गुरुवार, 30 नवंबर 2023

वैदेही अवध रामायणं

वैदेही अवध रामायणं :- अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

नमामि भक्त वत्सलं, श्री रामं अवधेशं।
द्वादश कला युक्तं प्रभु श्री रामावतारं।।१।।
धर्मार्थकाममुक्तिदं प्रभु, विष्णु जगदीश्वरं।
भजाम्यहम् अवधेशं, जगत् पाप मोचनं। २।।
कृतयुगेरेकदा श्री हरि दर्शनेन सुविचारं।
सनकादिक मुनिवरा: गताः विष्णुलोकं।। ३।।
द्वारपालौ बोध हीनं, न कृतं अतिथि सम्मानं।
प्रभु माया विस्तारं, द्वारपालौ प्राप्त शापं।। ४।।
जय-विजय द्वारपालादि शापोद्धार सेतु।
स्वीकारं कृतं नारदस्य श्रापं कल्याण हेतु।। ५।।
सतोगुणं रजोगुणं तमोगुणस्य मूलम्।
अनन्तं प्रणव ऊँ सर्वज्ञं समर्थं।।६।।
निराकारं आकारं , रंजनं निरंजनं।
निर्गुणं गुणं, सचराचरस्य मूलम्।।७।।
कर्त्ता त्रिलोकी देवासुर जनकं।
अव्यक्तं सुव्यक्तं, अबोधं सुबोधं।।८।।
प्रकृति पुरुषात्मकं कार्य कारणस्य मूलम्।
अर्धनारीश्वरं स्वयंभू अज विष्णु स्वरूपं।।९।।
ज्योति: प्रकाशं, नित्यं, चैतन्यं स्वरूपं।
तिमिर नाशकं, जीवनामृतं स्वरूपं।।१०।।
ताड़नं जड़त्वं, अहं मोहान्धकारं।
गगन ध्रुव शिशुमार चक्र स्वरूपं।।११।।
प्रभा श्रोत दीपस्य, अवतरणं अशेषं।
भास्करस्य भास्करं, श्री रामं रं स्वरूपं।।१२।।
कौसिल्या, कैकेयी, सुमित्रा सुपुत्रं ।
अवधेश दशरथ रघुकुल प्रदीपं।।१३।।
प्रसीदति अहैतुकी सज्जनानां भक्त्या।
सर्वस्य कारणं यस्य माया दुरत्यया।।१४।।
वरं श्राप भक्तस्य उद्धार हेतु।
अवतरति जगत धर्म कल्याण सेतु।।१५।।
प्रभु राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न समस्तं।
प्राकट्यं वभूव संस्थापनार्थं सुधर्मं।।१६।।
सानुजं गुरु विश्वामित्रेण सुसंगं,
मिथिला सिमरिया धामं प्रवासं।।१७।।
शिव धनु दधीचि अस्थि विशालं,
जनकी हेतु भंगं अकुर्वत पिनाकंं।।१८।।
स्वयंवरं विवाहं जनकात्मजा सुवेदं।
सहोदरं सवेदं निज शक्ति स्वरूपं।।१९।।
माण्डवी, श्रुतकीर्ति, उर्मिला सहर्षं।
अनुशीलनं जनकस्य, वशिष्ठ आदेशं।।२०।।
सृजनहार, पालन, समाहार कर्त्ता।
रामौ परशु आदौ देशकालस्वरूपं।।२१।।
नारद, जय-विजय, देवादि, भानु प्रतापस्य उद्धारं।
मनु शतरूपा प्रिय प्रभु अवध भारत भुवि अवतारं।।२२।।
माता कुल कैकेयी सप्रजा दशरथ अवधेशं।
हर्षितं राज्याभिषेकं रमापति रामं जगदीशं।।२३।।
शारदा मायापति विचारं, मंथरा कैकयी कूट सम्वादं।
देवार्थे अवधेश रथचक्रस्य कीलांगुलि वरं संस्मरणं।।२४।।
लोक जननी जन्म भूमिश्च हितार्थं, सवल्कल वने गमनं।
वैदेही शेषश्च रामानुशरणं, वियोगेन रं जनकस्य निधनं।।२५।।
प्रणार्थ प्राणेश भजनं, प्रणार्थ प्राण तजनं।
प्रणार्थ प्राणेश रंजनं, प्रणार्थ राज तजनं।।२६।।
भरतस्य हेतु पादुका, राज पद तजनं।
सुर नर जगत् हित लीला सुरचितम् ।।२७।।
नन्दी निवासं करणं, व्रती भरतस्य राज सुख तजनं।
सिंहासीनं प्रभु श्री राम चरणस्य पदुकादेशं सुपालनं।।२८।।
रक्षार्थ वचनं कुल शीलं समेतं, गतं वन उदासं कुलाचारं कुलीनं।
रक्षार्थ धर्मं, सुकर्मं प्रबोधं, असुरोद्धार हेतु विचरन्ति नर रूपं।। २९।।
जनकस्यादेशं पालकं, भव पालकं सुरेशं। 
मर्यादा पुरुषोत्तमम् रघुकुल भूषणं श्री रामं।३०।।
पद् नख नि:सृता यस्य सुर सरि श्रेष्ठ गंगा।
केवटस्याश्रितं भव केवट, तटे त्रिपथगा।।३१।।
चरण स्पर्श आतुर कुलिष कंटकादि।
शुचि सौम्य उदभिद् खग पशु नरादि।।३२।।          
पथ अवलोकति शबरी, जड़ अहिल्या।
उद्धारं कृतं शबरी, निर्मला अहिल्या।।३३।।
दर्शनं अत्रि ऋषि वर, सती संग सीता।
प्रभु मुग्ध रामानुज वैदेही विनीता।।३४।।
भव मोक्ष याचक जड़ भील मुनि वर।
विचरन्ति सर्वे असुर भय मुक्त सत्वर ।।३५।।
बधं ताड़कादि असुरगणं समस्तं।
कुर्वीतं श्री रामं शास्त्रोचितं पुनीतं।। ३६।।
गिरि वन सरित सर तटे निवास करणं।
योगानुशरणं, नित्यानुष्ठानादि करणं।। ३७।।
कन्दमूलफलपयौषधि प्रसाद ग्रहणं।
जल-वायु सेवनं, आश्रम धर्म विवेचनं।। ३८।।
चित्रकूटादि सुदर्शनं, सर्व धाम सुसेवनं।
सुजन सम्मान करणं, मदान्ध मद मर्दनं।। ३९।।
सूर्पनखा सौंदर्य वर्धनं, लक्ष्मण रामाकर्षणम्।
नासासौन्दर्य छेदनं, खरदूषणादि उन्मूलनम्।।४०।।
साष्टांग, ध्यान मग्नं प्रणत् सुर नर मुनीन्द्रं ।
यजयते स्त्री रुपं ऋषि कुमारा: षोडशं सहस्त्रं।।४१।।
स्वीकारं कृतं वरं राम भक्तंं सस्नेहं। 
भवामि प्रिया केशवस्य कृष्णावतारं ।४२।।
पावकं ऊँ रं राम शक्ति सीता निवासं।
वधं हेतु गतं राम मृगा स्वर्णिम मारीचं।।४३।।
मिथिलेश नंदिनी सीता वैदेही अम्बा।
रावणस्य कुलोद्धार हेतु गता द्वीप लंका।।४४।।
ब्राह्मणवेश रावणस्य कृतं सम्मानं।
दानं हेतु कृतं लक्ष्मण रेखाग्नि पारं।।४५।।
सहितं पंचवटी पर्णकुटी उदासं।
सानुज प्रभु सर्व लोकाधिवासं।।४६।।
वैदेही हरणं चराचर खग वन पशूनां।
पृच्छति सानुज सरित सर पर्वताणां।।४७।।
महेश्वरस्य सुवन्दनं राजकुमारौ स्वरूपं।
चकितं उमा माया पति माया जगदीशं।।४८।।
वैदेही स्वरूपा जगन्माता स्वरूपं।
वन्दिता भवानी हरि हर रूपं अनेकं ।।४९।।
स्त्री गुण प्रधानं निज सन्तति वात्सल्य सेतु।
स्वीकारं कृतं भवानी, भवेशं वृषकेतु।।५०।।
उमा भवानी त्र्यम्बिके प्रजापति दुहिता।
पतिव्रता भवानी, जगन्माता स्वरुपा।।५१।।
व्यथिता भवानी देवादि स्थानं भवेश रहितं।
उमा आहूति करणं, शिव रौद्र शक्ति सहितं ।।५२।।
अष्टोत्तरशतं शक्ति पीठं संस्थापनं।
भवं भवानी कृपा लोकहित कारकं।।५३।।
वरणं हरं मैना सुता शैलजा सुख कारकं।
पाणिग्रहणाख्यानमिदं सर्व मंगल कारकं।।५४।।
वैदेही पूज्या भवानी वैदेही वरदायिनी।
माता सर्व लोकस्य त्रिविध ताप हारिणी।।५५।।
मिथिलेश नन्दिनी जानकी जगन्माता अम्बा।
त्रिविध ताप नाशिनी वैदेही सीता जगदम्बा।।५६।।
सीता हित विकल विधि त्रिभुवन पति लक्ष्मी रमणं।
बालि बध, सुग्रीव सहायं, किष्किंधा पावन करणं।।५७।।
सीता सुधिदं, सम्पाती मिलनं, जटायु संग्राम करणं।
सुग्रीव सहायं, नल नील सेतु, सागर पथ प्रदानं।।५८।।
असुर विभीषण रहित सर्वे सशंका।
त्रिजटा करोति वैैदेेही सेवा नि:शंका।।५९।।
शरणागत दीनार्त त्रिविध ताप हारं।
राजीव लोचनस्य रामेश्वरानुष्ठानं।।६०।।
जामबन्त अंगद वन्य बासिन: समस्तं।
समर्पित सशरीरं सुकाजं समीपं।।६१।।
लंकेश विभीषण अनुग्रह श्री रामंं।
सहायं कपीशं भू आकाशं पातालं।।६२।।
पातालं गता: पद स्पर्शात् पर्वताणि।
छाया ग्रह दम्भ हननं समुद्र मध्याणि।।६३।।
द्विगुण विस्तारं, मुख कर्णे निकासं।
अहिन अम्बा सुरसा परीक्षा कृत पारं।।६४।। 
लंका प्रवेश द्वारे लंकिनी निवासं।
राम दूतं बधे तेन मुष्टिका प्रहारं।। ६५।।
सूचकं लंकोद्धारं, लंकिनी उदघोषं।
असुर संहारं हेतुमिदं श्री रामावतारं।।६६।।
उल्लंघ्यं समुद्रं, लंका प्रवेशं।
हरि भक्त विभीषण सम्वादं।।६७।।
लंका सुदर्शनं, अशोक शोक हरणं।
मुद्रिका रं दर्शनं, वैदेही शोक हरणं।।६८।।
वने फल भक्षणं, निज प्रकृति रक्षणं।
राक्षस दल दलनं, रावणस्य मद मर्दनं।६९।।
राज धर्मानुसरणं, ब्रह्म पाश सम्मानं।
पुच्छ विस्तरणं, घृत, तैल वस्त्र हरणं।।७०।।
हरि माया करणं, कपि पुच्छ दहनं।
निज रक्षणं, स्वर्णपुरी लंका दहनं।।७१।।
अंगद पदारोपणं, असुर सामर्थ्य दोहनं।
विभीषण पद दलनं, मंदोदरी नीति हननं।।७२।।
कुम्भकर्ण मेघनादादि संहरणं।
अहिरावणादि विनाश करणं।।७३।।
देवादि ग्रह कष्ट हरणं, रावणोद्धार करणं।
विद्वत् सम्मान करणं, राज धर्मानुशरणं।।७४।।
अष्ट सिद्धि, नव निधि निधानं।
बुद्धि, बल, ब्रह्मचर्य, ज्ञान धामं।
जगत प्रत्यक्ष देवं, सकल सिद्धि दायकं।
चिरायु, राम भक्तं, हनुमान सुखदायकं।।७६।।
हनुमानं संस्मरे नित्यं आयु आरोग्य विवर्धनम्।
त्रिविध ताप हरणं, अध्यात्म ज्योति प्रदायकम्।।७७।।

शंकर पवन सुतं, अंजना केसरी नन्दनं।
रावण मद मर्दनं, जानकी शोक भंजनं ।।७८।।
श्री राम भक्तं, चिरायु, भानु सुग्रासं।
हृदये वसति रामं लोकाभिरामं।।७९।।
एको अहं पूर्णं , वेद सौरं प्रमाणं।
रघुनाथस्य वचनं, भरतस्य ध्यानं।।८०।।
जलज वनपशु खग गोकुल नराणां।
सरयू प्रसन्ना, भूपति, दिव्यांगनानां।।८१।।
आलोकितं पथ, नगर, ग्राम, कुंज, वन सर्वं।
प्रज्वलितं सस्नेहं दीप, कुटी भवनंं समस्त्तं।।८२।।
गुरू चरण पादुका राज प्रजा प्रतीकं।
दर्शनोत्सुकं सर्वे  सीता राम पदाम्बुजं।।८३।।
नैयायिक समदर्शी प्रभु श्री चरणं।
भव भय हरणं, सुख समृद्धि करणं।।८४।।
आचारादर्श धर्म गुण शील धनं।
सूर्य वंशी सत्पथ रत निरतं ।।८५।।
जनहित दारा सुत सत्ता तजनं।
लीला कुर्वन्ति लक्ष्मी रमणं।।८६।।
शुचि सत्य सनातन पथ गमनं।
शिव राम कृपा दुर्लभ सुलभं।।८७।।
दीपावल्याख्यानं तमान्तस् हरणं।
दलनं राक्षसत्वं, रक्षक गुण भरणं।।८८।।
आदौ महाकाव्यं वाल्मीकि ऋषि रचितं।
क्रौंचस्य वियोगाहत कृतं राम चरितं।।८९।।
चरितं सुरचितं निज भाषानुरूपं।
निज भावानुरूपं रावणं राम काव्यं।।९०।।
संस्कृत सुगूढ़ं, अवधी सुलब्धं।
दनुज व्यूह त्रसितं कृते तदर्थेकं।।९१।।
सत्यं शिवं सुन्दरं श्री राम चरितं।
भरद्वाज कथनं, गोस्वामी रचितं।।९२।।
कथा सज्जनानां अवतार हेतु।
आगमनस्य रघुकुल साकेत धामं।।९३।।
वैष्णवी तपस्या, अवतार कल्कि,
गाथा सुदिव्यं जग कल्याण हेतु।।९४।।
एकासनवर्धनं गुण शीलंं प्रकृति दिव्यं,
हर्षितं दर्शितं अवध पुष्पक विमानं।।९५।।
रजकस्यारोपं वैदेही वने प्रवासं।
ऋषि सुता चरितं, वाल्मीकि शरणं।।९६।।
अश्वमेध यज्ञस्य हय विजय करणं।
सीता सुत लव कुश संग्राम करणं।।९७।।
श्री राम राज्यं समत्वं योग वर्धनं।
प्रजा सुपालनं त्रिविध ताप हरणं।।९८।।
सुता हेतु धरित्री हृदय विदीर्णं।
सीतया धरा अर्पणं निज शरीरं।।९९।।
सीता वसुधा, प्रभु सरयू शरणं।
शेषावतार सहर्ष सत् पथ गमनं।।१००।।
अवधेश गतं साकेत शुभम्।
सप्रजा साकेत अवध सहितं।।१०१।।
शुचि कथा उमाशंकर पावन।
कैलाश कपोत युगल सहितं।।१०२।।
खग काक भुषुण्डि शिव श्राप हरं।
गुरु कृपा श्री राम भव पाप हरं।।१०३।।
रामायण अवध अवधेश कृतं।
मन मोद धाम शुभदं सुखदं।।१०४।।
भारत बिहार जम्बूद्वीपं।
नयागाँव पचम्बा सुसंगम्।।१०५।।
ब्राह्मण भारद्वाज गोत्र कुलं।
जातक शैलजा राजेन्द्र सुतं।।१०६।।
आख्यान रचित शैलज अनुपम।
निज ज्ञान विवेक सहित अल्पम्।।१०७।।
सप्रेम रामायणमिदं पठनं।
आतप त्रयताप हरं सुखदं।।१०८।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

शुभ संवत् २०७६-२०७७ की दीपावली के शुभ अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम एवं मिथिलेश नन्दिनी जगत् जननी माँ सीता जी की प्रेरणा एवं कृपा से १०८ शलोकों वाला प्रस्तुत "वैदेही अवध रामायणं " की रचना १०४ श्लोकों वाले "अवध रामायणं" के रूप में हुई जो दिनांक ०५/०८/२०२० तदनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वितीया बुधवार को श्री राम जी के जन्म काल सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त अभिजित मुहूर्त्त के दिव्य एवं मांगलिक अवसर पर भगवत्कृपा से १०४ श्लोकों वाला "अवध रामायणं" १०८ श्लोकों वाला "वैदेही अवध रामायणं" के रूप में पूर्ण हुआ जिसका यह अद्यतन संशोधित रूप प्रस्तुत किया जा रहा है। देव भाषा संस्कृत, साहित्यानुराग, इष्ट भक्ति -भाव एवं कथा-बोध के अभाव में हुई भूल हेतु अन्यथा भाव न लेंगे और क्षमा करेंगे।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।


गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

शैलज मूरख समझे नहीं

शैलज मूरख समझे नहीं, 
 परहित, निजहित बात। 
संगति दोष, भ्रम, मोह वश, 
निशिदिन पावे दु:ख,घात।।

शैलज मूरख समझे नहीं

शैलज मूरख समझे नहीं, 
निजहित अनहित बात। 
संगति दोष, भ्रम, मोह वश, 
निशिदिन पावे दु:ख,घात।।

शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2023

Basis of determination of Swadoya and Bhav Ascendant in astrology:-

Basis of determination of Swadoya and Bhav Ascendant in astrology:-
 According to Swadoya opinion, there is variation in the value or duration of all Meshadhi ascendants, but according to Bhava opinion, the values ​​of all ascendants are equal.  On earth there is a 24-hour day or night.  The Earth rotates on its axis once during this period, hence the constellation, star or zodiac sign located in front of any fixed point or place on the Earth comes into view again only after 24 hours, hence the value of all the 12 zodiac signs will be equal because  According to the Swadoya Lagna value, the Anshaadi value of all the 12 zodiac signs is considered to be 30 degrees or degrees only, whereas the Ghantaadi value of those 12 zodiac signs is said to be different from each other.  Thus, discrepancy is found in the Ghantaadi and Anshaadi values ​​of Swadoya Lagna, but the Anshaadi values ​​of each sign of Bhava Lagna are 30, so the Ghantaadi values ​​are of 2 hours, Maharishi Parashar ji has also approved this Bhava Lagna, as a result Bhava Lagna  Anomaly free, valid, reliable and acceptable in all respects.  Astrologer Kamlakar Bhatt has addressed those who do not believe in Bhava Lagna but believe in Swadoya Lagna as the blind people following the blind in Lagna Vivek.  Therefore, instead of Swadoya Lagna, Bhava Lagna should be used by all the learned astrologers for the welfare of the world in mathematics and astrology or other disciplines.

ज्योतिष में स्वोदय एवं भाव लग्न निर्धारण के आधार :-

ज्योतिष में स्वोदय एवं भाव लग्न निर्धारण के आधार :-
स्वोदय मतानुसार मेषादि सभी लग्नों के मान या अवधि में भिन्नता रहती है, लेकिन भाव मतानुसार सभी लग्नों के मान बराबर होते हैं। पृथ्वी पर २४ घंटे का सावन दिन या अहोरात्र होता है। पृथ्वी इस अवधि में एक बार अपने अक्ष पर घूम जाती है, अतः पृथ्वी के किसी भी निश्चित विन्दु या स्थान के सामने खगोल स्थित नक्षत्र, तारे या राशि पुनः २४ घंटे के बाद ही सामने आता है, इसलिए सभी १२ राशियों का मान बराबर होगा क्योंकि सभी १२ राशियों का अंशादि मान स्वोदय लग्न मान के अनुसार भी ३० अंशों या डिग्री का ही माना जाता है‌, जबकि उन १२ राशियों का घंटादि मान परस्पर भिन्न बताया गया है। इस प्रकार स्वोदय लग्न के घंटादि तथा अंशादि मान में विसंगति पायी जाती है, लेकिन भाव लग्नों के हर राशियों अंशादि मान ३० हैं, तो घंटादि मान २ घंटे के हैं, महर्षि पराशर जी ने भी इस भाव लग्न को मान्यता दी है, फलस्वरूप भाव लग्न विसंगति रहित, वैध, विश्वसनीय और हर तरह से स्वीकार्य है‌। भाव लग्न को नहीं मानकर स्वोदय लग्न को मानने वाले को ज्योतिर्विद कमलाकर भट्ट ने लग्न विवेक में अन्धों के पीछे चलने वाले अन्धों से सम्बोधित किया है। अतः स्वोदय लग्न के स्थान पर भाव लग्न का ही सभी विद्वान ज्योतिर्विदों द्वारा गणित एवं फलित ज्योतिष या अन्य विधाओं में विश्व कल्याणार्थ उपयोग में लाना चाहिए।

शनिवार, 30 सितंबर 2023

Dengue fiver :’

'Dengue fiver या किसी भी तरह के ज्वर के लिए फेरम फॉस 6 x उपयोगी औषधि है। 
Dengue ज्वर में सामान्यतः इपिटोरियम पर्फ 30 शक्ति का उपयोग किया जाता है, परन्तु होमियोपैथिक सिद्धांत के अनुसार किसी भी रोग की चिकित्सा रोगी की मनोशारीरिक स्थिति और औषधि की प्रकृति के अनुसार रोगी और औषधि के लक्ष्णों की समानता के आधार पर किया जाना निर्दोष आरोग्य हेतु समुचित कदम है।

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मंगलवार, 19 सितंबर 2023

बुधवार, 13 सितंबर 2023

शैलज विधि के लेख में

शैलज विधि के लेख में, 
सदा करम की छूट। 
जो ऐसो नहीं होय तो, 
होवें उपाय सब झूठ।।

बुधवार, 21 जून 2023

मित्रों चलो, चलें घूमने .....

 मित्रों चलो, चलें घूमने ....
अपने दिव्य बिहार में।
बोध गया में जहाँ तथागत्,
पाया बुद्धत्व सिद्धार्थ ने।
नालन्दा भग्नावशेष यह,
विश्व गुरु भारत का केन्द्र था।
बख्तियार खिलजी ने जलाया,
ज्ञान ग्रन्थ का केन्द्र था।
बेगूसराय मंझौल सन्निकट,
काँवर झील पक्षी विहार।

माँ जयमंगला का मंदिर है।
पाटलिपुत्र राजधानी इसकी,
पाटन देवी जहाँ अवस्थित हैं।
राँची जिसे भुला नहीं सकते,
जो झारखण्ड में स्थित है।
भागलपुर सिल्क की नगरी,
विक्रमशिला योग गुरु धाम है।
जाह्नवी सुरसरि गंगा तट पर,
मिथिला की सिमरिया धाम है।
यह महाकुम्भ की प्रथम भूमि,
यह उदधि मन्थन का धाम है।
यहीं मन्दार सुमेरु बासुकि संग,
देवासुर गरल सुधा रत्न पाए।
है यही लिच्छवी गणतंत्र मूल,
भारत माँ स्वतंत्रता संबल पाए।
अंग कर्ण दानवीर की धरती,
दिनकर मंडन श्री कृष्ण धाम।
उगना शिव कृपा स्थली यहीं,
विद्यापति शिव गंगा प्रीति जहाँ।
यह शेष बिहार अवशेष असीम,
उत्कृष्ट सभ्यता संस्कृति प्रदा।
मुनि जैन तीर्थंकर महावीर और
सनातन संस्कृति पथ बोध यहाँ।
भारत का है हृदय बिहार,
अब मध्यप्रदेश को जाना है।
भीम बेटका, राजा भोज स्मृति शेष,
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर है।
कालीदास की जन्मभूमि पावन,
सोन नदी का उद्गम स्थल है।
मित्रों चलो चलें घूमने........…।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।





शनिवार, 17 जून 2023

आओ मित्रों ! चलें घूमने, अपने देश औ प्रान्त में।

आओ मित्रों ! चलें घूमने, अपने देश के प्रान्त में।
सप्त अश्व अरुण संचालित पूर्व दिशा में रश्मि रथ पर,
दिनकर रवि आदित्य भास्कर सविता सूरज संग बैठे हैं।
गिरि वन कुंज तड़ाग सरित सर झील उदधि पनघट पर,
मुक्त अलि पंकज प्रकोष्ठ से गुंजन करते खग कुल संग।।
ईश्वर दर्शन करें ईशान में; त्र्यम्बिके, हरि, हर, केशव का,
वेद, पुराण, उपनिषद् संग सत्वर, ऋषि मुनि निर्देशक हैं।
आओ मित्रों ! चलें घूमने, अपने देश और प्रान्त में।
जम्बूद्वीप के भरत खण्ड में सिन्धु हृदय अनुपम बिहार में,
जहाँ उदधि मन्थन से प्रकटे चौदह रत्न गरल अमृत संग। 
मन्दार सुमेरु बासुकि सुसंग देवासुर प्रयत्न विधि हरि प्रसन्न,
शिव शंकर भोले हर नील कण्ठ ने किया प्रेम से गरल पान ।।
हरि मोहिनी अमृत घट लेकर चल पड़े मिथिला सीमान्त गाँव,
भागीरथी जाह्नवी सुरसरि गंगा तट जहाँ सुधा सिक्त हुई धरा

तट जहाँ सुधा सिक्त हुई धरा 




गुरुवार, 1 जून 2023

Anacardium Orientale

Antidote to poison oak and ivy.
Sensation of plug.
Great emptiness in the stomach with weakness and irritability.
Better after eating.
Eating temporarily relieves all discomfort.
Headache worse by mental exertion, better by eating.
Contraction of joints.
Fear of examinations.
Mental disorders.
Brain fatigue.
Nervous exhaustion from over study.
Lack of confidence.
Absent minded.
Bad memory.
Forgetful ness makes her low-spirited.
Very easily offended.
Tendency to use foul, violent language.
Curse, swear and blaspheme.
Manic dipression.
Victims of verbal, physical and sexual abuse.
Ailments from humiliation, punishments.
Schizophrenia.
Religious mania.
Contradictory impulses.
Hears voices.
Fixed ideas and delusions.
Delusions that a demon and an angel sit on his shoulders telling him offensive or good things.
Feels as if he had two wills, one commending him to do what the other forbids.
Pain as if dull plug were pressed into intestines.
Causation:- Abuse, verbal, physical and sexual.
Humiliation.
Objects appear too far off.
Loss of appetite.
Thirst during fever.
Headache worse by mental exertion, better by eating.
Pressing pain as from a plug.
Better from eating.
Worse from mental exertion.
Worse from abuse and mortification.
Sense of smell perverted.
Rectum seems power less.
Ineffectual urging or desire.
Rectum as if plugged.
Itching of anus.
Moisture from rectum.
Intense itching.
Eruption like that of poison oak.
Vesicular eruption, swelling.
Empty feeling in stomach.
Eating relieves dyspepsia.





बुधवार, 17 मई 2023

विचार मंथन:-

अपने कर्त्तव्य के प्रति निष्ठा, अपनी क्षमता का बोध, अपना मनो-शारीरिक हित साधन, लोक हित की भावना, सज्जनों के प्रति श्रद्धा, गुरु जनों के प्रति सम्मान, सबके लिए समान प्रेम भाव और ईश्वर में आस्था, विश्वास एवं समर्पण मानव धर्म है।

Loyalty to one's duty, realization of one's capability, one's psycho-physical well-being, sense of public interest, reverence for gentlemen, respect for teachers, equal love for all and faith, belief and dedication in God is human religion.  .

मंगलवार, 2 मई 2023

श्रद्धा - विश्वास

श्रद्धा नारी आदि शक्ति, विश्वास नरोत्तम शिव हैं।
शिव शक्ति संगम से, विकसित जग जीवन है।

मंगलवार, 25 अप्रैल 2023

गांधी

गांधी :- डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज ,पचम्बा, बेगूसराय।

गाँधी मानव नहीं, वे अतिमानव कहलाते थे।
अवसर को पहचान, सदा नीति अपनाते थे।।
गाँधी मानव आम नहीं, साधक नीतिज्ञ विद्वान् थे।
जन-जन में घुल मिल जाने के कलाकार महान् थे।।
कूटनीतिज्ञ, लक्ष्योन्मुख गांधी बापू जिनके नाम थे।
मोहनदास करमचंद गांधी उनके असली नाम थे।।
भारत के शोषित पीड़ित जन सदियों से परेशान थे।
अठारह सौ सनतावन से हो रहे वे वलिदान थे।।
मंगल पाण्डेय स्वतंत्रता आन्दोलन के उद्घोषक थे।
इन्हें संभाला गांधी ने भी सरल हिन्द जन पोषक थे।।
काले गोरों यवनों की निष्ठा में आदर्श महान् थे।
कोई उनके प्रबल समर्थक, किन्हीं हेतु बेकाम थे।।
आयत क़ुरान पढ़ते मन्दिर में ऐसे वे इन्सान थे।
अल्ला ईश्वर एक बताते, वे नेता कुशल महान् थे ।।
ए एच ह्यूम, ऐनी बेसेंट के काँग्रेस के वे जान थे।
गोलमेज के सम्मेलन में भारत की पहचान थे।।
गाँधी मानव नहीं, वरन् खादी में लिपटे पुतले थे।
अंग्रेजों के संग असहयोग आंदोलन को निकले थे।।
चरखा चश्मा घड़ी छड़ी बकरी छकरी ही सहारा था।
नेहरू जैसे युवा वर्ग और कन्या का संग सहारा था।।
सत्य न्याय के चलते अपनों से वैर उन्होंने साधा था।
शब्द कोष परिभाषा अपनी, नीति दर्शन न आधा था।।
चलते थे त्याग गरम पथ को, उन्हें नरम पथ न्यारा था।
सौंपा हिन्दूस्थान बहुल जन , उन्हें यवन मत  प्यारा था।।
नमक हेतु सच आग्रह कर, सैन्धव रस अमृत त्यागा था।
जूट मशीन पाक को, लेकिन भारत हित चरखा मांगा था।।
तज सुभाष, आजाद हिन्द को, शूली पर भगत चढ़ाया था।
विश्वयुद्ध में ब्रिटिश हित बापू ने वीरों की बलि चढ़ाया था।।
गाँधी मानव ही नहीं, दानवों के संग रहने वाले साधक थे।
अंग्रेजों की नीति ज्ञाता, बापू हर उभय पक्ष के गायक थे।।
राष्ट्रपिता गाँधी भारत के चीर हरण के साक्षी नायक थे।
कहते हैं महात्मा गांधी भारत के एक मात्र उन्नायक थे।।
अस्त्र शस्त्र से हीन महात्मा अन्न जल त्यागी मौनी थे।
अगम निगम जानते थे सब कुछ, राजनीतिक ज्ञानी थे।।
पोरबंदर दीवान पुत्र, वैरिस्टर धर्म निभाते थे।
कुछ भी हो जाए, लेकिन वे कभी नहीं घबराते थे।।
दक्षिण अफ्रीका के तमाचे का गोरों को सबक सिखलाया था।
वेद पुराण उपनिषद् विज्ञ ने बुद्ध मार्ग अपनाया था।।
सत्ता से थे दूर, मगर सत्ता की राह दिखाते थे।
काँग्रेस बदनाम न हो, रीति नीति बताते थे।।
कहते गोडसे ने छलनी की या उन्हें अन्य ने गोली मारा था।
मरते समय लेकिन गाँधी ने श्री राम का नाम पुकारा था।।
राम नाम सत्य हो गया है उनका, बकरी बलि का प्यारा है।
चरखा खादी छाप हो गया, घड़ी छड़ी का नहीं सहारा है।।
आम लोग सिर झाड़ू दीखता औ टोपी गंदा बेचारा है।
लाठी उनकी तेल पी रही, आश्रम सूना अंधियारा है।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज ,पचम्बा, बेगूसराय।


सोमवार, 17 अप्रैल 2023

Marriage :-

"Whether marriage is sanctioned by law or religion or not, yet marriage is a permanent sexual relationship in the biological sense and to some extent in the social sense." :- The Psychology of sex (sexual psychology) Original author:- Havelock Ellis  (1938), Translator:- Manmath Nath Gupta (2008), Rajpal & Sons (Publication).

रविवार, 9 अप्रैल 2023

शैलज दोहावली भाग ५

शैलज आया धरा पर,
समय करम गति लेख।
खोया पाया परम पद,
सत् जग अनुभव देख।।

श्रद्धा नारी आदि शक्ति, विश्वास नरोत्तम शिव हैं।
शिव शक्ति संगम से, विकसित जग जीवन है।

शैलज लोक-परलोक हित, 
देश-काल-पात्र अनुसार। 
नारी-नर जग पूज्य नित, 
जिनके सम्यक् व्यवहार।।

शनिवार, 25 मार्च 2023

आधुनिक मानव :

आधुनिक मानव :-

मानव का है रुप सलोना,
मानवता है पर शेष नहीं।
धर्म कर्म जीवन दर्शन का,
समझ और परवाह नहीं।।

नीच असभ्य अधर्मी अपराधी,
इनका अपना कोई देश नहीं।।
खानाबदोश-सा रहते, खाते,
इनको कोई अफसोस नहीं।। 

पाप छिपाये छिप नहीं पाता,
ढ़ीठ, कुकर्मी, विवेक नहीं।
घृणा पशु सब करते इनसे,
आदमखोर, अफसोस नहीं।।

अज्ञानी हैं, पर करते हैं,
सदा ज्ञान की बात है ये।
रहते जहाँ, उसे ही करते,
सदा नष्ट औ भ्रष्ट ही ये।।

मारो-काटो, तोड़ो-जोड़ो,
नारा इनकी, सीख है ये।
उत्तम पथ से घृणा इन्हें है,
चाटुकार, पथभ्रष्ट हैं ये।।

धन,बल,पद,मद,लीन स्वार्थ,
सदा मांगते भीख हैं ये।
राजनीति के कुटिल खिलाड़ी,
भ्रष्टाचार की पीठ हैं ये।।

डॉ प्रो अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

रविवार, 12 मार्च 2023

सर्व धर्म प्रार्थना

 श्री गणेशाय नमः।


सर्व धर्म प्रार्थना


ऊँ कारेश्वरं नमस्तुभ्यं सर्व कल्याणकारकम्।

"अम्ब अक्क अल्ला ह्रंरच:" पाणिनि सुदर्शितम्।।

निर्गुणंं सगुणं सनातनस्य, अवतरणं धर्म दर्शनं।

पश्चिमाभिमुख संस्थिते रहमान अव्यक्त रुपिणं।।

क्रिश्चनस्य गॉड ईसा बाईबिल सुवर्णितम्।

वेद पुराण सुग्रंथ कथितं दयालु समदर्शिनः।।

पूर्णं, सर्वज्ञं, सर्वव्यापी, समर्थं, सर्वधर्म प्रवर्तकम् ।

व्यक्ताव्यक्तं जगदाधारं सृजन मोक्ष प्रदायकम्।।

सच्चिदानन्दं त्रिकालज्ञं त्रिविध ताप विमोचनं।

प्रकृति पुरूषात्मकं स्वयंभू प्रभु भक्त वत्सलं।।

अर्द्ध नारीश्वरं शक्ति, विधि, हरि, हर सुपूजितं।

आयुर्विद्यायशबल नियन्ता, भोग योग वर प्रदायकं।

अन्तर्यामी शैलज स्वामी, कीर्त्ति आरोग्य सुखदायकं।।


चन्द्रयान २ की यात्रा-कथा : ज्योतिष प्रेमी डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

