शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

शैलज दोहावली : भाग-४ (दोहा संख्या १४५ से १९२ तक का संग्रह सम्प्रति प्रकाशन की प्रक्रिया में है।)

तन सुन्दर, मन मैल संग, 
रूपसी अहम् विकार।
शैलज शील सुलक्षणा,
प्रियंवदा सुखदा संसार।।१४५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा,बेगूसराय।

शैलज मजदूर किसान हैं,
मौसम से अनजान।
भू सेवक भूखे मरे,
नारद नेता देते दिक्ज्ञान।।१४६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सुमन समाज में,
अंकित करे विचार।
पुष्पाकाँछा शुभद सदा,
उत्तम मृदु व्यवहार।।१४७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 

वेनीपुरी की जादू कलम,
चित्रण राज समाज।
शैलज हृदय निवास करे,
हिन्दी साहित्य श्री राज।।१४८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज आत्म अनुशासन बिना,
सब उपलब्धि ज्ञान बेकार।
मुक्ति बोध, जग धरम करम,
अर्थ, आदर्श काम व्यवहार।।१४९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

सुमति सुकर्म आदर्श सुहाई।
शैलज रीति नीति अपनाई।।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई।
दया धर्म बिनु को जग भाई ?।।१५०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

परिणय, मंगल दिवस का, 
गीत सुमंगल गान।
गाली साली शुभद् सुखद, 
शैलज सुहृद सुजान।।१५१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सुध बुध खो दिया, 
राज श्री संग सुख पाय।
सुदिन सौभाग्य सुकर्म बिनु, 
जग में को जन पाय ?।।१५२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 राज श्री सुख वर्धिनी, 
अहम् रहित शुभ भाव।
शुभदा सौम्या जय प्रदा, 
शैलज सरल सुभाव।।१५३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज अपने गाँव में, 
कोई न पूछनहार ।
आये शहर विदेश से, 
धनी गुणी सरदार ।।१५४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय ।

मधुमय पूनम चाँदनी, 
नन्दन चन्दन वन माहिं।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् कृपा,
शैलज मोद बढ़ाहिं।।१५५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज भनत विश्वास हरि,
विश्वास करें विश्वास।
युग-युग पायें हरि कृपा,
युगल कुमार विश्वास।।१५६।।

पावन परिणय बन्धन में,
जो प्राणी बँध जाते हैं ।
संसार सुखों से भरकर,
मंगलमय हो जाते हैं ।।१५७।।

ऋषि-मुनि मोक्ष के सुख में,
अपने को खोते हैं ।
दम्पती परिणय में ही तो,
सम्पूर्ण मोक्ष पाते हैं।।१५८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 सकल चराचर व्याप्त प्रभु, 
समदर्शी जगत आधार।
विधि हरि हर शैलज भजे, 
निज मति कुमति विसारि।।१५९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 

 राज, श्री, सुखदा, शुभा; 
प्रियंवदा, प्रिया, अनमोल। 
कुलवर्धिनी, सहधर्मिणी; 
शैलज निज मति तोल।।१६०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 कंचन कामिनी चंचला, 
तजे आलसी उदास।
प्रेम करम हठ वश रहे, 
स्वामी शैलज दास।।१६१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 तन भव सागर में रहे, 
मन क्षीरोदधि पास।
शैलज तरणी सुकरम, 
हरि शरण में बास।।१६२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।   

शैलज प्रेमी जगत का, 
अभिव्यक्ति सहज वेवाक।
सुजन सुहृद संगत करे, 
शेष समाज मजाक।।१६३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

सृष्टि कामना हेतु नर, 
करत शुभाशुभ कर्म।
नारी आकाँक्षा रहित, 
शैलज समाज नहीं धर्म।।१६४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज किस धन के लिए, 
झगड़ रहे नित आप ?
रूप अहं गुण जायेगा, 
कर्म धर्म पुण्य संग पाप।।१६५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

नारी प्रकृति नारायणी, 
हरि नर पुरुष स्वरुप। 
अर्द्ध नारीश्वर शिव शक्तिदा, 
शैलज प्रेम प्रतिरूप।।१६६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज अवगुण से भरा,
गुण समाज के पास।
भोगी मन,आत्मा अमर,
निर्णायक रमानिवास।।१६७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शब्द रुप रस गुण कर्म रहित मैं, 
तू भावाभिव्यक्ति काव्य सहारे।
शैलज प्रस्तर, सुमन मदार मैं, 
आयुष राज श्री दाता शिव प्यारे।।१६८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

अलि प्रिय भ्रमर सुमन रस,
मधु संचय प्रकृति सुभाव।
शैलज षडरस स्नेह युत,
मधुमय शुभ सुखद प्रभाव।।१६९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

अलि प्रिय भ्रमर सुमन रस,
मधु संचय प्रकृति सुभाव।
शैलज षड् रस स्नेह युत,
मधुमय शुभ सुखद प्रभाव।।१७०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

सपरिवार आपको तथा समस्त परिजन -पुरजन के दीर्घायुष्य और सर्वांगीण विकास हेतु ईश्वर से प्रार्थना के साथ ही ईसाई नववर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामना।

धन बल जन पद मद भरा, 
आपु जीव नर चाल।
चढ़े गिरे अविवेकी कुटिल, 
शैलज अधम मिशाल।।१७१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

योग विवेक परहित सुकृति,
दया धर्म शुचि दान।
सुमन गृहस्थ, सुदेह सुख,
शैलज प्रभु पथ ज्ञान।।१७२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज गदहा श्वान सिंह,
गीदड़ काक वृष जान।
सेवत गुरुवत् जीव प्रकृति,
शत्रु मित्र समान।।१७३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज शुक पिक हंस अलि,
गोपद हरि हिय ध्यान।
सेवत गुरुजन जीव प्रकृति,
देश काल पहचान।।१७४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज पर दु:ख दु:खी जो,
सुर नर मुनि महान्।
दया रहित स्वार्थी मनुज,
अधर्मी दनुज समान।।१७५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

साक्षी आत्मा, वकील मन,
सच माया जग जीव संघर्ष।
शैलज न्यायाधीश हरि,
प्रकृति पुरुष विधि विमर्श।।१७६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

तर्जनी वात, पित्त मध्यमा, 
अनामिका कफ प्रकृति आधार।
शैलज नाड़ी ज्ञान शुभ , 
दक्षिण वाम नर नारी अनुसार।।१७७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

तीतर, लावा, बटेर गति, 
नाड़ी त्रिदोष गति चाल।
अहि गति मेढ़क हंस शुभद्, 
हंस मध्य कुचाल।।१७८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

हंस मन्द गति कफ प्रकृति,
काम कबूतर मोर।
मेढ़क कौवा अति तीव्र गति,
पित्त क्रोध घनघोर।।१७९।।

वात जोंक अहि कुटिल गति,
लोभ मोह सन्ताप।
शैलज नाड़ी गति जानिये,
आयु वैद्य प्रभु आप।।१८०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज कुमति शिकार जो,
बाल, वृद्ध युवा नर-नारि।
देश, काल औ विधि विमुख,
दु:ख पावत जीव अपार।।१८१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज तू क्या कर रहा,
आकर जग में नित काज ?
समय चूक पछतायेगा,
सत् धर्म कर्म का राज।।१८२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

दैनान्दिनी शुभदायिनी,
अनुपमा  सुखधाम।
शैलज राज श्री वर्धिनी,
अभिव्यक्ति गुण ग्राम।।१८३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

रवि सुत शनि गृह आगमन,
शुभ मुहूर्त, सुख मूल।
शैलज मकर त्रिदोष हर,
नव ग्रह जनित त्रिशूल।।१८४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शीश रेणु गोपद धरत,
कान्हा ब्रज गोधूलि प्रात।
शैलज रेणु गोपाल पद,
भव तारक हरि तात।।१८५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

नीर प्रवाह नीरज नयन,
श्याम प्रेम पिय मोर।
शैलज भींगत स्नेह रस,
राज, श्री, सुख चहुँ ओर।।१८६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज कन्या शक्तिदा, 
प्रकृति पुरुष हिय हार।
नैहर की जंगल अलि!
पिय गृह वंदनवार।।१८७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

केसरिया संस्कृति सनातन, 
कीर्ति, शौर्य, बल दायक।
सादा सादगी, सच्चाई, आदर्श, 
न्याय, बुद्धि, शुभ कारक।।
हरा भारत भूमि माता श्री, 
ज्ञान, विज्ञान, विकास का सूचक।
अनवरत प्रगति चक्र, 
तिरंगा भारत वर्ष का द्योतक।।१८८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 

अनिल पतंग विचरे नभ,
भोग योग सुख साथ।
कटी पतंग सुमिरन करे,
शैलज हरि जग नाथ।।१८९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज अहं विकार गुण,
सद् गुण गुण हरि लेत।
हरि प्रभु आँकलन करत,
अपयश जग में लेत।।१९०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

निज हित शैलज कर रहा,
जग में नित हर काज।
आया जग में फिर जायेगा,
विधि धर्म कर्म सुख राज।।१९१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

भव सागर जग बन्धु प्रकृति,
प्रिय सखा शत्रु व्यवहार।
धर्म कर्म विधि संगति फलद्,
शैलज विश्वास विचार।।१९२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 
पद मद अहं सौन्दर्य बल,
निज देह ज्ञान बल यार।
कोटि जतन संग जात नहीं,
शैलज राज श्री सुख सार।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।




शनिवार, 21 नवंबर 2020

भोली भाली प्रिया सौम्या

भोली-भाली प्रिया सौम्या , 
जीवन की हरियाली है।
राज-श्री, शुभदा, सुखदा; 
सौभाग्य बढ़ाने वाली है।।

नयनों की काजल हितकारी, 
राधा श्याम दुलारी है।  
नर मुनि सुरासुर पूज्या, 
रमणी कन्या सुखकारी है।।

हृदवासिनी धनदा गृहिणी, 
कामिनी जया कल्याणी है।
प्रेयसी प्रिया पावन दिव्या, 
अबला प्रबला महारानी है।।

दारा, तनुजा, भगिनी, देवी, 
बधू, कन्या रुप अनेकों नारी हैं।
विटप वल्लरी पुष्पलता प्रिया, 
हिय हार प्रियम्वदा प्यारी हैं।।

धारिणी पुंबीज सन्त्तति दाता, 
मातृत्व वात्सल्य प्रदायिनी है।।
दिव्यांगना शैलज हितकारी, 
सुर सरि गंगा सम पाविनी है। 

भोली-भाली प्रिया सौम्या, 
जीवन की हरियाली है।
राज श्री शुभदा सुखदा, 
सौभाग्य बढ़ाने वाली है।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

    
 
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रविवार, 15 नवंबर 2020

शैलज दोहावली : भाग-३ (दोहा संख्या ९७ से १४४ तक।)

शैलज भेंटें प्रेम जो, मत मन राखूँ गोय।
अनुपयोगी कूप जल, ज्यों विषाक्त ही होय।।९७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज हो गया सिरफिरा,
तन मन पड़ा बीमार।
सत्यासत्य उचितानुचित, 
बिन समझे करे वार।।९८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज डूबा स्वार्थ में,
करता अवसर उपयोग।
विद्या शील स्नेह रहित;
पथ-दर्शक कहते लोग।।९९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज कुछ एक वोट से, 
गया चुनाव में हार।
अपने हार पहन लिया, 
क्यों पूछे जन संसार ?।।१००।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज दुनिया से सीख कर, 
करता हर व्यवहार।
निज प्रकृति अनुरूप ही, 
फल पाता कर्म अनुसार।।१०१।।

शैलज दुनिया को देखकर, 
मत करिये हर व्यवहार।
पग रखिये पथ को देखकर, 
उत्तम अनुभूत विचार।।१०२।।

शैलज दुनिया में जो मिला, 
सब कुछ है उपहार।
प्राणी धर्म विवेक बिन, 
है मानव जीवन बेकार।।१०३।।

शैलज दुनिया के लिए, 
करता रचनात्मक काज।
आवागमन प्रकृति पुरुष, 
समझे मनुज समाज।।१०४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

रवि ज्वाला लपटों का रूप लिये,
संक्रमण जनित ज्वर ताप प्रिये।
सूखी खाँसी हो श्वास विकल,
शैलज कोरोना उपचार प्रिये।।१०५।।

हों लवण दोष या लौह जनित,
करें होमियो बायो उपचार प्रिये।
जी लाल शुष्क, गुड़ गर्मी प्रेमी,
शैलज मैग फॉस आधार प्रिये।।१०६।।

है मजबूरी प्रिये, तन की दूरी;
पर, मन से हो तुम पास प्रिये।
तुलसी हरती हैं त्रिविध ताप;
आयुष है शैलज साथ प्रिये।।१०७।।

ग्रह नव रवि या कोई भी हों,
सब होंगे सदा सहाय प्रिये।
रवि पुष्प मदार हृदय राखे,
शैलज सौभाग्य विचार प्रिये।।१०८।।

कफ काम, पित्त है क्रोध मूल,
है वात लोभ के पास प्रिये।
ये रोग नरक दुख कारक हैं,
शैलज त्रिगुण विचार प्रिये।।१०९।।

क्षिति, जल, पावक, गगन संग,
पवन प्राण निवास प्रिये।
शैलज सुमिरि प्रकृति प्रभु,
करता जग में है वास प्रिये।।११०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि, मनोवैज्ञानिक, ज्योतिषी, होमियोपैथ)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

कोरोना और चुनाव में,
शैलज नेता मेल।
आँख मिचौली खेल में,
जनता मूरख भेल।।१११।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 कोरोना और चुनाव में,
आँख मिचौली खेल।
नेता पक्ष विपक्ष में,
शैलज अद्भुत मेल।।११२।।

सूरज सविता दिनपति,
दिनकर दीनानाथ।
भानु भास्कर जगत पति,
रवि रव नाथ अनाथ।।११३।।

स्रष्टा पालक संहर्त्ता,
ब्रह्मा विष्णु महेश।
शैलज छठ माँ पूजिये,
शक्ति सहित दिनेश।।११४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज देश विदेश में,
जीव अजायबघर एक।
मानव प्रकृति में ही मिला,
स्वारथ बहस विवेक।।११५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय,बिहार, भारत।

शैलज सच को सच कहा,
रूठ गये सब लोग।
जब सच से पाला पड़ा,
कह रहे उसे संयोग।।११६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज मीत सराहिये, सुमति सुकाज सहाय।
सोच हिताहित आपसी, हिय मन जेहिं समाय।।११७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज नेता बन गया, सबकी चिन्ता छोड़।
चिन्ता में सिर तब फिरा, दिया सबों ने छोड़।।११८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज नारद रवि कृपा, निशिचर हुए उदास।
तारे संग सिमटी निशा, काम रति हुए दास।।११९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शशि रवि सहधर्मिणी, करत प्रकाश दिन रात।
शैलज राजाज्ञा शुभद, अवकाश अमावस रात।।१२०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा,बेगूसराय।

 सचिव शशि अध्यक्ष रवि, उडुगण शेष समाज।
शैलज रवि शशि के बिना, तिमिर अमावस राज।।१२१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा,बेगूसराय। 

