शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

शैलज दोहावली : भाग-२ (दोहा संख्या ४९ से ९६ तक )

शैलज तन रक्षा करे, मन की सुधि नित लेत।
ज्योतिर्मय कर ज्ञान पथ,पाप भरम हरि लेत।।४९।।
अन्त:करण सुचि देव नर ,जीव चराचर कोई।
दृश्यादृश्य पुनीत प्रभु, गुरु प्रणम्य जग सोई।।५०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 
०४/०९/२०२०, ५/५१ अपराह्न।

सनातन हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा गुरु पूर्णिमा (आषाढ़ पूर्णिमा) के दिन गुरु व्यासजी की पूजा होती है, परन्तु भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं आदर्श शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस ५ सितम्बर के दिन प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है और हम सभी भारत के भूत पूर्व राष्ट्रपति एवं आदर्श शिक्षक डॉ० सर्वे पल्ली राधाकृष्णन एवं अपने-अपने अन्य गुरु देवों को भी याद करते हैं, उनका सम्मान करते हैं तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग का अनुशरण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं, क्योंकि गुरु का अर्थ होता है अन्धकार से प्रकाश में लाने वाले।
ऊँ असतो मां सदगमय।। तमसो मां ज्योतिर्गमय।। मृत्योर्मा अमृतं गमय।। शुभमस्तु।।
शिक्षक दिवस हार्दिक शुभकामना एवं बधाई के साथ।    

शैलज सन्तति, वित्त, सुख,
भ्राता, कुल, पति हेतु।
सहत क्लेश सविवेक नित,
नारी सृष्टि सेतु।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।
ममतामयी माँ एवं मातृ शक्ति के परम पुनीत जीमूतवाहन (जीवित पुत्रिका/जीउतिया) व्रत की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाओं के साथ।
जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।@dna @Republic_Bharat @RajatSharmaLive @POTUS @UN @rashtrapatibhvn @PMOIndia @uttam_8 @amnesty @RahulGandhi @ShahnawazBJP 

शैलज माँ को भूलकर, हो गया पत्नी दास।
खैर नहीं, कर्त्तव्य है, या निर्वासन, उपवास।।५१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज वे नर श्रेष्ठ हैं ?
जो हैं अनुभव हीन ।
माता, तनुजा, पत्नी प्रिया, 
नारी रूप हैं तीन।।५२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।

आदि अभियंता विश्वकर्मा नमस्तुभ्यं अंगिरसी-वास्तुदेव सुतं ब्रह्मा पौत्रं वास्तु शिल्प विशारदम्। 
भानु कन्या संक्रमण गोचर विश्वकर्मा जातं सुरासुर जड़ जीव पूज्यं जगत कल्याण सृष्टि कारकं।।५३।।

ऊँ विश्वकर्मणे नमः।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज काम के स्वार्थ में, 
धर्म मर्यादा छोड़ ।
अर्थ अनर्थ हित मोक्ष से, 
मुँह लिया है मोड़।।५४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय। 

शैलज उदधि अनन्त भव, 
इच्छा भँवर वहाब।
एक समर्पण आश्रय, 
सुमति सुकर्म बचाव।।५५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

बाल, वृद्ध, नर-नारी हित, 
शैलज हिय सम्मान।
जय, सुख, समृद्धि, राज, श्री, 
पावे शुभ वरदान।।५६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय। 

सगुण सराहत लोकहित,  
ज्ञान प्रत्यक्ष विज्ञान।
निर्गुण ब्रह्म परलोक चित, 
अपरा परा निदान।।५७।।

डॉ०  प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा।

शैलज अर्थ, आसक्ति में;
पड़ा नरक के द्वार।
मोक्ष, धर्म को छोड़कर; 
भटक रहा संसार।।५८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज भौतिक भूख से, 
उपजे दु:ख हर ओर।
आध्यात्मिक व्यवहार तजि, 
प्रभु से मांगे और।।५९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज घटना कोई भी, 
नहीं प्रारब्ध अकारण होत।
भोगत सुख-दुःख करम फल, 
अपजस विधि को देत।।६०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज कृष्ण के प्रेम में, 
डूब गया संसार।
काम बासना मुक्त हो, 
मिला मुक्ति प्रभु द्वार।।६१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 प्रेम वासना जीव जग, 
जड़ चेतन सृष्टि आधार।
प्रकृति पुरुष के मिलन से,
प्रकट हुआ संसार।।६२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

सुन्दर चरित, सुसमय घड़ी,
सुमन स्वस्थ विदेह।
रिश्ता स्नेहिल प्रेम मय,
च्यवनप्राश अवलेह।।६३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय। 

 पारस संग कंचन प्रिय, 
चुम्बक संग गति सोई।
पारस चुम्बक शैलज सुगति, 
लौह बड़ाई होई।।६४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, 
पचम्बा, बेगूसराय।

 छाया छाया सब चले, 
छाया मोहित सोई।
छायापति छाया चले, 
शैलज पूजित होई।।६५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

नारी कृत अपमान का,
मत करिये प्रतिकार ।
शैलज कौरव कुल गति, 
हरे धर्म व्यवहार।।६६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

