मंगलवार, 28 जुलाई 2020

श्वास यन्त्र (Respiratory System)

Respiratory organs :-
Mag Phos :- छाती में संकुचन का अनुभव। पेट में कष्टदायक वायु से दमा। स्नायविक दमा। आक्षेप पैदा करने वाली या स्नायविक खाँसी। स्वर का एकाएक कर्कश हो जाना।

Natrum Sulph :- खाँसते समय ब्रायोनिया की तरह छाती पकड़ता है और छाती में खालीपन का अनुभव। प्रातःकाल और मुख्यतः तर ऋतु में खाँसी या दमा या अन्य श्वास कष्ट। तरल दमा। दमा का रात में वेग से। बच्चों का दमा। रस्सी जैसा बलगम। छाती के बायें ओर अधिक दबाव। छाती के उपसर्गों के साथ कष्ट तथा दबाव से आराम।  

Silicia :- उत्तेजक खाँसी। ढ़ीला दानेदार बलगम या श्लेष्मा। पसीने की तरह रात्रि कालीन खाँसी। रात्रि कालीन खाँसी में शीतल पेय से वृद्धि। रात्रि कालीन खाँसी में वक्षास्थि के ऊपर गढ़े।खाँसी में वक्षास्थि के ऊपर सुरसुरी। छाती की गहराई में दर्द।

Kali Mure :- तेज आवाज वाली, भौकने की तरह, काली खांसी।दूध सा सफेद या भूरा सफेद, चिमड़े प्रकृति की तथा आवाज वाली श्लेष्मा या बलगम वाली खाँसी। वायु नलियों से सर्दियों का नि:श्राव।

Kali Sulph :- शाम को बढ़ने वाली रात्रि कालीन दम अटकाने वाली गला अवरोधक खाँसी।दमा गर्मी से या गरम ऋतु में बढ़ता है।नीचे की ओर जाने वाला चमकीला लसलसा बलगम।बोलने से थकावट पैदा होता है।

Calcaria Flour :- कण्ठ में सुरसुरी के साथ ढ़ोकनेवाली खाँसी। पीला कड़ा या ढ़ीला लच्छेदार बलगम युक्त दमा। गले की नली बन्द मालूम होती है।

Ferrum Phos :- फेफडों में रक्त संचय या कष्ट, टैटुओं में प्रदाह या छाती के उपसर्गों के साथ जलन। बगल में कोंचने का सा दर्द। सांस की रुकावट । स्वर यन्त्र का दर्द। बोलने या गाने पर रूखापन। बलगम रक्त रंजित। चोट लगने से रक्त श्राव। दर्द युक्त या सूखी खांसी। 

Natrum Mure :- निश्चित समय पर आने वाली, फैलने वाली खाँसी। श्वास कष्ट एवं सिर दर्द दर्द पैदा करने वाली रात्रिकालीन खाँसी।स्वच्छ, पानी जैसा, पारदर्शक बलगम और/या दमा के साथ आक्षेपिक खाँसी।

Calcaria Phos :- रात्रिकालीन खाँसी, सफेद बलगम तथा बार-बार खखारने की इच्छा या स्थिति। छाती में फैलाव से कष्ट। खाँसी के उपसर्गों में छूने से दर्द या पैर ठण्डा। लेटने से आराम।

Natrum Phos :- खाँसी के उपसर्गों में या छाती में दबाव से दर्द।छाती की पसली या पंजरे की पेशियों में दर्द। छाती में सांस लेते समय और मुख्यतः गहरी सांस लेने के समय छाती में गहरे संकुचन से कष्ट।मलाई सा हल्का पीला बलगम।

Calcaria Sulph :- छाती के उपसर्गों के साथ आर-पार दर्द।दमा के साथ क्षय ज्वर।

Kali Phos :- दर्द युक्त प्रदाहित टेटुआ। घास पात के सड़ने से उत्पन्न बुखार के साथ दमा। दमा जरा सा भी खाने से बढ़ता है। बदबूदार या नमकीन बलगम। सीढ़ी पर चढ़ने पर जल्दी-जल्दी श्वास लेना। पक्षाघात के साथ स्वरलोप।

 