 जलद श्याम घन मोर मन, चन्द्र चकोर स्नेह।
शैलज श्रम बिनु राज श्री, भक्ति बिना प्रभु नेह ? ।।१२२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

 जलद श्याम घन मोर मन, चन्द्र चकोर स्नेह।
शैलज श्रम जग राज श्री, भक्ति भाव प्रभु नेह।।१२३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

आतम ज्ञान से मन डरे,
सुमन विवेक प्रकाश।
शैलज रजनीचर डरे,
रजनीचर नभ वास।।१२४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज मनोकाँक्षा प्रकृति विमुख,
रहित विवेक विचार।
जल द्रव गति मति क्षुद्र नर,
उठत गिरत हर बार।।१२५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज स्वार्थी, वाक्पटु; 
भोगी, कुटिल, लवार।
धृत उपदेशक, हठी जन; 
कलिकाल महान्, गवांर।।१२६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज बचपन पचपन का,
बारह सात उनीस।
भूले बिसरे गले मिले,
इस जग में सब बीस।।१२७।।

अनठावन की प्रकृति का,
सत्य न प्रेम से मेल।
एक एक कर सबसे मिले
शैलज समाज का खेल।।१२८।।

शैलज सच सच कहे,
सदा झूठ को झूठ।
प्रेमी जन सम्वाद सुन,
जाये दुनिया रूठ।।१२९।।

शैलज जगत अवतरण,
 कृष्ण निशा आकाश।।
रजनीचर भानु बिना,
कबहुँ कि करत प्रकाश ?।।१३०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज जब तक साँस है,
सुख दुःख अहम् त्रिताप।
पिया मिलन को चल पड़े,
जग बन्धन छूटे सन्ताप।।१३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।


शैलज नर तन पायके, 
भूल गया कर्त्तार।
जग तिलस्म में भटक, 
भूला निज घर द्वार।।१३२।।

डॉ ० प्रो ० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगुसराय।

शैलज नर तन पायके, 
भूल गया कर्त्तार।
फँसा जगत तिलस्म में, 
भूला निज घर द्वार।।१३३।।

डॉ ० प्रो ० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगुसराय।

 
शैलज नर तन पायके, 
भूल गया कर्त्तार।
जग तिलस्म में भटक, 
भूला निज घर द्वार।।१३४।।

डॉ ० प्रो ० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगुसराय

 शैलज ईश्वर को भजे,
आत्मलीन मन लाय।
करे समर्पण स्वयं को, 
केवल एक उपाय।।१३५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा,बेगूसराय।

 शैलज लोक परलोक हित,
प्रभु से करे गुहार।
जीव नारि नर सुगति सत्,
शान्ति प्रेम सुविचार।।१३६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सही लिबास बिनु, 
कैसा चरम विकास ?
करम धरम छूटा शरम, 
नीच मनुज के पास।।१३७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज क्रूर कुटिल मति, 
मतलब के सब यार।
दया धर्म गुण रहित नर, 
सज्जन हेतु तुषार।।१३८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज क्रूर कुटिल मति, 
प्रकृति विरुद्ध उपचार।
दया धर्म गुण रहित नर, 
जग वन हेतु तुषार।।१३९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज मनुज समाज गति; 
ज्ञान, विवेक, व्यवहार।
देश-काल-पात्र निर्भर मति, 
सच्चिदानंद मूलाधार।।१४०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शूल गुलाब, कीचड़ कमल, 
वन उपवन सौंदर्य सुवास।
शैलज समदर्शी सुमन मन, 
प्रमुदित, न करत उदास।।१४१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज जगत असार की,
चिन्ता करम हिसाब।
तू क्या राखे मूढ़ मन ?
प्रभु के पास किताब।।१४२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 त्रिविध ताप त्रिदोष कर, 
शैलज नीच विचार।
वेग त्रयोदश रोक कर, 
तन मन करत बीमार।।१४३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार। 

 सुन्दर श्री पद ज्ञान गुण, 
व्यवहारिक नर-नारि।
रूप-कुरूप शैलज भजे,
लखि कुल शील विचार।।१४४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
 





शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

शैलज दोहावली : भाग-२ (दोहा संख्या ४९ से ९६ तक )

शैलज तन रक्षा करे, मन की सुधि नित लेत।
ज्योतिर्मय कर ज्ञान पथ,पाप भरम हरि लेत।।४९।।
अन्त:करण सुचि देव नर ,जीव चराचर कोई।
दृश्यादृश्य पुनीत प्रभु, गुरु प्रणम्य जग सोई।।५०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 
०४/०९/२०२०, ५/५१ अपराह्न।

सनातन हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा गुरु पूर्णिमा (आषाढ़ पूर्णिमा) के दिन गुरु व्यासजी की पूजा होती है, परन्तु भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं आदर्श शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस ५ सितम्बर के दिन प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है और हम सभी भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं आदर्श शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधाकृष्णन एवं अपने-अपने अन्य गुरु देवों को भी याद करते हैं, उनका सम्मान करते हैं तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग का अनुशरण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं, क्योंकि गुरु का अर्थ होता है अन्धकार से प्रकाश में लाने वाले।
ऊँ असतो मां सदगमय।। तमसो मां ज्योतिर्गमय।। मृत्योर्मा अमृतं गमय।। शुभमस्तु।।
शिक्षक दिवस हार्दिक शुभकामना एवं बधाई के साथ।    

शैलज सन्तति, वित्त, सुख,
भ्राता, कुल, पति हेतु।
सहत क्लेश सविवेक नित,
नारी सृष्टि सेतु।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
ममतामयी माँ एवं मातृ शक्ति के परम पुनीत जीमूतवाहन (जीवित पुत्रिका/जीउतिया) व्रत की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाओं के साथ।
जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।@dna @Republic_Bharat @RajatSharmaLive @POTUS @UN @rashtrapatibhvn @PMOIndia @uttam_8 @amnesty @RahulGandhi @ShahnawazBJP 

शैलज माँ को भूलकर, हो गया पत्नी दास।
खैर नहीं, कर्त्तव्य है, या निर्वासन, उपवास।।५१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज वे नर श्रेष्ठ हैं ?
जो हैं अनुभव हीन ।
माता, तनुजा, पत्नी प्रिया, 
नारी रूप हैं तीन।।५२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।

आदि अभियंता विश्वकर्मा नमस्तुभ्यं अंगिरसी-वास्तुदेव सुतं ब्रह्मा पौत्रं वास्तु शिल्प विशारदम्। 
भानु कन्या संक्रमण गोचर विश्वकर्मा जातं सुरासुर जड़ जीव पूज्यं जगत कल्याण सृष्टि कारकं।।५३।।

ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज काम के स्वार्थ में, 
धर्म मर्यादा छोड़ ।
अर्थ अनर्थ हित मोक्ष से, 
मुँह लिया है मोड़।।५४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 

शैलज उदधि अनन्त भव, 
इच्छा भँवर वहाब।
एक समर्पण आश्रय, 
सुमति सुकर्म बचाव।।५५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

बाल, वृद्ध, नर-नारी हित, 
शैलज हिय सम्मान।
जय, सुख, समृद्धि, राज, श्री, 
पावे शुभ वरदान।।५६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय। 

सगुण सराहत लोकहित,  
ज्ञान प्रत्यक्ष विज्ञान।
निर्गुण ब्रह्म परलोक चित, 
अपरा परा निदान।।५७।।

डॉ०  प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा।

शैलज अर्थ, आसक्ति में;
पड़ा नरक के द्वार।
मोक्ष, धर्म को छोड़कर; 
भटक रहा संसार।।५८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज भौतिक भूख से, 
उपजे दु:ख हर ओर।
आध्यात्मिक व्यवहार तजि, 
प्रभु से मांगे और।।५९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज घटना कोई भी, 
नहीं प्रारब्ध अकारण होत।
भोगत सुख-दुःख करम फल, 
अपजस विधि को देत।।६०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज कृष्ण के प्रेम में, 
डूब गया संसार।
काम बासना मुक्त हो, 
मिला मुक्ति प्रभु द्वार।।६१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 प्रेम वासना जीव जग, 
जड़ चेतन सृष्टि आधार।
प्रकृति पुरुष के मिलन से,
प्रकट हुआ संसार।।६२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

सुन्दर चरित, सुसमय घड़ी,
सुमन स्वस्थ विदेह।
रिश्ता स्नेहिल प्रेम मय,
च्यवनप्राश अवलेह।।६३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय। 

 पारस संग कंचन प्रिय, 
चुम्बक संग गति सोई।
पारस चुम्बक शैलज सुगति, 
लौह बड़ाई होई।।६४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 छाया छाया सब चले, 
छाया मोहित सोई।
छायापति छाया चले, 
शैलज पूजित होई।।६५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

नारी कृत अपमान का,
मत करिये प्रतिकार ।
शैलज कौरव कुल गति, 
हरे धर्म व्यवहार।।६६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 पावन दिल, सद्भाव, दृढ़ 
शैलज श्रद्धा-विश्वास।
अष्ट सिद्धि नव निधि प्रद, 
सुगम सुकर्म प्रयास।।६७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी), पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज शुभाकाँक्षा गति, 
उत्तम प्रकृति अधिकाय।
तप बल ताप नशाय त्रय, 
हिय अंकित प्रिय पाय।।६८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज 
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज भाग्य स्वयं लिखे,
अपने कर्म व्यवहार।
समय, भाग्य, विधि दोष दे,
उर संतोष बिचार।।६९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज 
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज नि:संकोच प्रिय, 
प्रमुदित पूर्वाग्रह-मुक्त।
जन हित प्रत्याशी हित, 
निज मत करिये व्यक्त।।७०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज सखा सुरेश की, 
कृपा दृष्टि औ संग।
ब्रजकुल कालिन्दी मधु, 
गीता पार्थ प्रसंग।।७१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

सत्ता, सुख, प्रतिशोध में, 
शैलज खेलत दाव।
जनता को गुमराह कर, 
नोन लगावे घाव।।७२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज राज श्री सुख प्रद,
सुहृद भाव विचार।
जोग जुगुति व्यवहार मृदु,
यश फैले संसार।।७३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सुन्दर सरल सखि!
भावुक प्रिय उदार।
कलि प्रभाव छल बल बिनु,
गुण समूह बेकार ? ।।७४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज पाप प्रभाव से, 
उपजे दु:ख संताप।
सम्यक् कर्म-व्यवहार से, 
बाढ़े पुण्य प्रताप।।७५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज असुर समाज है, 
नेता जन की भीड़।
जनता सुर को रौंदते, 
नित्य उजाड़े नीड़।।७६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।
  

शैलज सत्ता स्वार्थ हित, 
पर पीड़न रति लीन।
नेता असुर सुरत्व तजि, 
पंडित भये प्रवीण।।७७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

निज मुख दर्पण में देख कर, 
शैलज हुआ उदास। 
ग्लानि, क्रोध, अविवेक वश; 
दर्पण को दे नित त्रास।।७८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज राज न दरद का, 
जाने जग में कोई।
प्रेमी वैद्य जाने सहज, 
सुख समाज को होय।।७९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज जनता मूरख भेल, 
नेता खेले सत्ता खेल।
MA गदहा, BA बैल, 
सबसे अच्छा मैट्रिक फेल।।८०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज समय विचारि कर, 
रखिये अपनी बात।
प्रिय जन राज सलाह शुभ,
मेटे हर झंझावात।।८१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

का करि सकत विरोध कर, 
बाधा लघु मध्य महान् ?
भाग गुणनफल योग ऋण, 
शैलज अवशेष निदान।।८२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अन्तर् ज्योति प्रकाश बिन, जगत ज्ञान बेकार।
शैलज राज समाज सुख, प्रेम धर्म जग सार।।८३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

आवागमन के चक्र में, 
कटु-मधु जीव व्यवहार।
भक्ति, मुक्ति, श्री, राज, सुख;
शैलज प्रभु प्रेम आधार।।८४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज मूरख राज श्री; पद बल अहम् बौड़ाय।
आनन सुन्दर अलि छटा, समय पाय मुरझाय।।८५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज सत्ता राज श्री, पद बल मद अधिकाय।
आनन सुन्दर अलि छटा, समय पाय मुरझाय।।८६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।
 
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शैलज सुहृद सराहिये, 
सुमति सुकाज सहाय।
तम हर ज्योति पथ शुभ, 
सुगम सरल दर्शाय।।८७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज विदुर चाणक्य को; भूल रहे जो लोग।
समय भुलाया है उन्हें, सत्य अटल संयोग।।८८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज विदुर चाणक्य या अन्य विचारक लोग।
निज अनुभूति बता गये; कर्म, ज्ञान, रुचि, योग।।८९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज परहित साधन निरत,
नेक नीति नित साथ।
सुख-दुःख, कीर्ति, परिणाम तजि; 
लिखत भाग्य निज हाथ।।९०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

असुर अनीति, देव विधि;
जड़ नर जीव सुख चाह।
पशु से नीच विवेक बिन,
शैलज दुर्लभ शुभ राह।।९१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज राम जगत पति,
कृष्ण प्रेम हिय वास।
भेदत तम रज सतोगुण,
दीपावली प्रकाश।।९२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अन्तर् दीप जला रहा, शैलज हिय मन द्वार।
जगत बुझाये वातवत्, प्रिय प्रभु रखवार।।९३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज सम्यक् शुभकामना;
जीव जगत नर हेतु।
दीप ज्योति तम हर शुभद, 
प्रभु शरणागति सेतु।।९४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

गोपालं नमस्तुभ्यं ज्ञान सृष्टि हित कारकं।
जीवेश समत्व योगं गोवर्धनं सुखकारकं।।९५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अवसर धर्म विकास रुचि, 
अवसर काज समाज।
अवसर पर निर्भर सभी, 
शैलज नेतृत्व सुराज।।९६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज दोहावली: भाग-१ (दोहा संख्या १ से ४८ तक)

" शैलज " घट-घट मीत है, प्रीति मीन जल माहि।
मूढ़ बड़ाई हित करै, असुर सुखद शुभ नाहि।। १।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय। 

"शैलज" जो नर स्वयं को 
मानत गुण की खान।
अवगुण छाया संग में,
निशि अमान्त अनजान।।२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०७/२०२०, १५/०७ अपराह्न

निज नयनन झाँकत नहीं, 
जड़मति जन अज्ञान।
नयन बन्द देखत मुकुर, 
कलि योगी शील निधान।।३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज विश्व अनन्त में प्रेम कृषक-सा बोय।
सींचत स्नेह व्यवहार से फल सर्वोत्तम होय।।४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०७/२०२०, १०/५९ पूर्वाह्न।

शैलज हर त्रिशूल है, सूचक कफ पित्त वात।
समरस जीवन धातु बिन, रोग शोक उत्पात।।५।।

शैलज सत रज तमोगुण, नाम रूप अनुसार।
सृजन नियन्त्रण नश्वरता निज प्रकृति विचार।।६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
०८/०८/२०२०, २०/४३ अपराह्न।

शैलज रिश्ता एक है, कारण-कार्य व्यवहार।
प्रकृति सह-अनुभूति की, है अनुपम आधार।।७।।

जनम-जनम देखे नहीं, करते उनकी बात।
एक जनम यह देख ले, बन जायेगी बात।।८।।

शैलज करता अहर्निश, जनम-जनम की बात।
प्राकृत, व्यक्ति, आदर्श का, फलित जगत् सौगात।।९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १०/०९ पूर्वाह्न।

शैलज जो नर नीच हैं, लघु उच्च जन कोई।
सद्यः उन्हें विसारि दे, कुलिष पंक सम सोई।।१०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
११/०८/२०२०, ०१/०६ पूर्वाह्न।

शैलज काम, क्रोध औ लोभ को जीतें हृदय विचार।
त्रिविध ताप उपजे नहीं, सद्कर्म करे सुविचार।।११।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, ०९/५३ पूर्वाह्न।

शैलज अवगुण से भरा,
तुम सद्गुण की खान।
जल में मिल वह कीच है, 
तू पंकज दिव्य महान्।।१२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ००/१३ पूर्वाह्न।

ऊँ श्रीकृष्ण योगेंद्र षोडशांंशावतारं,
राधे श्यामं भजाम्यहं प्रभु दशावतारं।
गोपी बल्लभ, गोविंद, नारायण, वासुदेवं,
नन्द नन्दन, देवकी सुत, यशोदा नन्दन।।१३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, १३/५५ अपराह्न।

काम, क्रोध औ लोभ हैं, शैलज नरक के द्वार।
जिनके वश ये तीन हैं, पाते सुख शान्ति अपार।।१४।।

काम, क्रोध औ लोभ ये सभी नरक के द्वार।
शैलज इनसे दूर हो, खोलें मोक्ष के द्वार।।१५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, ०९/१३ पूर्वाह्न।

हृदय हीन, विवेक बिन; 
नर पशु से भी नीच।
शैलज पाते दुसह दु:ख, 
सुजन मूर्ख के बीच।।१६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१८/०८/२०२०, १०/२१ पूर्वाह्न।

शैलज कायर मूढ़ जन, 
त्यागे घर परिवार।
पर-दु:ख निज समझे नहीं, 
पर चाहे उद्धार।।१७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
१८/०८/२०२०, १२/५८ अपराह्न।

मोक्ष, ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ 
सब आश्रम धर्म आधार।।
शैलज धर्म गृहस्थ बिन, 
सब आश्रम धर्म बेकार।।१८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

पति आयु सुख वर्धिनी, दु:ख हरिणी कलिकाल। 
पुण्यप्रदा हरितालिका; शुभदा, सुखदा, शुभकाल।।१९।।
सुभगा, सौम्या, निर्मला, हरती पीड़ा तत्काल।।
हिन्दू नारी पतिव्रता, सहधर्मिणी हृदय विशाल।२०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

पुण्यप्रदा हरितालिका; 
शुभदा, सुतदा, शुभकाल।
पति-आयुष्य, सुखवर्धिनी, 
आरोग्यप्रदा कलिकाल।।२१।।

सुभगा, सौम्या, निर्मला, 
दु:खमोचिनी तत्काल।।
हिन्दू नारी पतिव्रता, 
सहधर्मिणी हृदय विशाल।।२२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२१/०८/२०२०, १५/५० अपराह्न।

शैलज सूरज औ बादरा, 
चंदा कहे नित्य पुकार।
मानव सुजन कृतज्ञ सब, 
प्रकृति जीव संसार।।२३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२३/०८/२०२०, १६/५६ अपराह्न।

सत्यानुसंधान उद्घाटन, 
जग मिथ्या नित्य प्रयोग।
शैलज व्यवहार व्यतिक्रम, 
प्रकृति विरुद्ध संयोग।।२४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२३/०८/२०२०, १७/२२ अपराह्न।

सूरज, चन्द्र, नक्षत्र-गण,
दिशा, खगोल पुकार।
शैलज सुजन कृतज्ञता, 
प्रकृति जीव संसार।।२५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
२३/०८/२०२०, २२/५८ अपराह्न।

त्रिविध ताप हर प्रेम रस,
ज्यों शैलज को भात।
सत्य सनातन रामरस, 
लवण विश्व विख्यात।।२६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२४/०८/२०२०, ०७/०३ पूर्वाह्न।

शैलज शील, स्वभाव, गुण; 
नित्य जगत् व्यवहार।
विकसत पाय परिस्थिति; 
प्रकृति, वंश अनुसार।।२७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०८/२०२०, ०७/२० पूर्वाह्न।

शैलज निज व्यवहार से, 
दु:ख औरन को देत।
जानत जगत् असार है, 
अपजस केवल लेत।।२८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२७/०८/२०२०, 

अबला प्रबला चंचला, शैलज नहीं पावे पार।
यावत् जीवन पूजिये, कर निज कर्म विचार।।२९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२१/०८/२०२०, १५/५४ अपराह्न।

मनो-शारीरिक, धर्म हित,
करें शैलज व्यवहार।
देश, काल और पात्र के
सामञ्जस्य अनुसार।।३०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२०/०८/२०२०, १३/२१ अपराह्न।

स्वयं करने से सरल है, 
सहज सरल आदेश।
शैलज लिखना, बोलना, 
दर्शन, आदर्श, उपदेश।।३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
१८/०८/२०२०, १६/१३ अपराह्न।

हित अनहित समझे नहीं; 
दंभी, सरल, गँवार।
सनकीपन विज्ञान का, 
शैलज करता प्रतिकार।।३२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय ।
१४/०८/२०२०, १४/१३ अपराह्न।

हित अनहित को समझ कर, 
शैलज करिये काज।
पर दु:ख को निज मानकर, 
चलते सुजन समाज।।३३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१४/०८/२०२०, १२/१८ अपराह्न।

आवश्यक है जगत् में,
सामञ्जस्य सिद्धांत ।
उपयोगी, आदर्श है,  
मध्यम मार्ग महान्।।३४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१३/०८/२०२०, ५/५० पूर्वाह्न।

शैलज तन मन धन निज
बुद्धि सहाय विवेक।
स्वार्थ पूर्ण इस जगत् में 
प्रभु सहाय हैं एक।।३५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
१३/०८/२०२०, ४/२३ पूर्वाह्न।

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।"
अर्थात् 
जहाँ नारी की पूजा होती है,
वहाँ देवता रमण करते हैं।

शैलज नारी पूजिये, नारी सृष्टि आधार।
तुष्टा पालन कारिणी, रुष्टा क्षण संहार।।३६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
११/०८/२०२०, १७/२९ अपराह्न।

शैलज उनसे मत कहो, 
अपने दिल की बात। 
जग प्रपंच में लीन जो, 
कहाँ उन्हें अवकाश।।३७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ११/०७ पूर्वाह्न।

द्विगुणाहार, व्यवसाय चतु:, 
साहस षष्ठ प्रमाण।
काम अष्ट गुण भामिनी, 
शैलज कथन महान्।।३८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ०९/२३ पूर्वाह्न।

शैलज निज सुख के लिए, 
समुचित करिये काम।
परहित बाधित हो नहीं,  
हर संभव रखिये ध्यान।।३९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १८/१९ अपराह्न।

प्रभु षोडशांंशावतारं, श्रीकृष्ण करुणावतारं।
राधेश्याम दशावतारं, गोपी योगेंद्र शील सारं।।४०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १२/३२ अपराह्न।

शैलज हृदय विचार कर, नित करिये व्यवहार।
देश काल औ पात्र का, निशि दिन रखिये ख्याल।।४१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, ०९/०८पूर्वाह्न।

सन् तैंतालीस ईक्कीस अक्टूबर भुला नहीं मैं पाऊंगी।
मूल स्वतंत्रता दिवस वही है, जग को यह बतलाऊँगी।।४२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०८/०८/२०२०, २०/४३ अपराह्न।

सत्य सनातन रामरस, 
लवण विश्व विख्यात।
त्रिविध ताप हर प्रेम रस,
त्यों शैलज को भात।।४३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२८/०८/२०२०, ०८/४३ पूर्वाह्न।

शैलज रूप स्वरूप या 
जगत् कार्य व्यवहार।
निर्भर करता चयापचय 
या क्षति-पूर्ति आधार।।४४।।

ज्ञान-विज्ञान व्यापार कला,
जग दृश्यादृश्य व्यवहार। 
दैहिक, दैविक वा भौतिकी,
सुख-दु:ख मन मूलाधार।।४५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सूर रसखान रस,
मीरा कान्हाँ प्रीति।
जयगोविंद भजाम्यहं, 
राधेश्याम पुनीत।।४६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
्पचम्बा, बेगूसराय।
०१/०९/२०२०, पूर्वाह्न ६/३५.

काजल करिये ठौर से,
नयन पलक के द्वार।
शैलज राज श्री सुखद, 
शुभ पावन व्यवहार।।४७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

राधा वल्लभ श्याम घन,
कालिन्दी कूल विहार।
देवकी बसुदेव सुत
ब्रज कुल कण्ठाहार।।४८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।


गुरुवार, 12 नवंबर 2020

धनतेरस एवं दीपावली मुहूर्त विचार

 चिन्ता हरण पञ्चाङ्ग के अनुसार आज दिनांक १२/११/२०२० गुरुवार की रात्रि ९/३१ बजे से त्रयोदशी कल दिनांक १३/११/२०२० के सायं ६ बजे तक है। अत: तिथि प्रवेशानुसार आज लेकिन "स्नान दानादौ उदया तिथि" के अनुसार कल धनतेरस है तथा कल ही चतुर्दशी भी है, क्योंकि सायंकाल में ही घर से बाहर यम के लिए दीप दान करना शुभद है। दिनांक १४/११/२०२० शनिवार को प्रदोषकाल में सायं ५/१० बजे से ७/४८ तक कुबेरादि का पूजन एवं महानिशीथ काल रात्रि ११/१४ बजे से रात्रि १२/०६ बजे तक महालक्ष्मी तथा महाकली पूजा साथ ही रात्रि शेष में दरिद्रता निस्सरण का शुभ मुहूर्त है।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज (ज्योतिष-प्रेमी),
कवि जी,
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।
 
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सोमवार, 9 नवंबर 2020

भटकता है छन्द बन्धन मुक्त होकर....

भावनाओं को लिपिबद्ध करने को समुत्सुक,
साहित्य शैली व्याकरण तज शब्द सिन्धु,
मूल प्रकृति को भूलकर निज देश भाषा,
वेशभूषा त्याग कर किस मोह में पड़
चेतना निज संस्कृति संस्कार तजकर,
भटकता है छन्द बन्धन मुक्त हो अज्ञात पथ पर
ज्ञान गुण से हीन "शैलज" सहज लाचार होकर।
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रविवार, 1 नवंबर 2020

चुनाव नहीं खेल है



दनुज मानव सोच से जड़ जीव सुर नर त्रस्त हैं।
कलि प्रभाव ग्रसित मोहित सभी निज में व्यस्त हैं।।
हर जगह हर ओर कुंठा अज्ञान विधर्म विकास है।
तिलस्म फैला हर जगह, हर जगह मकड़जाल है।
खोजता हूँ आदमी, लालटेन बिना तेल है।
दीखता है पथ नहीं, चुनाव नहीं खेल है।।
नियम क्यू का है बना, लेकिन रेलम रेल है।
कहने को है विकास, पर विनाश खेल है।।
उतरते रंगत महल के, झोपड़ी उजाड़ है।
दिन में तारे दीखते, हथौड़े की पड़ी मार है।।
गेहूँ की फसल पक गई, हसुआ में नहीं धार हैं।
कीचड़ में कमल दिख रहा, जनता पहरेदार है ?
तीर दिल में चुभ रहा, दवा सब बेकार हैं।
शैलज हाथ मल रहा, भविष्य अन्धकार है।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।
    
 
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शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

Homeopathic key

Abdomen:-
Upper, Drown in : Thuja.

Lower ( Hypogastric) : 
Aching, painful,
Agg after coition : Cep.
Heavy : Vibhinn.
Board, across : Nux-m.
Clawing : Bell.
Coldness : Plb.
Cramps : Con.
Flatus passing amel : Kali-s.
Heavy, menses amel : Vib
Legs,down : Con
Sore standing agg : phys.
Tension : Sep
Weak, stool, before: Merc-i-f
***********
Side,
Right, heavy : Tab.
Right to Left : Sep.
Left to Right : Nux-v.
Heavy objects in, as If : Lyc
Rigidity : Nat-m.
Flowing towards genitals, from : Colo.
Sticking in : Ign
Running when : Tub.
Forward, into : Thuja.
Groins, to : Pul.
Scrotum, to : Ver-v.
Transversely, across : Chel
Upward, diagonally : Lachesis
Afternoon, agg : Am-m
Amel : Nat-s.
Alternating with ear : Rad
Eye : Eupher
Burning in whole digestive tract : Iris
Hot Coals, as from : Ver-a
Steam passing through,as if : Ascl
Water running down : Chin



Cold : cad-s.
Contracted : MP
Cutting in : Dios.
Distended : Vedio.
Empty : Sec-c.
Fulness : Kali-m.
Groins, to : (Kali carb)Plus.
Hands on, agg : Zinc-chr
Pushings : Thuja
Quivering : Sabina
Radiating Pain : Plumbum
Standing anek : Nat-p.
Sunken : Kali-brom.
Week : Mere
Upwards diagonally : Lachesis.


सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

हे भोले! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।

हे भोले ! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।
सन्तति बात मानय छौ तोहर, सर्वस्व अर्पिता नारी हो।
पतिव्रता जगदम्बा शैलजा, माता तोहर पुजारी हो।
हे भोले ! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।
वाहन गुण व्याघात छो घर में, पर नैय कभी लड़ाई हो।
मन मुटाव नैय कहियो होयछो, प्रेम मगन कुल सारी हो।
हे भोले ! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।
सकल चराचर आज्ञा पालक, सकल कला गुण धारी हो।
स्रष्टा पालक जग संहर्ता, स्वंभू शिव त्रिपुरारी हो।
हे भोले ! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।
प्रथम पूज्य गजानन पूजित, देव दनुज जग सारी हो।
राम कृष्ण हिय धारी शम्भु, नीलकण्ठ सुखदायी हो।
हे भोले ! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।
महादेव ममता मय प्रभुवर, साधक अवढ़रदानी हो।
कामारि, अनंग हितकारी, रति सौभाग्य निशानी हो।
हे भोले ! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।
पशुपति, जग जीवन दाता, बम भोले जन हितकारी हो।
पुष्प लता बसन्त हिय धारी, हर हर भोले भंडारी हो।
हे भोले ! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।
गंगामृत जटाधारी शिव, पाप नशावनकारी हो। 
अघोरेश्वर कैलाश विहारी, चन्द्रचूड़ भक्त हितकारी हो।
हे भोले ! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।
सुख आरोग्य दीर्घायु दाता, श्री धी बल शुभद् पुरारि हो। 
सेवक शैलज भटक रहल छो, कृपा करो अघहारी हो।
हे भोले! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।
हे भोले! तू कोन तप करलैय, मिललो सुन्दर नारी हो।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।  
 
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शनिवार, 8 अगस्त 2020

वक्त पर याद आते हैं ...

