बुधवार, 21 जून 2023

मित्रों चलो, चलें घूमने .....

 मित्रों चलो, चलें घूमने ....
अपने दिव्य बिहार में।
बोध गया में जहाँ तथागत्,
पाया बुद्धत्व सिद्धार्थ ने।
नालन्दा भग्नावशेष यह,
विश्व गुरु भारत का केन्द्र था।
बख्तियार खिलजी ने जलाया,
ज्ञान ग्रन्थ का केन्द्र था।
बेगूसराय मंझौल सन्निकट,
काँवर झील पक्षी विहार।

माँ जयमंगला का मंदिर है।
पाटलिपुत्र राजधानी इसकी,
पाटन देवी जहाँ अवस्थित हैं।
राँची जिसे भुला नहीं सकते,
जो झारखण्ड में स्थित है।
भागलपुर सिल्क की नगरी,
विक्रमशिला योग गुरु धाम है।
जाह्नवी सुरसरि गंगा तट पर,
मिथिला की सिमरिया धाम है।
यह महाकुम्भ की प्रथम भूमि,
यह उदधि मन्थन का धाम है।
यहीं मन्दार सुमेरु बासुकि संग,
देवासुर गरल सुधा रत्न पाए।
है यही लिच्छवी गणतंत्र मूल,
भारत माँ स्वतंत्रता संबल पाए।
अंग कर्ण दानवीर की धरती,
दिनकर मंडन श्री कृष्ण धाम।
उगना शिव कृपा स्थली यहीं,
विद्यापति शिव गंगा प्रीति जहाँ।
यह शेष बिहार अवशेष असीम,
उत्कृष्ट सभ्यता संस्कृति प्रदा।
मुनि जैन तीर्थंकर महावीर और
सनातन संस्कृति पथ बोध यहाँ।
भारत का है हृदय बिहार,
अब मध्यप्रदेश को जाना है।
भीम बेटका, राजा भोज स्मृति शेष,
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर है।
कालीदास की जन्मभूमि पावन,
सोन नदी का उद्गम स्थल है।
मित्रों चलो चलें घूमने........…।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।





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