 पावन दिल, सद्भाव, दृढ़ 
शैलज श्रद्धा-विश्वास।
अष्ट सिद्धि नव निधि प्रद, 
सुगम सुकर्म प्रयास।।६७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी), पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज शुभाकाँक्षा गति, 
उत्तम प्रकृति अधिकाय।
तप बल ताप नशाय त्रय, 
हिय अंकित प्रिय पाय।।६८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज 
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज भाग्य स्वयं लिखे,
अपने कर्म व्यवहार।
समय, भाग्य, विधि दोष दे,
उर संतोष बिचार।।६९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज 
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज नि:संकोच प्रिय, 
प्रमुदित पूर्वाग्रह-मुक्त।
जन हित प्रत्याशी हित, 
निज मत करिये व्यक्त।।७०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज सखा सुरेश की, 
कृपा दृष्टि औ संग।
ब्रजकुल कालिन्दी मधु, 
गीता पार्थ प्रसंग।।७१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

सत्ता, सुख, प्रतिशोध में, 
शैलज खेलत दाव।
जनता को गुमराह कर, 
नोन लगावे घाव।।७२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज राज श्री सुख प्रद,
सुहृद भाव विचार।
जोग जुगुति व्यवहार मृदु,
यश फैले संसार।।७३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज सुन्दर सरल सखि!
भावुक प्रिय उदार।
कलि प्रभाव छल बल बिनु,
गुण समूह बेकार ? ।।७४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

शैलज पाप प्रभाव से, 
उपजे दु:ख संताप।
सम्यक् कर्म-व्यवहार से, 
बाढ़े पुण्य प्रताप।।७५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय।

 शैलज असुर समाज है, 
नेता जन की भीड़।
जनता सुर को रौंदते, 
नित्य उजाड़े नीड़।।७६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।
  

शैलज सत्ता स्वार्थ हित, 
पर पीड़न रति लीन।
नेता असुर सुरत्व तजि, 
पंडित भये प्रवीण।।७७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय।

निज मुख दर्पण में देख कर, 
शैलज हुआ उदास। 
ग्लानि, क्रोध, अविवेक वश; 
दर्पण को दे नित त्रास।।७८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज राज न दरद का, 
जाने जग में कोई।
प्रेमी वैद्य जाने सहज, 
सुख समाज को होय।।७९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज जनता मूरख भेल, 
नेता खेले सत्ता खेल।
MA गदहा, BA बैल, 
सबसे अच्छा मैट्रिक फेल।।८०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज समय विचारि कर, 
रखिये अपनी बात।
प्रिय जन राज सलाह शुभ,
मेटे हर झंझावात।।८१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

का करि सकत विरोध कर, 
बाधा लघु मध्य महान् ?
भाग गुणनफल योग ऋण, 
शैलज अवशेष निदान।।८२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अन्तर् ज्योति प्रकाश बिन, जगत ज्ञान बेकार।
शैलज राज समाज सुख, प्रेम धर्म जग सार।।८३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

आवागमन के चक्र में, 
कटु-मधु जीव व्यवहार।
भक्ति, मुक्ति, श्री, राज, सुख;
शैलज प्रभु प्रेम आधार।।८४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार।

शैलज मूरख राज श्री; पद बल अहम् बौड़ाय।
आनन सुन्दर अलि छटा, समय पाय मुरझाय।।८५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी)
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज सत्ता राज श्री, पद बल मद अधिकाय।
आनन सुन्दर अलि छटा, समय पाय मुरझाय।।८६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।
 
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शैलज सुहृद सराहिये, 
सुमति सुकाज सहाय।
तम हर ज्योति पथ शुभ, 
सुगम सरल दर्शाय।।८७।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज विदुर चाणक्य को; भूल रहे जो लोग।
समय भुलाया है उन्हें, सत्य अटल संयोग।।८८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज विदुर चाणक्य या अन्य विचारक लोग।
निज अनुभूति बता गये; कर्म, ज्ञान, रुचि, योग।।८९।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज परहित साधन निरत,
नेक नीति नित साथ।
सुख-दुःख, कीर्ति, परिणाम तजि; 
लिखत भाग्य निज हाथ।।९०।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

असुर अनीति, देव विधि;
जड़ नर जीव सुख चाह।
पशु से नीच विवेक बिन,
शैलज दुर्लभ शुभ राह।।९१।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज राम जगत पति,
कृष्ण प्रेम हिय वास।
भेदत तम रज सतोगुण,
दीपावली प्रकाश।।९२।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अन्तर् दीप जला रहा, शैलज हिय मन द्वार।
जगत बुझाये वातवत्, प्रिय प्रभु रखवार।।९३।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

शैलज सम्यक् शुभकामना;
जीव जगत नर हेतु।
दीप ज्योति तम हर शुभद, 
प्रभु शरणागति सेतु।।९४।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

गोपालं नमस्तुभ्यं ज्ञान सृष्टि हित कारकं।
जीवेश समत्व योगं गोवर्धनं सुखकारकं।।९५।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

अवसर धर्म विकास रुचि, 
अवसर काज समाज।
अवसर पर निर्भर सभी, 
शैलज नेतृत्व सुराज।।९६।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज,
(कवि जी),
पचम्बा, बेगूसराय, बिहार, भारत।

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