वक्त पर याद आते हैं...

निकालते वक्त हैं हम सब, जरूरी जब समझते हैं।
जरूरी कब ? किसे ? कितना ? यहाँ कितने समझते हैं ?

पहुँचना है सभी को पुनः, चिरपरिचित ठिकाने पर।
निभा कर रौल इस जग में, वक्त पर लौट जाना है।

टिकट आवागमन का, साथ में लेकर सभी आये।
यहाँ पर सौंप तन,मन,धन; प्रभु में लीन होना है।

वक्त को जो समझ में है, वक्त पर ही बताता है।
वक्त न आम होता है,  वक्त न खास होता है।

वक्त पर काम जो आते, भले ही भूल जायें हम।
वक्त जब गुजर जाता है, वक्त पर याद आते हैं।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

वैदेही अवध रामायणं (संशोधित) :- डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

# रामायणं # वैदेही अवध रामायणं (अद्यतन संशोधितं) :- डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय। (०४/०९/२०२२ ई० सन् )

नमामि भक्त वत्सलं, श्री रामं अवधेशं।

द्वादश कला युक्तं प्रभु श्री रामावतारं।।१।।
धर्मार्थकाममुक्तिदं प्रभु, विष्णु जगदीश्वरं।
भजाम्यहम् अवधेशं, जगत् पाप मोचनं। २।।
कृतयुगेरेकदा श्री हरि दर्शनेन सुविचारं।
सनकादिक मुनिवरा: गताः विष्णुलोकं।। ३।।
द्वारपालौ बोध हीनं, न कृतं अतिथि सम्मानं।
प्रभु माया विस्तारं, द्वारपालौ प्राप्त शापं।। ४।।
जय-विजय द्वारपालादि शापोद्धार सेतु।
स्वीकारं कृतं नारदस्य श्रापं कल्याण हेतु।। ५।।
सतोगुणं रजोगुणं तमोगुणस्य मूलम्।
अनन्तं प्रणव ऊँ सर्वज्ञं समर्थं।।६।।
निराकारं आकारं , रंजनं निरंजनं।
निर्गुणं गुणं, सचराचरस्य मूलम्।।७।।
कर्त्ता त्रिलोकी देवासुर जनकं।
अव्यक्तं सुव्यक्तं, अबोधं सुबोधं।।८।।
प्रकृति पुरुषात्मकं कार्य कारणस्य मूलम्।
अर्धनारीश्वरं स्वयंभू अज विष्णु स्वरूपं।।९।।
ज्योति: प्रकाशं, नित्यं, चैतन्यं स्वरूपं।
तिमिर नाशकं, जीवनामृतं स्वरूपं।।१०।।
ताड़नं जड़त्वं, अहं मोहान्धकारं।
गगन ध्रुव शिशुमार चक्र स्वरूपं।।११।।
प्रभा श्रोत दीपस्य, अवतरणं अशेषं।
भास्करस्य भास्करं, श्री रामं रं स्वरूपं।।१२।।
कौसिल्या, कैकेयी, सुमित्रा सुपुत्रं ।
अवधेश दशरथ रघुकुल प्रदीपं।।१३।।
प्रसीदति अहैतुकी सज्जनानां भक्त्या।
सर्वस्य कारणं यस्य माया दुरत्यया।।१४।।
वरं श्राप भक्तस्य उद्धार हेतु।
अवतरति जगत धर्म कल्याण सेतु।।१५।।
प्रभु राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न समस्तं।
प्राकट्यं वभूव संस्थापनार्थं सुधर्मं।।१६।।
सानुजं गुरु विश्वामित्रेण सुसंगं,
मिथिला सिमरिया धामं प्रवासं।।१७।।
शिव धनु दधीचि अस्थि विशालं,
जनकी हेतु भंगं अकुर्वत पिनाकंं।।१८।।
स्वयंवरं विवाहं जनकात्मजा सुवेदं।
सहोदरं सवेदं निज शक्ति स्वरूपं।।१९।।
माण्डवी, श्रुतकीर्ति, उर्मिला सहर्षं।
अनुशीलनं जनकस्य, वशिष्ठ आदेशं।।२०।।
सृजनहार, पालन, समाहार कर्त्ता।
रामौ परशु आदौ देशकालस्वरूपं।।२१।।
नारद, जय-विजय, देवादि, भानु प्रतापस्य उद्धारं।
मनु शतरूपा प्रिय प्रभु अवध भारत भुवि अवतारं।।२२।।
माता कुल कैकेयी सप्रजा दशरथ अवधेशं।
हर्षितं राज्याभिषेकं रमापति रामं जगदीशं।।२३।।
शारदा मायापति विचारं, मंथरा कैकयी कूट सम्वादं।
देवार्थे अवधेश रथचक्रस्य कीलांगुलि वरं संस्मरणं।।२४।।
लोक जननी जन्म भूमिश्च हितार्थं, सवल्कल वने गमनं।
वैदेही शेषश्च रामानुशरणं, वियोगेन रं जनकस्य निधनं।।२५।।
प्रणार्थ प्राणेश भजनं, प्रणार्थ प्राण तजनं।
प्रणार्थ प्राणेश रंजनं, प्रणार्थ राज तजनं।।२६।।
भरतस्य हेतु पादुका, राज पद तजनं।
सुर नर जगत् हित लीला सुरचितम् ।।२७।।
नन्दी निवासं करणं, व्रती भरतस्य राज सुख तजनं।
सिंहासीनं प्रभु श्री राम चरणस्य पदुकादेशं सुपालनं।।२८।।
रक्षार्थ वचनं कुल शीलं समेतं, गतं वन उदासं कुलाचारं कुलीनं।
रक्षार्थ धर्मं, सुकर्मं प्रबोधं, असुरोद्धार हेतु विचरन्ति नर रूपं।। २९।।
जनकस्यादेशं पालकं, भव पालकं सुरेशं। 
मर्यादा पुरुषोत्तमम् रघुकुल भूषणं श्री रामं।३०।।
पद् नख नि:सृता यस्य सुर सरि श्रेष्ठ गंगा।
केवटस्याश्रितं भव केवट, तटे त्रिपथगा।।३१।।
चरण स्पर्श आतुर कुलिष कंटकादि।
शुचि सौम्य उदभिद् खग पशु नरादि।।३२।।          
पथ अवलोकति शबरी, जड़ अहिल्या।
उद्धारं कृतं शबरी, निर्मला अहिल्या।।३३।।
दर्शनं अत्रि ऋषि वर, सती संग सीता।
प्रभु मुग्ध रामानुज वैदेही विनीता।।३४।।
भव मोक्ष याचक जड़ भील मुनि वर।
विचरन्ति सर्वे असुर भय मुक्त सत्वर ।।३५।।
बधं ताड़कादि असुरगणं समस्तं।
कुर्वीतं श्री रामं शास्त्रोचितं पुनीतं।। ३६।।
गिरि वन सरित सर तटे निवास करणं।
योगानुशरणं, नित्यानुष्ठानादि करणं।। ३७।।
कन्दमूलफलपयौषधि प्रसाद ग्रहणं।
जल-वायु सेवनं, आश्रम धर्म विवेचनं।। ३८।।
चित्रकूटादि सुदर्शनं, सर्व धाम सुसेवनं।
सुजन सम्मान करणं, मदान्ध मद मर्दनं।। ३९।।
सूर्पनखा सौंदर्य वर्धनं, लक्ष्मण रामाकर्षणम्।
नासासौन्दर्य छेदनं, खरदूषणादि उन्मूलनम्।।४०।।
साष्टांग, ध्यान मग्नं प्रणत् सुर नर मुनीन्द्रं ।
यजयते स्त्री रुपं ऋषि कुमारा: षोडशं सहस्त्रं।।४१।।
स्वीकारं कृतं वरं राम भक्तंं सस्नेहं। 
भवामि प्रिया केशवस्य कृष्णावतारं ।४२।।
पावकं ऊँ रं राम शक्ति सीता निवासं।
वधं हेतु गतं राम मृगा स्वर्णिम मारीचं।।४३।।
मिथिलेश नंदिनी सीता वैदेही अम्बा।
रावणस्य कुलोद्धार हेतु गता द्वीप लंका।।४४।।
ब्राह्मणवेश रावणस्य कृतं सम्मानं।
दानं हेतु कृतं लक्ष्मण रेखाग्नि पारं।।४५।।
सहितं पंचवटी पर्णकुटी उदासं।
सानुज प्रभु सर्व लोकाधिवासं।।४६।।
वैदेही हरणं चराचर खग वन पशूनां।
पृच्छति सानुज सरित सर पर्वताणां।।४७।।
महेश्वरस्य सुवन्दनं राजकुमारौ स्वरूपं।
चकितं उमा माया पति माया जगदीशं।।४८।।
वैदेही स्वरूपा जगन्माता स्वरूपं।
वन्दिता भवानी हरि हर रूपं अनेकं ।।४९।।
स्त्री गुण प्रधानं निज सन्तति वात्सल्य सेतु।
स्वीकारं कृतं भवानी, भवेशं वृषकेतु।।५०।।
उमा भवानी त्र्यम्बिके प्रजापति दुहिता।
पतिव्रता भवानी, जगन्माता स्वरुपा।।५१।।
व्यथिता भवानी देवादि स्थानं भवेश रहितं।
उमा आहूति करणं, शिव रौद्र शक्ति सहितं ।।५२।।
अष्टोत्तरशतं शक्ति पीठं संस्थापनं।
भवं भवानी कृपा लोकहित कारकं।।५३।।
वरणं हरं मैना सुता शैलजा सुख कारकं।
पाणिग्रहणाख्यानमिदं सर्व मंगल कारकं।।५४।।
वैदेही पूज्या भवानी वैदेही वरदायिनी।
माता सर्व लोकस्य त्रिविध ताप हारिणी।।५५।।
मिथिलेश नन्दिनी जानकी जगन्माता अम्बा।
त्रिविध ताप नाशिनी वैदेही सीता जगदम्बा।।५६।।
सीता हित विकल विधि त्रिभुवन पति लक्ष्मी रमणं।
बालि बध, सुग्रीव सहायं, किष्किंधा पावन करणं।।५७।।
सीता सुधिदं, सम्पाती मिलनं, जटायु संग्राम करणं।
सुग्रीव सहायं, नल नील सेतु, सागर पथ प्रदानं।।५८।।
असुर विभीषण रहित सर्वे सशंका।
त्रिजटा करोति वैैदेेही सेवा नि:शंका।।५९।।
शरणागत दीनार्त त्रिविध ताप हारं।
राजीव लोचनस्य रामेश्वरानुष्ठानं।।६०।।
जामबन्त अंगद वन्य बासिन: समस्तं।
समर्पित सशरीरं सुकाजं समीपं।।६१।।
लंकेश विभीषण अनुग्रह श्री रामंं।
सहायं कपीशं भू आकाशं पातालं।।६२।।
पातालं गता: पद स्पर्शात् पर्वताणि।
छाया ग्रह दम्भ हननं समुद्र मध्याणि।।६३।।
द्विगुण विस्तारं, मुख कर्णे निकासं।
अहिन अम्बा सुरसा परीक्षा कृत पारं।।६४।। 
लंका प्रवेश द्वारे लंकिनी निवासं।
राम दूतं बधे तेन मुष्टिका प्रहारं।। ६५।।
सूचकं लंकोद्धारं, लंकिनी उदघोषं।
असुर संहारं हेतुमिदं श्री रामावतारं।।६६।।
उल्लंघ्यं समुद्रं, लंका प्रवेशं।
हरि भक्त विभीषण सम्वादं।।६७।।
लंका सुदर्शनं, अशोक शोक हरणं।
मुद्रिका रं दर्शनं, वैदेही शोक हरणं।।६८।।
वने फल भक्षणं, निज प्रकृति रक्षणं।
राक्षस दल दलनं, रावणस्य मद मर्दनं।६९।।
राज धर्मानुसरणं, ब्रह्म पाश सम्मानं।
पुच्छ विस्तरणं, घृत, तैल वस्त्र हरणं।।७०।।
हरि माया करणं, कपि पुच्छ दहनं।
निज रक्षणं, स्वर्णपुरी लंका दहनं।।७१।।
अंगद पदारोपणं, असुर सामर्थ्य दोहनं।
विभीषण पद दलनं, मंदोदरी नीति हननं।।७२।।
कुम्भकर्ण मेघनादादि संहरणं।
अहिरावणादि विनाश करणं।।७३।।
देवादि ग्रह कष्ट हरणं, रावणोद्धार करणं।
विद्वत् सम्मान करणं, राज धर्मानुशरणं।।७४।।
अष्ट सिद्धि, नव निधि निधानं।
बुद्धि, बल, ब्रह्मचर्य, ज्ञान धामं।
जगत प्रत्यक्ष देवं, सकल सिद्धि दायकं।
चिरायु, राम भक्तं, हनुमान सुखदायकं।।७६।।
हनुमानं संस्मरे नित्यं आयु आरोग्य विवर्धनम्।
त्रिविध ताप हरणं, अध्यात्म ज्योति प्रदायकम्।।७७।।

