ी सूजन।गाल पर कड़ी सूजन।होठ पर दाद।

Natrum Mure :- उपजिह्वा शिथिल। उपजिह्वा में प्रदाह। कर्ण मूल प्रदाह के साथ लार का बहना। कर्णमूल प्रदाह के साथ खारा बलगम। गंडमाला या गलझिल्ली प्रदाह के साथ पानी सा नि:श्राव। गलझिल्ली प्रदाह के साथ तन्द्रालुता।गले में वृद्धि, सूखापन और/या स्वच्छ कफ या बलगम का आवरण। गले में सूई चुभने का-सा दर्द। चेहरे के दर्द के साथ कब्ज तथा वाल का झड़ना। 

रक्त संचालन यन्त्र (Blood circulation system)

Calcaria Phos :- सांस लेने या भीतर की ओर खींचते समय हृदय में दर्द। अण्डाकार रन्ध्र (छिद्र) नहीं भरना। 

Calcaria Flour :- शिरा (रक्त बहा नाड़ी) का अर्बुद, घाव, वृद्धि या फैलना।

Ferrum Phos :- कौशिक तथा छोटी नाड़ियों का प्रसारण।
नाड़ी भरी या गोल लेकिन रस्सी की तरह की नहीं। शिरा स्फीति या प्रदाह। लसिका प्रदाह। हृदय का प्रदाह। हृदय की अन्तर्वेष्टी झिल्ली का प्रदाह।

Kali Phos :- डर एवं थकावट से मूर्च्छा। धड़कन से अनिद्रा। धड़कन मानसिक उत्तेजना तथा सीढ़ी पर चढ़ने से।रक्त की चाल मन्द। रक्तहीनता के साथ हृदय में कष्ट। नाड़ी क्रम भ्रष्ट। धड़कन वात ज्वर रहित।

Kali Mure :- तन्तुमय उपादानों और धमनियों में रुकावट। धड़कन अत्यधिक।

Natrum Phos :- धड़कन के साथ शरीर के विभिन्न स्थानों में नाड़ी की अनुभूति।  हृदय के आधारित तल भाग या जड़ में दर्द। हृदय के पास कम्पन।

Mag Phos :- आक्षेप तथा स्नायविक धड़कन।

Kali Sulph :- कठिनता से जानने योग्य नाड़ी।

Natrum Mure :- हाथ ठण्डे। हाथपैर सुन्न। हृदय की अतिवृद्धि। हृदय के आसपास संकुचन का अनुभव।

Silicia :- हृदय की पुरानी बीमारी।

Calcaria Sulph :- 

Natrum Sulph :- 

रविवार, 2 अगस्त 2020

नासा के रिपोर्ट के अनुसार भारत के चन्द्रयान-2 सम्बन्धी मेरी भविष्यवाणी सफल

चन्द्रयान २ की यात्रा-कथा की बधाई

इसरो प्रमुख के.शिवम् ने लाइव न्यूज (9:25 p.m.) को बताया कि " हम विक्रम लैंडर से सम्पर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं, कुल मिला कर चन्द्र यान २ मिशन १०० % सफलता के बहुत करीब है। " इसके लिए ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी शक्तियों को तथा मुख्य रूप से इसरो के समस्त वैज्ञानिकों, वहाँ सभी कर्मचारियों, इसरो चीफ के. शिवम्, भारत-सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों, प्रधानमंत्री मोदी जी, विश्व पर शासन नहीं करने और आम लोगों को नहीं भटकाने वाले पत्रकारों एवं नेताओं को साथ ही इसरो के इस महत्त्वपूर्ण, ऐतिहासिक एवं साहसिक कार्यक्रम के सम्पादन संलग्न वैज्ञानिकों तथा कर्मचारियों का उत्साह वर्धन करनेवाले भारत एवं विश्व के जन-जन को हार्दिक बधाई।

