मंगलवार, 14 जुलाई 2020

Ferrum Phos ( फेरमफॉस)

मन:स्थिति :-

तिल को पहाड़ समझना। नींद के बाद आराम।पागलपन स्वभाव की परिवर्त्तनशीलता के साथ। हर चीज के सम्बन्ध में लापरवाही।

आँख :- आँखों के भीतर मुख्यतः नेत्र गोलकों में और उन्हें घुमाने पर अत्यधिक दर्द बिना श्राव के। आँखों में और मुख्यतः नेत्र गोलकों में प्रदाह युक्त जलन। कनीनिका रोग की प्रथमावस्था। चक्षु कोण में तेज दर्द मुख्यतः गति से। आँखें सूखी एवं लाल। आँखों में तेज दर्द या प्रदाह बिना श्राव के। आँखों में बालू की अनुभूति।

कान :- रक्त हीन लोगों में कान का खुलना। कर्ण नली में प्रादाहिक शूल या दर्द। कान के भीतर गहरी लाली, खिंचाव, गर्मी, दपदपाहट, जलाने, कोचने, काटने और/या फैलने वाला तीव्र दर्द। कान के नुकीले अंश में सूजन एवं दर्द।ठंड से कर्ण प्रदाह। कान के प्रदाह से रक्त की प्रवणता और/या बहरापन। कान से पीब एवं श्लेष्मा का श्राव।

मसूड़ा :- मसूढ़ों की गर्मी एवं प्रदाह।

गर्भावस्था एवं प्रसव :- गर्भावस्था में प्रातःकालीन मिचली या अनपचे खाद्य पदार्थ की कै। प्रसवोपरांत कमजोरी Calcaria Flour से तुलनीय।

ज्वर :- ज्वर अत्यधिक शीत या ठंडक के साथ प्रतिदिन दोपहर 1 बजे दिन में। किसी भी तरह का ज्वर।

मूत्र यन्त्र :- नित्य बहुत अधिक मात्रा में अनैच्छिक मूत्र श्राव।पेशाब में प्रादाहिक लक्षण के साथ चूना तथा अण्डलाल।
मूत्र नली के गर्दन में उत्तेजना। गुर्दे में दर्द। रक्त मूत्र।

पुरुष जननांग :- सूजाक में प्रादाहिक अवस्था। शुक्र रज्जु का अर्बुद।

आमाशय या पाकाशय एवं उदर :- अम्लीय या खट्टे खाद्य पदार्थों या दूध या मछली की अनिच्छा। एल मदिरा या शराब या स्फूर्ति दायक खाद्य पदार्थों की इच्छा। उदर छूने या पाकाशय/आमाशय में दबाव से दर्द या वेदना। पाकाशय या आमाशय में शू्ल या दपदपाहट का दर्द दबाव से बढ़ता है,लेकिन ठंडक से घटता है। मन्दाग्नि (भूख की कमी) के साथ तमतमाया हुआ चेहरा। पाकाशय में वायु तथा चर्वी की डकार।अनपचे भोजन या उज्जवल लाल खून की कै।

रक्त संचालक अंग :- कौशिक तथा छोटी नाड़ियों का प्रसारण।नाड़ी भरी, गोल लेकिन रस्सी की तरह नहीं।लसिका वाहनियों का प्रदाह। शिरा प्रदाह और/या स्फीति।
हृदय का प्रदाह या हृदय के अन्तर्वेष्टी झिल्ली का प्रदाह।

जिह्वा एवं स्वाद (Tongue and Taste) :- गहरी लाल, थुलथुली या सूजन वाली, रोयेंदार तथा जड़ में प्रदाह युक्त जिह्वा ।

स्नायविक तन्त्र :- रक्त संचय के कारण स्नायुशूल या प्रादाहिक स्नायुशूल। प्रादाहिक स्नायुशूल या उसके साथ पक्षाघात। रात्रिकालीन स्नायविकता।

निद्रा एवं स्वप्न :- रक्त संचय से तथा कभी-कभी रात्रि में फेरमफॉस के उपयोग से अनिद्रा। दोपहर के बाद निद्रालुता।


सिर, मष्तिष्क एवं खोपड़ी (Head, Brain & Skull) :- 

नाक (Nose) :- 

गले एवं चेहरे (Throat & Face) :- 

दाँतों एवं मसूड़ों (Teeth & Gums) :- 

श्वसन यन्त्र (Respiratory System) :- फेफडों में रक्त संचय या कष्ट, टैटुओं में प्रदाह या छाती के उपसर्गों के साथ जलन। बगल में कोंचने का सा दर्द। सांस की रुकावट । स्वर यन्त्र का दर्द। बोलने या गाने पर रूखापन। बलगम रक्त रंजित। चोट लगने से रक्त श्राव। दर्द युक्त या सूखी खांसी। 

उदर या तलपेट तथा मल (Abdomen & Stool) :-

त्वचा (Skin) :-

तन्तु (Tissues) :-

स्त्री जनेन्द्रिय (Female Sex Organ) :- रज:श्राव 21 दिनों पर। ताजा लाल रक्त श्राव।

वृद्धि :- छूने से, गति की स्थिति में Kali Mure एवं Calcaria Phos के समान वृद्धि होती है।

ह्वास :- शीत या ठंडक से Calcaria Flour से कष्ट घटता है।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें