सोमवार, 12 अप्रैल 2021

माँ दुर्गा की प्रार्थना


अपनी बोली अर्थात् अंगिका क्षेत्र बेगूसराय की भाषा में माँ दुर्गा की वन्दना / प्रार्थना करने का मैंने आज प्रथम बार प्रयास किया है और मिथिला क्षेत्र होने के कारण इस प्रार्थना में मिथिला की भाषा शैली का भी समावेश हो गया है। अतः विद्वत् जन कृपया अन्यथा भाव न लेकर उत्साहवर्धन करेंगे तथा सम्यक् मार्ग दर्शन करेंगे। शुभमस्तु।।

माँ दुर्गा की प्रार्थना (संशोधित)

हे दुर्गा दुर्गति नाशिनी मैया !
कण-कण में तू वासिनी मैया!
किये हमरा भटकावै छे ?
किये न दै छे सुन्दर मति माँ,
किये न ज्ञान बढ़ावै छे ?
हे दुर्गा दुर्मति नाशिनी माँ !
हमरा किये रुलावै छे ?
करम-धरम हम बूझै नै छौं ,
हमरा किये नै सिखावै छे ?
माई-बाप के कैसन बेटा ?
लोग से बात सुनाबै छे ?
होवे छे अपमान तोहर जब,
जीवन ई व्यर्थ सुनाबै छौं ।
हे दुर्गा दुर्भाग्य नाशिनी !
माँ! ममता किये न दिखावै छे ?
कर्म सुकर्म के समझ नै हमरा,
पूजा पाठ न आवै छै ।
जनम देले, भेजले धरती पर।
की करुँ ? सदा पछतावै छौं ।
कुछ न चलैय हमरा ई जग में,
सत् पथ में संकट पावै छौं ।
कोई न साथी संगी जग में,
सबके स्वारथ में पावै छौं ।
गलत करम के राही छै सब,
हमरो हरदम भटकावै छै।
जौं नै चलैय छौं ओकर राह पर,
हमरा रोज सतावै छै।
हे दुर्गा ! हे शिवे! त्र्यम्बिके!
जग जननी! तू कहलवै छे।
सृष्टि पालनहार जगत के,
तू ही में जगत समावै छै।
कर्म , आयुु, सौभाग्य,  ज्ञानदा।
जोग जुगुति नैय जानय छौं ।
अन्तर्यामिनी! सिद्धि दात्री!
दिल के बात बतावै छौं ।
अवगुण अहंकार दुर्गुण के
पार न हम सब पावै छौं ।
कृपा करू हे माँ अघ नाशिनी!
शैलज पुत्र पुकारै छौं ।
क्षमा करू हे अम्मा अम्बे !
निज मातृभाषा में बाजै छौं ।

सब सन्तान तोरे छै मैया,
किये न उनका समझावै छे ?
जौं ई बात गलत छै मैया।
किये वेद पुराण पढ़ावै छे ।

त्रिविध ताप नाशिनी मैया,

सत्पथ तू दर्शावै छे।

ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सेवक, सबके,

मैया तू लाज बचावै छे ।

हे दुर्गा दुर्गति नाशिनी!
शरणागत दर्द सुनाबै छौं ।
चरण शरण दियौ हे मईया,
सब जग में तोहें पावै छौं ।
तू दुर्भाग्य नसावै छी माँ!
तू सौभाग्य जगावै छी माँ!
हे दुर्गा दुर्गति नाशिनी माँ!
......
हे दुर्गा दुर्गति नाशिनी माँ!
क्षमा करू सब भूल चूक माँ!
वरदायिनी! शब्द न पावै छौं ।
"ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।"
कोशिश कर जाप सुनाबै छौं।
करके स्मरण सिद्ध कुञ्जिका
निज अन्तर्भाव बतावै छौं।
हे दुर्गा दुर्गति नाशिनी माँ!
जे बुझावै छै से गावै छौं।
हे दुर्गा............।

अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।


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