बन्धुवर, इसरो का चन्द्र यान २ से सम्पर्क टूटने की जानकारी के बाद ज्योतिष में रुचि के कारण मैंने चन्द्रयान-२ रॉकेट दिनांक २२/०७/२०१९ के २/४३ बजे दिन में इसरो द्वारा चन्द्रमा के दक्षिणी भाग में अध्ययन के लिए श्रीहरिकोटा (अक्षांश १३.७३३१ डिग्री उत्तर, देशांतर ८०.२०४७ डिग्री पूर्व) से भेजा गया था इस आधार पर ज्योतिषीय अध्ययन किया जिसके अनुसार चन्द्र यान २ श्रावण कृष्ण षष्ठी सोमवार में बृश्चिक लग्न में लग्नस्थ गुरु (किं कुर्वन्ति ग्रहाः सर्वे यस्य केन्द्रे बृहस्पति:) जैसे शुभद् योग के समय में चन्द्र के लिए भेजा गया था और संयोग से यान भेजते समय युवा और प्रौढ़ वक्र काल के प्रभाव वाली स्थिति थी,जो किसी भी कार्य हेतु विलम्ब और कुछ कठिनाई का भी द्योतक था, परन्तु स्मरणीय है कि श्रावण माह में वक्र काल के समय में भी किये गये कार्यों में भी सफलता मिलने की सम्भावना बहुत अधिक रहती है।हलांकि वैज्ञानिक इसे नहीं मानते हैं, परन्तु ज्योतिष, योग और आध्यात्म भी बहुत महत्त्वपूर्ण विज्ञान है, और आधुनिक विज्ञान का आधार है। ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से विभिन्न तरह की शुभाशुभ सम्भावनाओं का बोध होता है और इस सृष्टि के रचयिता, पालन कर्त्ता एवं संहर्ता ईश्वर की कृपा से समस्याओं का समाधान होता है। शुभ सम्भावनाओं के बोध से हमारा आत्मबल एवं मनोबल बढ़ता है और हमें अपने आपको को सही मार्ग पर चलते हुए महसूस करते हैं तथा भविष्य में और भी मेहनत कर अपने को सफल बनाने का प्रयास करते हैं, इसी प्रकार अशुभ सम्भावनाओं का बोध होने पर हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किये जा रहे कार्यक्रमों की कमियों की सम्भावनाओं के शोधपूर्ण अध्ययन करने और उत्तम उपलब्धि के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने का अवसर मिल जाता है और/या सम्यक् शास्त्रीय उपचारों से समस्याओं के सम्यक् समाधान का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।

वास्तव में हमारा रचनात्मक एवं सकारात्मक प्रयास एवं दृष्टिकोण ही हमारी हर समस्याओं के समाधान का मूल मंत्र है।

बताया जाता है कि इसरो का सम्पर्क चन्द्रयान २ चन्द्रमा की सतह से मात्र २.१ किलोमीटर दूर रहने के पूर्व किसी कारण से सम्प्रति टूट गया है । ज्योतिर्गणित के अनुसार चन्द्रयान २ पर शनि के कारण धूल कणों और शुक्र के कारण आर्द्रता से यान का उर्जा क्षेत्र प्रभावित हुआ फलस्वरूप यान की मशीनरी प्रभावित हुई और यान से इसरो का सम्पर्क टूट गया, परन्तु उस समय जब इसरो के सभी वैज्ञानिक, इसरो चीफ के.शिवम् ,भारत और विश्व के सभी लोग,सभी पत्रकार एवं मीडिया कर्मी समुचित परिणाम नहीं पा सकने से निराश हो चुके थे, प्रधानमंत्री मंत्री महोदय ने उस समय खुद भी साहस जुटाया और इसरो के चीफ के.शिवम् सहित वैज्ञानिकों एवं आम लोगों को भी चन्द्र यान २ द्वारा चन्द्रमा से मात्र २.१ किलोमीटर दूर तक पहुँच जाने के लिए बधाई दी और अगली तैयारी अर्थात् चन्द्र यान ३ के लिए इसरो को पहल करने का संकेत दिया, परन्तु मैंने इस तथ्य को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किया था कि "वैज्ञानिकों द्वारा चन्द्रयान २ से सम्पर्क टूटने के कारणों की संभावनाओं पर यदि शोध पूर्ण अध्ययन जारी रहेगा तो चन्द्र यान २ सम्पर्क टूटने के रहस्यों का सूत्र अनुसंधानकर्ताओं को सम्पर्क टूटने के क्रमशः १ घंटा १२ मिनट के बाद तथा १, ३ एवं ७ दिन की अवधि में प्राप्त होने की सम्भावना है। इसरो द्वारा इस महत्वपूर्ण शोध कार्य में सम्यक् योगदान से एक वर्ष के अन्दर वैज्ञानिकों को अन्तरिक्ष के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान प्राप्त होगा।

