शुक्रवार, 19 जुलाई 2019

मानसरोवर बीच में हंसा कितना सुन्दर सोहै।
का कहुँ ? सखि ! मेरो चितवन को, आजु पुनि पुनि मोहै।
हंसा तैरे मानसरोवर , जल चंचलता छोडै
मानसरोवर.......................................................।
आठ चलै, पुनि चार चलै, द्वादश, षोडश होई निकसै।
का कहूँ ? पर, एक बीस जित तित मग होई बिकसै।
मानसरोवर................................................।
चलै समीर, अग्नि, धरा, जल या नभ में ठहरावै।
श्याम, अरुण, पीताभ, श्वेत औ नील गगन दिखलावै।
मानसरोवर.................................................।
वायु वृत्त, तेज त्रिभुजवत्, धरा चतुर्भुज भावै।
आपु बूँद सम फैले नीचे, नभ अण्डाकृति सा लागै।
मानसरोवर....................................................।
अम्ल, तीक्ष्ण, मधु, धात्री, कटुवत् स्वाद तत्व बतावै।
नाभि, स्कन्ध, जानु, पद, मस्तक पर क्रमश: तत्व
विराजै।
मानसरोवर......................................................।
तिर्यक, ऊपर, समतल, नीचे, द्विस्वर व्योम बतावै।
यंरंलंवंहं बीज ध्यान परम सुख निश्चय मार्ग दिखावै।
मानसरोवर.......................................................।
उच्चाटन मारण शान्ति कर स्तम्भन मार्ग बतावै।
मध्यम् मार्ग व्योम कर निश्चय,कर्म निषेध बतावै।
मानसरोवर.......................................................।
अन्तक, क्रूर, चर, स्थिर योगादि तत्व सुख बाँटे।
हानि-हानि औ लाभ-लाभ का फल, निष्फल न कहावै।
मानसरोवर.........................................................।
ईड़ा चन्द्र सौम्य सोम बामांगी, निशि दिन रास रचावै।
कठिन क्रूर संघर्ष शौर्य रवि दिन पति पिंगल कृष्ण कहावै।
मानसरोवर.................................................।
ईंगला-पिंगला साथ सुषुम्ना ईस्वर ध्यान लगावै।
ऐसौ करै सदा सुख पावै, बर्ह्मलीन होई जावै।
मानसरोवर........................................................।
दशरथ निज का मोह छाड़ि जब राम का ध्यान लगावै।
का कहुँ ? सखि ! हंसा तेहि क्षण में सो अहं सो मिलि जावै।
मानसरोवर......................................................।
:- प्रो०अवधेश कुमार 'शैलज',पचम्बा,बेगूसराय।