चन्द्रयान २ की यात्रा-कथा की बधाई

इसरो प्रमुख के.शिवम् ने लाइव न्यूज (9:25 p.m.) को बताया कि " हम विक्रम लैंडर से सम्पर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं, कुल मिला कर चन्द्र यान २ मिशन १०० % सफलता के बहुत करीब है। " इसके लिए ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी शक्तियों को तथा मुख्य रूप से इसरो के समस्त वैज्ञानिकों, वहाँ सभी कर्मचारियों, इसरो चीफ के. शिवम्, भारत-सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों, प्रधानमंत्री मोदी जी, विश्व पर शासन नहीं करने और आम लोगों को नहीं भटकाने वाले पत्रकारों एवं नेताओं को साथ ही इसरो के इस महत्त्वपूर्ण, ऐतिहासिक एवं साहसिक कार्यक्रम के सम्पादन संलग्न वैज्ञानिकों तथा कर्मचारियों का उत्साह वर्धन करनेवाले भारत एवं विश्व के जन-जन को हार्दिक बधाई।

बन्धुवर, इसरो का चन्द्र यान २ से सम्पर्क टूटने की जानकारी के बाद ज्योतिष में रुचि के कारण मैंने चन्द्रयान-२ रॉकेट दिनांक २२/०७/२०१९ के २/४३ बजे दिन में इसरो द्वारा चन्द्रमा के दक्षिणी भाग में अध्ययन के लिए श्रीहरिकोटा (अक्षांश १३.७३३१ डिग्री उत्तर, देशांतर ८०.२०४७ डिग्री पूर्व) से भेजा गया था इस आधार पर ज्योतिषीय अध्ययन किया जिसके अनुसार चन्द्र यान २ श्रावण कृष्ण षष्ठी सोमवार में बृश्चिक लग्न में लग्नस्थ गुरु (किं कुर्वन्ति ग्रहाः सर्वे यस्य केन्द्रे बृहस्पति:) जैसे शुभद् योग के समय में चन्द्र के लिए भेजा गया था और संयोग से यान भेजते समय युवा और प्रौढ़ वक्र काल के प्रभाव वाली स्थिति थी,जो किसी भी कार्य हेतु विलम्ब और कुछ कठिनाई का भी द्योतक था, परन्तु स्मरणीय है कि श्रावण माह में वक्र काल के समय में भी किये गये कार्यों में भी सफलता मिलने की सम्भावना बहुत अधिक रहती है।हलांकि वैज्ञानिक इसे नहीं मानते हैं, परन्तु ज्योतिष, योग और आध्यात्म भी बहुत महत्त्वपूर्ण विज्ञान है, और आधुनिक विज्ञान का आधार है। ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से विभिन्न तरह की शुभाशुभ सम्भावनाओं का बोध होता है और इस सृष्टि के रचयिता, पालन कर्त्ता एवं संहर्ता ईश्वर की कृपा से समस्याओं का समाधान होता है। शुभ सम्भावनाओं के बोध से हमारा आत्मबल एवं मनोबल बढ़ता है और हमें अपने आपको को सही मार्ग पर चलते हुए महसूस करते हैं तथा भविष्य में और भी मेहनत कर अपने को सफल बनाने का प्रयास करते हैं, इसी प्रकार अशुभ सम्भावनाओं का बोध होने पर हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किये जा रहे कार्यक्रमों की कमियों की सम्भावनाओं के शोधपूर्ण अध्ययन करने और उत्तम उपलब्धि के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने का अवसर मिल जाता है और/या सम्यक् शास्त्रीय उपचारों से समस्याओं के सम्यक् समाधान का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।

वास्तव में हमारा रचनात्मक एवं सकारात्मक प्रयास एवं दृष्टिकोण ही हमारी हर समस्याओं के समाधान का मूल मंत्र है।

बताया जाता है कि इसरो का सम्पर्क चन्द्रयान २ चन्द्रमा की सतह से मात्र २.१ किलोमीटर दूर रहने के पूर्व किसी कारण से सम्प्रति टूट गया है । ज्योतिर्गणित के अनुसार चन्द्रयान २ पर शनि के कारण धूल कणों और शुक्र के कारण आर्द्रता से यान का उर्जा क्षेत्र प्रभावित हुआ फलस्वरूप यान की मशीनरी प्रभावित हुई और यान से इसरो का सम्पर्क टूट गया, परन्तु उस समय जब इसरो के सभी वैज्ञानिक, इसरो चीफ के.शिवम् ,भारत और विश्व के सभी लोग,सभी पत्रकार एवं मीडिया कर्मी समुचित परिणाम नहीं पा सकने से निराश हो चुके थे, प्रधानमंत्री मंत्री महोदय ने उस समय खुद भी साहस जुटाया और इसरो के चीफ के.शिवम् सहित वैज्ञानिकों एवं आम लोगों को भी चन्द्र यान २ द्वारा चन्द्रमा से मात्र २.१ किलोमीटर दूर तक पहुँच जाने के लिए बधाई दी और अगली तैयारी अर्थात् चन्द्र यान ३ के लिए इसरो को पहल करने का संकेत दिया, परन्तु मैंने इस तथ्य को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किया था कि "वैज्ञानिकों द्वारा चन्द्रयान २ से सम्पर्क टूटने के कारणों की संभावनाओं पर यदि शोध पूर्ण अध्ययन जारी रहेगा तो चन्द्र यान २ सम्पर्क टूटने के रहस्यों का सूत्र अनुसंधानकर्ताओं को सम्पर्क टूटने के क्रमशः १ घंटा १२ मिनट के बाद तथा १, ३ एवं ७ दिन की अवधि में प्राप्त होने की सम्भावना है। इसरो द्वारा इस महत्वपूर्ण शोध कार्य में सम्यक् योगदान से एक वर्ष के अन्दर वैज्ञानिकों को अन्तरिक्ष के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान प्राप्त होगा।

वास्तव में विज्ञान के क्षेत्र में विशिष्ट, सतर्क एवं सही शोध- पूर्ण अध्ययन तथा संयमित प्रयोग के बाद भी यदि अपेक्षित परिणाम या उपलब्धि प्राप्त नहीं हो पाती है, तो भी हमें धैर्य पूर्वक पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, जो भविष्य में सफलता का मार्ग अवश्य प्रशस्त करता है।

शुभमस्तु।"

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
(त्रिस्कन्ध ज्योतिष सम्मेलन, ऋषिकेश द्वारा "ज्योतिष-प्रेमी" की उपाधि से सम्मानित।) 

भारत के चन्द्र यान- 2 के चन्द्रमा पर अवतरण (Landing) के सन्दर्भ में इसरो को अपेक्षित सफलता का नहीं मिलना मेरी दृष्टि में इसरो में संभवतः यान प्रौद्योगिकी सम्बन्धी किसी आत्मनिर्भरता और/आत्मोत्साह की कमी थी जिसे इसरो प्रमुख के सिवन ने संभवतः चन्द्र यान - 2 के सफल लैंडिंग में हुई बाधा के बाद में अनुभव किया और भारत सरकार एवं विश्व जन-जन को आश्वस्त करने का प्रयास किया कि चन्द्र यान - 2 के सन्दर्भ में भारत अपने स्तर से खोज करने या निर्णय लेने में सक्षम है।