वास्तव में विज्ञान के क्षेत्र में विशिष्ट, सतर्क एवं सही शोध- पूर्ण अध्ययन तथा संयमित प्रयोग के बाद भी यदि अपेक्षित परिणाम या उपलब्धि प्राप्त नहीं हो पाती है, तो भी हमें धैर्य पूर्वक पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, जो भविष्य में सफलता का मार्ग अवश्य प्रशस्त करता है। 

शुभमस्तु।"

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
(त्रिस्कन्ध ज्योतिष सम्मेलन, ऋषिकेश द्वारा "ज्योतिष-प्रेमी" की उपाधि से सम्मानित।)  

भारत के चन्द्र यान- 2 के चन्द्रमा पर अवतरण (Landing) के सन्दर्भ में इसरो को अपेक्षित सफलता का नहीं मिलना मेरी दृष्टि में इसरो में संभवतः यान प्रौद्योगिकी सम्बन्धी किसी आत्मनिर्भरता और/आत्मोत्साह की कमी थी जिसे इसरो प्रमुख के सिवन ने संभवतः चन्द्र यान - 2 के सफल लैंडिंग में हुई बाधा के बाद में अनुभव किया और भारत सरकार एवं विश्व जन-जन को आश्वस्त करने का प्रयास किया कि चन्द्र यान - 2 के सन्दर्भ में भारत अपने स्तर से खोज करने या निर्णय लेने में सक्षम है।

चन्द्रयान 2 की यात्रा-कथा (क्रमशः) : प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

चन्द्रयान 2 के सन्दर्भ में दिनांक 07/09/2019 को मैंने मनोविज्ञान के छात्र होने के बावजूद ज्ञान-विज्ञान सम्बन्धी अपने अल्प ज्ञान के बाद भी ज्योतिष-प्रेमी होने के कारण अपने सामान्य ज्योतिषीय अध्ययन एवं अनुभवों के आधार पर इसरो से सम्पर्क टूटने के सम्बन्ध में शनि के प्रभाव से धूल कणों एवं शुक्र के प्रभाव से आर्द्रता के कारण चन्द्रयान 2 के उर्जा क्षेत्र का प्रभावित होना बताया था और चन्द्रयान 2 का इसरो से सम्पर्क टूटने के बाद इसरो को इस सन्दर्भ में 1घंटा 12 मिनट के बाद और इसी तरह 1 दिन, 3 दिनों तथा 7 दिनों के अन्तराल में चन्द्र यान 2 के सम्बन्ध में जानकारी मिलने की चर्चा की थी साथ ही दिनांक 09/09/2019 को मैंने ट्वीटर एवं अपने फेसबुक एकाउंट पर चन्द्रयान 2 के चन्द्रमा पर लैंडिंग (उतरने) के क्रम में उसके चन्द्रमा की सतह से टकराने के कारण चन्द्रयान 2 के चक्के (पहिये) एवं स्टैण्ड का चन्द्रमा की सतह में थोड़ा धँस जाने और चन्द्रयान 2 के ऊपरी हिस्से के भार के कारण स्टैण्ड के टेढ़ा होने या झुकने की संक्षिप्त चर्चा की थी। इस सन्दर्भ में अधोलिखित समाचार उल्लेखनीय है :-

