बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

Democracy, Citizens and Voting

In a democracy, the citizens of a particular place (common people) form the government, in which the people's representatives who get 51 votes out of 100 votes are declared the winners and the people's representatives who are defeated in that election after getting 49 votes, in the light of the constitution of that country, in their victory.  They often congratulate and accept the authority of the government formed by them in the public interest and present themselves as opposition and in the light of the constitution of the country as a right opposition.  They work in the interest of the citizens and make every effort to save their country, their citizens and themselves from the chaotic elements.

लोकतंत्र में किसी स्थान विशेष के नागरिक (आम लोग) सरकार बनाते हैं, जिसमें 100 मतों में से 51 मत प्राप्त करने वाले जन प्रतिनिधियों को विजेता घोषित किया जाता है तथा जो जन प्रतिनिधि उस चुनाव में 49 मत पाकर हार जाते हैं, उन्हें विजेता घोषित किया जाता है।  उस देश के संविधान की रोशनी में, उनकी जीत में.  वे अक्सर जनहित में अपने द्वारा बनाई गई सरकार को बधाई देते हैं और उसके अधिकार को स्वीकार करते हैं और खुद को विपक्ष के रूप में और देश के संविधान के आलोक में एक सही विपक्ष के रूप में प्रस्तुत करते हैं।  वे नागरिकों के हित में कार्य करते हैं और अपने देश, अपने नागरिकों और खुद को अराजक तत्वों से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।

पक्ष-विपक्ष, सरकार, प्रजातंत्र, नागरिक और मतदान

प्रजातंत्र में किसी स्थान विशेष के नागरिक (आमलोग)  सरकार बनाते हैं, जिसमें 100 वोटों में 51 वोट पाने वाले जन प्रतिनिधि विजेता घोषित होते हैं और 49 वोट पाकर उस चुनाव में हारे हुए जन प्रतिनिधि उस देश के संविधान के आलोक में उनके जीत में जनमत का सम्मान करते हुए प्रायः बधाई भी देते हैं तथा उनके द्वारा बनाये गए सरकार की सत्ता को लोकहित में स्वीकार करते हैं एवं अपने आप को विपक्ष के रूप में प्रस्तुत करते हैं और एक सही विपक्ष के रूप में देश के संविधान के आलोक में देश और उसके नागरिकों के हित में कार्य करते हैं और अराजक तत्वों से अपने देश, वहाँ के नागरिकों और खुद को बचाने का हर संभव प्रयास करते हैं।
 
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शनिवार, 9 अक्तूबर 2021

अप्पन दही सबके मीठे लगै छै

लोक प्रचलित कहावत है "अप्पन दही सबके मीठे लगै छै " लेकिन वास्तव में हिन्दी मेरे समझ से संसार में बोली जाने वाली और/या उपयोग / प्रयोग में लायी जाने वाली संभवतः प्रथम भाषा और /या बोली है, जिसका मूल रूप "खड़ी बोली" है, जिसका प्रकृतिक स्वरूप प्राकृत भाषा और/या बोली है एवं जिसका संस्कारयुत मूल रूप "देव भाषा" "संस्कृत" है। बच्चा जन्म के समय "ऐं" उच्चारण करते  हुए इस धरा पर अवतरित होता है, जिसे संस्कृत में "सरस्वती बीज" कहा जाता है।
"दुर्गा सप्तशती" में "सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र" में भगवान् शिव कहते हैं " ऐंकारी सृष्टि रूपायै..." अर्थात् माँ दुर्गा ऐंकारी हैं /माँ दुर्गा सृष्टि करनेवाली हैं।" अतः वे सभी लोग जो इस संसार में जन्म लेने के समय बोलते हैं या रोते हैं या दु:ख में रोते हैं या दु:ख का अभिनय करते हैं, उन समस्त स्थितियों में रोने की उनकी भाषा "ऐं" ही होती है, जो हिन्दी भाषा परिवार से सम्बन्धित संस्कारयुत देव भाषा संस्कृत भाषा की बोली होती है। वास्तव में हिन्दी भाषा परिवार की सभी बोलियाँ, खड़ी बोली, प्राकृत एवं संस्कृत में परस्पर अभिन्न सम्बन्ध है।
अतः हमें अपनी सनातन संस्कृति, बोली एवं भाषा पर गर्व करना चाहिए और विश्व के सभी भाषा एवं संस्कृति का आदर करना चाहिए, क्योंकि हम सभी एक ही परमात्मा की संतान हैं, भले ही हमारा रहन-सहन, मनोशारीरिक स्थिति, भाषा-लिपि एवं रीति-रिवाज अलग-अलग रहा हो।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
 
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