रविवार, 11 जुलाई 2021
प्रार्थना
प्रार्थना
' सर्व कल्याणकारी प्रार्थना '
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प्रियतम! स्वामी ! सुन्दरतम्! माधव ! हे सखा ! हमारे !
मिलती है , शान्ति -👌जगत में, केवल प्रभु ! तेरे सहारे ।।१।।
तुम अमल धवल ज्योति हो, ज्योतित करते हो- जग को ।
स्रष्टा ! पालक ! संहर्ता ! तुम एक नियन्ता -जग के ।।२।।
कैसे मैं तुझे पुकारूँ , जड़ हूँ, न ज्ञान -मुझको है ।
प्रभु एक सहारा -तुम हो, रखनी प्रभु लाज -तुझे है ।।३।।
सर्वग्य! सम्प्रभु! माधव! तुम तो -त्रिकाल दर्शी हो ।
अन्तर्यामी ! जगदीश्वर ! तम-हर ! भास्कर भास्कर हो ।।४।।
मायापति ! जन सुख दायक ! तुम व्याप्त-चराचर में हो ।
हे अगुण ! सगुण ! परमेश्वर ! सर्वस्व हमारे -तुम हो ।।५।।
आनन्दकन्द ! करूणाकर ! शशि-सूर्य नेत्र हैं -तेरे ।
तुम बसो अहर्निश प्रतिपल, प्रभु ! अभ्यन्तर में -मेरे ।।६।।
तेरी ही दया कृपा से, अन्न धन सर्वस्व मिला है ।
तेरी ममता इच्छा से, यह जीवन कमल खिला है ।।७।।
उपहास किया करते हैं, जग के प्राणी सब -मेरे ।
स्वीकार उन्हें करता हूँ, प्रेरणा मान सब -तेरे ।।८।।
कर्त्तव्य किया न कभी मैं, प्रभु ! प्रबल पाप धोने का ।
जुट पाता नहीं मनोबल, प्रभु ! अहंकार खोने का ।।९।।
बस, तिरस्कार पाता हूँ, यह पुरस्कार है- जग का ।
है बोध न मुझको कुछ भी, जगती का और नियति का ।।१०।।
यह जीवन चले शतायु, मंगलमय हो जग सारा ।
माधव ! चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा ।।११।।
हे हरि ! दयानिधि ! दिनकर ! सब जग के तुम्हीं -सहारे ।
हम सब को प्रेम सिखाओ, हे प्रेमी परम हमारे ।।१२।।
हो बोध हमें जीवन का, कर्त्तव्य बोध हो सारा ।
अनुकरण योग्य प्रति पल हो, जीवन आदर्श हमारा ।।१३।।
ईर्ष्या, माया, मत्सर का लव लेश नहीं हो हममें ।
धन, बल, विकास, काया का -सुन्दर विकास हो हममें ।।१४।।
सौहार्द, प्रेम भावों का प्रभु ! उत्स हृदय में फूटे ।
उत्तम् विचार राशि को, जगती जी भर कर लूटे ।।१५।।
सार्थक हो जग में जीवन, सार्थक हो प्रेम हमारा ।
माधव ! चरणों में तेरे, जीवन अर्पित हो सारा ।।१६।।
:- प्रो० अवधेश कुमार 'शैलज', पचम्बा, बेगूसराय ।
(सेवा निवृत्त प्राचार्य सह विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान, एम.जे.जे.कालेज,एम.,बनवारीपुर,बेगूसराय।
(कालेज कोड : ८४०१४)
रविवार, 9 मई 2021
A feeling of Mother
शनिवार, 24 अप्रैल 2021
राष्ट्र कवि ! फिर जागो।
सोमवार, 12 अप्रैल 2021
माँ दुर्गा की प्रार्थना
अपनी बोली अर्थात् अंगिका क्षेत्र बेगूसराय की भाषा में माँ दुर्गा की वन्दना / प्रार्थना करने का मैंने आज प्रथम बार प्रयास किया है और मिथिला क्षेत्र होने के कारण इस प्रार्थना में मिथिला की भाषा शैली का भी समावेश हो गया है। अतः विद्वत् जन कृपया अन्यथा भाव न लेकर उत्साहवर्धन करेंगे तथा सम्यक् मार्ग दर्शन करेंगे। शुभमस्तु।।
माँ दुर्गा की प्रार्थना (संशोधित)
हे दुर्गा दुर्गति नाशिनी मैया !
कण-कण में तू वासिनी मैया!
किये हमरा भटकावै छे ?
किये न दै छे सुन्दर मति माँ,
किये न ज्ञान बढ़ावै छे ?
हे दुर्गा दुर्मति नाशिनी माँ !
हमरा किये रुलावै छे ?
करम-धरम हम बूझै नै छौं ,
हमरा किये नै सिखावै छे ?
माई-बाप के कैसन बेटा ?
लोग से बात सुनाबै छे ?
होवे छे अपमान तोहर जब,
जीवन ई व्यर्थ सुनाबै छौं ।
हे दुर्गा दुर्भाग्य नाशिनी !
माँ! ममता किये न दिखावै छे ?
कर्म सुकर्म के समझ नै हमरा,
पूजा पाठ न आवै छै ।
जनम देले, भेजले धरती पर।
की करुँ ? सदा पछतावै छौं ।
कुछ न चलैय हमरा ई जग में,
सत् पथ में संकट पावै छौं ।
कोई न साथी संगी जग में,
सबके स्वारथ में पावै छौं ।
गलत करम के राही छै सब,
हमरो हरदम भटकावै छै।
जौं नै चलैय छौं ओकर राह पर,
हमरा रोज सतावै छै।
हे दुर्गा ! हे शिवे! त्र्यम्बिके!
जग जननी! तू कहलवै छे।
सृष्टि पालनहार जगत के,
तू ही में जगत समावै छै।
कर्म , आयुु, सौभाग्य, ज्ञानदा।
जोग जुगुति नैय जानय छौं ।
अन्तर्यामिनी! सिद्धि दात्री!
दिल के बात बतावै छौं ।
अवगुण अहंकार दुर्गुण के
पार न हम सब पावै छौं ।
कृपा करू हे माँ अघ नाशिनी!
शैलज पुत्र पुकारै छौं ।
क्षमा करू हे अम्मा अम्बे !
निज मातृभाषा में बाजै छौं ।
सब सन्तान तोरे छै मैया,
किये न उनका समझावै छे ?
जौं ई बात गलत छै मैया।
किये वेद पुराण पढ़ावै छे ।
त्रिविध ताप नाशिनी मैया,
सत्पथ तू दर्शावै छे।
ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सेवक, सबके,
मैया तू लाज बचावै छे ।
हे दुर्गा दुर्गति नाशिनी!
शरणागत दर्द सुनाबै छौं ।
चरण शरण दियौ हे मईया,
सब जग में तोहें पावै छौं ।
तू दुर्भाग्य नसावै छी माँ!
तू सौभाग्य जगावै छी माँ!
हे दुर्गा दुर्गति नाशिनी माँ!
......
हे दुर्गा दुर्गति नाशिनी माँ!
क्षमा करू सब भूल चूक माँ!
वरदायिनी! शब्द न पावै छौं ।
"ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।"
कोशिश कर जाप सुनाबै छौं।
करके स्मरण सिद्ध कुञ्जिका
निज अन्तर्भाव बतावै छौं।
हे दुर्गा दुर्गति नाशिनी माँ!
जे बुझावै छै से गावै छौं।
हे दुर्गा............।
अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।