चन्द्रयान 2 की यात्रा-कथा (क्रमशः) : प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

चन्द्रयान 2 के सन्दर्भ में दिनांक 07/09/2019 को मैंने मनोविज्ञान के छात्र होने के बावजूद ज्ञान-विज्ञान सम्बन्धी अपने अल्प ज्ञान के बाद भी ज्योतिष-प्रेमी होने के कारण अपने सामान्य ज्योतिषीय अध्ययन एवं अनुभवों के आधार पर इसरो से सम्पर्क टूटने के सम्बन्ध में शनि के प्रभाव से धूल कणों एवं शुक्र के प्रभाव से आर्द्रता के कारण चन्द्रयान 2 के उर्जा क्षेत्र का प्रभावित होना बताया था और चन्द्रयान 2 का इसरो से सम्पर्क टूटने के बाद इसरो को इस सन्दर्भ में 1घंटा 12 मिनट के बाद और इसी तरह 1 दिन, 3 दिनों तथा 7 दिनों के अन्तराल में चन्द्र यान 2 के सम्बन्ध में जानकारी मिलने की चर्चा की थी साथ ही दिनांक 09/09/2019 को मैंने ट्वीटर एवं अपने फेसबुक एकाउंट पर चन्द्रयान 2 के चन्द्रमा पर लैंडिंग (उतरने) के क्रम में उसके चन्द्रमा की सतह से टकराने के कारण चन्द्रयान 2 के चक्के (पहिये) एवं स्टैण्ड का चन्द्रमा की सतह में थोड़ा धँस जाने और चन्द्रयान 2 के ऊपरी हिस्से के भार के कारण स्टैण्ड के टेढ़ा होने या झुकने की संक्षिप्त चर्चा की थी। इस सन्दर्भ में अधोलिखित समाचार उल्लेखनीय है :-

"India News ›   Night On Moon, ISRO Will Try To Contact Vikram Lander Of Chandrayaan 2 Again On Next Lunar Day
चांद पर हो गई रात, लेकिन इस दिन विक्रम को फिर से ढूंढेगा इसरो
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर (Chandrayaan 2 Vikram Lander) को चांद की सतह पर उतरे 14 दिन बीत चुके हैं। अब चांद पर रात भी हो चुकी है। यानी विक्रम लैंडर अब अंधेरे में जा चुका है। इस दौरान चांद पर तापमान माइनस 180 सेल्सियस तक चला जाएगा। हमारे विक्रम लैंडर को भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इस ठंडे मौसम का सामना करना पड़।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO - Indian Space Reseach Organisation) के अनुसार, आंकड़ों के विश्लेषण में पता चला है कि विक्रम करीब 200 किमी की रफ्तार से चंद्रमा की सतह पर टकराया। ऑर्बिटर ने विक्रम की जो तस्वीरें भेजी हैं, उन्हें देख कर ऐसा लग रहा है कि विक्रम के दो पांव चांद की सतह में धंस गए हैं। ये भी हो सकता है कि वो पांव मुड़ गए हों। या फिर वो एक करवट गिरा पड़ा है। ऐसा तेज गति में टकराने के कारण हुआ है। माना जा रहा है कि ऑटोमेटिक लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी के कारण ऐसा है।
इधर इसरो अध्यक्ष के. सिवन (ISRO Chief K Sivan) ने कहा है कि हम इन 14 दिनों में विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं साध पाए और अब इसकी उम्मीद भी नहीं है। क्योंकि चांद पर रात के दौरान माइनस 180 डिग्री तापमान में विक्रम के उपकरणों का सही हालत में रहना संभव नहीं है। उसमें जितनी एनर्जी दी गई थी, उसकी समय सीमा भी समाप्त हो चुकी है। वहां उसे रीचार्ज करने की कोई व्यवस्था भी नहीं है।
इसरो के एक अधिकारी का कहना है कि चांद पर रात के दौरान बेहद कम तापमान में चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के उपकरण सक्रिय नहीं रहेंगे। हालांकि उसे सक्रिय रखा जा सकता था, अगर उसमें आइसोटोप हीटर लगा होता। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद अगले लूनर डे पर विक्रम से एक बार फिर संपर्क की कोशिश की जाएगी। यह लूनर डे 7 से 20 अक्टूबर तक रहेगा। इसरो विक्रम से 14 अक्तूबर को संपर्क करने की कोशिश करेगा।
इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया कि हम विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल नहीं हो पाए। लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर बिल्कुल सही और अच्छा काम कर रहा है। इस ऑर्बिटर में कुल आठ उपकरण लगे हैं। हर उपकरण का अपना अलग-अलग काम निर्धारित है। ये सभी उस काम को बिल्कुल उसी तरह कर रहे हैं जैसा प्लान किया गया था।"

इस सन्दर्भ में अध्ययन के क्रम में जानकारी होने पर आगे पुनः सुधी पाठक गण के समक्ष मैं अपने विचारों को प्रस्तुत करने का प्रयास करूँगा।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

(क्रमशः)

नोट :- ज्ञातव्य है कि उपर्युक्त भविष्यवाणी के सन्दर्भ में विभिन्न तिथियों में समय-समय पर अन्य लेखों के माध्यम से भी अपने विचारों को व्यक्त किया था, परन्तु मुझ सामान्य व्यक्ति का ज्योतिष सम्बन्धी अनुमान एवं फलकथन "नक्कारखाने में तूती की आवाज" बनकर रह गई, लेकिन जो सत्य है उसे अन्ततः हर किसी को स्वीकार् करना ही होगा।

चन्द्र यान-2 के चन्द्रमा पर लैंडिंग के सन्दर्भ में मैंने लैंडिंग के समय से ही उपर्युक्त जो भविष्यवाणियाँ की थी जिसके सत्य साबित होने के संकेत नासा के चन्द्र यान-2 से सम्बन्धित रिपोर्ट के आधार पर मिल रहे हैं।

Home ›   India News ›   New Pictures Of NASA Aroused India Hopes, Interest Again For Chandrayaan 2 Mission
नासा की नई तस्वीरों से जगी भारत की उम्मीद, चंद्रयान मिशन को लेकर फिर बढ़ी दिलचस्पी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू Updated Sun, 02 Aug 2020 02:02 AM IST
चंद्रयान-2 मिशन पर रोवर (प्रज्ञान) को लेकर रवाना हुए विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास विफल रहने के 10 महीने बाद नासा की ताजा तस्वीरों ने इसरो की उम्मीद फिर से उम्मीद जगा दी है। पिछले साल नासा की तस्वीरों का इस्तेमाल कर विक्रम के मलबे की पहचान करने वाले चेन्नई के वैज्ञानिक शनमुग सुब्रमण्यन ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को ईमेल भेजकर दावा किया है कि मई में नासा द्वारा भेजी गई नई तस्वीरों से प्रज्ञान के कुछ मीटर आगे बढ़ने के संकेत मिले हैं।

इसरो प्रमुख के. सिवन ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि हालांकि हमें इस बारे में नासा से कोई जानकारी नहीं मिली है लेकिन जिस व्यक्ति ने विक्रम के मलबे की पहचान की थी, उसने इस बारे में हमें ईमेल किया है। हमारे विशेषज्ञ इस मामले को देख रहे हैं। अभी हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते।
शनमुगा ने बताया है कि 4 जनवरी की तस्वीर से लगता है कि प्रज्ञान अखंड बचा हुआ है और यह लैंडर से कुछ मीटर आगे भी बढ़ा है। हमें यह जानने की जरूरत है कि रोवर कैसे सक्रिय हुआ और उम्मीद करता हूं कि इसरो इसकी पुष्टि जल्दी करेगा।
   

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शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

शालिग्राम शिला

शालिग्राम शिला 

शैलज शालिग्राम शिला,
आये हरि अवध श्री राम।
भिड़े भगत विनु सोच समझ,
दुःखी अवध सिय राम।।
हरि प्रभु कृपा तैरे उदधि ,
शैलज मति मूढ़ अज्ञान।
कहाँ प्रभु ? कब व्याप्त नहीं?
को जानत जगत जहान ?
शैलज नीच भौतिक मति,
ज्ञान अहम् अज्ञान।
सजन कसाई तौले सदा,
भाव भगति सम्मान।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

गुरुवार, 5 जनवरी 2023

Homoeopathic World के उद्देश्य :-

१. होमियोपैथिक एवं बायोकेमिक चिकित्सा हेतु रुग्ण व्यक्ति तथा चिकित्सक को प्रेरित करना और उनके अनुभवों से लोगों को परिचित कराना.
२. मेटेरिया मेडिका, आर्गेनन एवं रेपेटरी के महत्व, उपयोगिता, प्रयोग एवं उपयोग से परिचित कराना.
३. अनेक दवाओं के प्रयोग या उपयोग के स्थान पर आवश्यकतानुसार एक लक्षण की एक दवा का चयन को प्रथमिकता प्रदान करना.
४. मानव एवं मानवेतर प्राणियों साथ ही अन्य सजीव प्राणियों के मनो-शारीरिक हितों की रक्षा करना. 
५. होमियोपैथिक एवं बायोकेमिक चिकित्सा को लोकहित में प्रतिष्ठित करना.

महादशादि के उपचार एवं मानवोचित कर्म :-

ईसाई नव वर्ष २०२३ की शुभ अवसर पर विश्व के नाम सन्देश :-

ईसाई नव वर्ष २०२३ की पूर्व संध्या पर विश्व के नाम सन्देश :-

सर्व कल्याणकारी प्रार्थना : अवधेश कुमार शैलज

' सर्व कल्याणकारी प्रार्थना '
......................................…..................
प्रियतम ! स्वामी ! सुन्दरतम् ! माधव ! हे सखा ! हमारे !
मिलती है , शान्ति -👌जगत में, केवल प्रभु ! तेरे सहारे ।।
तुम अमल धवल ज्योति हो, ज्योतित करते हो- जग को ।
स्रष्टा! पालक ! संहर्ता ! तुम एक नियन्ता-जग के ।।
कैसे मैं तुझे पुकारूँ, जड़ हूँ, न ज्ञान -मुझको है ।
प्रभु एक सहारा-तुम हो, रखनी प्रभु लाज -तुझे है ।।
सर्वज्ञ ! सम्प्रभु ! माधव ! तुम तो -त्रिकालदर्शी हो ।
अन्तर्यामी ! जगदीश्वर ! तम-हर ! भास्कर भास्कर हो ।।
मायापति! जन सुख दायक ! तुम व्याप्त -चराचर में हो ।
हे अगुण ! सगुण ! परमेश्वर ! सर्वस्व हमारे -तुम हो ।।
आनन्दकन्द ! करूणाकर ! शशि-सूर्य नेत्र हैं -तेरे ।
तुम बसो अहर्निश प्रतिपल, प्रभु ! अभ्यन्तर में -मेरे ।।
तेरी ही दया कृपा से, अन्न धन सर्वस्व मिला है ।
तेरी ममता इच्छा से, यह जीवन कमल खिला है ।
उपहास किया करते हैं, जग के प्राणी सब -मेरे ।
स्वीकार उन्हें करता हूँ, प्रेरणा मान सब -तेरे ।।
कर्त्तव्य किया न कभी मैं, प्रभु ! प्रबल पाप धोने का ।
जुट पाता नहीं मनोबल, प्रभु ! अहंकार खोने का ।।
बस, तिरस्कार पाता हूँ , यह पुरस्कार है- जग का ।
है बोध न मुझको कुछ भी, जगती का और नियति का ।।
यह जीवन चले शतायु, मंगलमय हो जग सारा ।
माधव ! चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा ।।
हे हरि ! दयानिधि! दिनकर! सब जग के तुम्हीं -सहारे ।
हम सब को प्रेम सिखाओ, हे प्रेमी परम हमारे ।।
हो बोध हमें जीवन का, कर्त्तव्य बोध हो सारा ।
अनुकरण योग्य प्रति पल हो, जीवन आदर्श हमारा ।।
ईर्ष्या, माया, मत्सर का लव लेश नहीं हो हममें ।
धन, बल, विकास, काया का -सुन्दर विकास हो हममें ।।
सौहार्द, प्रेम भावों का प्रभु ! उत्स हृदय में फूटे ।
उत्तम् विचार राशि को, जगती जी भर कर लूटे ।।
सार्थक हो जग में जीवन, सार्थक हो प्रेम हमारा ।
माधव ! चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा ।।
:- प्रो० अवधेश कुमार 'शैलज', पचम्बा, बेगूसराय ।
( प्राचार्य सह विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान, एम.जे.जे.कालेज, एम., बनवारीपुर, बेगूसराय। )
(कालेज कोड : ८४०१४)

बैद्यनाथ चौधरी जी का पत्र :-

सर्व कल्याण कारी प्रार्थना से सम्बंधित पत्र :-

सोमवार, 2 जनवरी 2023

कारण एवं उपचार :-

Abortion :-
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From chest complaints : sec-c. 
From Chilliness :- kali-c. 
After dry cough:- kali-c. 
After exhaustion:- merc. 
From eyes weakness:-kali-c.
After Fibroadenoma:- Lac-c. 
After-heamorroid :-Ham.
Legs paralysis:-  Lac-c. 
From legs weakness:- kali-c. 
After oliguria :- stram. 
After spasm :- sec-c. 
From involuntary stool:- sulphur. 
After profuse sweat:- kali-c. 
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Aconite, abuse of:- sulphur. 
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Acid :-
Deafness from nitric :- petroleum. 
After flatus:- Phos-ac. 
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Ear pain from suppressed ague :- puls. 
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Cough from hot air:- kali-c. 
Hot air inhaled from fire:- carbo-veg. 
Snow of hot air:- sep. 
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Alcohol:-
Apoplexy from :- Crot-h. 
Bladder catarrh from :- coffia.
Brain effects from :- Merc. 
Dyspepsia after :- kali-bi.
Heart burn from :- Nux-v. 
Mental derangement :-  Merc-v. 
Paralysis from :- op. 
Stomach contradiction :- Osm. 
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Headache from high altitude :- Cocc. 
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Anaemia :- 
Aumaurosis from:- Ver-v. 
Dropsy from:-Senecio.
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Anger :- 

कारण एवं उपचार :-