शंकर पवन सुतं, अंजना केसरी नन्दनं। 
रावण मद मर्दनं, जानकी शोक भंजनं ।।७८।।
श्री राम भक्तं, चिरायु, भानु सुग्रासं।
हृदये वसति रामं लोकाभिरामं।।७९।।
एको अहं पूर्णं , वेद सौरं प्रमाणं।
रघुनाथस्य वचनं, भरतस्य ध्यानं।।८०।।
जलज वनपशु खग गोकुल नराणां।
सरयू प्रसन्ना, भूपति, दिव्यांगनानां।।८१।।
आलोकितं पथ, नगर, ग्राम, कुंज, वन सर्वं।
प्रज्वलितं सस्नेहं दीप, कुटी भवनंं समस्त्तं।।८२।।
गुरू चरण पादुका राज प्रजा प्रतीकं।
दर्शनोत्सुकं सर्वे  सीता राम पदाम्बुजं।।८३।।
नैयायिक समदर्शी प्रभु श्री चरणं।
भव भय हरणं, सुख समृद्धि करणं।।८४।।
आचारादर्श धर्म गुण शील धनं।
सूर्य वंशी सत्पथ रत निरतं ।।८५।।
जनहित दारा सुत सत्ता तजनं।
लीला कुर्वन्ति लक्ष्मी रमणं।।८६।।
शुचि सत्य सनातन पथ गमनं।
शिव राम कृपा दुर्लभ सुलभं।।८७।।
दीपावल्याख्यानं तमान्तस् हरणं।
दलनं राक्षसत्वं, रक्षक गुण भरणं।।८८।।
आदौ महाकाव्यं वाल्मीकि ऋषि रचितं।
क्रौंचस्य वियोगाहत कृतं राम चरितं।।८९।।
चरितं सुरचितं निज भाषानुरूपं।
निज भावानुरूपं रावणं राम काव्यं।।९०।।
संस्कृत सुगूढ़ं, अवधी सुलब्धं।
दनुज व्यूह त्रसितं कृते तदर्थेकं।।९१।।
सत्यं शिवं सुन्दरं श्री राम चरितं।
भरद्वाज कथनं, गोस्वामी रचितं।।९२।।
कथा सज्जनानां अवतार हेतु।
आगमनस्य रघुकुल साकेत धामं।।९३।।
वैष्णवी तपस्या, अवतार कल्कि,
गाथा सुदिव्यं जग कल्याण हेतु।।९४।।
एकासनवर्धनं गुण शीलंं प्रकृति दिव्यं,
हर्षितं दर्शितं अवध पुष्पक विमानं।।९५।।
रजकस्यारोपं वैदेही वने प्रवासं।
ऋषि सुता चरितं, वाल्मीकि शरणं।।९६।।
अश्वमेध यज्ञस्य हय विजय करणं।
सीता सुत लव कुश संग्राम करणं।।९७।।
श्री राम राज्यं समत्वं योग वर्धनं।
प्रजा सुपालनं त्रिविध ताप हरणं।।९८।।
सुता हेतु धरित्री हृदय विदीर्णं।
सीतया धरा अर्पणं निज शरीरं।।९९।।
सीता वसुधा, प्रभु सरयू शरणं।
शेषावतार सहर्ष सत् पथ गमनं।।१००।।
अवधेश गतं साकेत शुभम्।
सप्रजा साकेत अवध सहितं।।१०१।।
शुचि कथा उमाशंकर पावन।
कैलाश कपोत युगल सहितं।।१०२।।
खग काक भुषुण्डि शिव श्राप हरं।
गुरु कृपा श्री राम भव पाप हरं।।१०३।।
रामायण अवध अवधेश कृतं।
मन मोद धाम शुभदं सुखदं।।१०४।।
भारत बिहार जम्बूद्वीपं।
नयागाँव पचम्बा सुसंगम्।।१०५।।
ब्राह्मण भारद्वाज गोत्र कुलं।
जातक शैलजा राजेन्द्र सुतं।।१०६।।
आख्यान रचित शैलज अनुपम।
निज ज्ञान विवेक सहित अल्पम्।।१०७।।
सप्रेम रामायणमिदं पठनं।
आतप त्रयताप हरं सुखदं।।१०८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शुभ संवत् २०७६-२०७७ की दीपावली के शुभ अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम एवं मिथिलेश नन्दिनी जगत् जननी माँ सीता जी की प्रेरणा एवं कृपा से १०८ शलोकों वाला प्रस्तुत "वैदेही अवध रामायणं " की रचना १०४ श्लोकों वाले "अवध रामायणं" के रूप में हुई जो दिनांक ०५/०८/२०२० तदनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वितीया बुधवार को श्री राम जी के जन्म काल सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त अभिजित मुहूर्त्त के दिव्य एवं मांगलिक अवसर पर भगवत्कृपा से १०४ श्लोकों वाला "अवध रामायणं" १०८ श्लोकों वाला "वैदेही अवध रामायणं" के रूप में पूर्ण हुआ जिसका यह अद्यतन संशोधित रूप प्रस्तुत किया जा रहा है। देव भाषा संस्कृत, साहित्यानुराग, इष्ट भक्ति -भाव एवं कथा-बोध के अभाव में हुई भूल हेतु अन्यथा भाव न लेंगे और क्षमा करेंगे।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।


गुरुवार, 6 अगस्त 2020

गला एवं चेहरा (Throat & Face)

Calcaria Flour :- उपजिह्वा सामान्य से अधिक बढ़ने से गले से सुरसरी एवं खाँसी। उपजिह्वा की शिथिलता से खाँसी।जबड़े की हड्डियों की कड़ी सूजन।गाल पर कड़ी सूजन।होठ पर दाद।

Natrum Mure :- उपजिह्वा शिथिल। उपजिह्वा में प्रदाह। कर्ण मूल प्रदाह के साथ लार का बहना। कर्णमूल प्रदाह के साथ खारा बलगम। गंडमाला या गलझिल्ली प्रदाह के साथ पानी सा नि:श्राव। गलझिल्ली प्रदाह के साथ तन्द्रालुता।गले में वृद्धि, सूखापन और/या स्वच्छ कफ या बलगम का आवरण। गले में सूई चुभने का-सा दर्द। चेहरे के दर्द के साथ कब्ज तथा वाल का झड़ना। 

रक्त संचालन यन्त्र (Blood circulation system)

Calcaria Phos :- सांस लेने या भीतर की ओर खींचते समय हृदय में दर्द। अण्डाकार रन्ध्र (छिद्र) नहीं भरना। 

Calcaria Flour :- शिरा (रक्त बहा नाड़ी) का अर्बुद, घाव, वृद्धि या फैलना।

Ferrum Phos :- कौशिक तथा छोटी नाड़ियों का प्रसारण।
नाड़ी भरी या गोल लेकिन रस्सी की तरह की नहीं। शिरा स्फीति या प्रदाह। लसिका प्रदाह। हृदय का प्रदाह। हृदय की अन्तर्वेष्टी झिल्ली का प्रदाह।

Kali Phos :- डर एवं थकावट से मूर्च्छा। धड़कन से अनिद्रा। धड़कन मानसिक उत्तेजना तथा सीढ़ी पर चढ़ने से।रक्त की चाल मन्द। रक्तहीनता के साथ हृदय में कष्ट। नाड़ी क्रम भ्रष्ट। धड़कन वात ज्वर रहित।

Kali Mure :- तन्तुमय उपादानों और धमनियों में रुकावट। धड़कन अत्यधिक।

Natrum Phos :- धड़कन के साथ शरीर के विभिन्न स्थानों में नाड़ी की अनुभूति।  हृदय के आधारित तल भाग या जड़ में दर्द। हृदय के पास कम्पन।

Mag Phos :- आक्षेप तथा स्नायविक धड़कन।

Kali Sulph :- कठिनता से जानने योग्य नाड़ी।

Natrum Mure :- हाथ ठण्डे। हाथपैर सुन्न। हृदय की अतिवृद्धि। हृदय के आसपास संकुचन का अनुभव।

Silicia :- हृदय की पुरानी बीमारी।

Calcaria Sulph :- 

Natrum Sulph :- 

रविवार, 2 अगस्त 2020

नासा के रिपोर्ट के अनुसार भारत के चन्द्रयान-2 सम्बन्धी मेरी भविष्यवाणी सफल

चन्द्रयान २ की यात्रा-कथा की बधाई

इसरो प्रमुख के.शिवम् ने लाइव न्यूज (9:25 p.m.) को बताया कि " हम विक्रम लैंडर से सम्पर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं, कुल मिला कर चन्द्र यान २ मिशन १०० % सफलता के बहुत करीब है। " इसके लिए ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी शक्तियों को तथा मुख्य रूप से इसरो के समस्त वैज्ञानिकों, वहाँ सभी कर्मचारियों, इसरो चीफ के. शिवम्, भारत-सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों, प्रधानमंत्री मोदी जी, विश्व पर शासन नहीं करने और आम लोगों को नहीं भटकाने वाले पत्रकारों एवं नेताओं को साथ ही इसरो के इस महत्त्वपूर्ण, ऐतिहासिक एवं साहसिक कार्यक्रम के सम्पादन संलग्न वैज्ञानिकों तथा कर्मचारियों का उत्साह वर्धन करनेवाले भारत एवं विश्व के जन-जन को हार्दिक बधाई।

बन्धुवर, इसरो का चन्द्र यान २ से सम्पर्क टूटने की जानकारी के बाद ज्योतिष में रुचि के कारण मैंने चन्द्रयान-२ रॉकेट दिनांक २२/०७/२०१९ के २/४३ बजे दिन में इसरो द्वारा चन्द्रमा के दक्षिणी भाग में अध्ययन के लिए श्रीहरिकोटा (अक्षांश १३.७३३१ डिग्री उत्तर, देशांतर ८०.२०४७ डिग्री पूर्व) से भेजा गया था इस आधार पर ज्योतिषीय अध्ययन किया जिसके अनुसार चन्द्र यान २ श्रावण कृष्ण षष्ठी सोमवार में बृश्चिक लग्न में लग्नस्थ गुरु (किं कुर्वन्ति ग्रहाः सर्वे यस्य केन्द्रे बृहस्पति:) जैसे शुभद् योग के समय में चन्द्र के लिए भेजा गया था और संयोग से यान भेजते समय युवा और प्रौढ़ वक्र काल के प्रभाव वाली स्थिति थी,जो किसी भी कार्य हेतु विलम्ब और कुछ कठिनाई का भी द्योतक था, परन्तु स्मरणीय है कि श्रावण माह में वक्र काल के समय में भी किये गये कार्यों में भी सफलता मिलने की सम्भावना बहुत अधिक रहती है।हलांकि वैज्ञानिक इसे नहीं मानते हैं, परन्तु ज्योतिष, योग और आध्यात्म भी बहुत महत्त्वपूर्ण विज्ञान है, और आधुनिक विज्ञान का आधार है। ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से विभिन्न तरह की शुभाशुभ सम्भावनाओं का बोध होता है और इस सृष्टि के रचयिता, पालन कर्त्ता एवं संहर्ता ईश्वर की कृपा से समस्याओं का समाधान होता है। शुभ सम्भावनाओं के बोध से हमारा आत्मबल एवं मनोबल बढ़ता है और हमें अपने आपको को सही मार्ग पर चलते हुए महसूस करते हैं तथा भविष्य में और भी मेहनत कर अपने को सफल बनाने का प्रयास करते हैं, इसी प्रकार अशुभ सम्भावनाओं का बोध होने पर हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किये जा रहे कार्यक्रमों की कमियों की सम्भावनाओं के शोधपूर्ण अध्ययन करने और उत्तम उपलब्धि के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने का अवसर मिल जाता है और/या सम्यक् शास्त्रीय उपचारों से समस्याओं के सम्यक् समाधान का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।

वास्तव में हमारा रचनात्मक एवं सकारात्मक प्रयास एवं दृष्टिकोण ही हमारी हर समस्याओं के समाधान का मूल मंत्र है।

बताया जाता है कि इसरो का सम्पर्क चन्द्रयान २ चन्द्रमा की सतह से मात्र २.१ किलोमीटर दूर रहने के पूर्व किसी कारण से सम्प्रति टूट गया है । ज्योतिर्गणित के अनुसार चन्द्रयान २ पर शनि के कारण धूल कणों और शुक्र के कारण आर्द्रता से यान का उर्जा क्षेत्र प्रभावित हुआ फलस्वरूप यान की मशीनरी प्रभावित हुई और यान से इसरो का सम्पर्क टूट गया, परन्तु उस समय जब इसरो के सभी वैज्ञानिक, इसरो चीफ के.शिवम् ,भारत और विश्व के सभी लोग,सभी पत्रकार एवं मीडिया कर्मी समुचित परिणाम नहीं पा सकने से निराश हो चुके थे, प्रधानमंत्री मंत्री महोदय ने उस समय खुद भी साहस जुटाया और इसरो के चीफ के.शिवम् सहित वैज्ञानिकों एवं आम लोगों को भी चन्द्र यान २ द्वारा चन्द्रमा से मात्र २.१ किलोमीटर दूर तक पहुँच जाने के लिए बधाई दी और अगली तैयारी अर्थात् चन्द्र यान ३ के लिए इसरो को पहल करने का संकेत दिया, परन्तु मैंने इस तथ्य को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किया था कि "वैज्ञानिकों द्वारा चन्द्रयान २ से सम्पर्क टूटने के कारणों की संभावनाओं पर यदि शोध पूर्ण अध्ययन जारी रहेगा तो चन्द्र यान २ सम्पर्क टूटने के रहस्यों का सूत्र अनुसंधानकर्ताओं को सम्पर्क टूटने के क्रमशः १ घंटा १२ मिनट के बाद तथा १, ३ एवं ७ दिन की अवधि में प्राप्त होने की सम्भावना है। इसरो द्वारा इस महत्वपूर्ण शोध कार्य में सम्यक् योगदान से एक वर्ष के अन्दर वैज्ञानिकों को अन्तरिक्ष के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान प्राप्त होगा।

वास्तव में विज्ञान के क्षेत्र में विशिष्ट, सतर्क एवं सही शोध- पूर्ण अध्ययन तथा संयमित प्रयोग के बाद भी यदि अपेक्षित परिणाम या उपलब्धि प्राप्त नहीं हो पाती है, तो भी हमें धैर्य पूर्वक पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, जो भविष्य में सफलता का मार्ग अवश्य प्रशस्त करता है। 

शुभमस्तु।"

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
(त्रिस्कन्ध ज्योतिष सम्मेलन, ऋषिकेश द्वारा "ज्योतिष-प्रेमी" की उपाधि से सम्मानित।)  

भारत के चन्द्र यान- 2 के चन्द्रमा पर अवतरण (Landing) के सन्दर्भ में इसरो को अपेक्षित सफलता का नहीं मिलना मेरी दृष्टि में इसरो में संभवतः यान प्रौद्योगिकी सम्बन्धी किसी आत्मनिर्भरता और/आत्मोत्साह की कमी थी जिसे इसरो प्रमुख के सिवन ने संभवतः चन्द्र यान - 2 के सफल लैंडिंग में हुई बाधा के बाद में अनुभव किया और भारत सरकार एवं विश्व जन-जन को आश्वस्त करने का प्रयास किया कि चन्द्र यान - 2 के सन्दर्भ में भारत अपने स्तर से खोज करने या निर्णय लेने में सक्षम है।

चन्द्रयान 2 की यात्रा-कथा (क्रमशः) : प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

चन्द्रयान 2 के सन्दर्भ में दिनांक 07/09/2019 को मैंने मनोविज्ञान के छात्र होने के बावजूद ज्ञान-विज्ञान सम्बन्धी अपने अल्प ज्ञान के बाद भी ज्योतिष-प्रेमी होने के कारण अपने सामान्य ज्योतिषीय अध्ययन एवं अनुभवों के आधार पर इसरो से सम्पर्क टूटने के सम्बन्ध में शनि के प्रभाव से धूल कणों एवं शुक्र के प्रभाव से आर्द्रता के कारण चन्द्रयान 2 के उर्जा क्षेत्र का प्रभावित होना बताया था और चन्द्रयान 2 का इसरो से सम्पर्क टूटने के बाद इसरो को इस सन्दर्भ में 1घंटा 12 मिनट के बाद और इसी तरह 1 दिन, 3 दिनों तथा 7 दिनों के अन्तराल में चन्द्र यान 2 के सम्बन्ध में जानकारी मिलने की चर्चा की थी साथ ही दिनांक 09/09/2019 को मैंने ट्वीटर एवं अपने फेसबुक एकाउंट पर चन्द्रयान 2 के चन्द्रमा पर लैंडिंग (उतरने) के क्रम में उसके चन्द्रमा की सतह से टकराने के कारण चन्द्रयान 2 के चक्के (पहिये) एवं स्टैण्ड का चन्द्रमा की सतह में थोड़ा धँस जाने और चन्द्रयान 2 के ऊपरी हिस्से के भार के कारण स्टैण्ड के टेढ़ा होने या झुकने की संक्षिप्त चर्चा की थी। इस सन्दर्भ में अधोलिखित समाचार उल्लेखनीय है :-

