शनिवार, 8 अगस्त 2020

वक्त पर याद आते हैं ...

वक्त पर याद आते हैं...

निकालते वक्त हैं हम सब, जरूरी जब समझते हैं।
जरूरी कब ? किसे ? कितना ? यहाँ कितने समझते हैं ?

पहुँचना है सभी को पुनः, चिरपरिचित ठिकाने पर।
निभा कर रौल इस जग में, वक्त पर लौट जाना है।

टिकट आवागमन का, साथ में लेकर सभी आये।
यहाँ पर सौंप तन,मन,धन; प्रभु में लीन होना है।

वक्त को जो समझ में है, वक्त पर ही बताता है।
वक्त न आम होता है,  वक्त न खास होता है।

वक्त पर काम जो आते, भले ही भूल जायें हम।
वक्त जब गुजर जाता है, वक्त पर याद आते हैं।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

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