सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

Interpersonal understanding of relations........

Interpersonal understanding of relations ............

Of the creatures of the world, primarily acquainted with human-species prejudice or unrelated male-female interpersonal physical relationship or artificial resources, they have their blood relations created between them as sons or daughters. Happens and the birth of a family called a family becomes automatic and this relationship does not really end in any circumstance, as well.Son or Daughter provides the best diet in her breasts for the upbringing of her offspring and for her upbringing, but if the same mother does not drink her milk by putting it on her heart, then the punishment for torturing her children is often related to breast cancer ( Whose origin is due to cough / work, pitta / anger and deformity of vata / covetousness or inauspicious thoughts).

Thus, the relationship between human and / or non-human beings in the world is the root link of mutual love, whose defense is our original religion.

Prof. Awdesh Kumar Shellaj, Pachemba, Begusarai

सम्बन्धों की पारस्परिक समझ...........

सम्बन्धों की परस्परिक समझ............

संसार के प्राणियों में से मुख्य रूप से मानव प्रजाति के पूर्व परिचित या अपरिचित नर-नारी के पारस्परिक दैहिक सम्बन्ध से अथवा कृत्रिम संसाधनों से उन दोनों के रज-वीर्य से उनका आपस में बनाया गया रक्त सम्बन्ध उन्हें पुत्र या पुत्री सन्तान के रूप में प्राप्त होता है और परिवार नामक संस्था का जन्म स्वत: हो जाता है तथा यह रिश्ता वास्तव में किसी भी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता है साथ ही प्रकृति स्त्री के उस सन्तान को गर्भ रखने एवं प्रसवोपरांत उसके पालन पोषण हेतु उसके स्तनों में सर्वोत्तम आहार दुग्ध प्रदान करती है, परन्तु यदि वही माता अपने दिल से लगाकर उसे अपना दूध नहीं पिलाती है तो सन्तान को प्रताड़ित करने के दण्ड स्वरूप प्रायः स्तन कैंसर (जिसकी उत्पत्ति कफ/काम,पित्त/क्रोध तथा वात/लोभ की विकृति या अशुभ विचारों के कारण होती है) का कष्ट भोगने हेतु बाध्य भी करती है।

इस प्रकार संसार में मानव और/या मानवेतर प्राणियों का पारस्परिक प्रेम सम्बन्ध ही मूल सम्बन्ध है, जिसकी रक्षा हमारा मूल धर्म है।

प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

रविवार, 14 अक्तूबर 2018

Country, Constitution and Citizenship

Country, Constitution and Citizenship: -

Any person, to obtain the citizenship of a country, to obey the country's constitution, to act accordingly, to obey its orders, to be born as the children of the citizens of that country and / or citizens of the country outside of it In order to obtain the citizenship of any other country in future, following the rules of citizenship of that country, living in that country and in the light of the constitution of that country, Protect Titv and dignity of the country's legislature, required executive and the duty to comply with his obligations while in your possession limits authorized for the judiciary.

Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.

देश, संविधान और नागरिकता

देश, संविधान और नागरिकता :-

किसी भी व्यक्ति को किसी देश की नागरिकता की प्राप्ति हेतु उस देश के संविधान को मानने,उसके अनुसार आचरण करने, उसके आदेशों का पालन करने, उस देश के नागरिकों के संतान के रुप में जन्म लेने और / या उस से बाहर के देश के नागरिकों हेतु भविष्य में किसी अन्य देश की नागरिकता पाने हेतु उस देश की नागरिकता प्राप्ति के नियमों का पालन करते हुए उस देश में निवास करने तथा उस देश के संविधान के आलोक में उस के अस्तित्व एवं अस्मिता की रक्षा करते हुए उस देश के विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका हेतु अधिकृत होने पर अपनी अधिकार सीमाओं में रहते हुए अपने दायित्वों का पालन करने का कर्त्तव्य अपेक्षित है।

प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

Astrology ( ज्योतिष )

Astrology is an ideal positive science of experience, behavior & adjustment process of an organism in their own environment in relation with various visible or non-visible stars, planets, elements & para-psychological effects or their inter-actions or power of the universe.

Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba,
Begusarai.