गुरुवार, 23 जुलाई 2020

वक्त के रंग


जो न आये साथ जगत में, उन्हीं के द्वारा आया हूँ।
मिला जगत् में सब कुछ, पर न खुश हो पाया हूँ।।
सीमित जरूरतें जीवन की, पर मन को समझाये कौन ?
"अतिबाद" है मूल मुसीबत , अनुभव ने यही बताया है।।

यहाँ सब कुछ पराया है, यहाँ कुछ भी नहीं अपना।
छोड़ते साथ एक दिन सब, जगत् व्यवहार है सपना।।
पराया कौन है जग में ? किसे अपना कहा जाये ?
सवालों से घिरा कब से, समझ में कुछ न आया है।।

मिले थे राह में एक दिन, हुई थी चार जब आँखें।
नजर से बात होती थी, नजर की थी गजब आँखें।।
सभी जग में हमारे हैं, जगत् व्यवहार होते हैं।
नजरिया जो जगत हो, अपने दिल से होते हैं।।

सँजोए थे बहुत सपने, हृदय के हार थे अपने।
मगर कुछ काम न आये, वक्त के रंग थे अपने।।
हुआ लाचार आ जग में, सभी लाचार हैं जग में।
समझ में आ नहीं पाया, धरम औ करम क्या जग में ?

खुलासा हो गया उस दिन, स्वार्थ का वेग जब आया।
समझ में आ गया उस दिन, जब कुछ साथ न दे पाया।।
आहार, निद्रा, भय औ मैथुन प्राणी धर्म विदित है।
"शैलज" मानव को विवेक कर्माभिशाप का वर है।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

बुधवार, 22 जुलाई 2020

सुभाषितं

  सुभाषितं

धर्म,अर्थ, काम, मोक्ष चार फल
प्रभु ने तुझे दिये।
प्रकृति-पुरुष पीयूष कृपा का
सम्यक् उपभोग करो।।
छोड़ो अहं, हीन भाव को,
सबको निज-सा समझो।
कल, बल, छल से है भरा जगत्,
फिर भी निज कर्म करो।।
आर्ष ज्ञान, विज्ञान, खोज का
सदुपयोग, सम्मान करो।
कर सकते हो यदि कुछ जग में,
निज तन-मन को स्वस्थ करो।।
काम, क्रोध औ लोभ पंक में
पंकज-सा नित्य खिलो।
दुनिया के प्यासे प्याले में 
"शैलज" अपना प्रेम भरो।।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।   
 

शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

शरीर के अंग

मन:स्थिति (Mental symptoms/condition)
आँख (Eye) 
कान ( Ear)
मुँह (Mouth)
गर्भावस्था एवं प्रसव (Pregnancy & Labour)
ज्वर (Fever)
मूत्र सम्बन्धी रोग ( Disease of urine)
पुरुष जनेन्द्रिय (Male Sex Organe)
पाकाशय या आमाशय (Stomach) के विकार
स्नायविक लक्षण (Neuralagic Symptoms)
रक्त संचालन यन्त्र (Circulatory System)
निद्रा एवं स्वप्न (Sleeping & Dream)
जिह्वा एवं स्वाद (Tongue & Taste)
ह्वास-वृद्धि (Amelioration- Aggravation)
सिर, मष्तिष्क एवं खोपड़ी (Head, Brain & Skull)

नाक (Nose): - ने म्यूर। 
गले एवं चेहरे (Throat & Face): - ने म्यूर। 
दाँतों एवं मसूड़ों ( Teeth & Gums): - ने म्यूर। 
श्वसन यन्त्र (Respiratory System): - ने म्यूर। 
उदर या तलपेट तथा मल (Abdomen & Stool): - ने म्यूर। 
त्वचा (Skin): - ने म्यूर। 
तन्तु (Tissues): - ने म्यूर। 
स्त्री जनेन्द्रिय (Female Sex Organ) : - ने म्यूर। 

आँख (Eye)

Eyes :-
Ferrum Phos :- आँखों के भीतर मुख्यतः नेत्र गोलकों में और उन्हें घुमाने पर अत्यधिक दर्द बिना श्राव के। आँखों में और मुख्यतः नेत्र गोलकों में प्रदाह युक्त जलन। कनीनिका रोग की प्रथमावस्था। चक्षु कोण में तेज दर्द मुख्यतः गति से। आँखें सूखी एवं लाल। आँखों में तेज दर्द या प्रदाह बिना श्राव के। आँखों में बालू की अनुभूति।

