मंगलवार, 14 जुलाई 2020

Kali Phos (काली फॉस)

मन:स्थिति (Mental symptoms/condition) :-

एकाएक या गहरे सोच का दुष्परिणाम। विस्मृति या स्मृति हीनता। दिमागी कमजोरी।अधिक पढ़ने या सोचने या भविष्य की चिन्ता से कष्ट। अत्यन्त अधीर या संकोची या लज्जाशील।अन्तर्बल की कमी। स्नायविक उत्तेजना। लोगों से मिलने या बात करने की इच्छा नहीं होना। कार्य शक्ति की कमी। कमजोर मनोबल। कल्पनाशीलता। काल्पनिक वस्तुओं को पकड़ना हायोसियामस की तरह। गोद में सवार होकर कैमोमिला की तरह घूमने की इच्छा। घर जाने की उतावली कैप्सिकम, इग्नेशिया एवं कैल्कैरिया फॉस की तरह। चींखना, चिल्लाना, चें-चें में-मेंकरना। बच्चों में रात्रि भय। स्नायविक डर। डरने की आदत और उसका कुपरिणाम। उड़ने, गिरने,आग ऊँचाई, पहाड़ या भय पैदा करने वाले स्वप्न। सपना। तन्द्रालुता। निद्रा भ्रमण। नींद में बोलना।प्रलाप या बुदबुदाना। बीते दिनों की याद से कष्ट या प्रेम की निराशा से कष्ट नेट्रम म्यूर की तरह। अन्धकार मय भविष्य की चिन्ता। जड़ता या शिथिलता।शंकालु (Mistrust/Suspicious)। उत्तेजना या आवेग से एकाएक मृगी। बुरे परिणाम का भय। भीड़ से कष्ट या भय।मानसिक शक्ति में कमी या मानसिक विश्रृंखलता। रोने की प्रवृत्ति पल्सेटिला की तरह। लिखने या बोलने में अक्षरों या शब्दों की अशुद्धता या उन्हें छोड़ना लायको की तरह। विगत दृश्यों को पुनरावलोकन की इच्छा और/या उनसे भयभीत होना। सूतिकोन्माद। परिवर्त्तनशील स्वभाव। जोर से हँसना। हर चीज या घटना का बुरा या अन्धकार पक्ष देखना या सोचना। भूत पिशाच का भय। पूजा करने में असन्तुष्टि। अनिद्रा। मष्तिष्क हिल जाना।पागलपन या सनकीपन या दिवालियापन।


आँख (Eye) :- आँखों के सामने हवा में तैरते हुए पानी के बुलबुले जैसे काली-काली वृत्ताकार आकृतियाँ या धब्बे प। आँख के गोलकों में प्रदाह रहित जलन। आँखों की दृष्टि शक्ति या पहचानने की शक्ति कमजोर। डिफ्थीरिया के बाद आँखों से तिरछा देखने और नेत्र गोलकों का तिरछापन। आँखों में एकटक, उत्तेजित, घूरती हुई या उग्र दृष्टि ।आँखों में ऐंठन या काँटा होने की अनुभूति। गलझिल्ली प्रदाह के बाद दृष्टिहीनता।

कान ( Ear) :- सुनने में भ्रम। कान गन्दा। कान का श्राव चमकीला पीला और बदबूदार। कान के तन्तुओं का सूख जाना। कान में और मुख्यतः नली में छिछला घाव। कान के पर्दे की झिल्ली में घाव। कान में गुंजन एवं सोने पर आवाज। श्रवण शक्ति के अभाव में बहरापन। बहरेपन के साथ सिर में ध्वनियाँ। कान के रोग में शीर्णता।श्रवण शक्ति बहुत अधिक।

मुँह (Mouth) :- कर्कट रोग में पानी जैसा श्राव। मसूड़ा स्पंज की तरह। दाँत मसूड़ों से हट जाते हैं। मुख में श्लेष्मा, फुन्सियाँ एवं पपड़ियाँ।मुख क्षत में पानी जैसा स्वाद। मुख में भूरे रंग का घाव। मसूड़ों से रक्त श्राव। मुख का स्वाद नमकीन।

गर्भावस्था एवं प्रसव (Pregnancy & Labour) :- कमजोर प्रसव वेदना। सूतिकोन्माद। स्तन से दुर्गन्धित भूरा श्राव। गर्भ श्राव की चिन्ता Mag Phosके समान।

ज्वर (Fever)Kali Phos :- मष्तिष्क ज्वर। पाकाशयिक सांघातिक या स्नायविक या मष्तिष्क ज्वर। अत्यधिक दुर्बलता कारक या थकान पैदा करने वाले पसीने वाला या दुर्गन्धयुक्त ज्वर। ज्वर में बैगनी रंग की फुन्सियाँ। खाना खाते समय ज्वर। ज्वर। अत्यधिक दुर्बलता कारक या थकान पैदा करने वाले पसीने वाला या दुर्गन्धयुक्त ज्वर। ज्वर में बैगनी रंग की फुन्सियाँ। खाना खाते समय ज्वर।

मूत्र सम्बन्धी रोग ( Disease of urine) :- मूत्र मार्ग में खुजली। स्नायविक दुर्बलता से मूत्रावरोध। मूत्र नली या मूत्र मार्ग से रक्त श्राव। लिंग का आंशिक पक्षाघात।


पुरुष जनेन्द्रिय (Male Sex Organe) :- मूत्र मार्ग में खुजली। स्नायविक दुर्बलता से मूत्रावरोध। मूत्र नली या मूत्र मार्ग से रक्त श्राव। लिंग का आंशिक पक्षाघात।


पाकाशय या आमाशय (Stomach) के विकार :- मीठे खाद्य पदार्थों से अनिच्छा। खट्टे खाद्य पदार्थों से मन्दाग्नि। मन्दाग्नि में स्नायविक दर्द। उदर या कोख में प्रायः या बराबर दर्द। पाकाशय में शूल या दर्द भय या उत्तेजना से हो और खाना खाने से घटे। पाकाशय का खालीपन भी खाना खाने से घटे। गैस की या करुई डकार।


स्नायविक लक्षण (Neuralagic Symptoms) :- स्नायविक कमजोरी। शरीर में कंपन की अनुभूति या अनैच्छिक गति। चंचलता और हाथ-पैर हिलते रहना। डर विशेषकर चोरों से। बच्चों और विशेषकर बूढों के मूत्राशय का पक्षाघात फलस्वरूप पेशाब की याद नहीं रहना और किसी को पेशाब करते देख कर या पेशाब की याद आते ही या पेशाब का अनुभव होते ही बरदाश्त नहीं होने वाला तीव्र वेग से पेशाब लगना तथा कभी कभी कपड़े में ही पेशाब हो जाना। शीघ्र थक जाना। स्नायविक थकावट। एकाएक, रेंगने की अनुभूति के साथ और गति शक्ति की कमी के साथ पक्षाघात। स्पर्श शक्ति का नष्ट होना। अंगों के सूखने के साथ या दुर्बलता कारक पक्षाघात। आंशिक या मुख्य रूप से चेहरे का पक्षाघात। बच्चों का पक्षाघात। रात्रि कालीन भय मुख्यतः बच्चों का।मृगी एकाएक उत्तेजना या डर से।

रक्त संचालन यन्त्र (Circulatory System) :- डर एवं थकावट से मूर्च्छा। धड़कन मानसिक उत्तेजनाओं और/या सीढ़ी पर चढ़ने से। धड़कन से अनिद्रा।धड़कन वात ज्वर के बाहर। रक्त हीनता के साथ हृदय में कष्ट। रक्त की चाल मन्द। नाड़ी क्रम भ्रष्ट।

निद्रा एवं स्वप्न (Sleeping & Dream) :- चिन्ता, व्यापारिक झंझटों, आवाज या नेट्रम म्यूर के समान उत्तेजना से अनिद्रा। सुबह में लगातार सोने की इच्छा। नींद में चौंकना या मांस पेशियों का फड़कना। मृगी के कारण जम्हाई।

स्वप्न :- गिरने, उड़ने, डरने, आग, भूत, पहाड़, उँचाई या कामोत्तेजक स्वप्न देखना।

जिह्वा एवं स्वाद (Tongue & Taste) :- जिह्वा के सूखेपन के साथ प्रदाह। जिह्वा के तालु से सट जाने की अनुभूति। जिह्वा का स्वाद नमकीन। लम्बी जिह्वा। किनारे में लाल जिह्वा।

सिर, मष्तिष्क एवं खोपड़ी (Head, Brain & Skull) :- प्रमस्तिष्कीय अल्परक्तता। रक्ताल्पता से बाल झरते हैं। आँखों  के आर-पार दर्द। सिर के पीछे भार की अनुभूति। सिर में आवाज की अनुभूति। कै जम्हाई और/या थकावट के साथ। वृद्धावस्था में चक्कर।

नाक (Nose) :- जरा सी ठंढ़ लगते ही छींकना। छींकने से मोटी नीली पपड़ी निकलना। नाक की पीली पपडियां बदबूदार। खखार कर नाक के पीछे से बलगम निकालना। दुर्गन्धित श्राव। नकसीर होने की आदत।

गले एवं चेहरे (Throat & Face) :- चेहरा अन्दर की ओर धँसा हुआ। निगरण त अविराम इच्छा। स्वर यन्त्र का पक्षाघात।ंं

श्वसन यन्त्र (Respiratory System)  :- दर्द युक्त प्रदाहित टेटुआ। घास पात के सड़ने से उत्पन्न बुखार के साथ दमा। दमा जरा सा भी खाने से बढ़ता है। बदबूदार या नमकीन बलगम। सीढ़ी पर चढ़ने पर जल्दी-जल्दी श्वास लेना। पक्षाघात के साथ स्वरलोप।

उदर या तलपेट तथा मल (Abdomen & Stool) :- दर्द हीन दस्त या अतिसार। दुर्गन्धित दस्त। उदर में सूजन। भय से अतिसार।

त्वचा (Skin) :- रेंगने के अनुभव।

तन्तु (Tissues) :- थकावट, दुर्बलता, रक्त विषाक्तता, विषव्रण, शय्या क्षत, सड़न की अवस्था, दुर्गन्धित श्राव, न जमने वाला रक्त श्राव, पाकाशयिक लक्षणॊं के साथ रक्तहीनता।

स्त्री जनेन्द्रिय (Female Sex Organ) :- अनियमित, तीव्र गन्ध वाला, कला, थक्केदार,मछली के धोवन जैसा, दुर्गन्धित श्राव। वातोन्मादी लक्षण।

ह्वास-वृद्धि (Amelioration- Aggravation) :-

वृद्धि :- आराम करने, बैठ कर उठने, लगातार परिश्रम करने, पूर्ण विश्राम से। अपराह्न 2 से 5 बजे के मध्य में या शाम में तथा संगीत या शोरगुल से कोई भी कष्ट बढ़ता है।

ह्वास :- किसी काम में लगे रहने, भोजन करने, डकारों से, धीमी गति, संगति या साथ रहने पर; मनोरंजन या हर्षोत्फुल्ल उत्तेजनाओं से कष्ट घटता है।


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