ज्योतिष (Astrology) की परिभाषा :-

ज्योतिष विभिन्न दृश्यमान या गैर-दृश्यमान सितारों, ग्रहों, तत्वों और पैरा-मनोवैज्ञानिक प्रभावों या उनके अंतर-क्रियाओं या ब्रह्मांड की शक्ति के संबंध में अपने पर्यावरण में एक जीव की अनुभव, व्यवहार और समायोजन प्रक्रिया का एक आदर्श सकारात्मक विज्ञान है।

प्रो। अवधेश कुमार शैलाज, पचम्बा,
बेगूसराय।

अवधेश कुमार पर 3:16 बजे

मंगलवार, 9 अक्तूबर 2018

भूतपूर्व सांसद स्व० मथुरा प्रसाद मिश्र की जन्म शताब्दी 2018

भूतपूर्व सांसद, स्व० मथुरा प्रसाद मिश्र का जन्म 100 वर्ष पूर्व 1918 ई० सन् में भारत देश के बिहार राज्य के बेगूसराय जिलान्तर्गत पचम्बा ग्राम में हुआ। राजनीति से संन्यास लेने के पश्चात् उन्होंने वास्तव में संन्यास ले लिया और भगवान् रजनीश का शिष्यत्व प्राप्त कर स्वामी आनन्द मैत्रेय कहलाये।

मथुरा प्रसाद मिश्र न केवल राजनीतिज्ञ थे,वरन् एक उत्कृष्ट कोटि के साहित्यकार थे। हिन्दी साहित्य के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। पचम्बा के एक गरीब भूमिहार ब्राह्मण स्व० रामायण सिंह ने अपनी जमीन पचम्बा में मिडिल स्कूल की स्थापना हेतु बिहार के राज्यपाल को दान के रूप में प्रदान किया और मथुरा प्रसाद मिश्र, राम जी मिश्र,रामबहादुर मिश्र, सुखदेव सिंह, जयदेव मिश्र, महादेव मिश्र, नागेश्वर मिश्र,जयनारायण सिंह एवं पचम्बा के अन्य अनेक लोगों के सक्रिय सहयोग से पचम्बा स्कूल का निर्माण एवं विकास हुआ। उस समय पचम्बा का यह एक मात्र स्कूल पचम्बा और इसके आसपास के दूर-दूर तक के गाँवों में शैक्षणिक विकास के प्रकाश स्तम्भ रुप में विकसित हुआ।

पचम्बा का प्रेम चन्द्र पुस्तकालय जिससे मैं बाल्यकाल से ही जुड़ा रहा और जिससे मुझे अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन की प्रेरणा मिलती रही, वह प्रेम चन्द्र पुस्तकालय राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के भी आकर्षण का केन्द्र रहा और गाँधी जी पुस्तकालय देखने हेतु पचम्बा पधारे, उस पुस्तकालय को भी पुष्पित, पल्लवित एवं विकसित करने में पचम्बा के लोगों का उत्साह वर्धन करने में मथुरा प्रसाद मिश्र का हार्दिक योगदान रहा।

मुझे बचपन से ही चाचा स्व० मथुरा प्रसाद मिश्र जी का स्नेह मिलता रहा और मथुरा प्रसाद मिश्र, जयनारायण सिंह, सुखदेव सिंह, जयदेव मिश्र, महादेव मिश्र, नागेश्वर मिश्र, रमेश चन्द्र यादव जी इत्यादि गुरुजन मेरे सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक विकास की प्रेरणा के श्रोत रहे परिणाम स्वरुप मैं 1974 से 1984 तक पुस्तकालय विकास आन्दोलन से जुड़ा रहा तथा पुस्तकालय संघ में बेगूसराय जिला का सचिव रहा।  दिनांक 4 जून 1983 को नेलसन माण्डेला के पक्ष में मैंने नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले दस मनीषियों द्वारा स्थापित एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा शान्ति, न्याय एवं मानवता के पक्ष में जारी अपील पर हस्ताक्षर किया जिसे एमनेस्टी इंटरनेशनल के श्री लंका स्थित कार्यालय द्वारा विश्व के सभी राष्ट्र प्रधानों एवं संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को भेजा गया और 8 मार्च 1985 को एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारतीय शाखा के कार्यकारिणी सदस्य रवि नायर ने अपने पत्रांक 312/6 के माध्यम से मुझे एमनेस्टी इंटरनेशनल का सदस्य बनने के लिए भी पत्र भेजा।

मुझे बचपन से ही काव्य, साहित्य, पत्रकारिता, लेखन, सम्पादन, पत्रकारिता, लोकसेवा, सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों, राजनीति तथा अध्यात्म में अभिरुचि रही और चाचा मथुरा प्रसाद मिश्र एवं अन्य महान् लोगों से मुझे हमेशा प्रेरणा मिलती रही फलस्वरुप दिनांक 7 मार्च 1999 को मैंने रचनात्मक कार्य क्रमों हेतु स्वतन्त्र संस्था रचनात्मक सेवा केन्द्र, पचम्बा, बेगूसराय की स्थापना की तथा संस्था के माध्यम से " 21 वीं शताब्दी को रचनात्मक शताब्दी " , "पचम्बा" को एक " रचनात्मक ग्राम ", माननीय प्रधानमंत्री "नरेन्द्र दामोदर दास मोदी" जी को " हिन्द-उन्नायक " तथा भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री माननीय " अटल बिहारी वाजपेयी " जी को " रचनात्मक युग पुरुष " घोषित किया गया और पचम्बा में एक " रचनात्मक महिला विद्यालय " की नींव डाली गई । इसी प्रकार पचम्बा को विश्व ऊँकार परिवार से सम्बद्ध हुआ और यहाँ आदर्श मनोवैज्ञानिक संगठन एवं शोध संस्थान की भी स्थापना की गई।

इस तरह से माननीय भूतपूर्व सांसद मथुरा प्रसाद मिश्र ,राम जी मिश्र एवं जयनारायण सिंह मुझे जीवन के अनेक क्षेत्रों में विकास की प्रेरणा मिली ।

चाचा मथुरा प्रसाद मिश्र जी अत्यन्त सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के साथ उनका मैत्री पूर्ण सम्बन्ध था । एक प्रीति भोज में अन्य लोगों के साथ मथुरा प्रसाद मिश्र जी के साथ दिनकर जी का दुर्लभ चित्र उपलब्ध है।

चाचा मथुरा प्रसाद मिश्र को मैं जब पत्र लिखता था तो साथ में भगवान् रजनीश को भी पत्र लिखता था और वे दोनों मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति को भी अपने हृदय में स्थान देते थे।

स्मरणीय है कि 1918 में मथुरा प्रसाद मिश्र जी का जन्म हुआ था और वर्त्तमान वर्ष 2018 उनके जन्म वर्ष का 100 वाँ वर्ष है ।

इस शताब्दी वर्ष में मैं ( अवधेश कुमार शैलज ) उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हूँ तथा इन्टरनेट पर मथुरा प्र० मिश्र के सम्बन्ध में जारी वायोप्रोफाईल भी प्रस्तुत कर रहा हूँ।

Third Lok Sabha
Members Bioprofile

MISHRA, SHRI MATHURA PRASAD, M.A., Cong., (Bihar—Begusarai—1962):  S. of Shri Sona Prasad Singh; B. at Pachamba, 1918; ed. at B. N. College and Patna College, Patna; m. Shrimati Tulsi Devi, 1930; Journalist; Secretary Bihar Pradesh Kisan Sabha (1941-48) Suffered imprisonment for participating in freedom movement, 1942-45, Secretary, All India Forward Bloc. 1947-48; Editor, Azad Hind (Weekly) 1947-48; Secretary Kisan Sub-Committee of Bihar Pradesh Congress, 1943-50 Secretary, Navashakti Rastravani group of newspapers Patna; Member, Provisional Parliament 1950-52 and First Lok Sabha, 1952-57 and Second Lok Sabha 1957-62.

Social activities:  Helped in founding Middle English School in Pachamba.

Hobbies:  Photography and picture-collection.

Favourite pastime and recreation:  Gardening, cinema, music, drama, boating and swimming.

Special interests:  Spread of education; psychological aid to underdeveloped children; political and social psychology.

Permanent address:  Village Pachamba, P. O. Suhrid Nagar, Monghyr Distt., Bihar.

[Voting results at the Election:

Electorate:  4,04,740

Shri Mathura Prasad Mishra                          . .                   1,05,883

Shri Akhtar Hasmi                                          . .                      51,163

Shri Rudra Narain Jha                                    . .                      26,405

Shri Chandra Mauli Deva                               . .                       14,228

Shri Gulam Mustafa                                                    .  .                       10,333].