शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

चन्द्र यान २ की यात्रा-कथा

चन्द्रयान २ की यात्रा-कथा

चन्द्रयान-२ रॉकेट दिनांक २२/०७/२०१९ के २/४३ बजे दिन में इसरो द्वारा चन्द्रमा के दक्षिणी भाग में अध्ययन के लिए श्रीहरिकोटा (अक्षांश १३.७३३१ डिग्री उत्तर, देशांतर ८०.२०४७ डिग्री पूर्व) से भेजा गया।
विज्ञान हलाँकि ईश्वर एवं आध्यात्मिक शक्तियों तथा उनके गोरचरागोचर या व्यक्ताव्यक्त सूक्ष्मतम और रहस्यमयी शक्तियों में साथ ही चराचर जगत में व्याप्त ज्योतिर्गणितीय प्रभावों में प्रायः विश्वास नहीं रखता है, लेकिन आधुनिकता और विज्ञान की इस प्रकार की सोच से ईश्वरीय सत्ता, अध्यात्म एवं ज्योतिर्गणित विज्ञान सम्बन्धी तथ्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः वैज्ञानिकों को भी ईश्वरीय एवं आध्यात्मिक शक्तियों में श्रद्धा और विश्वास को विकसित
करना चाहिए।
चन्द्र यान २ श्री हरि कोटा से दिनांक २२ जुलाई २०१९ तदनुसार श्रावण कृष्ण षष्ठी सोमवार के २/४३ बजे दिन में बृश्चिक लग्न में लग्नस्थ गुरु (किं कुर्वन्ति ग्रहाः सर्वे यस्य केन्द्रे बृहस्पति:) जैसे शुभद् योग के समय में चन्द्र के लिए भेजा गया, परन्तु यान भेजते समय युवा और प्रौढ़ वक्र काल के प्रभाव वाली स्थिति थी,जो किसी भी कार्य हेतु विलम्ब और कुछ कठिनाई का भी द्योतक था, परन्तु स्मरणीय है कि श्रावण माह में वक्र काल के समय में भी किये गये कार्यों में भी सफलता मिलने की सम्भावना बहुत अधिक रहती है।  ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से विभिन्न तरह की शुभाशुभ सम्भावनाओं का बोध होता है । शुभ सम्भावनाओं के बोध से हमारा आत्मबल एवं मनोबल बढ़ता है और हमें अपने आपको को सही मार्ग पर चलते हुए महसूस करते हैं तथा भविष्य में और भी मेहनत कर अपने को सफल बनाने का प्रयास करते हैं, इसी प्रकार अशुभ सम्भावनाओं का बोध होने पर हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किये जा रहे कार्यक्रमों की कमियों की सम्भावनाओं के शोधपूर्ण अध्ययन करने और उत्तम उपलब्धि के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने का अवसर मिल जाता है और/या सम्यक् शास्त्रीय उपचारों से समस्याओं के सम्यक् समाधान का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।
वास्तव में हमारा रचनात्मक एवं सकारात्मक प्रयास एवं दृष्टिकोण ही हमारी हर समस्याओं के समाधान का मूल मंत्र है।
बताया जाता है कि इसरो का सम्पर्क चन्द्रयान २ चन्द्रमा की सतह से मात्र २.१ किलोमीटर दूर रहने के पूर्व किसी कारण से सम्प्रति टूट गया है । ज्योतिर्गणित के अनुसार चन्द्रयान २ पर शनि के कारण धूल कणों और शुक्र के कारण आर्द्रता से यान का उर्जा क्षेत्र प्रभावित हुआ फलस्वरूप यान की मशीनरी प्रभावित हुई और यान से इसरो का सम्पर्क टूट गया ।
मगर वैज्ञानिकों द्वारा चन्द्रयान २ से सम्पर्क टूटने के कारणों की संभावनाओं पर यदि शोध पूर्ण अध्ययन जारी रहेगा तो चन्द्र यान २ सम्पर्क टूटने के रहस्यों का सूत्र अनुसंधानकर्ताओं को सम्पर्क टूटने के क्रमशः १ घंटा १२ मिनट के बाद तथा १, ३ एवं ७ दिन की अवधि में प्राप्त होने की सम्भावना है। इसरो द्वारा इस महत्वपूर्ण शोध कार्य में सम्यक् योगदान से एक वर्ष के अन्दर के वैज्ञानिकों को अन्तरिक्ष के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान प्राप्त होगा।
वास्तव में विज्ञान के क्षेत्र में विशिष्ट, सतर्क एवं सही शोध- पूर्ण अध्ययन तथा संयमित प्रयोग के बाद भी यदि अपेक्षित परिणाम या उपलब्धि प्राप्त नहीं हो पाती है, तो भी हमें धैर्य पूर्वक पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, जो भविष्य में सफलता का मार्ग अवश्य प्रशस्त करता है।
शुभमस्तु।
प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
    

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