Calcaria Sulph :- श्वेत पटल पर छाले।आँखों में अर्द्ध दृष्टि। आँखों में चोट के बाद के उपसर्ग। आँखों में खपाची जैसा दर्द।आँखों से पीला गाढ़ा श्राव। मोतियाबिंद के भीतरी भाग में धुमैला पीब। कनीनिका का धुमैलापन।

Calcaria Flour :- चक्षु कोण गोलकों में निरन्तर दर्द।आँखों में प्रकाशानुभूति मैग्नीशिया फॉस्फोरिका की तरह। आँखों का धुंधलापन कैली फॉस्फोरिकम् की तरह।

Kali Phos :- आँखों के सामने हवा में तैरते हुए पानी के बुलबुले जैसे काली काली वृत्ताकार आकृतियाँ। आँख के गोलकों में प्रदाह रहित जलन। आँखों की दृष्टि शक्ति या पहचानने की शक्ति कमजोर। डिफ्थीरिया के बाद आँखों से तिरछा देखने और नेत्र गोलकों का तिरछापन। आँखों में एकटक, उत्तेजित, घूरती हुई या उग्र दृष्टि ।आँखों में ऐंठन या काँटा होने की अनुभूति। गलझिल्ली प्रदाह के बाद दृष्टिहीनता। 
Mag Phos :- आँखों की पुतलियाँ संकुचित एवं पलकें सिकुड़ी हुई। आँखों के सामने रंग दिखाई पड़ना। रंगों की अस्वाभाविक अनुभूति। आँखों में खुजली। प्रकाश सहन नहीं होना।आँखों में ऐंठन वाला ऐंचाताना।कनीनिका पर काला दाग। पलकों का स्नायुशूल या गिरना दाहिनी तरफ अधिक।गर्मी से आराम।

Kali Mure :- आँखों के पलकों पर चौड़े घाव एवं पीब। आँखों में से सफेद कफ का निकलना। कनीनिका पर चिपटे गंडमाला का घाव तथा निचले भाग में धुंध जाला।कनीनिका में छिछला घाव।श्राव सफेद। चक्षु कोण ताल में रोहा।

Natrum Phos ;- आँखें रक्त रंजित।आँख आना एवं मलाई सा श्राव निकलना।आँखों के पलकों के किनारे में जलन।.आँखों में गण्डमाला जनित प्रदाह। धुंधली दृष्टि।आँखों में सफेद श्लेष्मा और मुख्यतः मलाई सा सुनहरा या गाढ़ा पीला श्राव।

Calcaria Phos :- आंशिक या पूर्ण अन्धत्व। आँख आना एवं गाढ़ा पीला श्राव।आँखों एवं चक्षु कोण में सूखापन। चक्षुकोण में प्रदाह। आँखों का व्यवहार गैस की रोशनी में कष्टदायक।

Natrum Mure :- अश्रु कोष की नली में सिकुड़न एवं रुकावट। आँखों की पलकों में दाने और / या फफोलेदार उद्भेद। आँखों की कनीनिका पर सफेद दाग, दानों वाली जलन, फफोले या घाव। आँखों के सामने जाला या पर्दा। जलाने वाले आँसू के साथ स्नायुशूल और/या छोटे छोटे छाले। नाइट्रेट ऑफ सिल्वर के बाद आँसू। पढ़ते समय में मानो अक्षर सट जाते हैं या मिलकर दौड़ते हैं। आँखों से मुख्यतः श्वेत पटल से सफेद कफ का श्राव।आँसू के साथ या समय-समय पर पलकों का गिरना। आँखों में ग्लूकोमा रोग।

Kali sulph :- आँखों के अगले पटल का धुन्ध। अक्षि मुकुर  (lens) का धुन्धलापन। अस्पष्ट दृष्टि।नवजात शिशुओं का आँख आना। आँखों की पलकों पर पीली पपड़ियाँ।

Natrum sulph :- गाढ़ा हरा श्राव। श्वेत पटल का पुराना प्रदाह। श्वेत पटल पर दाने। श्वेत पटल पीला।आँखों के पलकों के किनारे में जलन।

Silicia :- अश्रु कोष या अश्रु श्रावी संस्थान के रोग। आँखों की पलकों में विलनियाँ और /या चारों तरफ फोड़े और/ या छोटी छोटी फुन्सियाँँ। आँखों के घेरे में सूजन। आँखों के गढ़ों में दबाव और जलन। आँखों के कोनो के रोग। पैरों का पसीना दबने से मोतियाबिंद और / या धुन्ध दृष्टि। चक्षु कोष पटल का अर्बुद। दाहिनी आँख की पलकों का स्नायु शूल। पलकों के चारों ओर गिल्टियाँ।






कान ( Ear)

👂 Ears:- 
Ferrum Phos :- रक्त हीन लोगों में कान का खुलना। कर्ण नली में प्रादाहिक शूल या दर्द। कान के भीतर गहरी लाली, खिंचाव, गर्मी, दपदपाहट, जलाने, कोचने, काटने और/या फैलने वाला तीव्र दर्द। कान के नुकीले अंश में सूजन एवं दर्द।ठंड से कर्ण प्रदाह। कान के प्रदाह से रक्त की प्रवणता और/या बहरापन। कान से पीब एवं श्लेष्मा का श्राव।

Mag Phos :- कर्ण नली में तीव्र स्नायविक शूल, भीतरी शिराओं की गड़बड़ी से बहरापन, स्नायुओं की गड़बड़ी से श्रवण शक्ति बहुत मन्द।

Silicia :- बाहरी कान में छिद्र। बाहरी कान के प्रदाह पीब एवं बहरापन। कान का खुलना तीव्र आवाज से। स्नान के बाद कान में प्रदाह। 

Kali Mure :- कान की झिल्ली और/या परदा सिकुड़ा हुआ। कान की झिल्ली में तरी और/या दाने। कान की दीवार सूखी और क्षीण। कान के गढ़े में घाव। कान के बगल की ग्रन्थियों में वृद्धि और/या सूजन। कान में फड़कने या चटखने की आवाज।कान में तेज दर्द के साथ जीभ सफेद। कान में भरापन की अनुभूति। किसी वस्तु को निगलने या छींकने पर कान में कड़कड़ाहट की आवाज होना। कान के आस पास सूजन।मध्य कर्ण की पुरानी सर्दी की अवस्था एवं प्रदाह। मध्य कर्ण के श्राव के कारण गला और नाक बन्द। कान की नली बन्द।कान की ग्रन्थियाँ फूली हुई। कान के ढ़ोल से तर पपड़ियाँ छूटना। कान के भीतर दाने।

Natrum Phos :- एक कान लाल एवं गर्म। कान में खुजली। कान पतली परतों से ढ़का हुआ।बाहरी कान में दर्द।कानों में दर्द मुख्यतः शीर्णता के कारण।

Calcaria Flour :- कान के परदे या गह्वर में चूना जम जाना।कान के नुकीले अस्थि आवरण या अंश में दर्द होना। कान की झिल्ली में कड़ी वृद्धि।

Kali Phos :- सुनने में भ्रम। कान गन्दा। कान का श्राव चमकीला पीला और बदबूदार। कान के तन्तुओं का सूख जाना। कान में और मुख्यतः नली में छिछला घाव। कान के पर्दे की झिल्ली में घाव। कान में गुंजन एवं सोने पर आवाज। श्रवण शक्ति के अभाव में बहरापन। कान के रोग में शीर्णता।श्रवण शक्ति बहुत अधिक।

Kali Sulph :- कान के अन्दर अनेक जड़ों वाला फोड़ा जिससे कान बन्द। कान के बाहर अनेक जड़ों वाला फोड़ा। कान में काटने जैसा दर्द नीचे की तरफ। कान के भीतरी भाग में सूजन से बहरापन। बाहरी कान की सूजन से पीब। कान के नीचे काटने या खींचने जैसा दर्द। मांस वृद्धि से कान की नली बन्द। कान में पीले श्राव के साथ दर्द।

कैल्केरिया फास :- कर्ण पीड़ा वात रोग के साथ। कर्ण रोग गण्डमाला वाले बच्चों में। कान के चारों ओर की हड्डी में दर्द। कान के बाहरी भाग में ठंडक की अनुभूति। कान का बहरापन। कर्ण श्राव।