"India News ›   Night On Moon, ISRO Will Try To Contact Vikram Lander Of Chandrayaan 2 Again On Next Lunar Day
चांद पर हो गई रात, लेकिन इस दिन विक्रम को फिर से ढूंढेगा इसरो
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर (Chandrayaan 2 Vikram Lander) को चांद की सतह पर उतरे 14 दिन बीत चुके हैं। अब चांद पर रात भी हो चुकी है। यानी विक्रम लैंडर अब अंधेरे में जा चुका है। इस दौरान चांद पर तापमान माइनस 180 सेल्सियस तक चला जाएगा। हमारे विक्रम लैंडर को भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इस ठंडे मौसम का सामना करना पड़।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO - Indian Space Reseach Organisation) के अनुसार, आंकड़ों के विश्लेषण में पता चला है कि विक्रम करीब 200 किमी की रफ्तार से चंद्रमा की सतह पर टकराया। ऑर्बिटर ने विक्रम की जो तस्वीरें भेजी हैं, उन्हें देख कर ऐसा लग रहा है कि विक्रम के दो पांव चांद की सतह में धंस गए हैं। ये भी हो सकता है कि वो पांव मुड़ गए हों। या फिर वो एक करवट गिरा पड़ा है। ऐसा तेज गति में टकराने के कारण हुआ है। माना जा रहा है कि ऑटोमेटिक लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी के कारण ऐसा है।
इधर इसरो अध्यक्ष के. सिवन (ISRO Chief K Sivan) ने कहा है कि हम इन 14 दिनों में विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं साध पाए और अब इसकी उम्मीद भी नहीं है। क्योंकि चांद पर रात के दौरान माइनस 180 डिग्री तापमान में विक्रम के उपकरणों का सही हालत में रहना संभव नहीं है। उसमें जितनी एनर्जी दी गई थी, उसकी समय सीमा भी समाप्त हो चुकी है। वहां उसे रीचार्ज करने की कोई व्यवस्था भी नहीं है।
इसरो के एक अधिकारी का कहना है कि चांद पर रात के दौरान बेहद कम तापमान में चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के उपकरण सक्रिय नहीं रहेंगे। हालांकि उसे सक्रिय रखा जा सकता था, अगर उसमें आइसोटोप हीटर लगा होता। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद अगले लूनर डे पर विक्रम से एक बार फिर संपर्क की कोशिश की जाएगी। यह लूनर डे 7 से 20 अक्टूबर तक रहेगा। इसरो विक्रम से 14 अक्तूबर को संपर्क करने की कोशिश करेगा।
इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया कि हम विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल नहीं हो पाए। लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर बिल्कुल सही और अच्छा काम कर रहा है। इस ऑर्बिटर में कुल आठ उपकरण लगे हैं। हर उपकरण का अपना अलग-अलग काम निर्धारित है। ये सभी उस काम को बिल्कुल उसी तरह कर रहे हैं जैसा प्लान किया गया था।"

इस सन्दर्भ में अध्ययन के क्रम में जानकारी होने पर आगे पुनः सुधी पाठक गण के समक्ष मैं अपने विचारों को प्रस्तुत करने का प्रयास करूँगा।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

(क्रमशः) 

नोट :- ज्ञातव्य है कि उपर्युक्त भविष्यवाणी के सन्दर्भ में विभिन्न तिथियों में समय-समय पर अन्य लेखों के माध्यम से भी अपने विचारों को व्यक्त किया था, परन्तु मुझ सामान्य व्यक्ति का ज्योतिष सम्बन्धी अनुमान एवं फलकथन "नक्कारखाने में तूती की आवाज" बनकर रह गई, लेकिन जो सत्य है उसे अन्ततः हर किसी को स्वीकार् करना ही होगा।

चन्द्र यान-2 के चन्द्रमा पर लैंडिंग के सन्दर्भ में मैंने लैंडिंग के समय से ही उपर्युक्त जो भविष्यवाणियाँ की थी जिसके सत्य साबित होने के संकेत नासा के चन्द्र यान-2 से सम्बन्धित रिपोर्ट के आधार पर मिल रहे हैं।

Home ›   India News ›   New Pictures Of NASA Aroused India Hopes, Interest Again For Chandrayaan 2 Mission
नासा की नई तस्वीरों से जगी भारत की उम्मीद, चंद्रयान मिशन को लेकर फिर बढ़ी दिलचस्पी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू Updated Sun, 02 Aug 2020 02:02 AM IST
चंद्रयान-2 मिशन पर रोवर (प्रज्ञान) को लेकर रवाना हुए विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास विफल रहने के 10 महीने बाद नासा की ताजा तस्वीरों ने इसरो की उम्मीद फिर से उम्मीद जगा दी है। पिछले साल नासा की तस्वीरों का इस्तेमाल कर विक्रम के मलबे की पहचान करने वाले चेन्नई के वैज्ञानिक शनमुग सुब्रमण्यन ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को ईमेल भेजकर दावा किया है कि मई में नासा द्वारा भेजी गई नई तस्वीरों से प्रज्ञान के कुछ मीटर आगे बढ़ने के संकेत मिले हैं।

इसरो प्रमुख के. सिवन ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि हालांकि हमें इस बारे में नासा से कोई जानकारी नहीं मिली है लेकिन जिस व्यक्ति ने विक्रम के मलबे की पहचान की थी, उसने इस बारे में हमें ईमेल किया है। हमारे विशेषज्ञ इस मामले को देख रहे हैं। अभी हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते।
शनमुगा ने बताया है कि 4 जनवरी की तस्वीर से लगता है कि प्रज्ञान अखंड बचा हुआ है और यह लैंडर से कुछ मीटर आगे भी बढ़ा है। हमें यह जानने की जरूरत है कि रोवर कैसे सक्रिय हुआ और उम्मीद करता हूं कि इसरो इसकी पुष्टि जल्दी करेगा।
    
 
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गुरुवार, 30 जुलाई 2020

शैलज दोहावली (अब तक के कुल १९२ दोहे) क्रमशः.......

" शैलज " घट-घट मीत है, प्रीति मीन जल माहि।
मूढ़ बड़ाई हित करै, असुर सुखद शुभ नाहि।। १।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय। 

"शैलज" जो नर स्वयं को 
मानत गुण की खान।
अवगुण छाया संग में,
निशि अमान्त अनजान।।२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०७/२०२०, १५/०७ अपराह्न

निज नयनन झाँकत नहीं, 
जड़मति जन अज्ञान।
नयन बन्द देखत मुकुर, 
कलि योगी शील निधान।।३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज विश्व अनन्त में, प्रेम कृषक-सा बोय।
सींचत स्नेह व्यवहार से, फल सर्वोत्तम होय।।४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०७/२०२०, १०/५९ पूर्वाह्न।

शैलज हर त्रिशूल है, सूचक कफ पित्त वात।
समरस जीवन धातु बिन, रोग शोक उत्पात्।।५।।

शैलज सत रज तमोगुण, नाम रूप अनुसार।
सृजन नियन्त्रण नश्वरता, निज प्रकृति विचार।।६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
०८/०८/२०२०, २०/४३ अपराह्न।

शैलज रिश्ता एक है, कारण-कार्य व्यवहार।
प्रकृति सह-अनुभूति की, है अनुपम आधार।।७।।

जनम-जनम देखे नहीं, करते उनकी बात।
एक जनम यह देख ले, बन जायेगी बात।।८।।

शैलज करता अहर्निश, जनम-जनम की बात।
प्राकृत, व्यक्ति, आदर्श का, फलित जगत् सौगात।।९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १०/०९ पूर्वाह्न।

शैलज जो नर नीच हैं, लघु उच्च जन कोई।
सद्यः उन्हें विसारि दे, कुलिष पंक सम सोई।।१०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
११/०८/२०२०, ०१/०६ पूर्वाह्न।

शैलज काम, क्रोध औ लोभ को, जीतें हृदय विचार।
त्रिविध ताप उपजे नहीं, सद्कर्म करें सुविचार।।११।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, ०९/५३ पूर्वाह्न।

शैलज अवगुण से भरा,
तुम सद्गुण की खान।
जल में मिल वह कीच है, 
तू पंकज दिव्य महान्।।१२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ००/१३ पूर्वाह्न।

ऊँ श्रीकृष्ण योगेंद्र षोडशांंशावतारं,
राधे श्यामं भजाम्यहं प्रभु दशावतारं।
गोपी बल्लभं, गोविंदं, नारायणं, वासुदेवं,
नन्द नन्दनं, देवकी सुतं, यशोदा नन्दनं।।१३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, १३/५५ अपराह्न।

काम, क्रोध औ लोभ हैं, शैलज नरक के द्वार।
जिनके वश ये तीन हैं, पाते सुख शान्ति अपार।।१४।।

काम, क्रोध औ लोभ ये सभी नरक के द्वार।
शैलज इनसे दूर हो, खोलें मोक्ष के द्वार।।१५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
११/०८/२०२०, ०९/१३ पूर्वाह्न।

हृदय हीन, विवेक बिन; 
नर पशु से भी नीच।
शैलज पाते दुसह दु:ख, 
सुजन मूर्ख के बीच।।१६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१८/०८/२०२०, १०/२१ पूर्वाह्न।

शैलज कायर मूढ़ जन, 
त्यागे घर परिवार।
पर-दु:ख निज समझे नहीं, 
पर चाहे उद्धार।।१७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
१८/०८/२०२०, १२/५८ अपराह्न।

मोक्ष, ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ 
सब आश्रम धर्म आधार।।
शैलज धर्म गृहस्थ बिन, 
सब आश्रम धर्म बेकार।।१८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

पति आयु सुख वर्धिनी, दु:ख हारिणी कलिकाल। 
पुण्यप्रदा हरितालिका; शुभदा, सुखदा, शुभकाल।।१९।।
सुभगा, सौम्या, निर्मला, हरती पीड़ा तत्काल।।
हिन्दू नारी पतिव्रता, सहधर्मिणी हृदय विशाल।२०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

पुण्यप्रदा हरितालिका; 
शुभदा, सुतदा, शुभकाल।
पति-आयुष्य, सुखवर्धिनी, 
आरोग्यप्रदा कलिकाल।।२१।।

सुभगा, सौम्या, निर्मला, 
दु:खमोचिनी तत्काल।।
हिन्दू नारी पतिव्रता, 
सहधर्मिणी हृदय विशाल।।२२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२१/०८/२०२०, १५/५० अपराह्न।

शैलज सूरज औ बादरा, 
चंदा कहे नित्य पुकार।
मानव सुजन कृतज्ञ सब, 
प्रकृति जीव संसार।।२३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२३/०८/२०२०, १६/५६ अपराह्न।

सत्यानुसंधान उद्घाटन, 
जग मिथ्या नित्य प्रयोग।
शैलज व्यवहार व्यतिक्रम, 
प्रकृति विरुद्ध संयोग।।२४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२३/०८/२०२०, १७/२२ अपराह्न।

सूरज, चन्द्र, नक्षत्र-गण,
दिशा, खगोल पुकार।
शैलज सुजन कृतज्ञता, 
प्रकृति जीव संसार।।२५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।  
२३/०८/२०२०, २२/५८ अपराह्न।

त्रिविध ताप हर प्रेम रस,
ज्यों शैलज को भात।
सत्य सनातन रामरस, 
लवण विश्व विख्यात।।२६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२४/०८/२०२०, ०७/०३ पूर्वाह्न।

शैलज शील, स्वभाव, गुण; 
नित्य जगत् व्यवहार।
विकसत पाय परिस्थिति; 
प्रकृति, वंश अनुसार।।२७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२५/०८/२०२०, ०७/२० पूर्वाह्न।

शैलज निज व्यवहार से, 
दु:ख औरन को देत।
जानत जगत् असार है, 
अपजस केवल लेत।।२८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२७/०८/२०२०, 

अबला प्रबला चंचला, शैलज नहीं पावे पार।
यावत् जीवन पूजिये, कर निज कर्म विचार।।२९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२१/०८/२०२०, १५/५४ अपराह्न।

मनो-शारीरिक, धर्म हित,
करें शैलज व्यवहार।
देश, काल और पात्र के
सामञ्जस्य अनुसार।।३०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
२०/०८/२०२०, १३/२१ अपराह्न।

स्वयं करने से सरल है, 
सहज सरल आदेश।
शैलज लिखना, बोलना, 
दर्शन, आदर्श, उपदेश।।३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
१८/०८/२०२०, १६/१३ अपराह्न।

हित अनहित समझे नहीं; 
दंभी, सरल, गँवार।
सनकीपन विज्ञान का, 
करता शैलज प्रतिकार।।३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय ।
१४/०८/२०२०, १४/१३ अपराह्न।

हित अनहित को समझ कर, 
शैलज करिये काज।
पर दु:ख को निज मानकर, 
चलते सुजन समाज।।३२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१४/०८/२०२०, १२/१८ अपराह्न।

आवश्यक है जगत् में,
सामञ्जस्य सिद्धांत ।
उपयोगी, आदर्श है,  
मध्यम मार्ग महान्।।३३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१३/०८/२०२०, ५/५० पूर्वाह्न।

शैलज तन मन धन निज
बुद्धि सहाय विवेक।
स्वार्थ पूर्ण इस जगत् में 
प्रभु सहाय हैं एक।।३४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
१३/०८/२०२०, ४/२३ पूर्वाह्न।

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।"
अर्थात् 
जहाँ नारी की पूजा होती है,
वहाँ देवता रमण करते हैं।

शैलज नारी पूजिये, नारी सृष्टि आधार।
तुष्टा पालन कारिणी, रुष्टा क्षण संहार।।३५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
११/०८/२०२०, १७/२९ अपराह्न।

शैलज उनसे मत कहो, 
अपने दिल की बात। 
जग प्रपंच में लीन जो, 
कहाँ उन्हें अवकाश।।३६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ११/०७ पूर्वाह्न।

द्विगुणाहार, व्यवसाय चतु:, 
साहस षष्ठ प्रमाण।
काम अष्ट गुण भामिनी, 
शैलज कथन महान्।।३७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
१२/०८/२०२०, ०९/२३ पूर्वाह्न।

शैलज निज सुख के लिए, 
समुचित करिये काम।
परहित बाधित हो नहीं,  
हर संभव रखिये ध्यान।।३८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १८/१९ अपराह्न।

प्रभु षोडशांंशावतारं, श्रीकृष्ण करुणावतारं।
राधेश्याम दशावतारं, गोपी योगेंद्र शील सारं।।३९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, १२/३२ अपराह्न।

शैलज हृदय विचार कर, नित करिये व्यवहार।
देश काल औ पात्र का, निशि दिन रखिये ख्याल।।४०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०९/०८/२०२०, ०९/०८पूर्वाह्न।

सन् तैंतालीस ईक्कीस अक्टूबर भुला नहीं मैं पाऊंगी।
मूल स्वतंत्रता दिवस वही है, जग को यह बतलाऊँगी।।४१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
०८/०८/२०२०, २०/४३ अपराह्न।

सत्य सनातन रामरस, 
लवण विश्व विख्यात।
त्रिविध ताप हर प्रेम रस,
त्यों शैलज को भात।।४२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
२८/०८/२०२०, ०८/४३ पूर्वाह्न।

शैलज रूप स्वरूप या 
जगत् कार्य व्यवहार।
निर्भर करता चयापचय 
या क्षति-पूर्ति आधार।।४३।।

ज्ञान-विज्ञान व्यापार कला,
जग दृश्यादृश्य व्यवहार। 
दैहिक, दैविक वा भौतिकी,
सुख-दु:ख मन मूलाधार।।४४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सूर रसखान रस,
मीरा कान्हाँ प्रीति।
जयगोविंद भजाम्यहं, 
राधेश्याम पुनीत।।४५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत। 
०१/०९/२०२०, ५.

काजल करिये ठौर से,
नयन पलक के द्वार।
शैलज राज श्री सुखद, 
शुभ पावन व्यवहार।।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

राधा वल्लभ श्याम घन,
कालिन्दी कूल विहार।
देवकी बसुदेव सुत
ब्रज कुल कण्ठाहार।।४७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।   
०३/०९/२० , १३/०६ अपराह्न।

शैलज तन रक्षा करे, मन की सुधि नित लेत।
ज्योतिर्मय कर ज्ञान पथ,पाप भरम हरि लेत।।४९।।
अन्त:करण सुचि देव नर ,जीव चराचर कोई।
दृश्यादृश्य पुनीत प्रभु, गुरु प्रणम्य जग सोई।।५०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 
०४/०९/२०२०, ५/५१ अपराह्न।

सनातन हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा गुरु पूर्णिमा (आषाढ़ पूर्णिमा) के दिन गुरु व्यासजी की पूजा होती है, परन्तु भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं आदर्श शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस ५ सितम्बर के दिन प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है और हम सभी भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं आदर्श शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधाकृष्णन एवं अपने-अपने अन्य गुरु देवों को भी याद करते हैं, उनका सम्मान करते हैं तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग का अनुशरण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं, क्योंकि गुरु का अर्थ होता है अन्धकार से प्रकाश में लाने वाले।
ऊँ असतो मां सदगमय।। तमसो मां ज्योतिर्गमय।। मृत्योर्मा अमृतं गमय।। शुभमस्तु।।
शिक्षक दिवस हार्दिक शुभकामना एवं बधाई के साथ।    

शैलज सन्तति, वित्त, सुख,
भ्राता, कुल, पति हेतु।
सहत क्लेश सविवेक नित,
नारी सृष्टि सेतु।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
ममतामयी माँ एवं मातृ शक्ति के परम पुनीत जीमूतवाहन (जीवित पुत्रिका/जीउतिया) व्रत की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाओं के साथ।
जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।@dna @Republic_Bharat @RajatSharmaLive @POTUS @UN @rashtrapatibhvn @PMOIndia @uttam_8 @amnesty @RahulGandhi @ShahnawazBJP 

शैलज माँ को भूलकर, हो गया पत्नी दास।
खैर नहीं, कर्त्तव्य है, या निर्वासन, उपवास।।५१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज वे नर श्रेष्ठ हैं ?
जो हैं अनुभव हीन ।
माता, तनुजा, पत्नी प्रिया, 
नारी रूप हैं तीन।।५२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।

आदि अभियंता विश्वकर्मा नमस्तुभ्यं अंगिरसी-वास्तुदेव सुतं ब्रह्मा पौत्रं वास्तु शिल्प विशारदम्। 
भानु कन्या संक्रमण गोचर विश्वकर्मा जातं सुरासुर जड़ जीव पूज्यं जगत कल्याण सृष्टि कारकं।।५३।।

ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज काम के स्वार्थ में, 
धर्म मर्यादा छोड़ ।
अर्थ अनर्थ हित मोक्ष से, 
मुँह लिया है मोड़।।५४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 

शैलज उदधि अनन्त भव, 
इच्छा भँवर वहाब।
एक समर्पण आश्रय, 
सुमति सुकर्म बचाव।।५५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

बाल, वृद्ध, नर-नारी हित, 
शैलज हिय सम्मान।
जय, सुख, समृद्धि, राज, श्री, 
पावे शुभ वरदान।।५६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय। 

सगुण सराहत लोकहित,  
ज्ञान प्रत्यक्ष विज्ञान।
निर्गुण ब्रह्म परलोक चित, 
अपरा परा निदान।।५७।।

डॉ०  प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा।

शैलज अर्थ, आसक्ति में;
पड़ा नरक के द्वार।
मोक्ष, धर्म को छोड़कर; 
भटक रहा संसार।।५८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज भौतिक भूख से, 
उपजे दु:ख हर ओर।
आध्यात्मिक व्यवहार तजि, 
प्रभु से मांगे और।।५९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज घटना कोई भी, 
नहीं प्रारब्ध अकारण होत।
भोगत सुख-दुःख करम फल, 
अपजस विधि को देत।।६०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज कृष्ण के प्रेम में, 
डूब गया संसार।
काम बासना मुक्त हो, 
मिला मुक्ति प्रभु द्वार।।६१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 प्रेम वासना जीव जग, 
जड़ चेतन सृष्टि आधार।
प्रकृति पुरुष के मिलन से,
प्रकट हुआ संसार।।६२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

सुन्दर चरित, सुसमय घड़ी,
सुमन स्वस्थ विदेह।
रिश्ता स्नेहिल प्रेम मय,
च्यवनप्राश अवलेह।।६३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय। 

 पारस संग कंचन प्रिय, 
चुम्बक संग गति सोई।
पारस चुम्बक शैलज सुगति, 
लौह बड़ाई होई।।६४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 छाया छाया सब चले, 
छाया मोहित सोई।
छायापति छाया चले, 
शैलज पूजित होई।।६५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

नारी कृत अपमान का,
मत करिये प्रतिकार ।
शैलज कौरव कुल गति, 
हरे धर्म व्यवहार।।६६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 पावन दिल, सद्भाव, दृढ़ 
शैलज श्रद्धा-विश्वास।
अष्ट सिद्धि नव निधि प्रद, 
सुगम सुकर्म प्रयास।।६७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी), पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज शुभाकाँक्षा गति, 
उत्तम प्रकृति अधिकाय।
तप बल ताप नशाय त्रय, 
हिय अंकित प्रिय पाय।।६८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज 
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज भाग्य स्वयं लिखे,
अपने कर्म व्यवहार।
समय, भाग्य, विधि दोष दे,
उर संतोष बिचार।।६९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज 
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज नि:संकोच प्रिय, 
प्रमुदित पूर्वाग्रह-मुक्त।
जन हित प्रत्याशी हित, 
निज मत करिये व्यक्त।।७०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज सखा सुरेश की, 
कृपा दृष्टि औ संग।
ब्रजकुल कालिन्दी मधु, 
गीता पार्थ प्रसंग।।७१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

सत्ता, सुख, प्रतिशोध में, 
शैलज खेलत दाव।
जनता को गुमराह कर, 
नोन लगावे घाव।।७२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज राज श्री सुख प्रद,
सुहृद भाव विचार।
जोग जुगुति व्यवहार मृदु,
यश फैले संसार।।७३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सुन्दर सरल सखि!
भावुक प्रिय उदार।
कलि प्रभाव छल बल बिनु,
गुण समूह बेकार ? ।।७४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज पाप प्रभाव से, 
उपजे दु:ख संताप।
सम्यक् कर्म-व्यवहार से, 
बाढ़े पुण्य प्रताप।।७५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज असुर समाज है, 
नेता जन की भीड़।
जनता सुर को रौंदते, 
नित्य उजाड़े नीड़।।७६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।
  

शैलज सत्ता स्वार्थ हित, 
पर पीड़न रति लीन।
नेता असुर सुरत्व तजि, 
पंडित भये प्रवीण।।७७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

निज मुख दर्पण में देख कर, 
शैलज हुआ उदास। 
ग्लानि, क्रोध, अविवेक वश; 
दर्पण को दे नित त्रास।।७८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज राज न दरद का, 
जाने जग में कोई।
प्रेमी वैद्य जाने सहज, 
सुख समाज को होय।।७९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज जनता मूरख भेल, 
नेता खेले सत्ता खेल।
MA गदहा, BA बैल, 
सबसे अच्छा मैट्रिक फेल।।८०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज समय विचारि कर, 
रखिये अपनी बात।
प्रिय जन राज सलाह शुभ,
मेटे हर झंझावात।।८१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

का करि सकत विरोध कर, 
बाधा लघु मध्य महान् ?
भाग गुणनफल योग ऋण, 
शैलज अवशेष निदान।।८२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अन्तर् ज्योति प्रकाश बिन, जगत ज्ञान बेकार।
शैलज राज समाज सुख, प्रेम धर्म जग सार।।८३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

आवागमन के चक्र में, 
कटु-मधु जीव व्यवहार।
भक्ति, मुक्ति, श्री, राज, सुख;
शैलज प्रभु प्रेम आधार।।८४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज मूरख राज श्री; पद बल अहम् बौड़ाय।
आनन सुन्दर अलि छटा, समय पाय मुरझाय।।८५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज सत्ता राज श्री, पद बल मद अधिकाय।
आनन सुन्दर अलि छटा, समय पाय मुरझाय।।८६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।
 
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शैलज सुहृद सराहिये, 
सुमति सुकाज सहाय।
तम हर ज्योति पथ शुभ, 
सुगम सरल दर्शाय।।८७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज विदुर चाणक्य को; भूल रहे जो लोग।
समय भुलाया है उन्हें, सत्य अटल संयोग।।८८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज विदुर चाणक्य या अन्य विचारक लोग।
निज अनुभूति बता गये; कर्म, ज्ञान, रुचि, योग।।८९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।


शैलज परहित साधन निरत,
नेक नीति नित साथ।
सुख-दुःख, कीर्ति, परिणाम तजि; 
लिखत भाग्य निज हाथ।।९०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

 असुर अनीति, देव विधि;
जड़ नर जीव सुख चाह।
पशु से नीच विवेक बिन,
शैलज दुर्लभ शुभ राह।।९१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज राम जगत पति,
कृष्ण प्रेम हिय वास।
भेदत तम रज सतोगुण,
दीपावली प्रकाश।।९२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अन्तर् दीप जला रहा, शैलज हिय मन द्वार।
जगत बुझाये वातवत्, प्रिय प्रभु रखवार।।९३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज सम्यक् शुभकामना;
जीव जगत नर हेतु।
दीप ज्योति तम हर शुभद, 
प्रभु शरणागति सेतु।।९४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

गोपालं नमस्तुभ्यं ज्ञान सृष्टि हित कारकं।
जीवेश समत्व योगं गोवर्धनं सुखकारकं।।९५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अवसर धर्म विकास रुचि, 
अवसर काज समाज।
अवसर पर निर्भर सभी, 
शैलज नेतृत्व सुराज।।९६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज भेंटें प्रेम जो, मत मन राखूँ गोय।
अनुपयोगी कूप जल, ज्यों विषाक्त ही होय।।९७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज हो गया सिरफिरा,
तन मन पड़ा बीमार।
सत्यासत्य उचितानुचित, 
बिन समझे करे वार।।९८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज डूबा स्वार्थ में,
करता अवसर उपयोग।
विद्या शील स्नेह रहित;
पथ-दर्शक कहते लोग।।९९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज कुछ एक वोट से, 
गया चुनाव में हार।
अपने हार पहन लिया, 
क्यों पूछे जन संसार ?।।१००।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज दुनिया से सीख कर, 
करता हर व्यवहार।
निज प्रकृति अनुरूप ही, 
फल पाता कर्म अनुसार।।१०१।।

शैलज दुनिया को देखकर, 
मत करिये हर व्यवहार।
पग रखिये पथ को देखकर, 
उत्तम अनुभूत विचार।।१०२।।

शैलज दुनिया में जो मिला, 
सब कुछ है उपहार।
प्राणी धर्म विवेक बिन, 
है मानव जीवन बेकार।।१०३।।

शैलज दुनिया के लिए, 
करता रचनात्मक काज।
आवागमन प्रकृति पुरुष, 
समझे मनुज समाज।।१०४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज भेंटें प्रेम जो, मत मन राखूँ गोय।
अनुपयोगी कूप जल, ज्यों विषाक्त ही होय।।९७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज हो गया सिरफिरा,
तन मन पड़ा बीमार।
सत्यासत्य उचितानुचित, 
बिन समझे करे वार।।९८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज डूबा स्वार्थ में,
करता अवसर उपयोग।
विद्या शील स्नेह रहित;
पथ-दर्शक कहते लोग।।९९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज कुछ एक वोट से, 
गया चुनाव में हार।
अपने हार पहन लिया, 
क्यों पूछे जन संसार ?।।१००।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज दुनिया से सीख कर, 
करता हर व्यवहार।
निज प्रकृति अनुरूप ही, 
फल पाता कर्म अनुसार।।१०१।।

शैलज दुनिया को देखकर, 
मत करिये हर व्यवहार।
पग रखिये पथ को देखकर, 
उत्तम अनुभूत विचार।।१०२।।

शैलज दुनिया में जो मिला, 
सब कुछ है उपहार।
प्राणी धर्म विवेक बिन, 
है मानव जीवन बेकार।।१०३।।

शैलज दुनिया के लिए, 
करता रचनात्मक काज।
आवागमन प्रकृति पुरुष, 
समझे मनुज समाज।।१०४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

रवि ज्वाला लपटों का रूप लिये,
संक्रमण जनित ज्वर ताप प्रिये।
सूखी खाँसी हो श्वास विकल,
शैलज कोरोना उपचार प्रिये।।१०५।।

हों लवण दोष या लौह जनित,
करें होमियो बायो उपचार प्रिये।
जी लाल शुष्क, गुड़ गर्मी प्रेमी,
शैलज मैग फॉस आधार प्रिये।।१०६।।

है मजबूरी प्रिये, तन की दूरी;
पर, मन से हो तुम पास प्रिये।
तुलसी हरती हैं त्रिविध ताप;
आयुष है शैलज साथ प्रिये।।१०७।।

ग्रह नव रवि या कोई भी हों,
सब होंगे सदा सहाय प्रिये।
रवि पुष्प मदार हृदय राखे,
शैलज सौभाग्य विचार प्रिये।।१०८।।

कफ काम, पित्त है क्रोध मूल,
है वात लोभ के पास प्रिये।
ये रोग नरक दुख कारक हैं,
शैलज त्रिगुण विचार प्रिये।।१०९।।

क्षिति, जल, पावक, गगन संग,
पवन प्राण निवास प्रिये।
शैलज सुमिरि प्रकृति प्रभु,
करता जग में है वास प्रिये।।११०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि, मनोवैज्ञानिक, ज्योतिषी, होमियोपैथ)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

कोरोना और चुनाव में,
शैलज नेता मेल।
आँख मिचौली खेल में,
जनता मूरख भेल।।१११।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 कोरोना और चुनाव में,
आँख मिचौली खेल।
नेता पक्ष विपक्ष में,
शैलज अद्भुत मेल।।११२।।

सूरज सविता दिनपति,
दिनकर दीनानाथ।
भानु भास्कर जगत पति,
रवि रव नाथ अनाथ।।११३।।

स्रष्टा पालक संहर्त्ता,
ब्रह्मा विष्णु महेश।
शैलज छठ माँ पूजिये,
शक्ति सहित दिनेश।।११४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज देश विदेश में,
जीव अजायबघर एक।
मानव प्रकृति में ही मिला,
स्वारथ बहस विवेक।।११५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय,बिहार, भारत।

शैलज सच को सच कहा,
रूठ गये सब लोग।
जब सच से पाला पड़ा,
कह रहे उसे संयोग।।११६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज मीत सराहिये, सुमति सुकाज सहाय।
सोच हिताहित आपसी, हिय मन जेहिं समाय।।११७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज नेता बन गया, सबकी चिन्ता छोड़।
चिन्ता में सिर तब फिरा, दिया सबों ने छोड़।।११८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज नारद रवि कृपा, निशिचर हुए उदास।
तारे संग सिमटी निशा, काम रति हुए दास।।११९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शशि रवि सहधर्मिणी, करत प्रकाश दिन रात।
शैलज राजाज्ञा शुभद, अवकाश अमावस रात।।१२०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा,बेगूसराय।

 सचिव शशि अध्यक्ष रवि, उडुगण शेष समाज।
शैलज रवि शशि के बिना, तिमिर अमावस राज।।१२१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा,बेगूसराय। 

 जलद श्याम घन मोर मन, चन्द्र चकोर स्नेह।
शैलज श्रम बिनु राज श्री, भक्ति बिना प्रभु नेह ? ।।१२२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

 जलद श्याम घन मोर मन, चन्द्र चकोर स्नेह।
शैलज श्रम जग राज श्री, भक्ति भाव प्रभु नेह।।१२३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

आतम ज्ञान से मन डरे,
सुमन विवेक प्रकाश।
शैलज रजनीचर डरे,
रजनीचर नभ वास।।१२४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज मनोकाँक्षा प्रकृति विमुख,
रहित विवेक विचार।
जल द्रव गति मति क्षुद्र नर,
उठत गिरत हर बार।।१२५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज स्वार्थी, वाक्पटु; 
भोगी, कुटिल, लवार।
धृत उपदेशक, हठी जन; 
कलिकाल महान्, गवांर।।१२६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज बचपन पचपन का,
बारह सात उनीस।
भूले बिसरे गले मिले,
इस जग में सब बीस।।१२७।।

अनठावन की प्रकृति का,
सत्य न प्रेम से मेल।
एक एक कर सबसे मिले
शैलज समाज का खेल।।१२८।।

शैलज सच सच कहे,
सदा झूठ को झूठ।
प्रेमी जन सम्वाद सुन,
जाये दुनिया रूठ।।१२९।।

शैलज जगत अवतरण,
 कृष्ण निशा आकाश।।
रजनीचर भानु बिना,
कबहुँ कि करत प्रकाश ?।।१३०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज जब तक साँस है,
सुख दुःख अहम् त्रिताप।
पिया मिलन को चल पड़े,
जग बन्धन छूटे सन्ताप।।१३१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।


शैलज नर तन पायके, 
भूल गया कर्त्तार।
जग तिलस्म में भटक, 
भूला निज घर द्वार।।१३२।।

डॉ ० प्रो ० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगुसराय।

[07/09, 10:32 PM] A k shailaj: 

नीच, अधर्मी, सिरफिरे, 
मूरख, धूर्त्त, लवार। 
स्वार्थी नारी-पुरुष से, 
शैलज रहिये होशियार। 

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।।१३३।। 

शैलज का दु:ख को सुने, 
सुने करे उपहास। 
लुटा स्वयं परहित करे, 
करे कौन विश्वास ? ।।१३४।।

डॉ ० प्रो ० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगुसराय

 शैलज ईश्वर को भजे,
आत्मलीन मन लाय।
करे समर्पण स्वयं को, 
केवल एक उपाय।।१३५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा,बेगूसराय।

 शैलज लोक परलोक हित,
प्रभु से करे गुहार।
जीव नारि नर सुगति सत्,
शान्ति प्रेम सुविचार।।१३६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सही लिबास बिनु, 
कैसा चरम विकास ?
करम धरम छूटा शरम, 
नीच मनुज के पास।।१३७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज स्वार्थी बन्धु सखा, 
मतलब के सब यार।
दया, धर्म, गुण रहित नर, 
सज्जन हेतु कुठार।।१३८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज क्रूर कुटिल मति, 
प्रकृति विरुद्ध उपचार।
मूर्ख, अधर्मी, दया रहित,
जग वन हेतु तुषार।।१३९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज मनुज समाज गति; 
ज्ञान, विवेक, व्यवहार।
देश-काल-पात्र निर्भर मति, 
सच्चिदानंद मूलाधार।।१४०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शूल गुलाब, कीचड़ कमल, 
वन उपवन सौंदर्य सुवास।
शैलज समदर्शी सुमन मन, 
प्रमुदित, न करत उदास।।१४१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज जगत असार की,
चिन्ता करम हिसाब।
तू क्या राखे मूढ़ मन ?
प्रभु के पास किताब।।१४२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 त्रिविध ताप, त्रिदोष कर, 
शैलज नीच विचार।
वेग त्रयोदश रोक कर, 
तन मन करत बीमार।।१४३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार। 
 
सुन्दर श्री पद ज्ञान गुण, 
व्यवहारिक नर-नारि।
रूप-कुरूप शैलज भजे,
लखि कुल शील विचार।।१४४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

तन सुन्दर, मन मैल संग, 
रूपसी अहम् विकार।
शैलज शील सुलक्षणा,
प्रियंवदा सुखदा संसार।।१४५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा,बेगूसराय।

शैलज मजदूर किसान हैं,
मौसम से अनजान।
भू सेवक भूखे मरे,
नारद नेता देते दिक्ज्ञान।।१४६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज सुमन समाज में,
अंकित करे विचार।
पुष्पाकाँछा शुभद सदा,
उत्तम मृदु व्यवहार।।१४७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

वेनीपुरी की जादू कलम,
चित्रण राज समाज।
शैलज हृदय निवास करे,
हिन्दी साहित्य श्री राज।।१४८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
 
 शैलज आत्म अनुशासन बिना,
सब उपलब्धि ज्ञान बेकार।
मुक्ति बोध, जग धरम करम,
अर्थ, आदर्श काम व्यवहार।।१४९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

सुमति सुकर्म आदर्श सुहाई।
शैलज रीति नीति अपनाई।।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई।
दया धर्म बिनु को जग भाई ?।।१५०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

परिणय, मंगल दिवस का, 
गीत सुमंगल गान।
गाली साली शुभद् सुखद, 
शैलज सुहृद सुजान।।१५१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सुध बुध खो दिया, 
राज श्री संग सुख पाय।
सुदिन सौभाग्य सुकर्म बिनु, 
जग में को जन पाय ?।।१५२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 राज श्री सुख वर्धिनी, 
अहम् रहित शुभ भाव।
शुभदा सौम्या जय प्रदा, 
शैलज सरल सुभाव।।१५३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज अपने गाँव में, 
कोई न पूछनहार ।
आये शहर विदेश से, 
धनी गुणी सरदार ।।१५४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय ।

मधुमय पूनम चाँदनी, 
नन्दन चन्दन वन माहिं।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् कृपा,
शैलज मोद बढ़ाहिं।।१५५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज भनत विश्वास हरि,
विश्वास करें विश्वास।
युग-युग पायें हरि कृपा,
युगल कुमार विश्वास।।१५६।।

पावन परिणय बन्धन में,
जो प्राणी बँध जाते हैं ।
संसार सुखों से भरकर,
मंगलमय हो जाते हैं ।।१५७।।

ऋषि-मुनि मोक्ष के सुख में,
अपने को खोते हैं ।
दम्पती परिणय में ही तो,
सम्पूर्ण मोक्ष पाते हैं।।१५८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 सकल चराचर व्याप्त प्रभु, 
समदर्शी जगत आधार।
विधि हरि हर शैलज भजे, 
निज मति कुमति विसारि।।१५९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

राज, श्री, सुखदा, शुभा; 
प्रियंवदा, प्रिया, अनमोल। 
कुलवर्धिनी, सहधर्मिणी; 
शैलज निज मति तोल।।१६०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 कंचन कामिनी चंचला, 
तजे आलसी उदास।
प्रेम करम हठ वश रहे, 
स्वामी शैलज दास।।१६१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 तन भव सागर में रहे, 
मन क्षीरोदधि पास।
शैलज तरणी सुकरम, 
हरि शरण में बास।।१६२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज प्रेमी जगत का, 
अभिव्यक्ति सहज वेवाक।
सुजन सुहृद संगत करे, 
शेष समाज मजाक।।१६३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

सृष्टि कामना हेतु नर, 
करत शुभाशुभ कर्म।
नारी आकाँक्षा रहित, 
शैलज समाज नहीं धर्म।।१६४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज किस धन के लिए, 
झगड़ रहे नित आप ?
रूप अहं गुण जायेगा, 
कर्म धर्म पुण्य संग पाप।।१६५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

नारी प्रकृति नारायणी, 
हरि नर पुरुष स्वरुप। 
अर्द्ध नारीश्वर शिव शक्तिदा, 
शैलज प्रेम प्रतिरूप।।१६६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज अवगुण से भरा,
गुण समाज के पास।
भोगी मन,आत्मा अमर,
निर्णायक रमानिवास।।१६७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज शुक पिक हंस अलि,
गोपद हरि हिय ध्यान।
सेवत गुरुजन जीव प्रकृति,
देश काल पहचान।।१७४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज पर दु:ख दु:खी जो,
सुर नर मुनि महान्।
दया रहित स्वार्थी मनुज,
अधर्मी दनुज समान।।१७५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

साक्षी आत्मा, वकील मन,
सच माया जग जीव संघर्ष।
शैलज न्यायाधीश हरि,
प्रकृति पुरुष विधि विमर्श।।१७६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

तर्जनी वात, पित्त मध्यमा, 
अनामिका कफ प्रकृति आधार।
शैलज नाड़ी ज्ञान शुभ , 
दक्षिण वाम नर नारी अनुसार।।१७७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

तीतर, लावा, बटेर गति, 
नाड़ी त्रिदोष गति चाल।
अहि गति मेढ़क हंस शुभद्, 
हंस मध्य कुचाल।।१७८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

हंस मन्द गति कफ प्रकृति,
काम कबूतर मोर।
मेढ़क कौवा अति तीव्र गति,
पित्त क्रोध घनघोर।।१७९।।

वात जोंक अहि कुटिल गति,
लोभ मोह सन्ताप।
शैलज नाड़ी गति जानिये,
आयु वैद्य प्रभु आप।।१८०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज कुमति शिकार जो,
बाल, वृद्ध युवा नर-नारि।
देश, काल औ विधि विमुख,
दु:ख पावत जीव अपार।।१८१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज तू क्या कर रहा,
आकर जग में नित काज ?
समय चूक पछतायेगा,
सत् धर्म कर्म का राज।।१८२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

दैनान्दिनी शुभदायिनी,
अनुपमा  सुखधाम।
शैलज राज श्री वर्धिनी,
अभिव्यक्ति गुण ग्राम।।१८३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

रवि सुत शनि गृह आगमन,
शुभ मुहूर्त, सुख मूल।
शैलज मकर त्रिदोष हर,
नव ग्रह जनित त्रिशूल।।१८४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शीश रेणु गोपद धरत,
कान्हा ब्रज गोधूलि प्रात।
शैलज रेणु गोपाल पद,
भव तारक हरि तात।।१८५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

नीर प्रवाह नीरज नयन,
श्याम प्रेम पिय मोर।
शैलज भींगत स्नेह रस,
राज, श्री, सुख चहुँ ओर।।१८६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज कन्या शक्तिदा, 
प्रकृति पुरुष हिय हार।
नैहर की जंगल अलि!
पिय गृह वंदनवार।।१८७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

केसरिया संस्कृति सनातन, 
कीर्ति, शौर्य, बल दायक।
सादा सादगी, सच्चाई, आदर्श, 
न्याय, बुद्धि, शुभ कारक।।
हरा भारत भूमि माता श्री, 
ज्ञान, विज्ञान, विकास का सूचक।
अनवरत प्रगति चक्र, 
तिरंगा भारत वर्ष का द्योतक।।१८८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

अनिल पतंग विचरे नभ,
भोग योग सुख साथ।
कटी पतंग सुमिरन करे,
शैलज हरि जग नाथ।।१८९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज अहं विकार गुण,
सद् गुण गुण हरि लेत।
हरि प्रभु आँकलन करत,
अपयश जग में लेत।।१९०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

निज हित शैलज कर रहा,
जग में नित हर काज।
आया जग में फिर जायेगा,
विधि धर्म कर्म सुख राज।।१९१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

भव सागर जग बन्धु प्रकृति,
प्रिय सखा शत्रु व्यवहार।
धर्म कर्म विधि संगति फलद्,
शैलज विश्वास विचार।।१९२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

प्रभु प्रसाद जग जीव गति, 
प्रकृति पुरुष चराचर बोध। 
शैलज विधि हरि हर हरत
नित, काल करम अवरोध ।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज विधि के लेख में, 
सदा करम की छूट। 
जो ऐसो नहीं होय तो, 
होवें उपाय सब झूठ।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

[07/09, 10:32 PM] A k shailaj: 

नीच, अधर्मी, सिरफिरे, 
मूरख, धूर्त्त, लवार। 
स्वार्थी नारी-पुरुष से, 
शैलज रहिये होशियार। 

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।
[09/09, 9:10 AM] A k shailaj: [09/09, 6:44 AM] A k shailaj: 

शैलज का दु:ख को सुने, 
सुने करे उपहास। 
लुटा स्वयं परहित करे, 
करे कौन विश्वास?
[09/09, 8:24 AM] A k shailaj: 

करे प्रतीक्षा लोग सब, 
कौन बनेगी बात ? 
भोगे शैलज कर्म फल, 
सुख, श्री वा उत्पात।।
[13/09, 11:08 AM] A k shailaj:

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

दूजे दु:ख जग को सुने, 
कहाँ समय परवाह ? 
सुख दु:ख दरिया में बहे, 
नदी नाव गति चाह।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज विधि, हरि, शिव कृपा, 
वेद-पुराण-विज्ञान। 
भारत ! ओजस सुयश तव, 
सत्य सनातन ज्ञान। 

सोमनाथ, माधवन, शिवन, 
चन्द्रयान चरण त्रय ठाम। 
ईसरो "जवाहर, तिरंगा पुनि, 
शिव-शक्ति" शैलज ये धाम।।

शैलज विधि के लेख में, 
सदा करम की छूट। 
जो ऐसो नहीं होय तो, 
होवें उपाय सब झूठ।।

शैलज मूरख समझे नहीं, 
निजहित अनहित बात। 
संगति दोष, भ्रम, मोह वश, 
निशिदिन पावे दु:ख,घात।।