"India News ›   Night On Moon, ISRO Will Try To Contact Vikram Lander Of Chandrayaan 2 Again On Next Lunar Day
चांद पर हो गई रात, लेकिन इस दिन विक्रम को फिर से ढूंढेगा इसरो
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर (Chandrayaan 2 Vikram Lander) को चांद की सतह पर उतरे 14 दिन बीत चुके हैं। अब चांद पर रात भी हो चुकी है। यानी विक्रम लैंडर अब अंधेरे में जा चुका है। इस दौरान चांद पर तापमान माइनस 180 सेल्सियस तक चला जाएगा। हमारे विक्रम लैंडर को भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इस ठंडे मौसम का सामना करना पड़।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO - Indian Space Reseach Organisation) के अनुसार, आंकड़ों के विश्लेषण में पता चला है कि विक्रम करीब 200 किमी की रफ्तार से चंद्रमा की सतह पर टकराया। ऑर्बिटर ने विक्रम की जो तस्वीरें भेजी हैं, उन्हें देख कर ऐसा लग रहा है कि विक्रम के दो पांव चांद की सतह में धंस गए हैं। ये भी हो सकता है कि वो पांव मुड़ गए हों। या फिर वो एक करवट गिरा पड़ा है। ऐसा तेज गति में टकराने के कारण हुआ है। माना जा रहा है कि ऑटोमेटिक लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी के कारण ऐसा है।
इधर इसरो अध्यक्ष के. सिवन (ISRO Chief K Sivan) ने कहा है कि हम इन 14 दिनों में विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं साध पाए और अब इसकी उम्मीद भी नहीं है। क्योंकि चांद पर रात के दौरान माइनस 180 डिग्री तापमान में विक्रम के उपकरणों का सही हालत में रहना संभव नहीं है। उसमें जितनी एनर्जी दी गई थी, उसकी समय सीमा भी समाप्त हो चुकी है। वहां उसे रीचार्ज करने की कोई व्यवस्था भी नहीं है।
इसरो के एक अधिकारी का कहना है कि चांद पर रात के दौरान बेहद कम तापमान में चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के उपकरण सक्रिय नहीं रहेंगे। हालांकि उसे सक्रिय रखा जा सकता था, अगर उसमें आइसोटोप हीटर लगा होता। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद अगले लूनर डे पर विक्रम से एक बार फिर संपर्क की कोशिश की जाएगी। यह लूनर डे 7 से 20 अक्टूबर तक रहेगा। इसरो विक्रम से 14 अक्तूबर को संपर्क करने की कोशिश करेगा।
इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया कि हम विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल नहीं हो पाए। लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर बिल्कुल सही और अच्छा काम कर रहा है। इस ऑर्बिटर में कुल आठ उपकरण लगे हैं। हर उपकरण का अपना अलग-अलग काम निर्धारित है। ये सभी उस काम को बिल्कुल उसी तरह कर रहे हैं जैसा प्लान किया गया था।"

इस सन्दर्भ में अध्ययन के क्रम में जानकारी होने पर आगे पुनः सुधी पाठक गण के समक्ष मैं अपने विचारों को प्रस्तुत करने का प्रयास करूँगा।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

(क्रमशः) 

नोट :- ज्ञातव्य है कि उपर्युक्त भविष्यवाणी के सन्दर्भ में विभिन्न तिथियों में समय-समय पर अन्य लेखों के माध्यम से भी अपने विचारों को व्यक्त किया था, परन्तु मुझ सामान्य व्यक्ति का ज्योतिष सम्बन्धी अनुमान एवं फलकथन "नक्कारखाने में तूती की आवाज" बनकर रह गई, लेकिन जो सत्य है उसे अन्ततः हर किसी को स्वीकार् करना ही होगा।

चन्द्र यान-2 के चन्द्रमा पर लैंडिंग के सन्दर्भ में मैंने लैंडिंग के समय से ही उपर्युक्त जो भविष्यवाणियाँ की थी जिसके सत्य साबित होने के संकेत नासा के चन्द्र यान-2 से सम्बन्धित रिपोर्ट के आधार पर मिल रहे हैं।

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नासा की नई तस्वीरों से जगी भारत की उम्मीद, चंद्रयान मिशन को लेकर फिर बढ़ी दिलचस्पी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू Updated Sun, 02 Aug 2020 02:02 AM IST
चंद्रयान-2 मिशन पर रोवर (प्रज्ञान) को लेकर रवाना हुए विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास विफल रहने के 10 महीने बाद नासा की ताजा तस्वीरों ने इसरो की उम्मीद फिर से उम्मीद जगा दी है। पिछले साल नासा की तस्वीरों का इस्तेमाल कर विक्रम के मलबे की पहचान करने वाले चेन्नई के वैज्ञानिक शनमुग सुब्रमण्यन ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को ईमेल भेजकर दावा किया है कि मई में नासा द्वारा भेजी गई नई तस्वीरों से प्रज्ञान के कुछ मीटर आगे बढ़ने के संकेत मिले हैं।

इसरो प्रमुख के. सिवन ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि हालांकि हमें इस बारे में नासा से कोई जानकारी नहीं मिली है लेकिन जिस व्यक्ति ने विक्रम के मलबे की पहचान की थी, उसने इस बारे में हमें ईमेल किया है। हमारे विशेषज्ञ इस मामले को देख रहे हैं। अभी हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते।
शनमुगा ने बताया है कि 4 जनवरी की तस्वीर से लगता है कि प्रज्ञान अखंड बचा हुआ है और यह लैंडर से कुछ मीटर आगे भी बढ़ा है। हमें यह जानने की जरूरत है कि रोवर कैसे सक्रिय हुआ और उम्मीद करता हूं कि इसरो इसकी पुष्टि जल्दी करेगा।
    
 
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