रविवार, 11 जुलाई 2021

प्रार्थना

' सर्व कल्याणकारी प्रार्थना '
......................................…..................
प्रियतम! स्वामी ! सुन्दरतम्! माधव ! हे सखा!  हमारे !
मिलती है , शान्ति -👌जगत में,केवल प्रभु ! तेरे सहारे ।।
तुम अमल धवल ज्योति हो, ज्योतित करते हो- जग को । 
स्रष्टा! पालक! संहर्ता ! तुम एक नियन्ता -जग के ।।
कैसे मैं तुझे पुकारूँ , जड़ हूँ, न ज्ञान -मुझको है ।
प्रभु एक सहारा -तुम हो,रखनी प्रभु लाज -तुझे है ।।
सर्वग्य! सम्प्रभु! माधव! तुम तो -त्रिकाल दर्शी हो ।
अन्तर्यामी! जगदीश्वर! तम-हर! भास्कर भास्कर हो ।।
मायापति! जन सुख दायक! तुम व्याप्त -चराचर में हो ।
हे अगुण! सगुण ! परमेश्वर! सर्वस्व हमारे -तुम हो ।।
आनन्दकन्द! करूणाकर! शशि-सूर्य नेत्र हैं -तेरे ।
तुम बसो अहर्निश प्रतिपल,प्रभु ! अभ्यन्तर में -मेरे ।।
तेरी ही दया कृपा से ,अन्न धन सर्वस्व मिला है ।
तेरी ममता इच्छा से ,यह जीवन कमल खिला है ।
उपहास किया कर ते हैं ,जग के प्राणी सब -मेरे ।
स्वीकार उन्हें करता हूँ , प्रेरणा मान सब -तेरे ।।
कर्त्तव्य किया न कभी मैं,प्रभु ! प्रबल पाप धोने का ।
जुट पाता नहीं मनोबल,प्रभु ! अहंकार खोने का ।।
बस, तिरस्कार पाता हूँ , यह पुरस्कार है- जग का ।
है बोध न मुझको कुछ भी, जगती का और नियति का ।।
यह जीवन चले शतायु, मंगलमय हो जग सारा ।
माधव ! चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा ।।
हे हरि ! दयानिधि! दिनकर! सब जग के तुम्हीं -सहारे ।
हम सब को प्रेम सिखाओ, हे प्रेमी परम हमारे ।।
हो बोध हमें जीवन का, कर्त्तव्य बोध हो सारा ।
अनुकरण योग्य प्रति पल हो, जीवन आदर्श हमारा ।।
ईर्ष्या ,माया,मत्सर का लव लेश नहीं हो हममें ।
धन, बल, विकास, काया का -सुन्दर विकास हो हममें ।।
सौहार्द, प्रेम भावों का प्रभु ! उत्स हृदय में फूटे ।
उत्तम् विचार राशि को,जगती जी भर कर लूटे ।।
सार्थक हो जग में जीवन, सार्थक हो प्रेम हमारा ।
माधव ! चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा ।।
:- प्रो० अवधेश कुमार 'शैलज', पचम्बा, बेगूसराय ।
(प्राचार्य सह विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान, एम.जे.जे.कालेज,एम.,बनवारीपुर,बेगूसराय।
(कालेज कोड : ८४०१४)

 
 

प्रार्थना

' सर्व कल्याणकारी प्रार्थना '
......................................…..................
प्रियतम! स्वामी ! सुन्दरतम्! माधव ! हे सखा !  हमारे !
मिलती है , शान्ति -👌जगत में, केवल प्रभु ! तेरे सहारे ।।१।।
तुम अमल धवल ज्योति हो, ज्योतित करते हो- जग को । 
स्रष्टा ! पालक ! संहर्ता ! तुम एक नियन्ता -जग के ।।२।।
कैसे मैं तुझे पुकारूँ , जड़ हूँ, न ज्ञान -मुझको है ।
प्रभु एक सहारा -तुम हो, रखनी प्रभु लाज -तुझे है ।।३।।
सर्वग्य! सम्प्रभु! माधव! तुम तो -त्रिकाल दर्शी हो ।
अन्तर्यामी ! जगदीश्वर ! तम-हर ! भास्कर भास्कर हो ।।४।।
मायापति ! जन सुख दायक ! तुम व्याप्त-चराचर में हो ।
हे अगुण ! सगुण ! परमेश्वर ! सर्वस्व हमारे -तुम हो ।।५।।
आनन्दकन्द ! करूणाकर ! शशि-सूर्य नेत्र हैं -तेरे ।
तुम बसो अहर्निश प्रतिपल, प्रभु ! अभ्यन्तर में -मेरे ।।६।।
तेरी ही दया कृपा से, अन्न धन सर्वस्व मिला है ।
तेरी ममता इच्छा से, यह जीवन कमल खिला है ।।७।।
उपहास किया करते हैं, जग के प्राणी सब -मेरे ।
स्वीकार उन्हें करता हूँ, प्रेरणा मान सब -तेरे ।।८।।
कर्त्तव्य किया न कभी मैं, प्रभु ! प्रबल पाप धोने का ।
जुट पाता नहीं मनोबल, प्रभु ! अहंकार खोने का ।।९।।
बस, तिरस्कार पाता हूँ, यह पुरस्कार है- जग का ।
है बोध न मुझको कुछ भी, जगती का और नियति का ।।१०।।
यह जीवन चले शतायु, मंगलमय हो जग सारा ।
माधव ! चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा ।।११।।
हे हरि ! दयानिधि ! दिनकर ! सब जग के तुम्हीं -सहारे ।
हम सब को प्रेम सिखाओ, हे प्रेमी परम हमारे ।।१२।।
हो बोध हमें जीवन का, कर्त्तव्य बोध हो सारा ।
अनुकरण योग्य प्रति पल हो, जीवन आदर्श हमारा ।।१३।।
ईर्ष्या, माया, मत्सर का लव लेश नहीं हो हममें ।
धन, बल, विकास, काया का -सुन्दर विकास हो हममें ।।१४।।
सौहार्द, प्रेम भावों का प्रभु ! उत्स हृदय में फूटे ।
उत्तम् विचार राशि को, जगती जी भर कर लूटे ।।१५।।
सार्थक हो जग में जीवन, सार्थक हो प्रेम हमारा ।
माधव ! चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा ।।१६।।


:- प्रो० अवधेश कुमार 'शैलज', पचम्बा, बेगूसराय ।
(सेवा निवृत्त प्राचार्य सह विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान, एम.जे.जे.कालेज,एम.,बनवारीपुर,बेगूसराय।
(कालेज कोड : ८४०१४)