शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

शालिग्राम शिला

शालिग्राम शिला 

शैलज शालिग्राम शिला,
आये हरि अवध श्री राम।
भिड़े भगत विनु सोच समझ,
दुःखी अवध सिय राम।।
हरि प्रभु कृपा तैरे उदधि ,
शैलज मति मूढ़ अज्ञान।
कहाँ प्रभु ? कब व्याप्त नहीं?
को जानत जगत जहान ?
शैलज नीच भौतिक मति,
ज्ञान अहम् अज्ञान।
सजन कसाई तौले सदा,
भाव भगति सम्मान।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।