रविवार, 10 मई 2020

होम्योपैथी एवं बायोकेमिक चिकित्सा पद्धति मेरी दृष्टि में

जर्मनी के ऐलोपैथिक चिकित्सक डॉ0 हैनीमैन होमियोपैथिक चिकित्सा के जनक थे और उनके सहयोगी एवं शिष्य डॉ0 शुस्लर के अनुसार मानव या प्राणी के शरीर में 12 तरह के नमक पाये जाते हैं जिन्हें उन्होंने बायोकेमिक तत्व कहा जाता है। ये हैं फेरम फॉस, काली फॉस, कैलकेरिया फॉस, मैग फॉस, नेट्रम फॉस, काली म्यूर, काली सल्फ, कैलकेरिया सल्फ, नेट्रम म्यूर, नेट्रम सल्फ, कैलकेरिया फ्लोर एवं साइलीशिया। वास्तव में इन 12 तत्वों में असन्तुलन से किसी भी प्रकार का मनो-शारीरिक रोग या विकार उत्पन्न हो जाता है। मेरी दृष्टि में किसी भी चिकित्सा पद्धति से जब तक इन बायोकेमिक तत्वों का सन्तुलन शरीर में नहीं होता है, तो कोई भी व्यक्ति, प्राणी स्वस्थ एवं विकसित नहीं हो सकता है। मैंने मानव, मानवेतर प्राणी तथा वनस्पतियों पर भी होम्योपैथी औषधियों के त्वरित सुप्रभाव का अध्ययन किया है। मैं एक सामान्य व्यक्ति हूँ और मनोविज्ञान का व्याख्याता रहा हूँ। साहित्य, अध्यात्म, लेखन, सम्पादन, पत्रकारिता, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में मेरी रुचि प्रारम्भ से ही रही है। मैं होम्योपैथी और बायोकेमिक चिकित्सा पद्धति की लाक्षणिक चिकित्सा पद्धति में विश्वास करता हूँ और विगत 23 वर्षों से अवकाश के समय में मैं विधिवत् होम्योपैथी और मूलतः बायोकेमिक औषधियों के माध्यम से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रोगियों की चिकित्सा करने का प्रयास किया है, और उन रोगियों में लगभग 90 प्रतिशत वैसे रोगियों ने पर्याप्त लाभ पाया है, जिन्होंने सही और स्पष्ट रूप से अपने लक्षणों को मुझे वेझिझक बताया है तथा चिकित्सा सम्बन्धी निर्देशों का पालन किया है। ज्ञातव्य है कि विगत लगभग 33 वर्षों से मैं खुद अपना और अपने परिवार के सदस्यों की चिकित्सा हेतु होम्योपैथी और बायोकेमिक चिकित्सा पर ही निर्भर रहा हूँ एवं हमेशा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता आ रहा हूँ तथा भविष्य में भी मुझे होम्योपैथी और बायोकेमिक चिकित्सा से पर्याप्त लाभ मिलता रहेगा, ऐसा मेरा अनुभव और विश्वास है। विशेष हरि कृपा।

शुभमस्तु। ।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।
Homoeopathic practitioner, Certificate No.38430.
State Board of Homoeopathic Medicine, Bihar.
P.G.(Psychology), L.N.M.U.Darbhanga. 

Read my thoughts on YourQuote app at

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें