गुरुवार, 26 जुलाई 2018

अदद् दर्द......

अदद् दर्द.....

कहो रूठ कर क्यों रुलाते हो मुझको?
अदद् दर्द दे क्यों बुलाते हो मुझको?
यों रूठ कर क्यों मनाते मुझे हो ?
आखिर अदद् दर्द देते ही क्यों हो?
गफलत है तेरी या गलती है मेरी ?
दबा दर्द दिल में , बताते नहीं हो?
बताओ तो जानूँ,क्या चाहत है तेरी?
तू भी जान पाओ, क्या दिल में है मेरी ?
वर्षों से आ रही अखण्डित कहानी।
रूठने की है तेरी ये आदत पुरानी ।।
लेकिन तेरे दिल की ये लम्बी बीमारी।
मन से यों उपजी कि दु:ख है हमारी।।
क्या मिलता है यों,जो मुझको सताते ?
हो दिल से बुलाते,या नफरत दिखाते ?
अजब सोच तेरी, गजब की अदा है ।
दिशा हीन हूँ क्या, जो ऐसी सजा है ?
समर्पित है तेरे लिए मेरा तन-मन ।
समर्पित है तेरे लिए मेरा जीवन ।।
कहो रूठ कर क्यों रूलाते हो मुझको?
अदद् दर्द दे क्यों बुलाते हो मुझको ?

प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय ।

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